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ज्योतिष के द्वारा श्रेष्ठ पालन पोषण के सामान्य नियम कौन से हैं? (1 व्यूस)

बच्चों का श्रेष्ठ पालन पोषण करने के लिए बच्चों के मन, शरीर और स्वयं का निरीक्षण करना होगा। इन सभी कार्य में ज्योतिष उपयोगी भूमिका निभा सकता हैं। बच्चों के जीवन का उद्देश्य उन्हें स्वयं निर्धारित करने दें। तथा अपने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट रखें। इसमें किसी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए। अन्यथा व्यक्ति भ्रमित हो सकता हैं। बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए संघर्ष करना पड़े तो करें। आजीविका क्षेत्र में बच्चों के प्रवेश से पूर्व उन्हें अधिक से अधिक शिक्षित करें। ऐसा करने से एक श्रेष्ठ स्तर का भविष्य हमारे सामने आएगा। अपने बच्चों में उच्चस्तरीय गुणों का विकास करने के लिए सर्वप्रथम स्वयं में इन गुणों का विकास करें। सत्य स्वयं बोले तभी आपके बच्चे इसके लिए प्रेरित होंगे। श्रेष्ठ बच्चे ही एक श्रेष्ठ समाज की नींव रख सकते है। सत्य, ईमानदारी जैसे गुण जितने अधिक विकसित होंगे उसी रूप में समाज में परिवर्तन की क्रांति प्रबल होगी। अपने गुणों के आधार पर एक आर्थिक स्तर में निम्नतम बच्चा भी उच्च पद प्राप्ति के सपने देख सकेगा। गलत व्यक्तियों का सहयोग न लें और न ही उन्हें प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से ही समाज में शुद्धता आएगी। हमारे मध्य अवगुणों से युक्त व्यक्ति सदैव रहे हैं। वह महाभारत काल हो या फिर चाणक्य काल। पूर्णत: गुणी समाज की स्थापना आज भी नहीं हुई है और पहले भी नहीं थी। कुछ कमी सदैव रही हैं। फिर भी इसे पहले से बेहतर बनाने के लिए हमें हमेशा प्रयासरत रहना होगा। समाज में आ रही क्रांतियों को हमें समझना होगा। यही प्रकृति में बदलाव के संकेत हैं। ईश्वर प्रकृति के दवारा संकेत देता है कि बदलाव आने वाला हैं। इन्हीं संकेतों को ज्योतिषियों को समझना होगा। यदि ज्योतिषी इन्हें समझ लेता है तो वह पूर्ण विश्वास के साथ बड़ी से बड़ी भविष्यवाणी करने में सक्षम हो सकता हैं।

श्रेष्ठ पालन पोषण में क्या दिक्कतें आती हैं? आईये आपको अब यह बताते हैं।

भचक्र में स्थित ग्रहों का सीधा प्रभाव हमारे मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों पर पड़ता है। मस्तिष्क पर पड़ने वाले इन प्रभावों का बारीकी से अध्ययन करने के बाद बच्चों के शरीर और मन दोनों को समझना हमारे लिए सहज होगा।


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