स्वप्न यात्रा ज्योतिषीय दृष्टिकोण

स्वप्न यात्रा ज्योतिषीय दृष्टिकोण  

व्यूस : 16758 | जून 2012
स्वप्न यात्रा - ज्योतिषीय दृष्टिकोण रेखा कल्पदेव स्वप्न में मनुष्य की रुचि हमेशा से ही है। हमारे वेद-पुराण में भी स्वप्न के बारे में जिक्र किया गया है। ‘अग्नि पुराण’ में स्वप्न विचार और शकुन-अपशकुन पर भी विचार किया गया है। हमारे ऋषि-मुनियों के अनुसार सपनों का आना ईश्वरीय शक्ति का वरदान है और निद्रा की चतुर्थ अवस्था या रात्रि के अंतिम प्रहर में आए स्वप्न व्यक्ति को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास कराते हैं। स्वप्न का संसार बड़ा ही अदभुत है और चमत्कारी भी है क्योंकि इस निद्रा यज्ञ में इंसान उन ऊंचाईयों को छू लेता है, जिसकी कल्पना तक जागृत अवस्था में कोई व्यक्ति नहीं कर पाता। हमारे मस्तिष्क को दिन भर जो सिगनल मिलते हैं और भावनायें जागृत होती है जिन्हें हम चाह करके भी नहीं प्रकट कर पाते वे हमारे अवचेतन मन में दर्ज होते जाते हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है तब ये स्वप्न रूप में प्रकट होते हैं। चेतना की दृष्टि से आत्मा की चार अवस्थाएं होती हैं- जागृत - जागने की स्थिति, जिसमें सब इंद्रियां पूर्णतः अपने विषयों में रमण करती रहती हैं। स्वप्न - वह स्थिति, जिसमें इंद्रियां अपने विषयों में रमण करती रहती हैं। सुषुप्ति - वह स्थिति, जिसमें मन भी सो जाता है, स्वप्न नहीं आता, किंतु जागने पर यह स्मृति बनी रहती है कि नींद अच्छी तरह आई। तुरीया - वह स्थिति, जिसमें सोपाधिक अथवा कोषावेष्टित जीवन की संपूर्ण स्मृतियां समाप्त हो जाती हैं। सूर्योदय से कुछ पहले अर्थात् ब्रह्म मुहूर्त में देखे गये सपने का फल दस दिनों में सामने आ जाता है। रात के पहले पहर में देखे गये सपने का फल एक साल बाद, दूसरे पहर में देखे सपने का फल छह महीने में सामने आता है। स्वप्न के संदर्भ में स्वप्न ज्योतिष के अनुसार स्वप्न चार प्रकार के होते हैं- पहला दैविक, दूसरा शुभ, तीसरा अशुभ, चैथा मिश्रित। दैविक व शुभ स्वप्न कार्य सिद्धि की सूचना देते हैं। अशुभ स्वप्न कार्य असिद्धि की सूचना देते हैं तथा मिश्रित स्वप्न मिश्रित फलदायक होते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई बुरा स्वप्न दिखाई दे, तो नींद खुलते ही अपने आराध्य को ध्यान करके पानी पी लेना चाहिए। इसके पश्चात् फिर सोना नहीं चाहिए। ऐसी मान्यता भी है कि दिन में दिखाई देने वाले स्वप्न निष्फल होते हैं। स्वप्नों का ज्योतिषीय फल - शुभ/अशुभ: ज्योतिषशास्त्र व अनेक पुराणों एवं सहिंता ग्रंथों में स्वप्नों के शुभाशुभ फल का विस्तृत वर्णन दिया गया है। अनेकों बार स्वप्न के माध्यम से हमें भविष्य में होने वाली शुभ या अशुभ घटना का संकेत मिलता है। शुभ-फलदायक स्वप्न: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से निम्न स्वप्नों का शुभ फल प्राप्त होता है - स्वप्न में देव दर्शन, पितृ दर्शन, भाई-बहन और कुटुंबियों का दिखाई देना मनोरथ पूर्ण होने के संकेत करता है। यदि आप स्वप्न में स्वयं को मल में लिपटा हुआ पाते हैं या सांप ने आपको काट लिया है, तो इसका मतलब है कि आपको धन की प्राप्ति होगी। सपने मंे आपके सिर पर सांप काट ले, तो आप राजा तक बन सकते हैं। स्वप्न में मृत्यु, श्मशान में अंत्येष्टि, शव आदि दिखाई देते हैं तो शुभ-लाभ, उन्नति और मनोरथों की प्राप्ति होती है। स्वप्न में मृत्यु देखना, लाश देखना, पाखाना देखना आदि शुभ एवं हाथी या घोड़े द्वारा पीछा करना कोई बड़ा सम्मान या पदोन्नति दिलाता है। स्वप्न में सुंदर स्त्री या अप्सरा देखना प्रेमी या प्रेमिका से मिलाप कराता है। स्वप्न में दांत टूटना या नाखून काटना कर्ज से मुक्ति, ट्रेन दिखाई देना यात्रा कारक, बाग-बगीचा या हरा-भरा मैदान देखना, चिंता से मुक्ति दिलाता है। स्वप्न में अपने को उड़ता देखना- यह आत्मविश्वास या स्वतंत्रता एवं मोक्ष का दर्शन है। आधुनिक विचारधारा इसे असाधारण क्षमता के प्रतीक के रूप में देखती है। यदि स्वप्न में घोड़े देखें- घोड़े का दिखना स्वस्थ होने का सूचक है। यह परोक्ष दर्शन की क्षमता सुझाता है। कुछ लोग इसका संबंध प्रजनन से जोड़ते हैं। यदि स्वप्न में कबूतर दिखाई दे तो यह शुभ समाचार का सूचक है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से निम्न स्वप्नों का अशुभ फल प्राप्त होता है: यदि आप स्वप्न में टूटा हुआ हथियार देखते हैं तो इसका फल अशुभ है अर्थात जीवनसाथी के मिलने में विलंब होगा। अगर यही स्वप्न युवा लड़की देखती है तो भी यही फल प्राप्ति होगी। यदि स्वप्न में किसी व्यक्ति को गधे की चीख सुनाई दे तो यह दुख की ओर संकेत करती है। व्यक्ति को किसी प्रकार का कोई कष्ट या विपŸिा आने की संभावना होती है। यदि स्वप्न में किसी व्यक्ति को सांप दिखाई देते हैं तो निश्चित ही उसकी कुंडली में कालसर्प योग होगा। सोते हुए सर्प को अपनी तरफ आते देख घबरा जाना, पानी पर तैरता हुआ सांप देखना, सांप को उड़ता हुआ देखना, सांप के जोड़े केा हाथ पैरों में लिपटा हुआ देखना आदि कुंडली में कालसर्प योग का प्रतीक होता है। यदि स्वप्न में कोई व्यक्ति खुद को चावल खाते देखे तो उस व्यक्ति को अलग-अलग कई सफलताएं और असफलताएं प्राप्त होती हैं। सपने में चावल दिखाई देने पर व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद भी बहुत कम धन प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति सपने में खोटी चांदी प्राप्त करता है तो इसका मतलब यही है कि निकट भविष्य में आपके धन की हानि हो सकती है। घर की सुख-समृद्धि बुरी तरह प्रभावित होगी। यदि वह व्यक्ति व्यापार करता है तो उसे हानि उठानी पड़ सकती है। यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को चांदी को गलाते हुए देखता है तो उसे अपने ही लोगों से नुकसान हो सकता है। मित्रों से बैर होने की संभावना बनेगी, चिंताएं और दुख में बढ़ोŸारी होगी। यदि स्वप्न में चांदी की खान दिखाई दे, तो उसे बदनामी झेलनी पड़ सकती है। इसी वजह से ऐसा सपना दिखाई देने पर सावधान रहने की आवश्यकता है। यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को रोटी बनाता देखे, तो यह रोग का सूचक है। वर्तमान में आप किसी खूबसूरत युवा स्त्री से प्यार कर रहे हैं और रात को स्वप्न में आपने देखा कि भालू आपके सामने खड़ा है तो मामला गड़बड़ है, इसका फल आपके लिए शुभ नहीं है, क्योंकि स्वप्न में भालू देखना इस बात का सूचक है कि आपकी प्रेमिका पर कोई दूसरा पुरुष भी डोरे डाल रहा है और वह उसकी ओर ख्ंिाचती चली जा रही है जो निश्चय ही आपके लिए शुभ नहीं है। स्वप्न में देवताओं, पिशाचों और राक्षसों के विकराल दर्शन, नरक के दृश्य व बर्फ गिरते देखना अशुभ माना गया है। अगर आपको लगातार बुरे सपने आते हों, तो उसके अशुभ फल से बचने के लिए ये उपाय आपके लिए लाभदायक हो सकते हैं- बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति उठकर पुनः सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी को बता दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है। सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल नष्ट करने लिए प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कह दें। इससे भी बुरे सपनों का फल नष्ट हो जाता है। अपने गुरु का स्मरण करने से भी बुरे स्वप्नों का फलों का नाश हो जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार रात में सोते समय अपने आराध्य का स्मरण करने से भी बुरे सपने नहीं आते। चिकित्सा-विज्ञान और जीव- विज्ञान के अनुसार दुःस्वप्न या मृत प्राणियों को सपने में देखना कोई नई बात नहीं है। आयुर्वेद में इसकी विस्तार से चर्चा है। वात असंुतलन करने वाली शैली को अपनाना इसका इलाज माना गया है। योगशास्त्र के अनुसार प्राणायाम, सम्मोहन, काउंसलिंग, ध्यान, योग, जलनेति और नियमित रूप से कसरत वगैरह से दुःस्वप्न के शिकार लोगों को काफी मदद मिलती है।



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