खिलाड़़ी बनने के विशिष्ट योग

खिलाड़़ी बनने के विशिष्ट योग  

कृष्ण मोहन तिवारी
व्यूस : 9792 | जनवरी 2011

कुंडली के विभिन्न भावों एवं ग्रहों की विशिष्ट स्थितियां व्यक्ति में खेलों के प्रति रूझान एवं विशिष्ट क्षमताओं को उत्पन्न करती हैं। यदि किसी के जन्मांग में सफल खिलाड़ी बनने के योग विद्यमान हों तो तदनुकुल उचित प्रशिक्षण के माध्यम से उसे एक सफल खिलाड़ी बनाया जा सकता है।

किसी जन्मांग में लग्न, लग्नेश, तृतीय भाव, मंगल, चतुर्थ भाव बुध पंचम भाव तथा दशम भाव एवं दशमेश तथा गुरु की शुभता व्यक्ति को एक अच्छा खिलाड़ी बनाने की दिशा में उन्मुख कर सकती है।

1. लग्न, लग्नेश तथा पंचम भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि युति व्यक्ति को खेल, प्रतियोगिता में निपुणता, यश एवं धन लाभ प्रदान करते हैं। लग्न एवं लग्नेश की सुदृढ़ स्थिति व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रदर्शित करती है तथा एक अच्छे खिलाड़ी के लिए शरीर और मस्तिष्क का बली होना आवश्यक है। पंचम भाव तथा पंचमेश के बली होने से मैत्रीपूर्ण सहयोग, बुद्धि, बल, यश, मान, प्रतिष्ठा, प्रत्युत्पन्नमतित्व तथा आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

2. भुजबल, पराक्रम तथा निरंतर अभ्यास के लिए तृतीय भाव, तृतीयेश तथा भाव कारक मंगल तथा संघर्ष एवं प्रतियोगिता में विजय प्राप्ति हेतु षष्ठ भाव षष्ठेश तथा भाव कारक शनि की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

3. मंगल तृतीय भाव का कारक एवं शौर्य का प्रतीक है। बुध भी कुमार है। अतः कर्म भाव में मंगल एवं बुध की युति दृष्टि आदि संबंध व्यक्ति को खेल कूद के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनाने की दिशा में उन्मुख करते हैं।

4. एकादश भाव जो कि पंचम से सप्तम होता है।

इस में स्थित में ग्रह विभिन्न खेलों में जातक की अभिरुचि पैदा करते हैं:

1. एकादश भाव में स्थित सूर्य या मंगल हाॅकी, क्रिकेट या फुटबाल के प्रति जातक की अभिरुचि बढ़ाते हैं।

2. एकादश में स्थित होकर चंद्र या शुक्र (जलीय ग्रह) जातक की तैराकी या पानी के खेल के प्रति अभिरुचि बढ़ाते हैं।

3. एकादश में स्थित होकर बुध या गुरु पतंगबाजी, घुड़सवारी, शतरंज, हैड ग्लाइडिंग आकाश में खेल दिखाना तथा हवाई जहाज की कलाबाजी वाले खेलों के प्रति अभिरुचि बढ़ाते हैं।

4. खेल जगत में यश एवं सफलता प्राप्ति हेतु नवम एवं दशम भाव का मजबूत होना आवश्यक है। वहीं लोकप्रियता हेतु चतुर्थ भाव का प्रबल होना जरूरी है। नवम भाव सफलता का भाव है, वहीं दशम भाव कार्य क्षमता का भाव है। नवमेश तथा नवम भाव की मजबूती से खिलाड़ी को यश एवं सफलता प्राप्त होती है, वहीं दशम भावेश की मजबूती एवं दशम भाव में शनि, मंगल, सूर्य या राहु के रहने से खिलाड़ी कर्मनिष्ठ एवं सतत अभ्यासशील होता है।

5. जन्मकुंडली में चंद्र मंगल तथा गुरु का योग तथा नवांश या कुंडली में इन ग्रहों का वर्गोत्तम, उच्च या स्वराशिस्थ होना अच्छे खिलाड़ी बनने का योग बनाती है।

6. मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक एवं मकर लग्न के व्यक्ति खेल जगत में सफल देखे गए हैं। सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के जन्मांगों का व्यवहारिक पर्यवेक्षण जन्मांग 1 महान क्रिकेटर श्री कपिलदेव जी का है। लग्नेश शुक्र सुख भाव में स्थित होकर दशम भाव को देख रहा है। दशम भाव पर धनेश मंगल तथा तृतीयेश गुरु की पूर्व दृष्टि है। दशमेश चंद्र पराक्रमेश गुरु के साथ धन भाव में स्थित होकर गजकेशरी योग बना रहा है तथा वह द्वितीयेश (धनेश) मंगल द्वारा दृष्ट भी है। भाग्येश बुध लाभेश सूर्य तथा पंचमेश शनि की युति पराक्रम भाव में हुई है। पंचमेश नवमेश का संबंध योगप्रद है। पंचमेश की पंचम भाव पर दृष्टि व्यक्ति की कार्य कुशलता को बढ़ाती है। 1983 में नवमेश बुध की दशा में कपिलदेव ने विश्वकप जीता तथा बुध की दशा में 434 विकेट लेने का कीर्तिमान बनाया।

2. रन मशीन कहे जाने वाले महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के जन्मांग में लग्नेश लग्न को देख रहा है। धनेश शुक्र धन भाव को देख रहा है। पराक्रमेश मंगल उच्च का होकर खेल भाव (पंचम भाव) में स्थित है। उच्च के मंगल से युति के कारण गुरु नीचत्व भंग हुआ है। पंचमेश शनि (षष्ठेश भी) भाग्य भाव में बैठकर लाभ स्थान, पराक्रम स्थान तथा षष्ठ भाव को देख रहा है। ये स्थितियां व्यक्ति की संघर्ष क्षमता तथा पराक्रम को बढ़ाकर उसे यश, मान तथा धन प्रदान करती है। द्वादशेश सूर्य अष्टम भाव में उच्च का होकर स्थित है जो विशिष्ट विपरीत राजयोग को निर्मित करती है।

3. जन्मांग 3 महान टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस की है। लग्नेश बुध तथा धनेश भाग्येश शुक्र की दशम भाव में युति है। दशम भाव में बुधादित्य योग भी है। पराक्रमेश मंगल अधिमित्र गुरु की राशि मीन में स्थित होकर कर्म भाव तथा लग्न को देख रहा है। पंचमेश शनि तथा नवमेश शुक्र (त्रिकोणेश) दशम भाव (केंद्र) में स्थित है तथा पराक्रमेश मंगल तथा पंचमेश शनि का आपसी दृष्टि संबंध है। लाभेश चंद्र पर लग्नेश बुध भाग्येश शुक्र पंचमेश शनि की पूर्ण दृष्टि सभी ग्रह चार भावों में होने के कारण केदार योग बन रहा है। दशमस्थ स्वग्रही बुध भद्र योग बना रहा है। ये सभी स्थितियां लिएंडर पेश को एक सफल खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है एवं उसे यश, सम्मान एवं लाभ प्रदान करती है।



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