कब होगा विवाह ?

कब होगा विवाह ?  

जय इंदर मलिक
व्यूस : 4567 | नवेम्बर 2016

विवाह के लिये सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि जातक की कुंडली में विवाह योग है अथवा नहीं क्योंकि योग तभी प्रभावी होते हैं जब पत्रिका में विवाह योग होते हैं। विवाह काल का निर्णय योग, दशा व गोचर के आधार पर किया जाता है। इन प्रश्नांे के लिये लग्न कुंडली एवं चंद्र कुंडली दोनों का विश्लेषण करना चाहिये। अधिक गहराई के लिये नवांश का भी अध्ययन कर लेना चाहिये। यदि कुंडली में निम्नलिखित योग हों तो विवाह अवश्य होता है:

1. सप्तम भाव का स्वामी चाहे शुभ ग्रह हो या अशुभ यदि वह सप्तम भाव में ही बैठा है या अपने भाव को देख रहा है तथा सप्तम भाव पर अन्य पाप ग्रहों की दृष्टि नहीं है और न ही कोई अशुभ ग्रह सप्तम भाव में बैठा हो तो विवाह अवश्य होता है।

2. यदि लग्न में सप्तम भाव में सम राशि हो, सप्तमेश और शुक्र भी सम राशि में हो और सप्तमेश भी बली हो तो विवाह होता है।

3. यदि सप्तम भाव में कोई भी ग्रह न हो, न किसी पापी ग्रह की दृष्टि हो व सप्तमेश बली हो तो विवाह अवश्य होता है।

4. यदि दूसरे, सातवें और बारहवें भाव के स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हांे और बृहस्पति से दृष्ट हों तो विवाह योग होता है।

5. कुंडली में सप्तमेश जहां बैठा हो उससे दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव में सौम्य ग्रह हो तो विवाह सुख मिलता है।

6. द्वितीयेश तथा सप्तमेश 1-4-5-7-9 और 10वें भाव में हो तो विवाह होता है।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


7. मंगल और सूर्य के नवांश में बुध और बृहस्पति हो तो विवाह अवश्य होता है।

8. सप्तमेश और बृहस्पति जितने अधिक बली होंगे और जितने अधिक शुभ ग्रहों से दृष्ट होंगे विवाह उतनी जल्दी होगी।

9. राशि और अष्टमेश को जोड़कर आने वाली राशि में जब गुरु गोचर करेगा तब भी विवाह का योग बनता है।

10. शुक्र और चन्द्रमा से सातवें अथवा त्रिकोण में बृहस्पति का गोचर हो तो विवाह योग बनता है।

11. दशमेश और अष्टमेश की दशा में विवाह की सम्भावनाएं बनती हंै।

12. चन्द्रमा और सप्तमेश को स्पष्ट कर उनकी राशि व कला के बराबर गोचरीय क्रम से बृहस्पति के प्रवेश करने पर विवाह होता है।

13. नवम, सप्तम और दशम भाव के स्वामी की महादशा में भी विवाह का योग बनता है।

14. सप्तमेश यदि शुक्र के साथ हो तो उसकी दशा में विवाह का योग बनता है।

15. शुक्र यदि द्विस्वभाव राशि में हो तो विवाह अवश्य होता है। विवाह कब

- सप्तमेश या सप्तम भाव में बैठा हुआ ग्रह या सप्तम भाव को जो ग्रह देख रहा हो इनमें से किसी की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो विवाह होता है।

- जब लग्न से सप्तमेश या चन्द्रमा से सप्तमेश या शुक्र से सप्तमेश की महादशा चल रही हो तो शुक्र से सप्तमेश या द्वितीयेश की अंतर्दशा में विवाह होता है।

- गुरु गोचरवश जब सप्तमस्थ राशि, सप्तमेश राशि में आये तो विवाह होता है।

- सप्तमेश तथा लग्नेश की स्पष्ट राशिश्के योग से जो राशि आये उस राशि में गोचरवश जब गुरु आये तो विवाह होता है।

- चंदमा सप्तमेश हो या बलवान हो तो विवाह हो सकता है। - लग्नेश जिस राशि या नवांश में हो उससे त्रिकोण राशि में गोचरवश शुक्र या सप्तमेश आता हो तो विवाह होता है।

- द्वितीयेश की दशा या अंतर्दशा में भी विवाह होता है।

- लग्नेश जिस राशि में है उससे पंचम-नवम में जब गोचरवश सप्तमेश या शुक्र आता है तब विवाह संभव होता है।

- शुक्र और चन्द्रमा में से जो बली हो उस बली ग्रह की महादशा में जब बृहस्पति का गोचर होता है उस समय विवाह का योग बनता है।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


- जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि में हो उसी के स्वामी के स्पष्ट को अष्टमेश के स्पष्ट में जोड़ने से जो राशि आये उसमंे गोचरवश जब बृहस्पति आये तो विवाह योग बनता है।

- सप्तमेश जिस राशि में हो तथा सप्तमेश जिस नवांश में हो उसके स्वामी में से जो बली हो उसकी दशा में जब गोचर का बृहस्पति सप्तमेश स्थित राशि के त्रिकोण में आये तब विवाह होता है।

- जब गोचर का शुक्र या सप्तमेश लग्नेश की राशि से या लग्नेश के नवांश से त्रिकोण में आये तब विवाह संभव होता है।

- यदि सप्तमेश शुक्र के साथ बैठा हो तो सप्तमेश की दशा या अंतर्दशा में विवाह संभव होता है। यदि ऐसा न हो पाये तो द्वितीयेश जहां बैठा हो उस राशिपति की दशा या अंतर्दशा में विवाह संभव होता है। यह भी न हो तो नवमेश या दशमेश की दशा व अंतर्दशा में विवाह संभव होता है।

- सप्तमेश, पंचमेश व एकादशेश की दशा-अन्तर्दशा में विवाह हो सकता है।

- शुक्र की दशान्तर्दशा में विवाह संभव है।

- शुक्र जिस राशि में हो यदि उसका स्वामी त्रिक अर्थात 6-8-12 भाव में न हो तो उसकी दशा-अन्तर्दशा में विवाह हो सकता है।

- पुरुष कुंडली में मीेन लग्न हो तथा सातवें भाव में कन्या राशि का बुध हो तो जातक को बाल्यावस्था से ही स्त्री सुख मिलता है।

- द्वितीयेश की दशा-अन्तर्दशा में विवाह संभव है। लग्नेश जब गोचरवश सप्तम स्थान में आये तब भी विवाह संभव होता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.