मानबी बंधोपाध्याय ने रचा इतिहास

मानबी बंधोपाध्याय ने रचा इतिहास  

आभा बंसल
व्यूस : 4272 | आगस्त 2015

‘‘जमाने ने बनाई थी जो दायरे की दीवार मन के अरमानों ने कर दिया उसे दरकिनार यह जनून था या थी खुद से बेपनाह मोहब्बत कि पा ही लिया वो जिसकी की थी शिद्दत से चाहत’’ अपने जीवन में हर व्यक्ति वही करना चाहता है जो उसे अच्छा लगता है और जो वह बनने के सपने देखता है पर परिस्थितियां सभी को अनुकूल नहीं मिलतीं। किसी की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है तो किसी की पारिवारिक अथवा शारीरिक लेकिन कितनी भी विषम परिस्थितियां हांे, उनको झेल कर और उनमें तप कर जो निकलता है वह वाकई कुंदन की तरह हो जाता है और फिर वह न केवल अपने सपने पूरे कर सकता ह अपितु समाज में भी अपना विशिष्ट स्थान बना लेता है।

हमारे समाज में सभी जगह थर्ड जेन्डर के लोगों को बहुत ही उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है। चाहे ऐसे बच्चे का जन्म कितने भी रईस परिवार में हुआ हो लेकिन जब वे वास्तविक जिंदगी में आते हैं तो एक कुंठा के शिकार हो जाते हैं और बहुत से लोग तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। लेकिन दृढ़ निश्चयी व्यक्ति हर हाल में अपने निर्धारित लक्ष्य पर पहुंचने की क्षमता रखता है। यह सच कर दिखाया मानबी बंधोपाध्याय ने जिसका बचपन का नाम सोमनाथ था। दो लड़कियों के बाद जब पुत्र सोमनाथ का जन्म हुआ तो बहुत खुशियां मनाई गईं लेकिन सोमनाथ को बचपन से लड़कियों की तरह कपड़े पहनना अच्छा लगता, उसे खुद को अपनी बहनों की तरह लड़की होने का ही अहसास होता और पढ़ाई के साथ-साथ अपनी बहनों के साथ डांसिंग क्लास में जाना उसे अच्छा लगता था।

उसके पिता को यह सब पसंद नहीं था और वे उसको लड़की होने का ताना भी मारते थे। जैसे-जैसे सोमनाथ बड़ा होता गया उसे लड़कियों के मुकाबले लड़के अच्छे लगने लगे। लड़कों का साथ ही उसे अच्छा लगता लेकिन वह अपनी फीलिंग किसी से कह नहीं पाता था इसलिए स्कूल में ही वह एक साइकियाट्रिस्ट के पास गया और अपनी समस्या के बारे में बताया तो उसने उसे अपनी भावनाओं को बदलने के लिए कहा और कहा कि अपने अहसास को ही न आने दे कि वह लड़की जैसा है वरना उसे आत्महत्या तक करनी पड़ सकती है।


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डाॅक्टर उसे नींद की दवाइयां दे देते थे लेकिन सोमनाथ उन्हें फंेक देता था। इसी तरह उसका जीवन चलता रहा। घर में वह लड़कियों की तरह रहता और घर से बाहर निकलते समय ट्राउजर और शर्ट पहन लेता और मर्दों जैसा व्यवहार उसे न चाहकर भी करना पड़ता। यह उसके लिए बहुत पीड़ादायक था क्योंकि उसका दिलोदिमाग उसे लड़की की तरह व्यवहार करने की प्रेरणा देता जबकि समाज की दृष्टि में वह लड़का था और सब लोग उससे लड़कांे जैसे व्यवहार की ही अपेक्षा रखते थे। ऐसे में कोई विकल्प न होने पर सोमनाथ ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। होमो सेक्सुअल होने के कारण उसे स्कूल और काॅलेज में बहुत प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी।

बहुत बार उसे मारा-पीटा भी गया और कई बार उससे जबर्दस्ती संबंध भी बनाए गये और कुछ लोगों ने तो उसके अपार्टमेंट में आग लगा कर उसे मारने की भी कोशिश की। पर सोमनाथ ने हिम्मत नहीं हारी। 1995 में उसने ट्रांसजेंडर्स के लिए पहली मैगजिन ‘ओब-मानव’ (उप मानव) निकाली। मैगजीन भले ही न बिकती हो लेकिन उसका प्रकाशन आज भी होता है।

चूंकि सोमनाथ पढ़ने लिखने में तेज था इसलिए उसे काॅलेज में लेक्चरार की नौकरी भी मिल गई। लेकिन काॅलेज में भी उसके साथ भेदभाव किया जाता था और उसे परेशान किया जाता था। स्टूडेन्ट्स यूनियन भी उसके खिलाफ हो गई थी और यहां तक कि उसे किराए का मकान लेने में भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ी। 2003-2004 में सोमनाथ ने हिम्मत और पैसा दोनों जुटा कर सेक्स चेंज आॅपरेशन कराने का बड़ा फैसला लिया।

इसमें उसके अनेक आॅपरेशन हुए जसमें करीब पांच लाख रुपये का खर्चा आया। लेकिन सर्जरी के बाद सोमनाथ अब पूर्ण रूप से महिला बन चुका था और इसीलिए उसने अपना नया नाम रखा ‘मानबी’ जिसका अर्थ होता है महिला और वह पूरी तरह से लड़की की तरह सब काम करने के लिए स्वतंत्र हो गयी। अब वह लड़कियों की तरह जो चाहती कर सकती थी।

चूंकि उसे साड़ी पहनना और बड़ी बिंदी लगाना पसंद था अब वह मानबी बन कर अपने सारे शौक पूरे करने लगी। लेकिन महिला बनने के बाद भी 2005 में अपनी पीएच.डी पूरी करने के बाद झाड़ ग्राम में पहली पोस्टिंग के दौरान उन्हें मेल रजिस्टर पर साइन करने के लिए बाध्य किया जाता था और काॅलेज प्रशासन ने कई बार समस्या खड़ी की और कहा कि जब उसे नौकरी सोमनाथ बनर्जी के नाम से मिली है

तो वे उसे मानबी के नाम से नौकरी नहीं करने देंगे। पर कानूनन वे उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे और ‘‘अब तो उच्चतम न्यायालय ने भी ऐतिहासिक फैसला लेते हुए यह जरूरी कर दिया है कि किसी भी सरकारी दस्तावेज में एक काॅलम ट्रांसजेंडर के लिए भी रखना होगा।’’ मानबी ने अपने अनुभवों पर ‘एंडलेस बाॅन्डेज’ नामक उपन्यास भी लिखा जो बेस्ट सेलर रहा और आज भी उनके उपन्यास की काफी मांग है।


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मानबी को विवेकानंद महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम करते हुए काफी वर्ष हो गये थे और काॅलेज का मैनेजमेंट और विद्यार्थी उसके काम व डेडिकेशन से बहुत प्रभावित थे इसलिए 26 मई 2015 को काॅलेज प्रशासन ने मानबी को कृष्णा नगर महिला काॅलेज का प्रधानाचार्य बनाने का फैसला लिया। भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में शायद यह पहला मौका है कि जब किसी ट्रांस जेंडर को सामाजिक रूप से वरीयता दी गई है। मानबी को प्रिंसिपल नियुक्त किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह फैसला काॅलेज सर्विस कमीशन की तरफ से लिया गया है और इन खुले विचारों की हम प्रशंसा करते हैं।

मानबी भी अपने इस मुकाम पर आकर बहुत खुश है। उसने अपने जीवन में बहुत दुःख, प्रताड़ना, ताने व जिल्लत झेली है और अब इज्जत, शोहरत और अपनी प्रतिभा के आधार पर मिले ओहदे के कत्र्तव्य को वह पूरी तरह निभाएगी इसका उसे पूर्ण विश्वास है और इस बात को उसे गर्व है कि उसने जो चाहा था वह मुकाम पूरी गरिमा से प्राप्त कर लिया। कोलकाता में की गई यह पहल वाकई बहुत सराहनीय है।

जो यह कहीं न कहीं इस बात को दर्शाता है कि धीरे-धीरे ही सही हमारे देश में जाति और धर्म की बेड़ियां टूटती नजर आ रही हैं। मानबी की कहानी शायद देश में फैली थर्ड जेंडर अथवा ट्रांसजेंडर के प्रति दुर्भावना की मानसिकता को बदलने में जरूर कारगर साबित हो सकती है। आंकड़ों के हिसाब से भारत में 20 लाख से अधिक ट्रांसजेंडर हैं।

समाज को यह समझना बहुत जरूरी है कि वे भी बाकी लोगों की तरह शरीर, दिल, दिमाग रखते हैं और उनकी भी वही जरूरते हैं जो सबकी होती हैं और उन्हें भी वही अधिकार मिलने चाहिये जो समाज बाकी महिलाओं और पुरूषों को देता है। मानबी के जन्म का नाम सोमनाथ था इसलिए हमने जन्मकुंडली सोमनाथ के नाम से बनाई है और उसका नारी जन्म हुआ 25/10/2003 को जब उसने अपना नाम रखा ‘मानबी’। पहले हम सोमनाथ की जन्मकुंडली का विश्लेषण करेंगे

- जन्मकुंडली का विचार करें तो कर्क लग्न की कुंडली में तृतीयेश और द्वादशेश बुध षष्ठ स्थान में केतु के साथ बैठे हैं। सप्तम भाव केंद्र में तीन-तीन पाप ग्रहों की युति है। द्वितीयेश सूर्य, अष्टमेश शनि और दशमेश मंगल सभी पाप ग्रह केंद्र में स्थित हैं और भाग्येश गुरु भाग्य स्थान में बैठकर भाग्य की वृद्धि कर रहे हैं और लग्नेश चंद्रमा द्वादश में राहु के साथ ग्रहण योग बना रहे हैं इसी कारण सोमनाथ को जीवन भर अत्यंत मानसिक वेदना झेलनी पड़ी और चूंकि लग्नाधिपति भी है इसलिए शारीरिक विकार भी दिया।

अंदर बचपन से बहुत दृढ़ विचारों वाली और प्रबल इच्छाशक्ति वाली महिलाओं के गुण थे। जो उसने चाहा वह कर दिखाया। जब पढ़ाई का समय था तो पूरे जोश से पढ़ाई की और जब पैसा कमा लिया तो अपने दृढ़ निश्चय से लिंग परिवर्तन भी करा लिया। भाग्य स्थान में स्थित स्वगृही गुरु की लग्न, तृतीय व पंचम स्थान पर दृष्टि प्रभाव से उसे पढ़ने की प्रेरणा मिली और अपनी बुद्धि, विवेक और सूझबूझ से ही उसे आज प्रिसिंपल बनने में कामयाबी प्राप्त हुई।


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पंचमेश व कर्मेश मंगल के उच्च राशिस्थ होने तथा दशम भाव अर्थात् कार्य भाव पर स्वगृही दृष्टि (अपने भाव पर दृष्टि) होने से उसे सरकारी नौकरी भी प्राप्त हो गई और द्वितीय भाव (धन भाव) पर मंगल व शुक्र की दृष्टि से मानबी को पैसे की भी कोई तकलीफ नहीं हुई और साथ ही ट्रांसजेंडर होते हुए भी उसने एक बेटा गोद ले लिया और आज अपने गोद लिए बेटे देवाशीष के साथ अपना जीवन सुखी बना लिया है।

सोमनाथ की कुंडली में मंगल केंद्र में उच्च का होकर रूचक नामक महापुरूष योग भी बना रहा है जिसके प्रभाव से ये बहुत साहसी, निडर, कर्मठ और महत्वाकांक्षी हैं। उसने जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियां होते हुए भी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लिया। नवमांश कुंडली में भी सूर्य चंद्रमा शुक्र और बुध के अपने उच्च नवमांश में होने से जीवन में विकट समस्याएं होने के बावजूद अपनी मनोकामना पूर्ण करने की क्षमता प्राप्त की और समाज में अपने बलबूते पर मान, सम्मान और प्रतिष्ठा हासिल किया।

अष्टमेश शनि, मंगल और सूर्य भी पाप, क्रूर ग्रहों की सप्तम भाव में युति और किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि के अभाव के कारण इनको वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त नहीं हो सका। सोमनाथ ने अपना लिंग परिवर्तन 25 अप्रैल 2003 में कराया और पुरुष से नारी बन गया। इसलिए इस दिन को वह अपने नारी जन्म दिवस के रूप में मनाती है। इस दिन की कुंडली का अवलोकन करें तो लग्नेश गुरु भाग्य स्थान पर बैठ कर अपनी स्वराशि से लग्न को देख रहे हैं और तृतीय भाव स्थित भाव कारक मंगल को भी देख रहे हैं।

इसी कारण उसके पश्चात उसने निरंतर प्रगति की और अपनी शिक्षा के बल पर इतना मान-सम्मान प्राप्त किया। कारक ग्रह मंगल तृतीय भाव में स्थित होकर उसे दृढ़ निश्चयी, साहसी और कर्मठ बना रहे हैं। इसी तरह लाभेश शुक्र, कर्मेश बुध, भाग्येश सूर्य और अष्टमेश चंद्र तथा केतु का एकादश भाव में पंचग्रही योग होने से मानबी को धन-संपत्ति, मान प्रतिष्ठा और अच्छा लाभ होगा। लेकिन इस पंचग्रही योग से प्रवज्या योग भी बन रहा है

जिससे जीवन में वैराग्य की भावना उत्पन्न होगी। मानबी भविष्य में जीवन में पूर्ण शांति के लिए आध्यात्मिक जीवन की ओर भी कदम बढ़ा सकती है। चंूकि यह कुंडली गुरु प्रधान कुंडली है और गुरु के आधिपत्य के कारण मानबी का जीवन शिक्षा, अध्ययन, व अध्यापन, सामाजिक कार्यों में ही व्यतीत होगा इसी की संभावना नजर आती है। कुंडली में पंचमेश मंगल और लग्नेश गुरु का परस्पर दृष्टि संबंध होने से प्रबल राजयोग बन रहा है जिससे इन्हें भविष्य में सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं से कुछ पुरस्कार व अवार्ड भी प्राप्त होने के योग बनेंगे।



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