अंक शास्त्र की नजर में तलाक

अंक शास्त्र की नजर में तलाक  

कुँवर साहनी
व्यूस : 5757 | जून 2015

केस - 1 ऋतिक रोषन एवं सुजैन ऋतिक का जन्मांक: 10.01.1974 सुजैन का जन्मांक: 26.10.1975 विवाह दिनांक: 20.12.2000 विच्छेदन तिथि: 13.12.2013 ऋतिक का जन्मांक 10.01.1974 का मूलांक 1 व भाग्यांक 5 है जो कि उज्ज्वल भविष्य एवं अपने विचारों पर दृढ़ता से क्रियाषील रहेगा। नामांक कीरो पद्धति से 2 चंद्रमा पर है जो कि कला के क्षेत्र में प्रगति कराता है।

इनके जन्मतिथि से दो योग प्रथम दृष्टि में सामने दिखता है -

1. राजयोग - जो वैभवषाली सुविधाओं से परिपूर्ण है।

2. राहु सूर्य योग - पारिवारिक अस्थिरता एवं एकान्तवाद का कारक है। सूर्य राषि (जोडियक) - से 8 पाॅजिटिव है जो कि पारिवारिक कष्ट उत्पन्न कराता है। मिसिंग नम्बर 2, 5, 6 जो कि चन्द्र, बुध एवं शुक्र का अभाव दर्षाता है। सुजैन का जन्मांक 26.10.1975 के विषय में मूलांक - 8, भाग्यांक - 4 कष्टपूर्ण जीवन यापन की ओर इषारा करता है।

भाग्यांक 4 निराधार नित नये विचारों एवं अस्थिरता का प्रतीक है जिसे चंद्रमा बल दे रहा है। मिसिंग नम्बर 3, 4, 8, 9 के कारण जीवन दिषाहीन, जीवनषैली परिवार से लगाव रहित रहेगी। सूर्य केतु का योग राजयोग बनाता है। सूर्य केतु विवाह के उपरांत कष्ट दर्षाता है एवं 675 शुक्र केतु बुध दूसरे विवाह को सुनिष्चित करता है।

ऋतिक के योग 20.12.2000 (विवाह के दिन)

1. केतु महादषा 1995 से 2000

2. बुध की अन्तरदषा 24.04.2000 से 04.02.2001 तक चली

3. वर्ष अंक राहु का है जो कि 10. 01.2000 से 10.01.2001 तक चली।

प्रथम दृष्टि में बुध, राहु बन्धन योग बना रहा है एवं केतु बुध एक असफल रिष्ते की शुरूआत बताता है। सुजैन के योग 20.12.2000 (विवाह के दिन)

1. राहु की महादषा 26.10.1998 से 26.10.2000

2. शनि की अन्तरदषा 10. 10.2000 से 26.07.2001 तक चली

3. वर्ष अंक मंगल का है

जो 26.10.1999 से 26.10.2000 तक चली। यह अति असमानताओं की ओर इषारा करता है। जहाँ शनि की अंतर्दषा एवं चन्द्र केतु एवं मंगल काल सर्पयोग बना रहे हैं तो दूसरी तरफ राहु बुध बंधन योग के कारक हैं।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


जिसमें की हुई शादी असफल साबित होती है। ऋतिक एवं सुजैन के विवाह के लिए यह उचित समय नहीं है तथा इसमें सुख की जगह कष्ट ज्यादा होगा परिणामस्वरूप सम्बन्ध विच्छेद होना तय है। ऋतिक के योग विवाह विच्छेद के समय 13.12.2013

1. मंगल की महादषा - 10.01.2010 से 10.01.2019 तक

2. राहु की अन्तर्दषा - 10.01.2012 से 01.01.2013 तक

3. बुध की अन्तरदषा - 28.12.2013 4. वर्षफल बुध 10.01.2013 से 10. 01.2014 तक

मंगल की महादषा एवं राहु की अन्तरदषा, क्लेष का कारक है एवं इसी समय 10.01.2013 से 28.10. 2013 के बीच सुजैन घर छोड़कर चली गयी, संबंध विच्छेद की नींव मजबूत हो चुकी थी तथा यह बुध की अन्तरदषा 28.10.2013 के बाद जो 13.12.2013 को कार्यान्वित हुआ। सुजैन के योग विवाह विच्छेद के समय 13.12.2013

1. शुक्र की महादषा - 26.10.2013 से 26.10.2019

2. बुध की अन्तरदषा - 26.02.2013 से 26.10.2013

3. मंगल का वर्षफल - 26.10.2013 से 26.10.2014

षुक्र की महादषा एवं मंगल का वर्षफल एवं बुध की अन्तरदषा जो कि 26.10.2013 से क्रियाषील हुई, इनमें के योग मुख्य कारण रहे। प्रथम मंगल, शुक्र युति जो कि सम्बन्ध विच्छेद का कारण बना साथ ही चन्द्र केतु मंगल का योग जो कि कालसर्प योग बनाता है।

1. सुजैन का नामांक कीरो पद्धति से 55 (सूर्य) जो कि ऋतिक के मूलांक से मेल खाता है किन्तु यह नाम सुजैन के अपने ग्रहों के विपरीत है।

2. सुजैन का मूलांक 8 एवं ऋतिक का मूलांक 1 है जो कि विपरीत दिषाओं की ओर इषारा करता है।

3. ऋतिक का जोडियक 8 शनि एवं सुजैन का जोडियक 9 मंगल जो कि आपसी असामंजस्य को दर्षाता है एवं परिवारिक क्लेष को बढ़ावा देता है।

4. विवाह के समय ऋतिक एवं सुजैन के योग प्रबल नहीं थे एवं आपसी असमानताओं एवं अस्थिर सम्बन्धों का आधार बना।

5. सुजैन की जन्मतिथि में मिसिंग नम्बर 3, 4, 8, 9 एवं ऋतिक के मिसिंग नम्बर 2, 3, 5, 6, 8, 9 हैं जो कि मूलतः 3, 8, 9 थे जो कि विवाह विच्छेद के कारण बने।

केस - 2 सरस अग्रवाल का जन्मांक - 20.12.1972 गीताजंलि का जन्मांकः 24.09.1983 विवाह की तिथि: 30.04.2002 विवाह विच्छेदन: 06.12.2013 सरस अग्रवाल जन्मतिथि - 20. 12.1972 मूलांक 2 भाग्यांक 6 एवं विपरीत स्थितियों का कारक है, 1, 2, 7 सूर्य चंद्र केतु पारिवारिक अड़चनों को भी साफ दर्षाता है। मिसिंग नम्बर 3, 4, 5, 6, 8, 9 हैं किंतु राहु एवं शुक्र का अभाव मुख्य रूप से परिवारिक कष्ट का कारण है। सूर्य राषि जोडियक से 3 पाॅजिटिव जो कि तीव्र बुद्धि एवं चंचलता का प्रतीक है। गीताजंलि जन्मतिथि - 24. 09.1983, मूलांक 6 एवं भाग्यांक 9, यहां पर बृहस्पति, शनि योग अकारण वाद-विवाद व परिवारिक असामंजस्य को दर्षाता है।

बृहस्पति चन्द्र का योग वाद-विवाद के विषयों का, मानहानि एवं सम्मान को चोट पहुँचाने का कारक होगा। मूलांक 6 होने के बावजूद अंक 6 का न होना, सामंजस्य, प्रेम की कमी दर्षाता है। सरस के योग 30.04.2004 (विवाह के दिन)

1. शनि की महादषा 20.12.1999 से 20.12.2007

2. मंगल की अन्तरदषा 22.05.2001 से 28.12.2002

3. मंगल का वर्षफल 20.12.2001 से 20.12.2002


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


1,7, 8 राजयोग के साथ संन्यास एवं 8, 9 मंगल शनि का योग, कलह आदि अकारण तनाव का कारक है। परन्तु सबसे प्रमुख रूप से 279 का योग चंद्र, केतु, मंगल के कुप्रभाव को दर्षाता है एवं इस दौरान जोड़ा गया रिष्ता सम्पूर्ण सुख की अनुभति नहीं कर सकता। गीतांजलि के योग 30.04.2004 (विवाह के दिन)

1. शनि की महादषा 24.09.1996 से 24.09.2002

2. बुध की अन्तरदषा 12.07.2001 से 02.06.2002

3. मंगल का वर्ष फल 24.09.2001 से 24.09.2002

शनि की महादषा एवं बुध की अन्तरदषा एवं मंगल का वर्षफल विवाह के लिये उपर्युक्त दषा नहीं है। राहु एवं बुध की अन्तरदषा, बन्धन योग बना रही है, गीतांजलि कभी भी इस विवाह से खुष नहीं रह सकेगी। शनि, मंगल का योग महादषा एवं वर्षफल मंगल से कष्टकारी बनायेगा। सरस के योग विवाह विच्छेद के दिन -

1. मंगल की महादषा 20.12.2007 से 20.12.2016 तक है।

2. शुक्र की अन्तरदषा 08.10.2012 से 20.12.2013

3. वर्ष फल - चन्द्रमा 20.12.2012 से 20.12.2013

महादषा मंगल एवं अन्तरदषा शुक्र का पारिवारिक जीवन में विनाषकारी योग है तथा चन्द्रमा की चैकड़ी शनि का योग बनाकर जीवन में विच्छेद का कारण बनते हंै। सबसे महत्वपूर्ण 279 चन्द्रमा केतु मंगल का योग विनाषकारी है। गीताजंलि के योग विवाह विच्छेद के दिन

1. सूर्य की महादषा 24.09.2013 से 24.09.2014 तक है।

2. राहु की अन्तरदषा 12.11. 2013 से 14.12. 2013

3. वर्ष फल - सूर्य 24.09.2013 से 24. 09.2014

सूर्य की महादषा एवं राहु की अन्तरदषा के कारण अस्थिर मानसिक स्थिति को दर्षाता है। सूर्य की महादषा एवं शनि बदनामी का कारण बना तथा पूर्ण अंक 1 का न होना, दूसरों के बहकावे में आने से न रोक पाया एवं मंगल एवं राहु ने क्लेष को उल्लेखित किया। दोनों ही विषयों पर निष्कर्ष यह निकला कि विपरीत ग्रह दषा में विवाह एवं जीवन साथी का गलत चयन ही विवाह विच्छेद का मुख्य कारण है जिसमें समय रहते उपाय करने से सम्बन्ध विच्छेद टाला जा सकता था जिसमें सरस का काल सर्प योग एवं शनि के उपाय एवं गीतांजलि का शनि एवं बुध के उपाय बन्धन योग से बचाते हैं।

ऋतिक रोषन विवाह के समय राहु, बुध एवं सुजैन राहु एवं काल सर्प योग के उपाय करने से निष्चित ही सफल पारिवारिक जीवन का अनुभव कर रहे होते।


करियर से जुड़ी किसी भी समस्या का ज्योतिषीय उपाय पाएं हमारे करियर एक्सपर्ट ज्योतिषी से।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.