गरिमा अंक शास्त्र की
गरिमा अंक शास्त्र की

गरिमा अंक शास्त्र की  

ओम प्रकाश दार्शनिक
व्यूस : 6800 | जून 2015

आकाश में नौ ग्रहों के मध्य ही विश्व का समस्त रहस्य छिपा हुआ है। मानव स्वभाव एवं व्यवहार को इन्हीं नौ ग्रहों ने प्रभावित कर रखा है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह में उत्पन्न होता है और उससे प्रभावित रहता है। मानव की इसी प्रभावित दशा का विज्ञान ही अंक विज्ञान है।’’ मनुष्य के जीवन में अंकों का महत्वपूर्ण स्थान है।

ये अंक ही तो हैं, जो जीवन का परिचालन करते हैं। इन अंकों के द्वारा भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। यह कहना अनुचित न होगा कि अंक विज्ञान ज्योतिष के रूप में मानव के लिए गाइड है। अंकों का ज्ञान प्राप्त करके कोई भी व्यक्ति अनेकों प्रकार के लाभ उठाकर, अपने जीवन को सार्थक बना सकता है।

कठिनाइयों और दुर्भाग्यपूर्ण अवसरों से जीवन की रक्षा की जा सकती है। ‘‘अंकों का मनुष्य के जीवन के साथ अत्यंत घनिष्ठ संबंध है।’’ - कीरो उनका यह कथन वास्तव में सत्यता से ओत-प्रोत है। उनकी सत्यता इस बात से सिद्ध की जा सकती है कि प्रत्येक छोटी से छोटी बात की गणना हम ‘अंकों’ की सहायता से ही करते हैं। हम प्रत्येक वस्तु को गिन कर देते या लेते हैं। कोई खरीददारी करने के बाद रूपये-पैसे/सिक्के गिनकर देते व लेते हैं।

अब आप सोचिए यदि हमारे जीवन में से अंकांे का अस्तित्व समाप्त हो जाए, तो फिर जीवन में शेष ही क्या रह जाएगा। जिस प्रकार जेल में बंद कैदियों के अंक निर्धारित कर दिए जाते हैं ठीक उसी प्रकार कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति भी रोल नंबरों को बोलकर ली जाती है। ज्योतिष में तो अंकों का महत्व बहुत ही अधिक है, क्योंकि एक से नौ तक की संख्याओं में प्रत्येक अंक एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


यद्यपि ग्रहों की चालों का सूक्ष्म अध्ययन कर भौतिक तथा मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं पर उनके प्रभाव को जानने का प्रयास जिज्ञासुओं ने किया, शकुनों और स्वप्नों के अर्थ दिए। इसी क्रम में उन्होंने अनुभव किया कि ग्रहों के साथ-साथ अंक भी हमारे जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। अंकों के रहस्य और शक्ति को जानने का प्रयास हजारों वर्षों से होता रहा है। यद्यपि इसका क्रमबद्ध इतिहास अधिक पुराना नहीं है। हमारे प्राचीन मनीषियों को शक्ति का पता था। तंत्रों -मंत्रों में उन्होंने उसका चमत्कारी उपयोग किया है, किंतु खेद का विषय है कि अपनी विद्या, वे अपने साथ ही ले गये। तंत्रों के अंक चक्र तो अब भी मिल जाएंगे, किंतु उनके फल में क्या कल्पना रही है

वह बता पाना संभव नहीं है। अंक विज्ञान को विज्ञान का रूप देने और उसे सर्वजन सुलभ बनाने का श्रेय पश्चिमी विद्वानों को ही है। विश्व विख्यात ज्योतिषी काउन्ट लुईस हेमन ‘‘कीरो’’ इनमें से एक हैं। लगभग 4000 वर्ष पूर्व बेबीलोनिया और कैल्डिया में और भारत, मिश्र, यूनान आदि में भी प्रचलित अंक-विज्ञान का गहन अध्ययन कर उन्होंने प्रतिपादित किया है कि अंकों, ग्रहों और राशियों में एक गूढ़ संबंध है।

सप्ताह के सात दिन भी इससे अप्रभावित नहीं हैं, इस संबंध की डोर किसी अज्ञात शक्ति के हाथों में है और विश्व की तथा मानव जीवन की घटनाओं में इसकी रहस्य पूर्ण तथा गरिमामय भूमिका रहती है। अंक विज्ञान के विकास में ‘कीरो’ के शोध का अप्रतिम स्थान है। सायन सूर्य के संचार के अनुसार ग्रेगोरियन कलैंडर वर्ष के बारह मासों को भचक्र की बारह राशियों में विभाजित किया गया है- यथा जनवरी-मकर, फरवरी-कुंभ, मार्च-मीन, अप्रैल-मेष, मई-वृष, जून-मिथुन, जुलाई-कर्क, अगस्त-सिंह, सितंबर-कन्या, अक्तूबर-तुला, नवंबर-वृश्चिक तथा दिसंबर-धनु। एक रोचक बात यह है कि सायन सूर्य मास की पहली तारीख को नहीं, वरन् 21 तारीख को अथवा उसके आस-पास एक राशि से दूसरी राशि में संचार करता है। प्रारंभ के 7 दिन राशि संधि के होते हैं,

जिसमें पूर्ववर्ती और नई, दोनों राशियां प्रभावी रहती हैं। पूर्ववर्ती राशि का प्रभाव उत्तरोत्तर घटता जाता है, नई राशि का बढ़ता जाता है। नई राशि 28 तारीख के आस-पास पूर्ण प्रभाव में आ जाती है और अगले मास की 20 तारीख तक पूर्ण प्रभावी रहती है। उल्लेखनीय है कि शक (सौर) संवत का मासारंभ भी ग्रेगोरियन मास की 22 तारीख को या उसके आस-पास होती है। विभिन्न राशियों के स्वामी वे ही ग्रह हैं, जो परंपरागत ज्योतिष में हैं- यथा सूर्य-सिंह, चंद्र-कर्क, मंगल-मेष तथा वृश्चिक, बुध-मिथुन तथा कन्या, गुरु-धनु तथा मीन, शुक्र-वृष तथा तुला और शनि-मकर तथा कुंभ। इन नौ ग्रहों में नौ मूल अंकों का विभाजन निम्नवत है:


Consult our expert astrologers online to learn more about the festival and their rituals


सूर्य 1, चंद्र 2, मंगल 9, बुध 5, गुरु 3, शुक्र 6, शनि 8, राहु 4 व केतु 7। परंपरागत ज्योतिष और ‘कीरो’ द्वारा प्रतिपादित अंक ज्योतिष में कुछ मौलिक अंतर भी है। परंपरागत ज्योतिष में विषम राशियों मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु तथा कुंभ को ओज तथा सम राशियों- वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन को सौम्य माना गया है। ‘कीरो’ दोहरे स्वामित्व वाले ग्रहों की पहली राशि को ओज और दूसरी को सौम्य मानते हैं। अतः उनके अनुसार मेष, वृष, मिथुन, धनु व मकर ओज राशियां हैं तथा कन्या तुला, वृश्चिक, कुंभ, मीन सौम्य। इसके अतिरिक्त सिंह ओज राशि है जबकि कर्क सौम्य। राशि के अनुसार उसका स्वामी भी ओज या सौम्य होता है।

जन्म-तिथि के अनुसार भाग्यफल जानने के लिए सबसे पहले उस मास का आमफल देखना चाहिए, जिसमें उक्त तिथि पड़ती है। इसके पश्चात मूलांक के अनुसार उक्त तिथि का फल देखना चाहिए। उदाहरणार्थ यदि जन्म-तिथि 14 मई है तो पहले मई मास की आम प्रवृत्तियों को पढ़ना चाहिए और फिर 14 = 1$4 = 5 मूलांक वाले व्यक्तियों की प्रवृत्तियों को पढ़ना चाहिए। एक स्वाभाविक प्रश्न यह पैदा होता है कि नई तिथि की गणना किस समय से की जाय। पाश्चात्य कैलेंडर के अनुसार वह रात्रि 12ः00 बजे से आरंभ हो जाती है।

भारतीय ज्योतिष में सूर्योदय से नई तिथि की गणना की जाती है। कुछ भारतीय अंक शास्त्रियों का विचार है कि नए तिथि अंक की गणना सूर्योदय के बाद से की जानी चाहिए। अर्थात यदि किसी व्यक्ति का जन्म सूर्योदय से पूर्व हुआ है, तो उसकी जन्म तिथि पहले दिन वाली माननी चाहिए। ‘कीरो’ ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा है, किंतु समझा जा सकता है कि वह पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार ही तिथि मानते होंगे। अंक विज्ञान में मूलांकों का भारी महत्व है। ये मूलांक 1 से 9 तक के अंक हैं।

किसी भी संख्या को उसके मूलांक में बदला जा सकता है। इसके लिए इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार आदि के सभी अंकों को पुनः जोड़ना होगा। यह क्रम तब तक चालू रहेगा, जब तक हम एक मूलांक पर न पहुंच जायें। उदाहरणार्थ - 78 का मूलांक 7$8 = 15 = 1$5 =6 इसी प्रकार 4567 का मूलांक है 4$5$6$7 = 22 = 2$2 = 4 । जैसे भचक्र 12 राशियों में प्रकृति के नियमों अथवा किसी दैविक शक्ति के निश्चित नियमों के अनुसार भ्रमण करते रहते हैं उसी प्रकार सब धर्मों और संपूर्ण जीवन का रहस्य प्रकृति के नियमों पर आधारित है।


क्या आपकी कुंडली में हैं प्रेम के योग ? यदि आप जानना चाहते हैं देश के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से, तो तुरंत लिंक पर क्लिक करें।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.