पंचपक्षी शास्त्र: बीमारी

पंचपक्षी शास्त्र: बीमारी  

मनोज कुमार
व्यूस : 4541 | जून 2015

स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। अनुशासित जीवन-शैली एवं संतुलित आहार का सेवन लंबी आयु तथा आरोग्य देते हैं। हालांकि सबों के लिए इस प्रकार का संयमित जीवन जीना संभव नहीं है क्योंकि आधुनिक भौतिकवादी समाज में लोगों की अनेक मजबूरियां एवं सीमितता हैं। अतः जाने-अनजाने समय-समय पर स्वास्थ्य संकट उपस्थित होता ही रहता है। किंतु स्वास्थ्य कब खराब होगा अथवा हम कब बीमार पड़ंेगे, इसकी भविष्यवाणी करना शायद मुश्किल है। यदि हम पंचपक्षी शास्त्र की बात करें तो कोई भी व्यक्ति अपने जन्म पक्षी की मुख्य अथवा उप-गतिविधियों में बीमारी का शिकार हो सकता है तथा इन्हीं में से किसी गतिविधि-उपगतिविधि में ठीक भी हो सकता है। कई बार बीमारी अतिशीघ्र ठीक हो जाती है तो कई बार इसे ठीक होने में काफी समय लगता है अथवा कई बार बीमारी ठीक ही नहीं होती और रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।

इस आलेख में हम अपने जन्मपक्षी के आधार पर यह जानने की कोशिश करेंगे कि पक्षी की किस गतिविधि के दौरान, किस प्रकार की बीमारी उत्पन्न होती है तथा कितनी अवधि में रोग ठीक हो जाता है। उन बीमारियों के जल्दी ठीक हो जाने हेतु उपायों की भी चर्चा इस आलेख में की गई है। बीमारी के दौरान यदि उपाय भी किए जाएं तो दवा का प्रभाव अधिक होता है तथा रोगी जल्दी ठीक हो जाता है। जन्मपक्षी के शासन करने की मुख्य गतिविधि के दौरान बीमारी यदि कोई व्यक्ति उस समय बीमार पड़ता है जब उसका जन्म पक्षी शासन करने की मुख्य गतिविधि में संलग्न हो तो उसकी बीमारी 8 दिनों में ठीक हो जाती है। किंतु इसके लिए दवा लेने के पूर्व कुछ उपाय करने से बीमारी में काफी राहत मिलती है तथा बीमारी शीघ्र ठीक हो जाती है।

उपाय: दवा लेने के पूर्व शिवजी का अभिषेक करें। सुबह में पीपल पेड़ की प्रदक्षिणा कर जल दें। जन्मपक्षी के खाने की मुख्य गतिविधि के दौरान बीमारी यदि जन्मपक्षी खाने की मुख्य गतिविधि में संलग्न हो और उस समय बीमारी होती है तो उसे ठीक होने में 15 दिन का समय लग सकता है।

उपाय: गरीबों को भोजन दें एवं बच्चों को मिठाइयां बांटें। जन्मपक्षी के घूमने की मुख्य गतिविधि के दौरान बीमारी यदि जन्मपक्षी घूमने की मुख्य गतिविधि में संलग्न है और आप बीमार हो जाते हैं तो बीमारी का कारण आपका लगातार चिंतित रहना है। आप घरेलु परिस्थितियों से काफी परेशान हैं तथा यही चिंता आपको सताये जा रही है। आपके लिए कुछ उपाय करना बेहद अनिवार्य है तभी आप बीमारी से एक महीने में मुक्त हो सकते हैं।

उपाय: रुद्राभिषेक करें। गणेश जी को लड्डू चढ़ाकर बांटें। भिखारियों को खाना खिलाएं। जन्मपक्षी के सोने की मुख्य गतिविधि के दौरान बीमारी यदि जन्मपक्षी सोने की मुख्य गतिविधि में संलग्न हो और आप बीमार पड़ते हैं तो यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। आपको काफी शारीरिक कष्ट उठाना पड़ सकता है तथा शरीर के किसी अंग का आॅपरेशन करवाना पड़ सकता है। यदि उपाय सहित उपचार किये जाएंगे तो भी कम से कम आपको ठीक होने में 3 माह का वक्त लगेगा।

उपाय: काली, दुर्गा या हनुमान की आराधना करने के उपरांत दवा लेना प्रारंभ करें। जन्मपक्षी के मरने की मुख्य गतिविधि के दौरान बीमारी जन्मपक्षी के मरने की मुख्य गतिविधि के दौरान बीमारी होने से व्यक्ति शायद ही ठीक हो पाता है। यदि उपाय के साथ-साथ अच्छी चिकित्सा मिलती है तब भी व्यक्ति को ठीक होने में कम से कम छः माह का वक्त लग सकता है। इसके उपरांत भी बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं होगी।

उपाय: इसके लिए शनि से संबंधित उपाय किया जाना अनिवार्य है। किसी शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाएं एवं दीया जलाएं। मुख्य गतिविधि के उप-गतिविधियों के समयकाल में बीमारी ऊपर जन्मपक्षी के मुख्य गतिविधि के काल में बीमारी का विवरण प्रस्तुत किया गया।

अब मुख्य गतिविधि की उपगतिविधियों में बीमारी का क्या रूप होता है उसका वर्णन निम्न प्रकार है:

शासन करने की उपगतिविधियों के दौरान बीमारी यदि कोई व्यक्ति शासन करने में शासन करने की उपगतिविधि, शासन में खाने की उपगतिविधि, शासन में घूमने की उपगतिविधि, शासन में सोने की उपगतिविधि एवं शासन में मरने की उपगतिविधि के दौरान बीमार होता है तो क्रमशः उसे ठीक होने में 3 दिन, 5 दिन, 8 दिन, 10 दिन एवं 12 दिन का समय लगता है। बीमारी के काल में उसका शरीर अत्यधिक गर्म रहेगा। बीमारी के दौरान किसी भी परिस्थिति में इसकी मृत्यु नहीं हो सकती है। चिकित्सा के अलावा ऊपर वर्णित आधार पर उपाय करें। खाने की उपगतिविधियों के दौरान बीमारी यदि कोई व्यक्ति खाने में खाने की उपगितिविधि के दौरान बीमार पड़ता है तो उसे ठीक होने में 4 से 5 दिन का समय लगता है। यदि खाने में घूमने की उपगतिविधि के दौरान व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उसे ठीक होने में 7 दिन का समय लगता है।

सोने एवं मरने की उपगतिविधि के दौरान बीमारी होने से उसे ठीक होने में क्रमशः 13 एवं 15 दिन का समय लगता है। घूमने की उपगतिविधियों के दौरान बीमारी यदि घूमने में घूमने की उपगतिविधि के दौरान अथवा घूमने में सोने की उपगतिविधि के दौरान बीमारी होती है तो उसे ठीक होने में 15 दिन का समय लगता है। घूमने में मरने की उपगतिविधि के दौरान बीमारी होने से उसे ठीक होने में 1 महीना तक का समय लगता है।

सोने की उपगतिविधियों के दौरान बीमारी यदि कोई व्यक्ति प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम उपगतिविधि के दौरान बीमार पड़ता है तो उसे ठीक होने में क्रमशः 8 दिन, 15 दिन, 20 दिन, 30 दिन एवं 2 महीने का समय लगता है। मरने की उपगतिविधियों के दौरान बीमारी यदि कोई व्यक्ति मरने की मुख्य गतिविधि के दौरान अन्य उपगतिविधियों में बीमार पड़ता है तो वह काफी देर से ठीक हो पाता है अथवा उसकी बीमारी ठीक होती ही नहीं है। खासकर जब उसके जन्मपक्षी के शत्रु पक्षी की उपगतिविधि प्रारंभ होती है तो उसकी परेशानी अत्यंत बढ़ जाती है। इस दौरान उसकी मृत्यु तक संभव है। यदि मरने में मरने की उपगतिविधि चल रही हो तो स्थिति और भी गंभीर बन जाती है। यदि मरने में शासन करने की उपगतिविधि होती है तब भी बीमारी ठीक होने में 1 वर्ष तक का समय लग सकता है। यदि मरने में खाने की उपगतिविधि चल रही हो तो इस सूरत में भी उसकी बीमारी ठीक होने की संभावना न के बराबर ही रहती है। अन्य उपगतिविधियों में भी स्थिति कमोबेश यही रहती है अथवा इससे और बदतर होती है। इनको चिकित्सा के साथ-साथ उपाय करना अतिआवश्यक है।



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