जन्म हो या मरण या मनुष्य की संपूर्ण जीवन चक्र की लीलाएं या कोई घटना या प्रकृति की कोई क्रिया इन सभी की व्यावहारिकताओं अथवा गतिविधियों व रूप रेखाओं के क्रम में सर्वदा किसी न किसी रूप में किसी विशेष अंक या संख्या अर्थात गणितीय योग का संयोग बना रहता है। उदाहरणार्थ-आकाश मंडल में विराजमान सात प्रमुख ग्रह, इंद्र धनुष व समुद्र के सात रंग तथा विवाह संस्कार के दौरान अग्नि के सात फेरे। भगवद्गीता के 18 अध्याय, महाभारत में 18 पर्व, पुराणों की संख्या 18 आदि अंकों की समानताएं अर्थात 1$8 = 9 मूलांक की प्रधानता।
इस्लाम धर्म में अंक 786 अर्थात 7$8$6= 21 = 2$1 =3 मूलांक की महत्ता, इस धर्म में मंजूरी व तलाक जैसी अवस्थाओं में तीन बार के कथनों का प्रयोग, साथ ही तीन घूंट में जल ग्रहण करने तथा कई अन्य प्रमुख व्यावहारिक कार्यों में तीन तक की सीमाएं। वस्तुतः ऐसी स्थिति व प्रक्रिया किसी खास अंकों या रेखाओं व वस्तु-विशेष के मध्य विद्यमान ऊर्जाओं, सामंजस्य व घनिष्ठताओं की एक फलित प्रवृत्ति है जो किसी न किसी रूप में घटित अथवा प्रयुक्त हो जाया करती है। यही अंकों की शक्तियां हैं, जिसकी निहित महत्ताओं को साधकों व अनुभवकर्ताओं ने एक विशेष विषय अर्थात् यंत्र, मंत्र व तंत्र के प्रयोग व गणनाओं तथा अंक-शास्त्र जैसी ज्योतिषीय विद्या के विविध स्वरूपों में सुनियोजित किया।
अतः इस संदर्भ में अंकांे में विद्यमान गुण, प्रभाव व फलित विशेषताओं के कुछ मुख्य विवरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं- अंक - 1, 10, 19 व 28 यह अंक सूर्य ग्रह के प्रतिनिधित्व के अंतर्गत आता है, जो दृढ़ता, धैर्य, वचनों के पालन, अनुशासन, संतुलित व्यवहार, स्वतंत्र विचार, संतुलित व मजबूत इरादे, उदारों के लिए अत्यंत उदार व विरोधियों के लिए अत्यंत कठोर, कठिनाइयों में भी हतोत्साह न होना, चिंतनशील, निश्चित ध्येय, महत्वाकांक्षी, अपने परिवार जनों व अन्य साथियों से अधिक ऊंचाई को प्राप्त करने की लालसा, अधिक मामलों में अधिक सजग आदि विषयों के लिए मुख्य रूप से विचारणीय माना गया है।
इस अंक में जन्मे जातक का कारक रत्न माणिक है। अंक- 2, 11, 20 व 29 इस अंक का स्वामी ग्रह चंद्र व कारक रत्न मोती है। इस अंक के योग में जन्मे जातक स्वभाव से उदार, दयालु, भावुक, दानी, संवेदनशील, विरोधियों के समक्ष हताश, प्रोत्साहन की कामना रखने वाले व वास्तविकता से अधिक धनी दिखने वाले होते हैं। इनके विचारों में दृढ़ता का अभाव रहता है। ये सर्वदा धैर्य नहीं रख पाते। इनका शुभ रंग सफेद है। अंक- 3, 12, 21 व 30 गुरु ग्रह के प्रतिनिधित्व के अंतर्गत आने वाले इस अंक का शुभ फलदायक रत्न पुखराज है। दृढ़ इच्छा शक्ति, प्रतिभावान, संगठन कर्ता, दानशीलता, सार्वजनिक सरकारी विभागों व राजनीतिक कार्यों में रूचि इनके विशेष गुण हैं।
स्वभाव से ये दानशील, स्वतंत्र, आदर्शवादी, धैर्य अथवा संप्रदाय पर विचार किए बगैर दूसरों की मदद व सर्वदा उत्साही रहने वाले होते हैं। पीला इनका शुभ फलदायक रंग है। अंक , 1, 3, 22 व 31 यह अंक राहु ग्रह के स्वामित्व के अंतर्गत आता है। सहसा प्रगति, आश्चर्यजनक कार्य, विस्फोट, असंभावित घटनाएं आदि इस ग्रह की मुख्य प्रवृत्तियां हैं। इस अंक से प्रभावित जातक पुरानी प्रथाओं के विरोधी, नवीनता के पोषक, दूसरों पर शीघ्र विश्वास न करने वाले व सर्वदा संघर्षरत रहते हैं।
आम व्यक्तियों से इनकी धारणाएं मेल नहीं खातीं। धन संग्रह में इनकी विशेष रूचि नहीं रहती व मौज मस्ती, खुश रहना आदि इनके विशेष गुण हैं। गोमेद इनका शुभफलदायक व कारक रत्न है। अंक- 5, 14 व 23 इस अंक का स्वामी ग्रह बुध व कारक रत्न पन्ना है। व्यावहारिक नीति कुशल, जीविका में अनेक परिवर्तनों के भोगी, उच्च वक्ता, दूरदर्शी, प्रेम के प्रति अधिक भावुक, साहित्य, गणित आदि विषयों में विशेष रूचि रखने वाले इस अंक के जातक रूपये पैसे के व्यय में सर्वदा सावधान रहते हैं। स्वभाव से ये फुर्तीले व दयालु हेाते हैं तथा दूसरों को शीघ्र मोहित कर देना इनका विशेष गुण है। इनका शुभ व कारक रंग हरा है।
अंक - 6, 15 व 24 इस अंक का स्वामी ग्रह शुक्र व कारक रत्न हीरा या उपरत्न ओपल है। मिलनसारिता व आकर्षक व्यक्तित्व से युक्त इस अंक के जातक सुंदरता के प्रति अधिक आकृष्ट रहते हैं। संगीत, चित्रकला, लेखन, साहित्य आदि के क्षेत्रों में इनकी विशेष रूचि होती है तथा धन पाने के अनेक अवसरों के बाद भी ये अधिक धन इकट्ठा नहीं कर पाते। प्रेम व अनुराग की इनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। अंक - 7, 16 व 25 केतु ग्रह के प्रतिनिधित्व के अंतर्गत आने वाले इस अंक का कारक रत्न लहसुनिया है। चित्रकला व कविता में विशेष रूचि रखने तथा दूसरों के मन की बात समझ जाने के माहिर इस अंक के जातक का स्वभाव कल्पनाशील होता है। आर्थिक पक्ष इनका मध्य स्तर का होता है।
यात्रा सैर-सपाटे आदि इन्हें अधिक अच्छे लगते हैं। इस मूलांक वाली स्त्रियों का विवाह प्रायः धनी घरांे में होता। अंक 8, 17 व 26 शनि प्रधान इस अंक का कारक शनि व शुभदायक रत्न नीलम है। इस अंक में जन्मे जातक कठिनाइयों व विरोधों के बावजूद भी विचलित नहीं होते। सफलता व जीवन से संबंधित किसी भी प्रमुख कार्य में इन्हें स्वयं पर ही निर्भर रहना पड़ता है। धैर्य, संकल्प, कार्यों के प्रति लगनशील तथा स्वभावतः ये चिंतनशील होते हैं। निम्न स्तर व गरीब लोगों के साथ इनका विशेष नैतिक व भौतिक लगाव रहता है। इनका शुभ रंग नीला व हल्का आसमानी है। अंक 9, 18 व 27 मंगल ग्रह के स्वामित्व के अंतर्गत आनेवाले इस अंक का कारक रत्न मूंगा है।
क्रोधी, खूब साहसी, कठिनाइयों में भी न घबराना, आत्म-विश्वासी, संगठन की क्षमता, अति महत्वाकांक्षी, जिद्दी, दूसरों की कमजोरी का तत्काल लाभ उठा लेना आदि इस अंक में जन्मे जातक के विशेष गुण हैं। तर्कशक्ति व वाद-विवाद में ये पूर्ण दक्ष होते हैं तथा किसी भी प्रकार के विरोध से ये नहीं घबराते। इनका शुभ रंग लाल है।
मूलांक: इस पद्धति में जातक के माह के अंतर्गत आने वाली तिथि से मूलांक का निर्धारण अर्थात 1 से 9 तक के अंकों में निहित गुण, प्रभावों व विशेषताओं के आधारभूत श्रोतों से जातक के वर्तमान, भविष्य, स्वभाव, चरित्र, उत्थान, पतन आदि के संदर्भ में विशेष जानकारी प्राप्त की जाती है।
मूलांक निर्धारण की विधि-यदि किसी जातक की जन्म तिथि 26 है तो उसका मूलांक 2$6 = 8 होगा। भाग्यांक: इस पद्धति में जातक के जन्म की तिथि के साथ-साथ उसके माह व वर्ष के अंकों को भी प्रधान माना गया है जिसके योगों से जातक के चरित्र, स्वभाव, भाग्य व जीवन में उत्पन्न होने वाले लाभ, हानि आदि का पता लगाया जाता है।
भाग्यांक निर्धारण की विधि- यदि किसी जातक का जन्म 16/12/1971 को हुआ है तो जन्म तिथि, 16 = 1$6 = 7, जन्म माह, 12 = 1$2 = 3, व जन्म वर्ष 1971- 1$9$7$1 = 18 = 1$8 = 9, अर्थात् इस जातक का भाग्यांक- 7$3$9= 19 = 1$9 = 10 = 1$0= 1 होगा। नामांक: इस पद्धति में जातक के जन्म तिथि, माह व वर्ष के अतिरिक्त जातक के नाम के रेखांकित वर्ण या अक्षरों को कुछ विशेष अंकों के साथ जोड़कर नामांक का निर्धारण किया जाता है।