स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाला एक भयंकर रोग

स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाला एक भयंकर रोग  

अविनाश सिंह
व्यूस : 26987 | फ़रवरी 2011

स्तन कैंसर : महिलाओं को होने वाला एक भयंकर रोग महिलाओं को होने वाले रोगों में सबसे खतरनाक रोग स्तन कैंसर है, जो बड़ी उम्र की महिलाओं में अधिक पाया जाता है। इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में वक्ष में एक छोटी सी गांठ होती है। यह धीरे-धीरे बढ़ती है। इसे विकसित होने में पांच से दस वर्ष लग जाते हैं। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही स्तन कैंसर के लक्षण मालूम हो जाएं, तो रोगी को आसानी से मौत के मुंह से बचाया जा सकता है। अ क्सर महिलाओं को स्तन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था का पता नहीं चलता। फिर भी उन्हें चाहिए कि वह अपने स्तनों की जांच करती/करवाती रहें कि कहीं पर कोई कठोर सी गांठ तो नहीं बन रही है? अगर ऐसी कोई गांठ महसूस हो, तो यही स्तन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था है। इसके लिए तुरंत रोग विशेषज्ञ के परामर्श से चिकित्सा करवा कर मृत्यु से बचा जा सकता है। आधुनिक युग में महिलाओं में स्तन कैंसर बहुत तेजी से फैल रहा है। जो महिलाएं बच्चों को दूध नहीं पिलातीं, उनके लिए स्तन कैंसर होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं। कैंसर की मामूली सी जानकारी से महिलाओं को प्रारंभिक लक्षणों से ही कैंसर की आशंका का आभास हो सकता है एवं उचित उपचार से रोग के प्रहार से बचा जा सकता है। कैंसर क्यों और कैसे होता है? : हमारा शरीर अनगिनत कोशिकाओं से बना है, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य करती हैं। इन कोशिकाओं का बनना-बिगड़ना प्राकृतिक रूप से होता रहता है। लेकिन कभी-कभी एक कोशिका अपना निर्धारित कार्य करने के अतिरिक्त आहार में से अधिक पोषक तत्व ग्रहण कर लेती है और अपने जैसी कोशिकाएं उत्पन्न कर देती है। ये विकृत कोशिकाएं नष्ट नहीं होतीं और गांठ का रूप धारण कर लेती हैं, जिसे कैंसर कहते हैं। कैंसर की गांठों को अपने विकास के लिए ऑक्सीजन तथा सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह शरीर से (रक्त के माध्यम से) पूरी हो जाती है।


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यदि किसी कारण से पोषक तत्व रक्त द्वारा न मिलें, तो गांठ काली पड़ जाती है और धीरे-धीरे सिकुड़ कर नष्ट हो जाती हैं। शरीर के जिस अंग में कैंसर की गांठ होती है, उसे वैसे ही नाम से जाना जाता है, जैसे, रक्त कैंसर, त्वचा कैंसर, मुख कैंसर, गुर्दा कैंसर, आमाशय कैंसर आदि। ऐसे ही स्तन कैंसर ज्यादातर महिलाओं को हो जाता है। लेकिन यह पुरुषों में भी होता है, जो हजारों में से किसी एक पुरुष में पाया जाता है। स्तन कैंसर के लक्षण : स्तन कैंसर अधिकतर 30 वर्ष की आयु से अधिक की महिलाओं को होता है। जो महिलाए अविवाहित, तलाकशुदा, या विधवा होती स्तन कसैं र अधिक पाया जाता ह।ै इसके अतिरिक्त स्तन कैंसर उन महिलाओं में पाया जाता है, जिन्होंने गर्भ धारण नहीं किया, या किसी कारण से अपने बच्चे को स्तन पान न करा पायी हों। स्तन पर बार-बार आघात होना, सूजन की अवस्था बनी रहना, तंग वस्त्रों का उपयोग करना आदि भी स्तन कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं। इसलिए किसी भी असामान्य बदलाव जैसे स्तनों में दर्द, सूजन, खिंचाव आदि पर ध्यान दे कर उसकी पूरी जांच- पड़ताल करवानी चाहिए, ताकि समय पर उचित उपचार किया जा सके। महिलाओं को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि स्तन कैंसर होने की आशंका का समाधान किया जा सके। स्तनों में गांठ का महसूस होना। साथ ही बगल में भी उभार दिखाई देना। गांठ बढ़ने से हल्की वेदना ओर कड़ी सूजन मालूम होना। सूजन के स्थान पर घाव हो जाना और बाद में रक्त स्राव होना। गांठ का स्तन के ऊपरी और बाहरी भाग पर होना। स्तन चुचुक से स्राव होना। कभी-कभी इस स्राव में रक्त भी मिल जाता है।

गांठ स्पर्श करने पर कठोर महसूस होना आदि। स्तन कैंसर की चिकित्साः शल्य चिकित्सा : यदि स्तन कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाता है, तो इसका इलाज संभव हो सकता है। कैंसरग्रस्त भाग को समय पर काट कर बचाया जा सकता है। यदि स्तन कैंसर बढ़ चुका है, तो पूरा स्तन काट दिया जाता है। इससे महिलाओं में मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह स्त्रीत्व का चिह्न है। विकिरण चिकित्सा : सक्रिय रेडियो किरणों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग के उपचार को विकिरण चिकित्सा कहते हैं। इस उपचार से कैंसरग्रस्त भाग की कोशिकाएं किरणों द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं, जिससे कैंसर की गांठ धीरे- धीरे छोटी हो कर नष्ट हो जाती है। कीमोथेरेपी : यह एक रासायनिक चिकित्सा है। रसायनों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग, या अंग की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस चिकित्सा का प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है, जो विष की तरह कार्य करता है। इससे कैंसर की गांठ सिकुडने लगती है और धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। ये रसायन औषधि एवं इंजेक्शन आदि से रोगी को दिये जाते हैं। हॉर्मोन थेरेपी : हॉर्मोन की उचित खुराक दे कर कैंसर की गांठ पर चोट पहुंचायी जाती है। हॉर्मोन थेरेपी के माध्यम से स्तन कैंसर का उपचार बहुत आसान माना जाता है। इम्युनोथेरेपी : यह चिकित्सा इस सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें मानव शरीर को यह सिखाया जाता है कि कैंसर, या और रोगों से अपना बचाव कैसे करें।


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इस विधि से महिलाओं में स्तन कैंसर के विकास और दर्द को रोका जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण : काल पुरुष की कुंडली में स्तनों का स्थान चतुर्थ भाव है। कैंसर रोग धीरे-धीरे शरीर में फैलता है और शनि-राहु पुरानी बीमारी और धीरे-धीरे फैलने वाली बीमारियों के कारक होते हैं। सूर्य, चंद्र, लग्न, लग्नेश, कर्क राशि, चतुर्थ भाव और चतुर्थेश जब दूषित प्रभावों में रहते है,तो स्तन कैंसर जैसा रोग होता है। सिंह लग्न मे लग्नेश राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर लग्न, या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हों, तो स्तन कैंसर होता है।

विभिन्न लग्नों में स्तन कैंसर : मेष लग्न : बुध चतुर्थ भाव, शनि दशम भाव, सप्तम भाव, द्वितीय भाव, या चतुर्थ में, चंद्र, या सूर्य पर शनि, या राहु की दृष्टि हो, लग्नेश त्रिक भावों में दुष्प्रभाव म ें हा,े ता े स्तन कैसं र हाते ा ह।ै वृष लग्न : चतुर्थेश, अष्टम भाव में गुरु से दृष्ट, या युक्त हो, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट, या युक्त हो, लग्नेश षष्ठ भाव में राहु से युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। मिथुन लग्न : चतुर्थेश तृतीय भाव में अस्त हो, या शनि से दृष्ट हो, चतुर्थ भाव और चंद्र शनि से दृष्ट, या युक्त हों, चतुर्थ भाव में राहु, या केतु की दृष्टि, या स्थिति हो, तो जातक को स्तन कैंसर का सामना करना पड़ता है।

कर्क लग्न : चतुर्थेश शुक्र सूर्य से अस्त और लग्नेश चतुर्थ में राहु से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, बुध लग्न में हो, तो जातक को स्तन कैंसर होता है। सिंह लग्न : लग्नेश राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर लग्न, या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हों, तो स्तन कैंसर होता है। कन्या लग्न : चतुर्थेश अस्त हो और शनि से दृष्ट हो, शनि चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त, या दृष्ट हो, गुरु की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो और राहु, या केतु से युक्त, या दृष्ट हो, तो स्तन कैंसर होता है। तुला लग्न : गुरु चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, लग्नेश केतु से युक्त अष्टम, या द्वादश भाव में हो, सूर्य दशम भाव में हो, तो स्तन कैंसर होता है। वृश्चिक लग्न : लग्नेश तृतीय भाव में सूर्य से अस्त हो, बुध चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त और शनि से दृष्ट हो, राहु त्रिक भावों में हो, तो स्तन कैंसर होता है।

धनु लग्न : शुक्र चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त हो, शनि से दृष्ट, या युक्त हो, चतुर्थेश षष्ठ भाव में हो और राहु-केतु से दृष्ट, या युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। मकर लग्न : चतुर्थेश लग्न में हो, गुरु, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट हों, गुरु, सूर्य अष्टम भाव में बुध से युक्त हों और बुध अस्त न हो, केतु से युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। कुंभ लग्न : षष्ठेश चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट और मंगल से युक्त हो, राहु, या केतु लग्नेश से युक्त हों, गुरु अष्टम भाव, या द्वादश भाव में चंद्र के नक्षत्र में हो, तो स्तन कैंसर होता है। मीन लग्न : सूर्य चतुर्थ भाव में और बुध तृतीय भाव में अस्त हो, चंद्र केंद्र में हो, शनि चतुर्थ भाव और चंद्र को देख रहा हो, गुरु राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर अष्टम, या द्वादश भाव में हो, तो स्तन कैंसर होता है। उपर्युक्त सभी योगों में संबंधित ग्रहों की दशांतर्दशा और गोचर ग्रह स्थिति के अनुसार रोग होता है।


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जब तक ग्रह प्रभावित रहते हैं, रोग देते हैं। उसके उपरांत रोगी ठीक हो जाता है। उदाहरण : इस महिला जातक के जन्म समय मिथुन लग्न पूर्वी क्षितिज पर उदय हो रहा था। अन्य ग्रह इस प्रकार हैं : शुक्र लग्न में, शनि तृतीय में, चंद्र चतुर्थ, केतु पंचम, गुरु अष्टम, राहु एकादश और मंगल, बुध, सूर्य द्वादश भाव में थे। महिला के जन्म समय चंद्र की दशा चल रही थी। वर्तमान दशा शनि की चल रही है और शनि की ही दशा में रोग उत्पन्न हुआ। महिला की कुंडली में चतुर्थेश बुध द्वादश भाव में सूर्य से अस्त है और अकारक मंगल से युक्त है तथा शनि से दृष्ट है। चंद्र चतुर्थ भाव में है और बाधक गुरु से दृष्ट है। महिला को शनि की महादशा और बुध की दशा में रोग हुआ। गोचर में शनि नीच राशि में चंद्र से अष्टम चल रहा था और शल्य चिकित्सा के दिन चंद्र जन्म राशि पर ही था। इसलिए स्तन कैंसरग्रस्त महिला की जन्मकुंडली, जिसका शल्य चिकित्सा से उपचार हुआ जातक का शल्यक्रिया द्वारा एक स्तन काट दिया गया। अब यह महिला स्वस्थ है। ज्योतिष की दृष्टि से कुंडली से यही ज्ञात हुआ कि महिला को स्तन कैंसर शनि और चतुर्थेश से हुआ तथा कैंसर के फैलने में शनि का विशेष योगदान है।

स्तन कैंसर : महिलाओं को होने वाला एक भयंकर रोग महिलाओं को होने वाले रोगों में सबसे खतरनाक रोग स्तन कैंसर है, जो बड़ी उम्र की महिलाओं में अधिक पाया जाता है। इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में वक्ष में एक छोटी सी गांठ होती है। यह धीरे-धीरे बढ़ती है। इसे विकसित होने में पांच से दस वर्ष लग जाते हैं। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही स्तन कैंसर के लक्षण मालूम हो जाएं, तो रोगी को आसानी से मौत के मुंह से बचाया जा सकता है। अ क्सर महिलाओं को स्तन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था का पता नहीं चलता। फिर भी उन्हें चाहिए कि वह अपने स्तनों की जांच करती/करवाती रहें कि कहीं पर कोई कठोर सी गांठ तो नहीं बन रही है? अगर ऐसी कोई गांठ महसूस हो, तो यही स्तन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था है। इसके लिए तुरंत रोग विशेषज्ञ के परामर्श से चिकित्सा करवा कर मृत्यु से बचा जा सकता है। आधुनिक युग में महिलाओं में स्तन कैंसर बहुत तेजी से फैल रहा है। जो महिलाएं बच्चों को दूध नहीं पिलातीं, उनके लिए स्तन कैंसर होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं। कैंसर की मामूली सी जानकारी से महिलाओं को प्रारंभिक लक्षणों से ही कैंसर की आशंका का आभास हो सकता है एवं उचित उपचार से रोग के प्रहार से बचा जा सकता है। कैंसर क्यों और कैसे होता है? : हमारा शरीर अनगिनत कोशिकाओं से बना है, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य करती हैं। इन कोशिकाओं का बनना-बिगड़ना प्राकृतिक रूप से होता रहता है। लेकिन कभी-कभी एक कोशिका अपना निर्धारित कार्य करने के अतिरिक्त आहार में से अधिक पोषक तत्व ग्रहण कर लेती है और अपने जैसी कोशिकाएं उत्पन्न कर देती है। ये विकृत कोशिकाएं नष्ट नहीं होतीं और गांठ का रूप धारण कर लेती हैं, जिसे कैंसर कहते हैं। कैंसर की गांठों को अपने विकास के लिए ऑक्सीजन तथा सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह शरीर से (रक्त के माध्यम से) पूरी हो जाती है।


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यदि किसी कारण से पोषक तत्व रक्त द्वारा न मिलें, तो गांठ काली पड़ जाती है और धीरे-धीरे सिकुड़ कर नष्ट हो जाती हैं। शरीर के जिस अंग में कैंसर की गांठ होती है, उसे वैसे ही नाम से जाना जाता है, जैसे, रक्त कैंसर, त्वचा कैंसर, मुख कैंसर, गुर्दा कैंसर, आमाशय कैंसर आदि। ऐसे ही स्तन कैंसर ज्यादातर महिलाओं को हो जाता है। लेकिन यह पुरुषों में भी होता है, जो हजारों में से किसी एक पुरुष में पाया जाता है। स्तन कैंसर के लक्षण : स्तन कैंसर अधिकतर 30 वर्ष की आयु से अधिक की महिलाओं को होता है। जो महिलाए अविवाहित, तलाकशुदा, या विधवा होती स्तन कसैं र अधिक पाया जाता ह।ै इसके अतिरिक्त स्तन कैंसर उन महिलाओं में पाया जाता है, जिन्होंने गर्भ धारण नहीं किया, या किसी कारण से अपने बच्चे को स्तन पान न करा पायी हों। स्तन पर बार-बार आघात होना, सूजन की अवस्था बनी रहना, तंग वस्त्रों का उपयोग करना आदि भी स्तन कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं। इसलिए किसी भी असामान्य बदलाव जैसे स्तनों में दर्द, सूजन, खिंचाव आदि पर ध्यान दे कर उसकी पूरी जांच- पड़ताल करवानी चाहिए, ताकि समय पर उचित उपचार किया जा सके। महिलाओं को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि स्तन कैंसर होने की आशंका का समाधान किया जा सके। स्तनों में गांठ का महसूस होना। साथ ही बगल में भी उभार दिखाई देना। गांठ बढ़ने से हल्की वेदना ओर कड़ी सूजन मालूम होना। सूजन के स्थान पर घाव हो जाना और बाद में रक्त स्राव होना। गांठ का स्तन के ऊपरी और बाहरी भाग पर होना। स्तन चुचुक से स्राव होना। कभी-कभी इस स्राव में रक्त भी मिल जाता है।

गांठ स्पर्श करने पर कठोर महसूस होना आदि। स्तन कैंसर की चिकित्साः शल्य चिकित्सा : यदि स्तन कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाता है, तो इसका इलाज संभव हो सकता है। कैंसरग्रस्त भाग को समय पर काट कर बचाया जा सकता है। यदि स्तन कैंसर बढ़ चुका है, तो पूरा स्तन काट दिया जाता है। इससे महिलाओं में मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह स्त्रीत्व का चिह्न है। विकिरण चिकित्सा : सक्रिय रेडियो किरणों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग के उपचार को विकिरण चिकित्सा कहते हैं। इस उपचार से कैंसरग्रस्त भाग की कोशिकाएं किरणों द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं, जिससे कैंसर की गांठ धीरे- धीरे छोटी हो कर नष्ट हो जाती है। कीमोथेरेपी : यह एक रासायनिक चिकित्सा है। रसायनों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग, या अंग की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस चिकित्सा का प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है, जो विष की तरह कार्य करता है। इससे कैंसर की गांठ सिकुडने लगती है और धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। ये रसायन औषधि एवं इंजेक्शन आदि से रोगी को दिये जाते हैं। हॉर्मोन थेरेपी : हॉर्मोन की उचित खुराक दे कर कैंसर की गांठ पर चोट पहुंचायी जाती है। हॉर्मोन थेरेपी के माध्यम से स्तन कैंसर का उपचार बहुत आसान माना जाता है। इम्युनोथेरेपी : यह चिकित्सा इस सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें मानव शरीर को यह सिखाया जाता है कि कैंसर, या और रोगों से अपना बचाव कैसे करें।

इस विधि से महिलाओं में स्तन कैंसर के विकास और दर्द को रोका जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण : काल पुरुष की कुंडली में स्तनों का स्थान चतुर्थ भाव है। कैंसर रोग धीरे-धीरे शरीर में फैलता है और शनि-राहु पुरानी बीमारी और धीरे-धीरे फैलने वाली बीमारियों के कारक होते हैं। सूर्य, चंद्र, लग्न, लग्नेश, कर्क राशि, चतुर्थ भाव और चतुर्थेश जब दूषित प्रभावों में रहते है,तो स्तन कैंसर जैसा रोग होता है। सिंह लग्न मे लग्नेश राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर लग्न, या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हों, तो स्तन कैंसर होता है।


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विभिन्न लग्नों में स्तन कैंसर : मेष लग्न : बुध चतुर्थ भाव, शनि दशम भाव, सप्तम भाव, द्वितीय भाव, या चतुर्थ में, चंद्र, या सूर्य पर शनि, या राहु की दृष्टि हो, लग्नेश त्रिक भावों में दुष्प्रभाव म ें हा,े ता े स्तन कैसं र हाते ा ह।ै वृष लग्न : चतुर्थेश, अष्टम भाव में गुरु से दृष्ट, या युक्त हो, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट, या युक्त हो, लग्नेश षष्ठ भाव में राहु से युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। मिथुन लग्न : चतुर्थेश तृतीय भाव में अस्त हो, या शनि से दृष्ट हो, चतुर्थ भाव और चंद्र शनि से दृष्ट, या युक्त हों, चतुर्थ भाव में राहु, या केतु की दृष्टि, या स्थिति हो, तो जातक को स्तन कैंसर का सामना करना पड़ता है।

कर्क लग्न : चतुर्थेश शुक्र सूर्य से अस्त और लग्नेश चतुर्थ में राहु से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, बुध लग्न में हो, तो जातक को स्तन कैंसर होता है। सिंह लग्न : लग्नेश राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर लग्न, या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हों, तो स्तन कैंसर होता है। कन्या लग्न : चतुर्थेश अस्त हो और शनि से दृष्ट हो, शनि चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त, या दृष्ट हो, गुरु की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो और राहु, या केतु से युक्त, या दृष्ट हो, तो स्तन कैंसर होता है। तुला लग्न : गुरु चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, लग्नेश केतु से युक्त अष्टम, या द्वादश भाव में हो, सूर्य दशम भाव में हो, तो स्तन कैंसर होता है। वृश्चिक लग्न : लग्नेश तृतीय भाव में सूर्य से अस्त हो, बुध चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त और शनि से दृष्ट हो, राहु त्रिक भावों में हो, तो स्तन कैंसर होता है।

धनु लग्न : शुक्र चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त हो, शनि से दृष्ट, या युक्त हो, चतुर्थेश षष्ठ भाव में हो और राहु-केतु से दृष्ट, या युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। मकर लग्न : चतुर्थेश लग्न में हो, गुरु, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट हों, गुरु, सूर्य अष्टम भाव में बुध से युक्त हों और बुध अस्त न हो, केतु से युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। कुंभ लग्न : षष्ठेश चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट और मंगल से युक्त हो, राहु, या केतु लग्नेश से युक्त हों, गुरु अष्टम भाव, या द्वादश भाव में चंद्र के नक्षत्र में हो, तो स्तन कैंसर होता है। मीन लग्न : सूर्य चतुर्थ भाव में और बुध तृतीय भाव में अस्त हो, चंद्र केंद्र में हो, शनि चतुर्थ भाव और चंद्र को देख रहा हो, गुरु राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर अष्टम, या द्वादश भाव में हो, तो स्तन कैंसर होता है। उपर्युक्त सभी योगों में संबंधित ग्रहों की दशांतर्दशा और गोचर ग्रह स्थिति के अनुसार रोग होता है।

जब तक ग्रह प्रभावित रहते हैं, रोग देते हैं। उसके उपरांत रोगी ठीक हो जाता है। उदाहरण : इस महिला जातक के जन्म समय मिथुन लग्न पूर्वी क्षितिज पर उदय हो रहा था। अन्य ग्रह इस प्रकार हैं : शुक्र लग्न में, शनि तृतीय में, चंद्र चतुर्थ, केतु पंचम, गुरु अष्टम, राहु एकादश और मंगल, बुध, सूर्य द्वादश भाव में थे। महिला के जन्म समय चंद्र की दशा चल रही थी। वर्तमान दशा शनि की चल रही है और शनि की ही दशा में रोग उत्पन्न हुआ। महिला की कुंडली में चतुर्थेश बुध द्वादश भाव में सूर्य से अस्त है और अकारक मंगल से युक्त है तथा शनि से दृष्ट है। चंद्र चतुर्थ भाव में है और बाधक गुरु से दृष्ट है। महिला को शनि की महादशा और बुध की दशा में रोग हुआ। गोचर में शनि नीच राशि में चंद्र से अष्टम चल रहा था और शल्य चिकित्सा के दिन चंद्र जन्म राशि पर ही था। इसलिए स्तन कैंसरग्रस्त महिला की जन्मकुंडली, जिसका शल्य चिकित्सा से उपचार हुआ जातक का शल्यक्रिया द्वारा एक स्तन काट दिया गया। अब यह महिला स्वस्थ है। ज्योतिष की दृष्टि से कुंडली से यही ज्ञात हुआ कि महिला को स्तन कैंसर शनि और चतुर्थेश से हुआ तथा कैंसर के फैलने में शनि का विशेष योगदान है।


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स्तन कैंसर : महिलाओं को होने वाला एक भयंकर रोग महिलाओं को होने वाले रोगों में सबसे खतरनाक रोग स्तन कैंसर है, जो बड़ी उम्र की महिलाओं में अधिक पाया जाता है। इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में वक्ष में एक छोटी सी गांठ होती है। यह धीरे-धीरे बढ़ती है। इसे विकसित होने में पांच से दस वर्ष लग जाते हैं। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही स्तन कैंसर के लक्षण मालूम हो जाएं, तो रोगी को आसानी से मौत के मुंह से बचाया जा सकता है। अ क्सर महिलाओं को स्तन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था का पता नहीं चलता। फिर भी उन्हें चाहिए कि वह अपने स्तनों की जांच करती/करवाती रहें कि कहीं पर कोई कठोर सी गांठ तो नहीं बन रही है? अगर ऐसी कोई गांठ महसूस हो, तो यही स्तन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था है। इसके लिए तुरंत रोग विशेषज्ञ के परामर्श से चिकित्सा करवा कर मृत्यु से बचा जा सकता है। आधुनिक युग में महिलाओं में स्तन कैंसर बहुत तेजी से फैल रहा है। जो महिलाएं बच्चों को दूध नहीं पिलातीं, उनके लिए स्तन कैंसर होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं। कैंसर की मामूली सी जानकारी से महिलाओं को प्रारंभिक लक्षणों से ही कैंसर की आशंका का आभास हो सकता है एवं उचित उपचार से रोग के प्रहार से बचा जा सकता है। कैंसर क्यों और कैसे होता है? : हमारा शरीर अनगिनत कोशिकाओं से बना है, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य करती हैं। इन कोशिकाओं का बनना-बिगड़ना प्राकृतिक रूप से होता रहता है। लेकिन कभी-कभी एक कोशिका अपना निर्धारित कार्य करने के अतिरिक्त आहार में से अधिक पोषक तत्व ग्रहण कर लेती है और अपने जैसी कोशिकाएं उत्पन्न कर देती है। ये विकृत कोशिकाएं नष्ट नहीं होतीं और गांठ का रूप धारण कर लेती हैं, जिसे कैंसर कहते हैं। कैंसर की गांठों को अपने विकास के लिए ऑक्सीजन तथा सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह शरीर से (रक्त के माध्यम से) पूरी हो जाती है।

यदि किसी कारण से पोषक तत्व रक्त द्वारा न मिलें, तो गांठ काली पड़ जाती है और धीरे-धीरे सिकुड़ कर नष्ट हो जाती हैं। शरीर के जिस अंग में कैंसर की गांठ होती है, उसे वैसे ही नाम से जाना जाता है, जैसे, रक्त कैंसर, त्वचा कैंसर, मुख कैंसर, गुर्दा कैंसर, आमाशय कैंसर आदि। ऐसे ही स्तन कैंसर ज्यादातर महिलाओं को हो जाता है। लेकिन यह पुरुषों में भी होता है, जो हजारों में से किसी एक पुरुष में पाया जाता है। स्तन कैंसर के लक्षण : स्तन कैंसर अधिकतर 30 वर्ष की आयु से अधिक की महिलाओं को होता है। जो महिलाए अविवाहित, तलाकशुदा, या विधवा होती स्तन कसैं र अधिक पाया जाता ह।ै इसके अतिरिक्त स्तन कैंसर उन महिलाओं में पाया जाता है, जिन्होंने गर्भ धारण नहीं किया, या किसी कारण से अपने बच्चे को स्तन पान न करा पायी हों। स्तन पर बार-बार आघात होना, सूजन की अवस्था बनी रहना, तंग वस्त्रों का उपयोग करना आदि भी स्तन कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं। इसलिए किसी भी असामान्य बदलाव जैसे स्तनों में दर्द, सूजन, खिंचाव आदि पर ध्यान दे कर उसकी पूरी जांच- पड़ताल करवानी चाहिए, ताकि समय पर उचित उपचार किया जा सके। महिलाओं को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि स्तन कैंसर होने की आशंका का समाधान किया जा सके। स्तनों में गांठ का महसूस होना। साथ ही बगल में भी उभार दिखाई देना। गांठ बढ़ने से हल्की वेदना ओर कड़ी सूजन मालूम होना। सूजन के स्थान पर घाव हो जाना और बाद में रक्त स्राव होना। गांठ का स्तन के ऊपरी और बाहरी भाग पर होना। स्तन चुचुक से स्राव होना। कभी-कभी इस स्राव में रक्त भी मिल जाता है।


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गांठ स्पर्श करने पर कठोर महसूस होना आदि। स्तन कैंसर की चिकित्साः शल्य चिकित्सा : यदि स्तन कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाता है, तो इसका इलाज संभव हो सकता है। कैंसरग्रस्त भाग को समय पर काट कर बचाया जा सकता है। यदि स्तन कैंसर बढ़ चुका है, तो पूरा स्तन काट दिया जाता है। इससे महिलाओं में मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है, क्योंकि यह स्त्रीत्व का चिह्न है। विकिरण चिकित्सा : सक्रिय रेडियो किरणों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग के उपचार को विकिरण चिकित्सा कहते हैं। इस उपचार से कैंसरग्रस्त भाग की कोशिकाएं किरणों द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं, जिससे कैंसर की गांठ धीरे- धीरे छोटी हो कर नष्ट हो जाती है। कीमोथेरेपी : यह एक रासायनिक चिकित्सा है। रसायनों की सहायता से कैंसरग्रस्त भाग, या अंग की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस चिकित्सा का प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है, जो विष की तरह कार्य करता है। इससे कैंसर की गांठ सिकुडने लगती है और धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। ये रसायन औषधि एवं इंजेक्शन आदि से रोगी को दिये जाते हैं। हॉर्मोन थेरेपी : हॉर्मोन की उचित खुराक दे कर कैंसर की गांठ पर चोट पहुंचायी जाती है। हॉर्मोन थेरेपी के माध्यम से स्तन कैंसर का उपचार बहुत आसान माना जाता है। इम्युनोथेरेपी : यह चिकित्सा इस सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें मानव शरीर को यह सिखाया जाता है कि कैंसर, या और रोगों से अपना बचाव कैसे करें।

इस विधि से महिलाओं में स्तन कैंसर के विकास और दर्द को रोका जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण : काल पुरुष की कुंडली में स्तनों का स्थान चतुर्थ भाव है। कैंसर रोग धीरे-धीरे शरीर में फैलता है और शनि-राहु पुरानी बीमारी और धीरे-धीरे फैलने वाली बीमारियों के कारक होते हैं। सूर्य, चंद्र, लग्न, लग्नेश, कर्क राशि, चतुर्थ भाव और चतुर्थेश जब दूषित प्रभावों में रहते है,तो स्तन कैंसर जैसा रोग होता है। सिंह लग्न मे लग्नेश राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर लग्न, या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हों, तो स्तन कैंसर होता है।

विभिन्न लग्नों में स्तन कैंसर : मेष लग्न : बुध चतुर्थ भाव, शनि दशम भाव, सप्तम भाव, द्वितीय भाव, या चतुर्थ में, चंद्र, या सूर्य पर शनि, या राहु की दृष्टि हो, लग्नेश त्रिक भावों में दुष्प्रभाव म ें हा,े ता े स्तन कैसं र हाते ा ह।ै वृष लग्न : चतुर्थेश, अष्टम भाव में गुरु से दृष्ट, या युक्त हो, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट, या युक्त हो, लग्नेश षष्ठ भाव में राहु से युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। मिथुन लग्न : चतुर्थेश तृतीय भाव में अस्त हो, या शनि से दृष्ट हो, चतुर्थ भाव और चंद्र शनि से दृष्ट, या युक्त हों, चतुर्थ भाव में राहु, या केतु की दृष्टि, या स्थिति हो, तो जातक को स्तन कैंसर का सामना करना पड़ता है।

कर्क लग्न : चतुर्थेश शुक्र सूर्य से अस्त और लग्नेश चतुर्थ में राहु से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, बुध लग्न में हो, तो जातक को स्तन कैंसर होता है। सिंह लग्न : लग्नेश राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर लग्न, या चतुर्थ भाव में हो, चंद्र पर शनि की दृष्टि हो, चतुर्थेश और अष्टमेश त्रिक भावों में हों, तो स्तन कैंसर होता है। कन्या लग्न : चतुर्थेश अस्त हो और शनि से दृष्ट हो, शनि चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त, या दृष्ट हो, गुरु की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो और राहु, या केतु से युक्त, या दृष्ट हो, तो स्तन कैंसर होता है। तुला लग्न : गुरु चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त हो और शनि से दृष्ट हो, लग्नेश केतु से युक्त अष्टम, या द्वादश भाव में हो, सूर्य दशम भाव में हो, तो स्तन कैंसर होता है। वृश्चिक लग्न : लग्नेश तृतीय भाव में सूर्य से अस्त हो, बुध चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त और शनि से दृष्ट हो, राहु त्रिक भावों में हो, तो स्तन कैंसर होता है।


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धनु लग्न : शुक्र चतुर्थ भाव में चंद्र से युक्त हो, शनि से दृष्ट, या युक्त हो, चतुर्थेश षष्ठ भाव में हो और राहु-केतु से दृष्ट, या युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। मकर लग्न : चतुर्थेश लग्न में हो, गुरु, चंद्र चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट हों, गुरु, सूर्य अष्टम भाव में बुध से युक्त हों और बुध अस्त न हो, केतु से युक्त हो, तो स्तन कैंसर होता है। कुंभ लग्न : षष्ठेश चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट और मंगल से युक्त हो, राहु, या केतु लग्नेश से युक्त हों, गुरु अष्टम भाव, या द्वादश भाव में चंद्र के नक्षत्र में हो, तो स्तन कैंसर होता है। मीन लग्न : सूर्य चतुर्थ भाव में और बुध तृतीय भाव में अस्त हो, चंद्र केंद्र में हो, शनि चतुर्थ भाव और चंद्र को देख रहा हो, गुरु राहु-केतु से युक्त, या दृष्ट हो कर अष्टम, या द्वादश भाव में हो, तो स्तन कैंसर होता है। उपर्युक्त सभी योगों में संबंधित ग्रहों की दशांतर्दशा और गोचर ग्रह स्थिति के अनुसार रोग होता है।

जब तक ग्रह प्रभावित रहते हैं, रोग देते हैं। उसके उपरांत रोगी ठीक हो जाता है। उदाहरण : इस महिला जातक के जन्म समय मिथुन लग्न पूर्वी क्षितिज पर उदय हो रहा था। अन्य ग्रह इस प्रकार हैं : शुक्र लग्न में, शनि तृतीय में, चंद्र चतुर्थ, केतु पंचम, गुरु अष्टम, राहु एकादश और मंगल, बुध, सूर्य द्वादश भाव में थे। महिला के जन्म समय चंद्र की दशा चल रही थी। वर्तमान दशा शनि की चल रही है और शनि की ही दशा में रोग उत्पन्न हुआ। महिला की कुंडली में चतुर्थेश बुध द्वादश भाव में सूर्य से अस्त है और अकारक मंगल से युक्त है तथा शनि से दृष्ट है। चंद्र चतुर्थ भाव में है और बाधक गुरु से दृष्ट है। महिला को शनि की महादशा और बुध की दशा में रोग हुआ। गोचर में शनि नीच राशि में चंद्र से अष्टम चल रहा था और शल्य चिकित्सा के दिन चंद्र जन्म राशि पर ही था। इसलिए स्तन कैंसरग्रस्त महिला की जन्मकुंडली, जिसका शल्य चिकित्सा से उपचार हुआ जातक का शल्यक्रिया द्वारा एक स्तन काट दिया गया। अब यह महिला स्वस्थ है। ज्योतिष की दृष्टि से कुंडली से यही ज्ञात हुआ कि महिला को स्तन कैंसर शनि और चतुर्थेश से हुआ तथा कैंसर के फैलने में शनि का विशेष योगदान है।



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