जिस प्रकार एक डाॅक्टर मरीज की टेस्ट रिपोर्ट देखकर दवाई बताता है। एक दवाई के काम न करने पर दवाई बदलकर दूसरी दवाई देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि पहली वाली दवाई बेकार है। लेकिन इस मरीज के लिए बेकार साबित हुई। एक दवाई के काम न करने पर हम पूरे मेडिकल विज्ञान को गलत नहीं कह सकते। उसी प्रकार एक ज्योतिषी व्यक्ति की जन्मपत्री देखकर कोई उपाय बताता है। यदि जातक को उस उपाय से लाभ नहीं होता तो हम पूरे ज्योतिष शास्त्र को गलत नहीं कह सकते। बीमारी का बगैर दवाई भी इलाज है, मगर मौत का कोई इलाज नहीं। विभिन्न बीमारियों का व कष्टों का ज्योतिष द्वारा जो उपाय बताये जाते हंै वह सुरक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में भी कार्य करते हैं। उपायों में प्रयुक्त होने वाले सामानों की गुणवत्ता पर भी यह निर्भर करता है कि उपाय कितना कारगर होगा। रत्न का निर्दोष व असली होना परम् आवश्यक है। दोषपूर्ण या नकली रत्न से लाभ की आशा नहीं की जा सकती। तंत्र में प्रयोग होने वाली वस्तुएं एवं रूद्राक्ष आदि का भी असली और दोषमुक्त होना बहुत जरूरी है। मंत्र में मंत्रोच्चार की शुद्धि बहुत जरूरी है। पूजा पाठ में आस्था बहुत जरूरी है। यंत्रों के प्रयोग में शुद्धि व प्राण प्रतिष्ठा बहुत जरूरी है। ईश्वर आराधना में भी व्यक्ति की आस्था और विश्वास से ही लाभ होता है। ”जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन वैसी“ ज्योतिष श्रद्धा, आस्था और विश्वास की वह त्रिवेणी है जिससे केवल श्रद्धावान ही लाभ प्राप्त कर पाते हैं।
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सनातन धर्म और अध्यात्मज्योतिष पूर्णत: वैज्ञानिक हैं। ज्योतिष मानव कल्याण का एक बहुत बड़ा साधन हैं। इसका प्रयोग कर व्यक्ति स...देखे