ग्रहों का प्रभाव जातक के ऊपर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चाहे वह दशा के रूप में हो या लग्न या राशि स्वामी पर आधारित हो इसके अतिरिक्त जातक का स्वभाव कार्य करने की शैली, जातक की भौतिक संरचना, वैवाहिक सुख, कार्य क्षेत्र इन सभी क्षेत्रों में ग्रहों का प्रभाव होता है। सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और सूर्य से इनके कक्षा निम्न प्रकार है:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून, प्लूटो
खगोल विज्ञान में सूर्य को स्थिर होने के कारण ग्रह की जगह तारा माना जाता है। जबकि ज्योतिष में पृथ्वी को सूर्य के सापेक्ष स्थिर मानते हैं और पृथ्वी को स्थिर मानते हैं। जबकि खगोल विज्ञान में इसका विपरीत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्योतिष का अध्ययन सिर्फ मनुष्य वर्ग पर किया जाता है और मनुष्य सिर्फ पृथ्वी पर रहता है।
चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटता है इसलिए यह मनुष्य पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है और मन का कारक होता है।
राहु और केतु छाया ग्रह होते हैं जोकि सूर्य और चंद्रमा के मार्ग के कटान बिंदू पर स्थित होते हैं।