नक्षत्रों की कुल संख्या 27 होती है। एक भचक्र का 27वां भाग एक नक्षत्र कहलाता है। 27 नक्षत्रों को यदि तीन काॅलम में लिखा जाय तो प्रत्येक काॅलम में 9 नक्षत्र आते हैं इस प्रकार एक पंक्ति में लिखे तीन नक्षत्रों का स्वामी एक ग्रह होता है। विंशोत्तरी दशा का प्रारंभ भी जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित होता है। जब किसी जातक का जन्म केतु या बुध के नक्षत्र में होता है तो यह कहा जाता है कि जातक का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ है। गंडमूल नक्षत्र में उत्पन्न होने के कारण प्रायः बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता या उसके नजदीकी संबंधी जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए 27वें दिन वही नक्षत्र पुनः आता है तो इस गंडमूल नक्षत्र की शांति करायी जाती है। इसी प्रकार अन्य नक्षत्रों के समूंह को भी अलग-अलग संज्ञा दी गई है जैसे मृदु संज्ञक, तीक्ष्ण संज्ञक, अधोमुखी इत्यादि।
व्यूस : 1ज्योतिष के स्तम्भविनय गर्गज्योतिष का आधार निम्नलिखित चार तथ्यों पर आधारित है। यदि इन तथ्यों को भली भांति समझ लिया जाय तो ज्...देखे
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Members Onlyव्यूस : 1ग्रहों के नैसर्गिक गुणविनय गर्ग सभी ग्रह किसी न किसी कारक का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे सूर्य - पिता, राजा, मान-सम्मा...देखे
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ज्योतिष उपायज्योतिष में संपूर्ण ज्ञान होते हुए भी तबतक वह अधूरा है जबतक कि उसके उपाय न मालूम हो। यह ठीक उसी तरह ...देखे
प्रारंभिक ज्योतिषआप ज्योतिष क्षेत्र में रूचि रखते हैं लेकिन सीखने का माध्यम अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था या ज्योतिष में...देखे
रुद्राक्षरुद्राक्ष को भगवान शिव का अश्रु कहा गया है। शास्त्रों में रुद्राक्ष सिद्धिदायकए पापनाशकए पुण्यवर्धकए...देखे
सनातन धर्म और अध्यात्मज्योतिष पूर्णत: वैज्ञानिक हैं। ज्योतिष मानव कल्याण का एक बहुत बड़ा साधन हैं। इसका प्रयोग कर व्यक्ति स...देखे