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नक्षत्र (1 व्यूस)

नक्षत्रों की कुल संख्या 27 होती है। एक भचक्र का 27वां भाग एक नक्षत्र कहलाता है। 27 नक्षत्रों को यदि तीन काॅलम में लिखा जाय तो प्रत्येक काॅलम में 9 नक्षत्र आते हैं इस प्रकार एक पंक्ति में लिखे तीन नक्षत्रों का स्वामी एक ग्रह होता है। विंशोत्तरी दशा का प्रारंभ भी जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित होता है।

जब किसी जातक का जन्म केतु या बुध के नक्षत्र में होता है तो यह कहा जाता है कि जातक का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ है। गंडमूल नक्षत्र में उत्पन्न होने के कारण प्रायः बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता या उसके नजदीकी संबंधी जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए 27वें दिन वही नक्षत्र पुनः आता है तो इस गंडमूल नक्षत्र की शांति करायी जाती है। इसी प्रकार अन्य नक्षत्रों के समूंह को भी अलग-अलग संज्ञा दी गई है जैसे मृदु संज्ञक, तीक्ष्ण संज्ञक, अधोमुखी इत्यादि।


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