साहस और उम्मीद की प्रतीक मलाला

साहस और उम्मीद की प्रतीक मलाला  

आभा बंसल
व्यूस : 4455 | नवेम्बर 2015

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के स्वात जिले में स्थित मिगोरा शहर में 12 जुलाई 1997 को जब मलाला का जन्म हुआ था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये लड़की बड़ी होकर महिलाओं और मासूम बच्चों की आवाज बनेगी। मिगोरा में स्वात घाटी को वहां का स्विट्जरलैंड माना जाता है पर 2007 से ही वहां पर तालिबान ने कब्जा कर रखा था और उन्होंने वहां की लड़कियों पर स्कूल जाने व टीवी देखने पर पाबंदी लगा दी थी।

मलाला को पढ़ाई करना और स्कूल जाना बहुत पसंद था इसलिए उसने बी.बी.सी. की उर्दू सेवा के लिए छù नाम (गुल मकई) के नाम से ‘‘डायरी आॅफ ए पाकिस्तानी स्कूल गर्ल’ के शीर्षक से ब्लाॅग लिखना शुरू कर दिया जिसमें उसने स्वात में तालिबान के कुकृत्यों का वर्णन किया था। इस ब्लाॅग को बहुत पसंद किया जाने लगा और इसके माध्यम से उसने लोगों को न सिर्फ जागरूक किया बल्कि तालिबान के खिलाफ खड़ा भी कर दिया।

मलाला ने इतनी छोटी उम्र से ही तालिबान के फरमान के बावजूद लड़कियों को शिक्षित करने का अभियान चला दिया। शिक्षा के लिए दृढ़ता से प्रज्ज्वलित इस ज्योति को अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में बढ़ावा देने व साहसी और उत्कृष्ट सेवाआंे के लिए पहली बार 19 दिसंबर 2011 के दिन पाकिस्तान सरकार द्वारा मलाला को ‘‘राष्ट्रीय शांति पुरस्कार’’ से नवाजा गया। मलाला अब तक काफी लोकप्रिय हो चली थी।

इसी से नाराज होकर तालिबानी आतंकवादियों ने उसे अपनी हिट लिस्ट में ले लिया और पाकिस्तान में महिलाओं की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली इस मासूम सी मानवाधिकार कार्यकत्र्ता को अंततः चरमपंथियों के आतंकवाद का शिकार बनना पड़ा। अक्तूबर 2012 को स्कूल से लौटते समय उस पर हमला कर दिया गया और आतंकियों की गोली उसके आंख के ऊपर से आर-पार हो गई।

बुरी तरह घायल मलाला को ईलाज के लिए ब्रिटेन लाया गया जहां डाक्ॅटरों के अथक प्रयासों से उसे बचा लिया गया। तब तक मलाला पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुकी थी और उसे मैक्सिको में ‘इक्विेलिटी और नाॅन डिस्क्रिमिनेशन का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और संयुक्त राष्ट्र ने भी ‘मानवाधिकार सम्मान’ (ह्यूमन राइट अवार्ड) से नवाजा। इतना ही नहीं बच्चांे और युवाओं के दमन के खिलाफ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संषर्ष करने वाले भारतीय समाज सेवी कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से शांति का नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया।


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दिसंबर 2014 को नाॅर्वे में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हंे यह पुरस्कार दिया गया और मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र महज 17 वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली विजेता बन गई। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में मलाला ने कहा कि ‘मैं जिद की हद तक प्रतिबद्धता रखने वाली इंसान हूं और चाहती हूं कि हर बच्चे को शिक्षा हासिल हो।

’’ उसने अपने पिता को धन्यवाद देते हुए कहा कि ‘‘मैं अपने पिता को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मेरे पर नहीं कतरे और मुझे उड़ान भरने दी और मां ने मुझे सब्र रखने और हमेशा सच बोलने की प्रेरणा दी।’’ मलाला ने कहा ‘‘मैं एक आवाज नहीं, कई आवाजें हूं। मैं उन छह करोड़ 60 लाख लड़कियों का रूप हूं जिन्हंे शिक्षा नहीं मिल रही है। बहुत से बच्चों को शिक्षा गरीबी की वजह से नहीं मिल पाती।

मैं अपनी कहानी इसलिए नहीं सुना रही हूं कि ये सबसे अलग है बल्कि इसलिए सुना रही हूं क्योंकि यह अलग नहीं है ......... वास्तव में यही बहुत सी लड़कियों की कहानी है।’’ एक ग्लोबल नेता की तरह बात करते हुए उसने कहा ‘न आतंकवादियों के इरादे जीत सकते हैं न उनकी गोलियां, हम सलामत हैं और हमारी आवाज दिन ब दिन बुलंद होती रहेगी और मैं यही चाहती हूं कि दुनिया की महिलाओं को समान अधिकार मिले और दुनिया के हर कोने में शांति हो।’’

आजकल मलाला अपने माता-पिता व दोनों भाइयों के साथ ब्रिटेन में बर्मिंघम में रहती है और स्कूल में पढ़ रही है और हमारा पूर्ण विश्वास है कि वह निश्चित रूप से अपने मिशन को पूरा करने की अपनी जंग जारी रखेगी। पूरी दुनिया के ‘बच्चांे की शिक्षा’ के लिए बुलंद आवाज उठाने वाली और अपने मकसद में कामयाब होने वाली मलाला की कहानी को जानेंगे उनकी कुंडली के ग्रहों की जुबानी- कुंडली विश्लेषण जन्मकुंडली से ग्रहों के योगायोग तथा दृष्टि व राशि में उनकी स्थिति के बारे में विचार किया जाता है।

यह ठीक है कि यह विचार जातक के भविष्यकथन के लिए उपयुक्त है। परंतु भावों में ग्रहों की सूक्ष्म स्थिति का ज्ञान चलित कुंडली के गणित के बिना नहीं हो सकता और उसके बिना फलकथन में वांछित सूक्ष्मता नहीं आ सकती। कुछ कुंडलियों में जन्मकुंडली व चलित कुंडली में विशेष अंतर पाया जाता है। ऐसी स्थिति में चलित कुंडली के सूक्ष्म गणित की सहायता से ग्रहों की विभिन्न भावों में वास्तविक स्थिति का अध्ययन करके फलकथन में शुद्धता लायी जा सकती है।

यहां यह बताना भी आवश्यक होगा कि जन्मकुंडली में शुभ योग बन रहे हों और चलित कुंडली में योग बनाने वाले ग्रह अशुभ भावों में चले जाएं तो जन्मकुंडली में बनने वाले योग कमजोर पड़ने लगते हैं। ठीक इसी प्रकार यदि योग का निर्माण करने वाले ग्रह चलित में अपनी स्थिति न बदलें अथवा शुभ भावों में आ जाएं तो योग प्रबल हो जाते हैं। मलाला की कुंडली का विश्लेषण करते हुए हमें उसकी लग्न कंुडली और चलित कुंडली दोनों पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि चलित कुंडली में ग्रहों की वास्तविक स्थिति में बड़ा फेर बदल हो रहा है।


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लग्न कुंडली पर दृष्टि डालंे तो लग्नेश सूर्य बलवान होकर एकादश भाव में स्थित है तथा लग्न में राहु होने से मलाला बहुत स्वाभिमानी निर्भीक और बहुत ऊंचे ख्वाब देखने की सभी खूबियां रखती है। चलित कुंडली में सूर्य दशम भाव में, शुक्र, बुध व गुरु ये सभी केंद्र भाव में तथा चंद्र, मंगल ने पराक्रम भाव में स्थित होकर इतनी छोटी उम्र में ही विश्व व्यापी कीर्ति प्रदान की व महिलाओं की शिक्षा के प्रति उनके अधिकारों को लेकर अपनी जंग को पूरी लगन से लड़ने की क्षमता व निर्भीकता से युक्त कर दिया।

इनकी जन्मकुंडली में विद्यमान कुछ योगों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है- सरल योग - अष्टम भाव में अशुभ ग्रह शनि स्थित है तथा अष्टमेश बृहस्पति छठे भाव में होने से सरल योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से मलाला में अत्यंत बुद्धिमान, निर्भय, शत्रुहंता, दीर्घायु तथा विख्यात होने के सभी गुण विद्यमान हैं। शुभ कत्र्तरी योग - लग्न से द्वितीय भाव में चंद्र तथा द्वादश भाव में बुध व शुक्र होने से शुभकर्तरी योग बन रहा है

जिससे बाल्यावस्था से ही उसमें अच्छे संस्कारों का विकास हुआ और उसे न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली। प्रबल राजयोग - कुंडली में बुध, शुक्र का गुरु के साथ परस्पर दृष्टि योग होने से राजयोग बन रहा है और चलित कुंडली में लग्नेश व इन अन्य सभी शुभ ग्रहों की केंद्र में स्थिति के चलते यह राजयोग प्रबल हो रहा है। इसी कारण मलाला की देश-विदेश में इतनी चर्चा हुई और उसे नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

पितृ सुख योग - यदि दशम भाव का स्वामी शुभ ग्रह होकर शुभ ग्रह के साथ स्थित हो तो पितृ सुख की प्राप्ति होती है। मलाला की कुंडली में दशमेश शुक्र लाभेश शुभ ग्रह बुध के साथ स्थित है जिससे इन्हें अपने माता-पिता व परिवार का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। रोग व शत्रु नाशक योग: यदि कुंडली में छठे भाव में स्थित ग्रह एवं षष्ठ स्थान को देखने वाले ग्रह तथा षष्ठेश ये तीनों बली हों तो प्रबल शत्रुहंता योग बनता है।

मलाला की कुंडली में षष्ठेश शनि अष्टम भाव में स्थित होने से विपरीत राजयोग बनाकर बली हो रहा है। छठे भाव में गुरु वक्री होकर प्रबल शत्रुहंता योग बनाता ही है। षष्ठ स्थान में पंचमेश गुरु नीच भंग होने से और अधिक शुभ स्थिति में हंै तथा षष्ठ भाव पर दो शुभ ग्रह बुध और शुक्र की दृष्टि होने से यह योग पूर्ण रूपेण घटित हो रहा है जिसके फलस्वरूप आतंकवादियों द्वारा जानलेवा हमला होने पर भी बच गई और अब पूर्ण स्वस्थ जीवन यापन कर रही है। उसका परिवार ब्रिटेन में व्यवस्थित हो गया है।


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अष्टमस्थ शनि दीर्घायु प्रदान कर रहा है अतः अब आतंकवादी चाह कर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इसके अतिरिक्त लाभेश और दशमेश की द्वादश भाव में युति तथा उन पर बृहस्पति की दृष्टि होने से मलाला के दूसरे देश में रहने और पढ़ने के योग बने। भाग्येश और द्वादशेश की धन स्थान में युति से ही मलाला को विदेशों से मान-सम्मान, प्रतिष्ठा व लाभ की प्राप्ति भी हो रही है। वर्तमान में राहु की महादशा चल रही है।

राहु सिंह राशि में लग्नस्थ होकर सूर्य का फल दे रहे हैं जिसके कारण मलाला को अंतर्राष्ट्रीय मान प्रतिष्ठा मिल रही है। सर्वोच्च शांति नोबेल पुरस्कार मिलने के समय राहु में शनि तथा शुक्र की प्रत्यंतर दशा चल रही थी। शनि विपरीत राजयोग कारक ग्रह है तथा शुक्र कर्मेश होकर लाभेश बुध के साथ बारहवें भाव में स्थित होकर अत्यंत शुभफल दायक हो गये हैं। भविष्य में भी मलाला अपने जीवन में नये मुकाम हासिल करेगी और अपने शिक्षा के मिशन में अवश्य कामयाब होगी।



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