महात्मा गांधी

महात्मा गांधी  

यशकरन शर्मा
व्यूस : 11384 | जून 2010

महात्मा गांधी यद्गाकरन शर्मा गांधी जी को श्रद्धांजली करते हुए महान वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने कहा था ''आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात पर विश्वास कर सकेंगी कि हाड-मांस का बना हुआ ऐसा पुतला भी कभी इस धरती पर विचरण करता था।'' -अलबर्ट आइंस्टाइन। महात्मा गांधी एक ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सर्वाधिक योगदान दिया अपितु समस्त विद्गव में शांति और बंधुत्व की भावना उत्पन्न करते हुए सत्य और अहिंसा का प्रचार प्रसार भी किया। सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म अक्तूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ। इनका विवाह 13 वर्ष की आयु में हो गया था। बड़े होकर इन्होंने बाल विवाह का विरोध किया। 1885 ई. में गांधी जी के पिता जी की मृत्यु के पश्चात् परिवार के एक करीबी मित्र ने कहा था कि यदि गांधी को पोरबंदर में अपने पिताजी की जगह लेनी है तो इंग्लैंड में तीन साल बिताकर कानून की पढ़ाई करनी चाहिए। गांधी जी ने इस सुझाव का स्वागत किया लेकिन इनकी मां के विरोध करने पर इन्होंने अपनी मां को बचन दिया कि इंग्लैंड मे ंरहते हुए यह शराब, मांस और महिला को सपर्श नहीं करेंगे तथा सत्य का पालन करेंगे।

04 सितंबर 1988 को गांधी जी इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए और 1891 में कानून की पढ़ाई पूरी करके स्वदेश लौट आए। 1893 में इन्हें एक मुकद्दमें की पैरवी करने के उद्देश्य से साउथ अफ्रीका जाना पड़ा। यहां पर रहते हुए इन्होंने भारतीयों के अधिकारों की बात को उठाया और अंततः सन 1914 में गांधी और साउथ अफ्रीका की सरकार के बीच में भारतीयों की सुरक्षा के लिए समझौता हो गया। सन 1915 में गांधी जी स्वदेश लौट आए और उस समय के राजनैतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोरवले के निर्देश पर भारत भ्रमण पर निकल पड़े। एक वर्ष के पश्चात इन्होंने साबरमती के तट पर सत्याग्रह नाम का आश्रम स्थापित किया। 1917 में चम्पारन के किसानों पर ब्रिटिश सरकार द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों से छुटकारा दिलाने पर भारत में इनका मान-सम्मान तेजी से बढ़ने लगा। सन 1921 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया। गांधी जी के इस आंदोलन ने सोते राष्ट्र को जगा दिया और पुरुष व महिला तथा सभी वर्गों के लोगों ने इसमें बढ़ चढ़कर भाग लिया। सन 1922 में इन्हें छः वर्ष की सजा सुनाई गई लेकिन 1924 में बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण रिहा कर दिया गया। सन 1930 में इन्होंने ऐतिहासिक नमक आंदोलन आरंभ किया। नमक आंदोलन में ब्रिटिश सरकार ने हजारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला दिया।

मजबूरन उस समय के वायसराय ने गांधी को बातचीत के लिए बुलाया। 05 मार्च को 1931 को गांधी इरविन समझौता हुआ। समझौते पर हस्ताक्षर करने के उपरांत गांधी जी राउंड टेबल कान्फ्रैंस में भाग लेने के लिए इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड से लौटने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1939 में विश्व युद्ध के आरंभ होने पर ब्रिटिश सरकार ने भारत का सहयोग मांगा और कांग्रेस ने बदले में स्वतंत्रता मांग ली। लेकिन ब्रिटिश सरकार के ढुलमुल जवाब के कारण 08 अगस्त 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरु किया। अंग्रेजों ने शीघ्र ही गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया। गांधी जी के गिरफ्तार होते ही भारत में अव्यवस्था और अराजकता का वातावरण फैल गया। जब गांधी जी जेल में थे तो कस्तूरबा गांधी का निधन हो गया और गांधी जी को भी मलेरिया हो गया। गांधी जी के खराब स्वास्थ्य के चलते ब्रिटिश सरकार ने इन्हें मई 1944 में रिहा कर दिया। 1945 में दूसरे विश्व युद्ध में इंग्लैंड की विजय के पश्चात् आम चुनाव के बाद लेबर पार्टी के नेता एटली ब्रिटेन प्रधानमंत्री बने। उन्होंने भारत को स्वतंत्र करने का वचन दिया परंतु कांग्रेस और मुस्लमानों में एकता स्थापित करने में विफल रहे। भारत को अंततः 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई लेकिन भारत का बंटवारा हो गया। बंटवारे के पश्चात् हिंदुओं और मुस्लमानों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे। गांधी जी हिंदू मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे। इससे कुछ कट्टर हिंदू क्रोधित हो गए और 30 जनवरी 1948 को एक मनचले हिंदू नौजवान नाथू राम गोडसे ने इनकी हत्या कर दी। गांधी राम कहते हुए चल बसे।

महात्मा गांधी की कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण- गांधी जी का जन्म तुला लग्न कर्क राशि में होने कारण यह संतुलित व व्यवस्थित मस्तिष्क के व्यक्ति थे। इनकी कुंडली में बलवान मंगल के लग्न में बैठकर शुभ ग्रहों से युक्त और दृष्ट होने से गांधी जी पराक्रमी और प्रभावशाली व्यक्ति बने। इन्हें समस्त भारत की जनता का समर्थन प्राप्त हुआ, फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार अपार जन समर्थन वाले लोकप्रिय गांधी से घबराने लगी। मंगल काल पुरुष का बल है और अपने पक्के घर में बलवान है। बल के अंतर्गत प्रभाव व प्रराक्रम भी आ जाता है फलतः बली मंगल व्यक्ति के व्यक्तिगत, सामाजिक व राजनैतिक प्रभाव को बढ़ाता है। इनका मंगल योगकारक शनि व गुरु अधिष्ठित राशि का स्वामी होकर लग्नेश व भाग्येश से युक्त तथा पराक्रमेश गुरु से दृष्ट है। इनकी कुंडली में कई राज योग हैं जैसे श्री योग, छत्र योग, मालव्य योग, गजकेसरी योग आदि।

श्री योग-यदि द्वितीयेश व भाग्येश केंद्रों में हो तथा इन केंद्रों के स्वामियों पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति सुयोग्य मंत्री, राजा से से प्रतिष्ठित शत्रुओं पर विजय पाने वाला तथा अनेक देशों का मालिक होता है। गांधी जी का छत्र योग पूर्णतया फलीभूत हुआ और राष्ट्रपिता बन गए। सभी केंद्रों में ग्रह होने कारण तथा दशमेश चंद्र के दशमस्थ होने से तथा बली गजकेसरी योग, बलीे गुरु, शुक्र व बुध के कारण इन्हें अक्षय कीर्ति की प्राप्ति हुई। लग्न व लग्नेश के पापकर्तरी में होने से तथा चंद्रमा के राहू से युक्त होने के कारण इनकी कुंडली में जेल योग बन रहा है फलतः इन्हें बार-बार जेल जाना पड़ा। सप्तम भाव में गुरु की स्थिति तथा सप्तमेश पर गुरु व बुध आदि सभी शुभ ग्रहों का प्रभाव होने के परिणामस्वरूप इनकी पत्नी उच्च विचारों वाली, सुसंस्कृत, महिला थीं। द्वितीयेश मंगल का शुभ ग्रहों से युक्त और दृष्ट होना इनके सत्यवादी होने की और संकेत करता है। मंगल पर केवल शुभ ग्रहों का प्रभाव होना इन्हें पराक्रमी तो बनाता है लेकिन इन्होंने अपनी लड़ाई में अपना सबसे बड़ा शस्त्र अहिंसा को बनाया। मंगल लड़ाई का कारक है और इसके बली होने से लड़ाई में विजय प्राप्त होती है। यही कारण है कि इनका अहिंसा का उपदेश प्रभावशाली शस्त्र सिद्ध हुआ। गांधी जी का भारत में राजनैतिक जीवन आरंभ होते ही इसी मंगल की दशा आरंभ हो गई थी। गांधी जी की मंगल की दशा 1915 से 1922 तक चलती रही।

सन 1921 में जन्मकुंडली के सूर्य पर गोचरीय गुरु व शनि का संयुक्त प्रभाव होने पर गांधी जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। 1922 से 1940 तक राहु की महादशा में गांधी जी का वर्चस्व राजनैतिक गलियारों में क्रांतिकारी रूप लेने लगा तथा गांधी जी विश्व विखयात हो गए और विश्व के इतिहास में यह समय गांधी युग के नाम से जाना जाने लगा। राहु राजनीति का कारक ग्रह माना जाता है। जिस कुंडली में उत्तम ग्रह योग हों जैसे श्रीयोग, छत्र योग, मालव्य योग, चतुः सागर योग, गजकेसरी योग तथा शुक्र बुध लग्न में हों, गुरु केंद्र में हों तो ऐसी स्थिति में दशम भाव में स्थित श्रेष्ठ राहु की महादशा राजनैतिक क्षेत्र में सफलता के लिए क्यों श्रेष्ठ नहीं होगी। दशमभाव से राज योग व कीर्ति का विचार किया जाता है। यदि कुंडली में श्रेष्ठ योग हों तो राज योगकारक ग्रह की दशा आने पर उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। यदि कुंडली कमजोर हो तो खराब दशा और खराब गोचर के चलते विनाश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लेकिन गांधी जी की कुंडली में लग्नेश केंद्र में हैं, शुभ ग्रह केंद्र में तथा श्रेष्ठ योग हैं इस कारण उत्तम ग्रह की दशा ने गांधी को उस युग में विश्व का महानतम व्यक्ति बना दिया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय गांधी जी की कुंडली में पराक्रमेश गुरु की महादशा चल रही थी जिसके कारण ब्रिटिश सरकार गांधी जी की लोकप्रियता और जनसमर्थन के कारण कमजोर पड़ गई और अंततः सन 1947 में राष्ट्र को आजादी मिल गई।



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