संतान प्राप्ति के तांत्रिक उपाय

संतान प्राप्ति के तांत्रिक उपाय  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 12883 | मई 2006

संतान प्राप्ति के तांत्रिक उपाय पं. सीतेश कुमार पंचैली/रामप्रवेश मिश्र ज के वैज्ञानिक युग में जहां विज्ञान संतानोत्पत्ति के लिए किराए की कोख व टेस्ट ट्यूब बेबी प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है वहीं प्राचीन भारतीय संस्कृति के यंत्र तंत्र मंत्र आज भी उतने ही कारगर हैं जितने कि पहले होते थे। उदाहरण के तौर पर राजा दशरथ भी संतानहीन थे परंतु पुत्रेष्टि यज्ञ के फलस्वरूप उन्हें चार-चार पुत्र प्राप्त हुए थे। 

एकांती देवी का अनुष्ठान: इसका अनुष्ठान संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। शास्त्रानुसार यह सिद्ध मंत्र है, इसका कोई ध्यान या न्यास नहीं है। वंध्या स्त्री कोई भी संतानप्रद औषधि लेने से पहले इस मंत्र का स्मरण करे तो उत्तम रहता है। मात्र 10,000 जप करने से जप संपन्न हो जाता है। मंत्र: ऊँ ह्रीं फैं एकांती देवतायै नमः। देवी के मनोरम स्वरूप का ध्यान कर सामने कोई भी प्रतीक रखकर पूजन कर लें जैसे खड्ग। प्रतीक में यह मंत्र किसी दीवार को धो पोंछकर उस पर सिंदूर से भी लिखा जा सकता है या भोजपत्र पर भी लिखा जा सकता है।

इसी मंत्र की पूजा, धूप, दीप, प्रसाद, पुष्प, गंध अर्पित कर मन से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करके जप कर लेना चाहिए। आसन लाल कंबल या कुशा का रहे। गृहस्थ व्यक्ति को कठोर जैसे कुशा का आसन नहीं बिछाना चाहिए। ऐसे आसन के ऊपर कोई नरम आसन बिछाकर बैठना चाहिए। कंबल हो या साटन, काले या नीले रंग का नहीं हो, लाल, पीला या सफेद रंग का हो सकता है।

अन्य प्रयोग मंत्र: ऊँ ह्रां ह्रीं हू्रं पुत्रं कुरु कुरु स्वाहा। इस षोडशाक्षर मंत्र का ध्यान, न्यास आदि नहीं है। वसंत ऋतु से प्रारंभ करके दस हजार जप आम के वृक्ष पर चढ़कर करें। मंत्र जप से पहले स्नान, नित्यकर्मादि कर लेने चाहिए। यह प्रयोग करने के दो माह या दो ऋतुकाल होने पर भी गर्भस्थिति न हो तो फिर से करना चाहिए।

मृतवत्सा यंत्र: यह यंत्र रवि-पुष्य, गुरु-पुष्य, सर्वार्थसिद्धि अमृतसिद्धि योगों में अनार की कलम से गोरोचन से भोजपत्र पर लिखकर गुग्गुल की धूनी देकर स्त्री गर्भवती स्थिति में या वैसे ही गले में धारण कर लें। यह यंत्र सोने, चांदी या तांबे के ताबीज में रखकर पहना जा सकता है। लिखने के बाद इसे कुछ समय तक एकाग्र मन से श्रद्धा भक्ति पूर्वक देखते रहना चाहिए। यंत्र इस प्रकार है।

वंध्या निवारक यंत्र को धारण करने से स्त्री गर्भवती होती है इस यंत्र को अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से भोज पत्र पर किसी शुभ मुहूर्त में पवित्रतापूर्वक अत्यंत धैर्य से 108 बार लिखें। इनकी पंचोपचार पूजा करें। और पुत्र की कामना कर अपने इष्ट देव के इष्ट मंत्र की एक माला जप करें। यह क्रम लगातार 30 दिन अर्थात एक माह तक चलता रहे। पहला दिन पहला यंत्र लिख कर एक विशेष प्रकार से रखें जिससे उसकी पहचान हो जाए। इस तरह 3241 यंत्र तैयार हो जाएंगे। अंतिम दिन सभी यंत्रों की पूजा करें। इष्ट मंत्र का 3240 बार जप करें। 3240 मंत्र हवन करें। 324 मंत्र तर्पण करें। 3 मंत्र मार्जन करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं तथा दक्षिणा देकर संतुष्ट करें।

उसके बाद पहले दिन यंत्र को तांबे के यंत्र या लाल वस्त्र में लपेट कर गले में धारण करें। यंत्र इस प्रकार लगा रहे कि गर्भाशय से स्पर्श करता हो। शेष 3240 यंत्र आटे में गूंध कर गोलियां बना लें और उन्हें जल में विसर्जन कर दें। यदि जलाशय नहीं हो तो पीपल के जड़ में रख दें। अगर किसी स्त्री का गर्भपात हो जाता हो तो यंत्र 2 को धारण करें। किसी रवि-मूल योग में इस यंत्र को अष्टगंध की स्याही और अनार की कलम से भोजपत्र पर लिखें।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.