बड़ी उम्र का सफल प्रेम

बड़ी उम्र का सफल प्रेम  

आभा बंसल
व्यूस : 9529 | आगस्त 2010

कुछ लोगों की जन्मपत्रियों में आजन्म सुखी रहने के योग होते हैं। ऐसी ही जन्मपत्रियां हैं सुशांत और रितिका की। सुशांत की कुंडली में लग्नेश और शुक्र का स्थान परिवर्तन योग है। ऐसे योग वाले जातक का विवाह समाज में चर्चा का विषय बन जाता है। पंचमेश, लग्नेश व सप्तमेश का उच्चराशिस्थ शुक्र के साथ योग सफल प्रेम संबंध के लिए श्रेष्ठ सिद्ध हुआ। रितिका जी आज शाम को जब से घूम कर आई थी, अपने कमरे में ही बैठी थी और काफी अनमनी लग रही थी। उन्होंने चाय के लिए भी मना कर दिया क्योंकि शायद वे अपनी यादों में ही रहना चाहती थी। आज शाम को घूमते हुए उनके स्वर्गवासी पति के दोस्त सुशांत ने अचानक उनके सामने एक साथ जीवन व्यतीत करने का प्रस्ताव जो रख दिया था।

वे कुछ सोच ही नहीं पाई और सुशांत द्वारा अत्यंत सहज भाव से किए गए निमंत्रण को ठुकरा भी नहीं पाई। सुशांत उन्हें शांति से सोच विचार कर निर्णय लेने के लिए कह कर चले गए। रितिका अपनी जिंदगी की सुनहरी यादों में खो गई, उसका विवाह छोटी उम्र में ही डाॅक्टर विश्वास से हो गया था। दोनों बहुत खुश थे और उनका जीवन बहुत ही खुशगवारं गुजरा। समय से दो बेटियों ने जन्म लिया जिन्हें अच्छे संस्कार व उच्च शिक्षा देकर उनका संपन्न घरानों में विवाह भी कर दिया था। रितिका और विश्वास जी बहुत अच्छी जिंदगी जी रहे थे मानो वे दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे।

लेकिन अचानक विश्वास जी को गुर्दे की बिमारी ने धर दबोचा और देखते ही देखते दो तीन वर्षों में इलाज के बावजूद वह उन्हें बचा नहीं पाई। ऐसे में उनके पति के दोस्त सुशांत ने बहुत मदद की और चूंकि दोनों बेटियां विदेश में थी, सुशांत जी को सहयोग ही उनके लिए बड़ा संबल था। सुशांत जी को भी दो बेटे और एक बेटी थी जिनका विवाह हो चुका था तथा वे सब भी अच्छी जिंदगी बसर कर रहे थे। उनकी पत्नी का देहांत कुछ वर्ष पहले ही हुआ था। अब दोनों ही एक दूसरे की मदद और खाली समय को नये अर्थ देने लगे थे। सुशांत जी के सहयोग से रितिका को सारे काम बहुत आसान लगते और वह कोई भी घरेलू अथवा अन्य परेशानी होने पर निसंकोच होकर उन्हें कह डालती। उसकी बेटियां भी इस बात से बहुत खुश व संतुष्ट थी कि फिलहाल मम्मी की देखभाल अंकल कर रहे हैं।

लेकिन आज जब अचानक सुशांत जी ने उसके सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखा तो उसे इस अधेड़ उम्र में विवाह के बारे में सोचना बहुत अजीब लगा। लोग क्या कहेंगे? बेटियां व उनके ससुराल वाले क्या कहेंगे? कितनी जग हंसाई होगी? यही सोच कर वह बहुत गुमसुम हुई जा रही थी। वह सुशांत जी की दोस्ती की कायल थी। वह हर तरह से उनकी निःस्वार्थ सेवा व मदद की प्रशंसा करती थी। इसलिए उनके विवाह प्रस्ताव को स्वीकृति देने में अपने को असमर्थ जान रही थी। उसी समय विदेश से उसकी छोटी बेटी का फोन आ गया और उसकी आवाज से उसकी परेशानी भांप कर बेटी ने जब कुरेद कुरेद कर पूछा तो वह चुप न रह सकी और उन्होंने अपनी बेटी को सुशांत जी की मंशा के बारे में बता दिया।

उसे लगा था कि शायद दिव्या उसका मजाक बनाएगी पर वह तो सुन कर बहुत खुश हो गई और कहने लगी कि यह तो बहुत अच्छी बात बन जाएगी, आप दोनों को एक दूसरे की जरूरत है और हम लोग तो इतनी दूर है। हमें बहुत खुशी होगी कि हम जब भारत आएंगे तो आप दोनों के साथ रहना होगा। उसने तुरंत अपनी बड़ी बहन को फोन पर विश्वास में लिया। दोनों ने रितिका को अपना फैसला लेने को मजबूर कर दिया। दोनों ही सुशांत अंकल से बहुत अच्छी तरह से प्रभावित थी और उन्हें विश्वास था कि वे दोनों एक दूसरे के अकेलेपन के सबसे अच्छे साथी बन सकते हैं। रितिका के मन को बहुत चैन मिला और उन्हें लगा कि अब सारे बादल छंट चुके हैं और अब उन्हें और कुछ नहीं सोचना चाहिए।

उन्हें विश्वास था कि उनके पति की आत्मा भी उनके इस फैसले से बहुत खुश होगी क्योंकि वे सदा ही रितिका को प्रसन्न रखना चाहते थे। रितिका कमरा खोल कर बाहर आ गई और सुशांत जी को भी फोन कर उन्हें डिनर पर आमंत्रित कर लिया। आइये करें सुषांत और रितिका की कुंडलियों का अवलोकन। ऐसे कौन से ग्रह हैं जिनके कारण सुषांत इतने ंवयोवृद्ध होकर भी अभी जवान दिखते हैं और उन्हें देखकर कोई उनकी उम्र का अंदाजा ही नहीं लगा सकता। सुषांत की जन्मकुंडली के अनुसार, लग्न, सूर्य लग्न और चंद्र लग्न एक है। सूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र सभी लग्न में स्थित होकर अत्यंत बलवान हैं। गुरु और शुक्र का परिवर्तन योग है। इसलिए सुशांत का चेहरा आकर्षक व सुंदर होना स्वाभाविक है। सूर्य और चंद्र की युति से शारीरिक तेजस्विता तथा हंसमुंख प्रवृत्ति का होना भी स्वाभाविक है।

सुशांतजी का जन्म मीन लग्न में पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में हुआ और जन्म के समय गुरु की महादशा और शनि व बुध की महादशा भी काफी अच्छी गई होगी। केतु की महादशा कुछ प्रतिकूल जा सकती है पर शुक्र की महादशा बहुत अच्छी रही होगी। शुक्र अपनी उच्च राशि में बैठे हैं। अर्थात् यह दशा अत्यंत शुभ रही होगी। वर्तमान समय में चंद्र की महादशा में केतु की अंतर्दशा में (जून 2009 से जनवरी 2010) मध्य पत्नी का वियोग हो गया। चंद्र की महादशा व शुक्र की अंतर्दशा में जनवरी 2010 से सितंबर 2011 मंे विवाह होने का योग बन रहा है। क्योंकि शुक्र उच्च होकर चंद्र के साथ है और नवांश में शुक्र वर्गोत्तम है और सप्तमेश मंगल पंचम भाव में है इसलिए यह प्रेम विवाह हो सकता है। रितिका की जन्मकुंडली भी बहुत बलवान है उनके दशम भाव में चंद्र सूर्य और बुध स्थित है।

नवमेश मंगल और दशमेश शुक्र की नवम भाव में युति है। इसलिए वे विदेश में एक बड़े पद पर कार्य करती रही। इनकी कुंडली में धनेश बुध दशम भाव में, धन कारक ग्रह गुरु चलित चक्र में धन स्थान में है। इन्हें अपने जीवन में अत्यंत मान सम्मान के साथ-साथ प्रचुर धन की प्राप्ति भी हुई। लग्न में बृहस्पति की स्थिति ने इन्हें तीक्ष्ण बुद्धि, अंतज्र्ञान शक्ति व सौंदर्य का विशेष लाभ दिया। बचपन भी अच्छा बीता होगा क्योंकि इनका जन्म चंद्र की महादशा में हुआ था और चंद्र कुंडली में उच्च के हैं। उसके बाद मंगल भाग्येश की दशा भी उत्तम रही होगी। शनि राहु एकादश स्थान में अत्यंत शुभ स्थिति में है। गुरु लग्न में है अर्थात सभी दशाएं अच्छी रही है। वर्तमान समय में शनि की महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही है। राहु गोचर में चंद्रमा से अष्टम स्थान में है। इसी समय इनके पति का स्वर्गवास हुआ।

सुशांत जी के साथ रितिका का संबंध अच्छा ही रहेगा, क्योंकि दोनों के चंद्रमा एक दूसरे से तृतीय एकादश होना बहुत शुभ होता है। इसी कारण इनके आपस में मधुर संबंध बन रहे हैं। आयु कारक ग्रह शनि पूर्ण आयु प्रदान करेंगे और सुशांत जी को भी दीर्घायु योग प्राप्त हो रहा है। अतः इन दोनों का मिलान इनकी परिस्थितियों के अनुसार अत्यंत उत्तम है तथा दोनों की संतान भी इस रिश्ते को स्वीकार कर दोनों का मानसिक संबल ही बढ़ाएगी। कुछ लोगों की जन्मपत्रियों में आजन्म सुखी रहने के योग होते हैं। ऐसी ही जन्मपत्रियां हैं इन दोनों की। सुशांत की कुंडली में लग्नेश और शुक्र का स्थान परिवर्तन योग है।

ऐसे योग वाले जातक का विवाह देश और समाज के लिए विशेष चर्चा का विषय बन जाता है। सुशांत की कुंडली में प्रेम का कारक शुक्र भी उच्चराशिस्थ है। लग्न पर शुभ ग्रहों के प्रभाव को अपने पक्के घर में स्थित सूर्य ने और बढ़ाया जिस कारण वे अब भी आकर्षक और पूर्ण स्वस्थ लगते हैं। पंचमेश, लग्नेश व सप्तमेश का उच्चराशिस्थ शुक्र के साथ योग सफल प्रेम संबंध के लिए श्रेष्ठ सिद्ध हुआ। रितिका की कुंडली में भी शुभ भाव में मंगल शुक्र की युति तथा लग्नेश, लग्न भाव व लग्न के कारक की श्रेष्ठ स्थिति इनके आकर्षण, उत्तम स्वास्थ्य तथा स्थिर यौवन का कारण बनी।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.