भारत की शान - सुपर सिंधु
भारत की शान - सुपर सिंधु

भारत की शान - सुपर सिंधु  

आभा बंसल
व्यूस : 4639 | अकतूबर 2016

रियो ओलंपिक में बैडमिंटन प्लेयर पी. वी. सिंधु की शानदार कामयाबी से हर कोई रोमांचित हो रहा है। अपने धमाकेदार प्रदर्शन से सिल्वर मेडल जीत कर इतिहास रचने वाली सिंधु और उसके कोच पी. गोपीचन्द पर बधाइयां और पुरस्कारों की बरसात हो रही है। अब हर कोई अपने बच्चे को पी. वी. सिंधु बनाना चाहता है। इसीलिए हाल ही में पी. गोपीचन्द द्वारा ग्रेटर नोयडा में खोली गई बैडमिंटन अकैदमी में एडमिशन के लिए हजारांे एन्क्वायरी आ चुकी है। सिंधु के माता-पिता विजया और पी. वी. रमन्ना दोनों वाॅलीबाॅल के प्लेयर्स रहे हैं। उसके पिता पी. वीरमन्ना को भी वाॅलीबाॅल खेल में उल्लेखनीय योगदान हेतु वर्ष 2000 में भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। सबको लगता था कि सिंधु भी इसी गेम को चुनेगी पर सिंधु ने 2001 के आॅल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचन्द से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना करियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया।

सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की दुनियावी बातों को सीखा और इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के गोपीचंद बैडमिंटन अकैदमी में शामिल हो गईं। खेल के लिए सिंधु की प्रतिबद्धता का आलम यह था कि वे अपने घर से 56 किमी. दूर गोपीचंद बैडमिंटन अकैदमी में ट्रेनिंग के लिए कभी लेट नहीं पहुंचीं। जल्द ही गेम को लेकर सिंधु के रवैये से गोपी प्रभावित होने लगे और कहते पाए गए ‘‘उसके गेम की सबसे अच्छी बात उसका एट्टीट्यूड और कभी न झुकने वाली स्पिरिट है। सिंधु ने पिछले 12 साल में एक दिन भी ट्रेनिंग मिस नहीं की। उनके पापा रमन्ना के अनुसार, जब वह छोटी थी तब उन्हें भी उसके साथ सिकंदराबाद से चलकर हैदराबाद स्थित अकैदमी तक आना पड़ता था। अगर एक भी दिन उसे नहीं ले जाते थे तो वह रो-रो कर बुरा हाल कर लेती थी।


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2012 में साइना को ओलंपिक्स ब्राॅन्ज जीतते देखने वाली सिंधु ने अगले ही साल अपना पहला सीनियर इंटरनेशनल टाईटल मलेशियन ओपन जीता। सिंधु मलेशियन ओपन के बाद मकाऊ ओपन और वल्र्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीतने वाली पहली इंडियन शटलर है। इसी साल सिर्फ 18 साल की उम्र में सिंधु को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। महज 20 साल की उम्र में साल 2015 मंे पद्मश्री सम्मान प्राप्त करने वाली सिंधु सबसे कम उम्र की पद्मश्री हंै। मेहनती, कभी न थकने वाली सिंधु के लिए बैडमिंटन से बढ़कर कुछ नहीं है। गेम से पहले अपना फोन भी खुद से दूर रखती हंै और ओलंपिक्स शुरू होने के बाद से सिंधु ने सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली थी। यह वास्तव में सिंधु का अपने खेल के प्रति पूर्ण समर्पण ही था जिसने उसके आत्मविश्वास को बढ़ाए रखा और उसके खेल में इतनी जुनूनियत भर दी कि सिंधु ने रजत पदक प्राप्त कर भारत को गौरवान्वित कर दिया।

ज्योतिषीय विश्लेषण आइये देखें क्या कहते हैं पी. वीसिंधु के सितारे जिन्होंने उसे आज के आसमान का सबसे अधिक रोशन सितारा बना दिया है। सिंधु की जन्म राशि व जन्म लग्न कन्या राशि के होने से ये सौम्य स्वभाव की हैं। इनका जन्म लग्नेश बुध ग्रह त्रिकोण में मित्र राशि में स्थित है। लग्न में शुभ ग्रह चंद्रमा बैठे हैं और लग्नेश बुध की तृतीय भाव में स्थित गुरु पर दृष्टि है। सिंधु में गजब का आत्मविश्वास है तथा ये परिश्रमी होने के साथ-साथ सकारात्मक तथा लक्ष्य के प्रति गिद्ध दृष्टि रखने वाली हैं। इनके सभी शुभ ग्रह इन्हें कुछ अलग मुकाम हासिल करने की प्रेरणा देते हैं। सिंधु की कुंडली में अनेक शुभ एवं महत्वपूर्ण योग विद्यमान हैं। अमला योग: कुंडली में लग्न अथवा चंद्र से दशम भाव में शुभ ग्रह हों तो यह योग बनता है। सिंधु की कुंडली में लग्न व चंद्र दोनों से दशम भाव में शुक्र स्थित है। इसी योग के कारण इन्हें विशेष यश और धन की प्राप्ति हुई है।

वोशि योग: बृहत्पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार यदि चंद्रमा को छोड़कर सूर्य से बारहवें भाव में कोई ग्रह हो तो यह योग बनता है। इनकी कुंडली में सूर्य से बारहवें स्थान में बुध ग्रह स्थित होने से यह योग बन रहा है। इसी योग के अनुसार सिंधु ने अपने कार्य क्षेत्र में दक्षता प्राप्त की और अपने बल, मेहनत, विद्या, बुद्धि के मेल से खेल जगत के द्वारा पूरे संसार में नाम कमाया। सरल योग: यदि अष्टमेश या अष्टम भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि या स्थिति हो तथा अष्टमेश 6, 8, 12 भाव में स्थित हो तो सरल योग बनता है। सिंधु की कुंडली में अष्टम भाव में केतु स्थित है तथा राहु की भी दृष्टि है एवं अष्टमेश मंगल बारहवें भाव में स्थित है जिससे यह योग पूर्ण रूप से बन रहा है। इस योग के कारण इन्होंने अपने दृढ़ निश्चय व अथक परिश्रम से ओलंपिक में रजत पदक प्राप्त कर बहुत बड़ी सफलता हासिल की। दुरधरा योग: चंद्रमा के दोनों ओर ग्रह हो तो यह योग बनता है।

सिंधु की कुंडली में चंद्रमा के दोनों ओर राहु और मंगल ग्रह स्थित हंै जिससे यह शुभ योग बन रहा है जिसके कारण सिंधु को उच्च प्रतिष्ठा, ख्याति के साथ-साथ विशेष धन की प्राप्ति भी हुई है। सिंधु की कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी गुरु पराक्रम भाव में मित्र राशि में स्थित है तथा दशमेश बुध भाग्य भाव में स्थित है। दोनों ग्रह बुध और बृहस्पति परस्पर एक-दूसरे को देख रहे हैं तथा मातृ कारक ग्रह चंद्र एवं पितृ कारक ग्रह सूर्य दोनों ही केंद्र में बलवान स्थिति में होने से इन्हें अपने माता-पिता दोनों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ जिसका परिणाम आज सबके सामने है। पंचमेश शनि भी शुभ ग्रह की राशि में केंद्र में स्थित है। दो शुभ ग्रहों (बृहस्पति तथा चंद्र) की पंचमेश शनि पर पूर्ण दृष्टि होने से सिंधु अपनी शिक्षा तथा दीक्षा दोनों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थीं और उन्हें गोपीचंद जैसे उत्तम शिक्षक भी मिले।


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पराक्रमेश मंगल की पराक्रम भाव पर दृष्टि तथा कर्मेश बुध की भी पराक्रम भाव पर दृष्टि होने से सिंधु का खेलों के प्रति रूझान बचपन से ही था और उन्हें अपने उद्देश्य में सफलता भी मिली। सिंधु की कुंडली के तीसरे घर में प्लूटो भी है जो वृश्चिक राशि में स्थित है जिसने सिंधु के खेल में गजब की शक्ति प्रदान की है। वर्तमान समय में इनकी राहु की महादशा चल रही है। राहु ग्रह अत्यंत शुभ स्थिति में है। राहु भाग्येश तथा मित्र ग्रह शुक्र की राशि में स्थित है। राहु के दोनों ओर बृहस्पति और चंद्रमा होने से एक विशेष शुभ कर्तरी योग बन रहा है जिससे राहु विशेष शुभ फलदायक हो गये हैं। आजकल राहु में शनि की अंतर्दशा भी चल रही है। शनि कुंडली में योग कारक होने के साथ गोचर में बलवान स्थिति में, पराक्रम भाव में पराक्रम के कारक मंगल के साथ स्थित है जिसके प्रभाव से इन्हें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई।

2016 रियो समर ओलंपिक्स के लिए सिंधु के पुरस्कार

1. 1.01 लाख सलमान खान की ओर से रियो में प्रतियोगी के तौर पर क्वालिफाई करने के लिए।

2. 5 करोड़ और जमीन तेलंगाना सरकार की ओर से।

3. 3 करोड़ और ग्रुप ए कैडर की नौकरी और 1000 वर्ग गज जमीन आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से।

4. 2 करोड़ दिल्ली सरकार की ओर से।

5. 75 लाख इनके एम्प्लाॅयर भारत पेट्रोलियम काॅरपोरेशन की ओर से साथ ही असिस्टेंट से डिप्टी स्पोटर््स मैनेजर के पद पर प्रमोशन।

6. 50 लाख हरियाणा सरकार की ओर से।

7. 50 लाख मध्य प्रदेश सरकार की ओर से।

8. 50 लाख युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से।

9. 50 लाख भारतीय बैडमिंटन समिति की ओर से।

10. 30 लाख भारतीय ओलम्पिक समिति की ओर से।

11. 5 लाख अखिल भारतीय फुटबाल संघ की ओर से।

12. बीएम डब्ल्यू कार हैदराबाद जिला बैडमिंटन समिति की ओर से जिसे सचिन तेंदुलकर ने भेंट किया।

13. कमांडेंट का पद सी. आर. पी. एफ. की ओर से।

14. महाराजा एक्सप्रेस ट्रेन में मुफ्त ट्रिप का आॅफर भारतीय रेलवे की ओर से।

पी. वी. सिंधु के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1. पी. वी. सिंधु पहली भारतीय महिला है जिसने ओलंपिक खेलों में रजत पदक लिया है।

2. पी वी. सिंधु ओलंपिक खेलों में कोई भी पदक लेने वाली पांचवीं महिला हंै।

3. 10 अगस्त 2013 को सिंधु 2013 विश्व चैंपियनशिप में बैडमिंटन महिला एकल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई।


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4. 30 मार्च 2015 को उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया।

5. 18 अगस्त 2016 को ओलंपिक बैडमिंटन फाइनल में पहुंचने वाली प्रथम महिला बनी।

6. ओलंपिक बैडमिंटन में इनसे पहले साइना नेहवाल ने लंदन 2012 खेलों में कांस्य पदक जीत लिया था। लेकिन रजत पदक तो सिंधु ने ही पहली बार जीता है भारत के लिए।

7. पी. वी. सिंधु की सबसे अधिक चर्चा तब हुई जब उन्होंने 19 अगस्त 2016 को भारत के लिए रियो 2016 ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन महिला एकल प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया।



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