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कालसर्प योग एवं उनके उपाय (1 व्यूस)

जब राहु और केतु के एक ही तरफ सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग कहलाता है। जब राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह हों और कोई भी भाव खाली न हो तो पूर्ण कालसर्प योग कहा जाता है। जब राहु और केतु की गिरफ्त से एक ग्रह बाहर होता है तो आंशिक कालसर्प योग कहलाता है। जब दो ग्रह बाहर हो जाते हैं तो कालसर्प योग खत्म हो जाता है। राहु और केतु की गिरफ्त में आने से बाकी ग्रह अपना पूरा प्रभाव देने में असमर्थ हो जाते हैं, फलस्वरूप जातक भाग्य के हाथों का खिलौना बनकर रह जाता है। उसे अपने कर्मों का फल नहीं मिल पाता। पूर्व जन्म के कर्मों का फल भोगते हुए पांच प्रकार के दुर्भाग्य उसे घेरे रहते हैं।


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