वास्तु और अंक ज्योतिष

वास्तु और अंक ज्योतिष  

व्यूस : 10532 | दिसम्बर 2008
वास्तु और अंक ज्योतिष अंक ज्योतिष का वास्तु में बहुत महत्व है। वास्तु प्राप्ति के लिए व्यक्ति का प्रथम प्रश्न होता है कि किस नम्बर का मकान या दुकान मेरे लिए शुभ रहेगा ? अंको की शक्ति को नकारा नहीं जा सकता। अंक ज्योतिष में अंकों द्वारा किसी भी व्यक्ति, घटना व देशों पर पड़ने वाले प्रभाव का विवेचन किया जाता है। जब किसी व्यक्ति पर अंकों का प्रभाव देखना हो तो उसकी जन्म तारीख से उसका मूलांक और भाग्यांक निकाला जाता है। यदि जन्म तारीख का ज्ञान न हो तो नामांक द्वारा भी भविष्य कथन किया जाता है। ऐसा देखा जाता है कि किसी व्यक्ति विशेष की महत्वपूर्ण घटनाएँ किसी विशेष अंक से अधिक सम्बन्धित होती हैं। अपने जीवन में घटने वाली शुभ व अशुभ घटनाओं का विवेचन करने पर आप पाएंगे कि किन्हीं विशिष्ट अंकों के इर्द-गिर्द ही कुछ विशिष्ट घटनाएँ होती हैं। अंक 0ः शून्य से ही शब्द और अंक का प्रादुर्भाव होता है। शून्य निराकार ब्रह्म या अनन्त का प्रतीक है। विश्व को शून्य का ज्ञान भारत ने ही दिया। शून्य से प्रारम्भ होकर एक से नौ तक के अंक अंत में दस आने पर शून्य में ही विलीन हो जाते हैं। शून्य विशाल और अनन्त आकाश का भी प्रतिनिधित्व करता है। वास्तु में आकाश तत्व के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। अंक 1ः अंक एक साकार ब्रह्म का प्रतीक है। इस सृष्टि को चलाने के लिए एक शक्ति है। उस शक्ति को पुकारने के लिए नाम अनेक हैं। कोई ईश्वर कहता है, कोई अल्लाह कहता है, कोई एक ओंकार कहता है। अंक 1 को सूर्य से जोड़ा जाता है। सूर्य के इर्द गिर्द ही सभी ग्रह, नक्षत्र, पृथ्वी व तारे चक्कर लगाते हंै। सबसे अधिक प्रकाशवान ग्रह सूर्य ही है। अंक 1 के ग्रह सूर्य का आत्मा से सम्बन्ध है। भाग्यांक या मूलांक एक से प्रभावित व्यक्ति स्थिर विचारधारा वाले होते हैं। इनके निश्चय, इच्छा शक्ति, संबंध व मित्रता स्थायी होते हंै। मानसिक स्थिति स्वतन्त्र विचारधारा की होने से किसी के अधीन रहकर कार्य करने में असुविधा महसूस करते हैं। दूसरों का उपकार करने में तत्पर रहते हैं। अपनी लगन और मेहनत से समाज में मुखिया का पद प्राप्त करते हैं। ये चतुर, बलवान, बुद्धिमान, राजसी ठाटबाट को पसन्द करने वाले स्पष्ट वक्ता होते हैं, सत्य के मार्ग पर चलने वाले व स्वाभिमानी होते हैं। इनके लिए ऐसे राष्ट्र, प्रदेश, ग्राम, मकान या फ्लैट में निवास करना शुभ रहेगा जिसका मूलांक या नामांक एक हो। पूर्व दिशा इनके लिए हमेशा शुभ रहेगी। पूर्व दिशा के मकान, पूर्व दिशा की बैठक व पूर्वी स्थानों में व्यापार करना शुभ रहेगा। सूर्य जब मेष और सिंह राशि में हो उस अवधि में ये लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं। 1 अंक वालांे के लिए शुभ रहते हैं। 1, 10 और 19 तारीखें महत्वपूर्ण रहेंगी। अंक 2ः अंक 2 का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है। जिस प्रकार चन्द्रमा 15 दिन घटता है और 15 दिन बढ़ता है, उसी प्रकार अंक 2 से प्रभावित व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं। कभी तरक्की करते हंै तो कभी अवनति। प्रत्येक वस्तु को 2 पहलुओं से देखना चन्द्रमा सिखाता है। मिलन-वियोग, लाभ-हानि, जन्म-मृत्यु, यश-अपयश, आत्मा-परमात्मा का भेद बताने बाला अंक 2 ही है। अंक 2 से प्रभावित व्यक्ति कल्पनाशील, कलाप्रिय एवं स्नेहशील स्वभाव के होते हैं। शारीरिक शक्ति बहुत अच्छी नहीं होती, लेकिन बुद्धिचातुर्य काफी अच्छा होगा, लेकिन एक विचार पर दृढ़ नहीं रह पाते। अपनी योजनाओं में बदलाव लाते रहते हैं। आत्मविश्वास की कमी के कारण कभी-कभी निराशा का सामना करना पड़ता है। जनता के मध्य लोकप्रिय रहंेगे, लेकिन इनका प्रभाव घटता-बढ़ता रहेगा। किसी भी देश, शहर या भवन के वायव्य कोण में रहना इनको रुचिकर लगता है। अंक 2 वाले मकान, महीने की 2, 11, 20 व 29 तारीखें महत्वपूर्ण रहेंगी। अंक 3ः अंक का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। देवताओं के गुरु बृहस्पति ज्ञान और विद्या को देने वाले हैं। अंक 3 त्रिदेव-ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतिनिधित्व करने वाला है। धरती-आकाश-पाताल के तीन लोक स्वर्ग, मृत्यु और पाताल लोक अंक 3 की सत्ता को दर्शाते हैं। तीन गुण- सत्, चित् व आनन्द तथा तीन अवगुण- लोभ, मोह व अहंकार हैं। 84 (8 $ 4 = 12 = 3) लाख योनियाँ व 84 प्रकार के रत्न अंक तीन का बोध कराते हैं। अंक 3 से प्रभावित व्यक्ति अनुशासन के मामले में काफी कठोर होते हैं। इस कारण कभी-कभी इनके नीचे काम करने वाले इन से शत्रुता करने लगते हैं। ये महत्वाकांक्षी होते हैं और धार्मिक प्रवृति के, विद्या अध्ययन, अध्यापन तथा बौद्धिक स्तर के कार्य करके अच्छी उपलब्धियाँ एवं ख्याति प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग मानसिक रूप से काफी संतुलित एवं विकसित व्यक्ति होते हंै साथ ये दान-पुण्य के काम में तत्पर रहते हुए दूसरों को सच्ची सलाह देना अपना धर्म समझते हैं। स्वभाव से शान्त, कोमल, मृदुभाषी एवं सत्य वक्ता होते हंै। किसी भी शहर की ईशान कोण दिशा में रहना हमेशा शुभ रहता है। ऐसे लोगों को वैसे घर में रहना शुभ रहेगा जिसका मूलांक या नामांक 3 हो। इन्हें रोजगार भी ईशान कोण दिशा में ही करना चाहिए। हर महीने की 3, 12, 21 व 30 तारीखें इनके लिए महत्वपूर्ण रहती हैं। अंक 4ः अंक 4 के स्वामी ग्रह राहु व हर्षल को माना गया है। ब्रह्मा जी के चार मुख, चार वेद, चार वर्ण व चार युग अंक 4 की सत्ता को दर्शाते हैं। अंक 4 से प्रभावित व्यक्ति जीवन में सहसा एवं आश्चर्यजनक प्रगति करते हैं। इनके जीवन में असंभावित घटनाएँ भी घटती हैं। ऐसे व्यक्ति संघर्षशील, जमाने से आगे की सोचने वाले व पुरानी प्रथाओं व रीतियों के विरोधी होते हैं। धन संग्रह अधिक नहीं कर पाते। नाम व यश अधिक प्राप्त करते हैं, लेकिन यह ख्याति स्थिर नहीं रह पाती। कभी तो उच्चता के शिखर पर होती है और कभी मन्द। नये-नये परिवर्तनों व आविष्कारों द्वारा निरन्तर कार्य में लगे रह कर अपना नाम रोशन करते हैं। अंक 4 वाले मकान तथा महीने की 4, 13, 22 तारीखें महत्वपूर्ण रहती हैं। र्नैत्य दिशा इन्हें अधिक पसन्द आती है। अंक 5ः अंक 5 का स्वामी ग्रह बुध है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त पंचमहाभूत-अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश अंक 5 का प्रतिनिधित्व करते हैं। पंचांग के 5 अंग-तिथि, वार, नक्षत्र, करण व योग तथा व्यक्ति के पांच गुण धैर्य धर्म, सत्य, संतोष, दया और पांच अवगुण-काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार अंक 5 की सत्ता को दर्शाते हैं। 14 (1 $ 4 =5) भुवन व 68 (6 $ 8 = 14 = 5) तीर्थ अंक 5 की याद दिलाते हैं। पंज प्यारे व पंजवाणी भी अंक 5 के महत्व को दर्शाते हंै। अंक 5 से प्रभावित व्यक्ति चंचल स्वभाव के, वाकपटु, तर्कशील व नकलची होते हैं। ये जैसे वातावरण में बैठे हों अपने आपको उसी के अनुरूप ढाल लेते हैं। ये व्यक्ति नौकरी की अपेक्षा व्यापार, वाणिज्य, लेखा, शिल्प व चिकित्सा के कार्य करना पसन्द करते हैं। ये हर कार्य को जल्दी समाप्त करना चाहते हैं। जल्दबाजी के चक्कर में कभी-कभी इन्हें हानि का भी सामना करना पड़ता है। ये अधिकांशतः बुद्धि जनित कार्य में ही रुचि लेते हैं। रोजगार के क्षेत्र में नित नई स्कीमें बनाकर अपनी तरक्की का मार्ग प्रशस्त करते हैं। लेखन कार्य में भी इनकी रुचि होती है। धन संग्रह की ओर भी आकृष्ट रहते हैं। उत्तर दिशा इनके लिए शुभ रहती है। 5 अंक वाले मकान तथा महीने की 5, 14, 23 तारीखें महत्वपूर्ण रहती हैं। उत्तर दिशा में बैठ कर कार्य करना व शहर से उत्तर दिशा में व्यापार करना इनके लिए शुभ रहता है। अंक 6ः अंक 6 का स्वामी ग्रह शुक्र है, जो कि ऐश्वर्य व भोग विलास का प्रतीक है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त 6 ऋतुएं और षट रस व्यंजन अंक 6 की सत्ता को दर्शाते हैं। अंक 6 से प्रभावित व्यक्ति आर्कषक व्यक्तित्व वाले व मिलनसार होते हैं। सुन्दरता, सुन्दर वस्तुओं की ओर आकर्षित होना, विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित होना और उनसे बातचीत करना इनका स्वभाविक गुण है। संगीत, साहित्य, ललितकला, चित्रकला व काम कला का इन्हें विशेष ज्ञान होता है। सुन्दर वस्त्र धारण करना एवं सुसज्जित मकान में रहना इनको अच्छा लगता है। घर व आॅफिस में सभी वस्तुओं को सजावट के साथ रखना, सुरुचिपूर्ण फर्नीचर व परदे रखना इन्हें अच्छा लगता है। अतिथियों का आदर सत्कार करने में गर्व महसूस करते हैं। स्वभाव में थोड़ा हठीपन व ईष्र्या की भावना भी होती है। दूसरांे को अपना बना लेने की कला में पारंगत होते हैं। इनके मित्रों की संख्या अधिक होती है। घर और आफिस की साज सजावट में धन व्यय करते रहते हैं। अपनी शानो शौकत से दूसरों की नजर में हमेशा धनी व्यक्ति ही समझे जाते हैं। कला के क्षेत्र में अपना व्यवसाय चुनने से इन्हें सफलता मिलती है। शहर से अग्नि कोण दिशा में रहना व व्यापार करना इन्हें अच्छा लगता है। माह की 6, 15, 24 तारीखें महत्वपूर्ण रहती हैं। अपना आवास व व्यवसाय भी अंक 6 वाले भूखण्ड पर बनाना चाहते हैं। अंक 7ः अंक 7 का स्वामी ग्रह केतु व नेपच्यून है। इन्द्रधनुष के सात रंग, सप्त धान्य, सात सुर, सात समुद्र अंक 7 की सत्ता को दर्शाते हैं। अंक 7 से प्रभावित व्यक्ति विविध ललित कलाओं में रुचि लेने वाले, लेखन, साहित्य, काव्य रचना आदि कार्यो को करने वाले होते हैं। कल्पना शक्ति के धनी व यात्रा, पर्यटन व सैर सपाटा पर धन व्यय करने वाले होते हैं। इनको विदेशों से, जहाज, मोटर इत्यादि वाहनों से विशेष लाभ प्राप्त होता है। अतीन्द्रिय ज्ञान की अधिकता से ये दूसरों के मन की बात को जान जाते हैं। धन संग्रह अधिक नहीं कर पाते। भाग्योदय रुकावटों के साथ होता है। इनको ऐसा रोजगार पसन्द आता है जिसमें इन्हें दूर-दूर की यात्राएँ करके दूर के व्यक्तियों से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिले। इनका कार्य क्षेत्र यदा कदा परिवर्तित होता रहेगा। प्राचीन रीति रिवाजों पर आस्था कम रहती है। अपने विचारों द्वारा नयी परम्पराओं को स्थापित करते हैं। इनको ऐसा भवन जिसका मूलांक या नामांक 7 हो तथा वह र्नैत्य कोण दिशा में हो, शुभ रहता है। माह की 7, 16, 25 तारीखें महत्वपूर्ण रहती हैं। अंक 8ः अंक 8 का स्वामी ग्रह शनि है। वास्तु की आठों दिशाओं, अष्ट धातु व अष्ट सिद्धियों को दर्शाने वाला अंक आठ ही हैं। अंक 8 से प्रभावित व्यक्ति शनि की तरह धीरे-धीरे चलने वाले व धीरे-धीरे उन्नति करने वाले होते हैं। आलस्य इनका सबसे बड़ा शत्रु है। व्यवधानों और कठिनाइयों से जूझते हुए सफलता प्राप्त करना इनकी प्रकृति में रहता है। इनकी कार्य शैली को हर कोई समझ नहीं पाता। इससे इनके विरोधी भी उत्पन्न होते हैं। इनको कुछ लोग शुष्क व कठोर हृदय भी समझते हैं, जबकि अन्दर से ये काफी भावुक व दयालु होंगे। यह अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, जिससे इनको नाम, यश व कीर्ति मिलती है। इनके अन्दर त्याग की भावना अधिक रहती है और किसी कार्य में कितना ही श्रम, त्याग या बलिदान चाहिए, यह पीछे नहीं हटते। इनको सफलता देर से, लेकिन स्थायी तौर पर प्राप्त होती है। आलस्य और निराशा पर विजय प्राप्त करने से भाग्योदय होता है। पश्चिम दिशा में रहना व अंक 8 का मकान इनके लिए शुभ रहता है। माह की 8, 17, 26 तारीखें महत्वपूर्ण रहती हैं। अंक 9ः अंक 9 का स्वामी ग्रह मंगल है। पृथ्वी के नौ खण्ड और नौ निधियों का प्रतीक अंक 9 है। गीता के 18 (1 $ 8 = 9) अध्याय, 18 पुराण, माला के 108 (1 $ 0 $ 8 = 9) दाने, 18 पुराण और गीता के सम्मिलित 4, 07, 700 (4 $ 0 $ 7 $ 7 $ 0 $ 0 = 18 = 9) श्लोक अंक 9 की सत्ता को दर्शाते हैं। अंक 9 से प्रभावित व्यक्ति के अन्दर सेनापति, नायक व मुखिया बनने की चाह रहती है। इन व्यक्तियों के अन्दर अक्ष्म्य साहस व फुर्ती होने की वजह से जो भी कार्य हाथ में लेते हैं, वह शीघ्र पूरा कर लेते हैं। ये अनुशासन प्रिय व क्रोधी भी होते हैं। अपने शत्रुओं को दमन करने का बल हमेशा इनमे बना रहता है। सौम्यता का व्यवहार इनके भाग्य में वृद्धिकारक होगा। साहस भरे कार्य व क्षत्रियोचित गुणों के कारण इनको एकाधिकार पूर्ण कार्य पसन्द आते हैं। यांत्रिक कार्यांे में भी इनकी रुचि रहती है। ज्ञान-विज्ञान व तकनीकी क्षेत्रों में भी इनका रुझान होता है। दक्षिण दिशा व 9 अंक वाले मकान इनके लिए शुभ रहते हैं। माह की 9, 18, 27 तारीखें महत्वपूर्ण रहती हैं। मूलांक और भाग्यांक निकालने की विधि यदि किसी व्यक्ति की जन्म तारीख 12-7-1985 है तो उस व्यक्ति का मूलांक निकालने के लिए तारीख के अंकों को जोड़ंेगें जो कि 12 है। 1$2 का जोड़ 3 होता है, इसलिए व्यक्ति का मूलांक 3 होगा। यदि तारीख, माह और वर्ष को भी जोड़ लिया जाए तो भाग्यांक आएगा। जैसे यहां - 1 $ 2 $ 7 $ 1 $ 9 $ 8 $ 5 = 33 = 3 $ 3 = 6 उपरोक्त व्यक्ति का भाग्यांक 6 आया। इस प्रकार इस व्यक्ति के जीवन में घटने वाली शुभाशुभ घटनाएँ अंक 3 और 6 से अधिक प्रभावित होगी।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.