रसोई घर

रसोई घर  

व्यूस : 5495 | दिसम्बर 2013
प्रश्न- उत्तर-पूर्व एवं उत्तर में रसोई घर क्या प्रभाव देता है? उत्तर- उत्तर-पूर्व एवं उत्तर में रसोई घर का बना होना काफी खतरनाक होता है। खर्च की अधिकता, मानसिक तनाव, घर में कलह, पैसे की बर्बादी, दिवालियापन एवं आध्यात्मिकता में कमी बनाये रखता है क्योंकि उत्तर-पूर्व में देव गुरु बृहस्पति का अधिकार एवं देवताओं में परम पिता परमेश्वर का वास होता है। इसी तरह उत्तर में कुबेर का स्थान एवं ग्रहों में बुध का अधिकार है। उत्तर-पूर्व एवं पूर्व में रसोई घर बनाने से वह स्थान दूषित होकर सात्विकता, आध्यात्मिकता एवं आर्थिक प्रगति में कमी लाएगा। साथ ही उत्तर-पूर्व से प्राप्त होने वाली चुम्बकीय एवं सकारात्मक ऊर्जा भी दूषित होकर कमी बनाये रखेगा। प्रश्न- रसोई घर में खाना बनाने के ठीक पीठ के पीछे द्वार रखना चाहिए ? उत्तर - खाना बनाने वाली गृहिणियों के पीठ के पीछे द्वार न रखें अन्यथा कमर का दर्द, गर्दन का दर्द या स्पोंडेलाइसिस जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण प्रवेश द्वार से मिलने वाली ठण्डी हवा जो पीठ के पीछे खाना बनाने वाली गृहिणियों को मिलता है तथा सामने से गैस चूल्हा से निकलने वाली गर्म हवा मिलती है। फलस्वरूप शारीरिक व्याधियों का सामना करना पड़ता है। प्रश्न- रसोईघर में वाष-बेसिन को खाना बनाने वाले प्लेटफार्म के ठीक समानांतर रखना चाहिए ? उत्तर-रसोईघर में वाष-बेसिन को खाना बनाने वाले प्लेटफार्म के ठीक समानांतर नहीं रखना चाहिए क्योंकि रसोईघर में आग और पानी का एक सीध में होना बीमारी और धन की हानि का कारक होता है। अतः यह ध्यान रखें कि आग और पानी एक सीध में न रहे। अगर ऐसा संभव न हो तो बीच में एक पार्टीषन लगा दें लाभ होगा। यह पार्टीषन 2'X3' का लगाएं। रसोईघर में पत्थर तथा पानी के बीच में एक दो फुट ऊंचा विभाजन करने तथा पत्थर के ऊपर दीवार पर 4'X4' शीषा लगाने से भी 30 प्रतिषत लाभ होगा। प्रश्न-रसोई घर में पूर्व की ओर मुंह कर खाना बनाना क्यों लाभप्रद होता है? उत्तर: रसोई घर में खाना बनाते वक्त गृहिणियों का मुंह पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर होना लाभप्रद होता है क्योंकि उत्तर-पूर्व से मिलने वाली अलौकिक शक्ति एवं चुम्बकीय ऊर्जा का सकारात्मक प्रभाव मिलता रहता है। खाना बनाने वाले की निरन्तर स्फूर्ति-उत्साह, साहस एवं शक्ति बनी रहती है। फलस्वरूप रसोई बनाते समय प्रसन्नचित्त मन से कार्य करते हैं। इसके विपरीत पश्चिम या दक्षिण की तरफ मुंह करके रसोई बनाने वाली गृहिणियों का स्वास्थ्य बार-बार बिगड़ता है। शरीर में दुर्बलता महसूस होती है तथा पेट से संबंधित परेशानियां बनी रहती हैं। स्फूर्ति एवं उत्साह में कमी रहती है। मन भी अशांत रहता है। साथ ही परिवार में दरिद्रता का आगमन होता है। प्रश्न- खाना खाते वक्त घर के मुख्य व्यक्ति को किस दिशा की ओर होना चाहिए? उत्तर - खाना खाते वक्त घर के मुख्य व्यक्ति का मुँह पूर्व की ओर होना चाहिए जबकि घर के अन्य सदस्य अपना मुँह पूर्व, उत्तर, एवं पश्चिम की ओर रख सकते हैं। पूर्व दिशा की ओर मुँह करके भोजन करने से व्यक्ति की प्राण शक्ति बढ़ती है और वह दीर्घायु बनता है। पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके भोजन करने से धन प्राप्त होता है जबकि उत्तर-दिशा में मुँह करके भोजन करने से सत्य की प्राप्ति होती है। खाना खाते वक्त मुँह दक्षिण की ओर न रखें। इससे आपस में मतभेद एवं झगड़े होंगे। साथ ही बदहजमी, पेट की गर्मी, मुँह के छाले आदि होने की सम्भावना रहती है। किसी भी बीम या शहतीर के नीचे बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए। प्रश्न- डायनिंग कक्ष एवं रसोई घर का रंग किस तरह का रखना चाहिए? उत्तर- डायनिंग कक्ष गुरु ग्रह का प्रतीक है। इसलिए डायनिंग कक्ष की दीवारं बृहस्पति के पीले रंग से रंगवानी चाहिए। इसके साथ ही हल्का गुलाबी, क्रीम या आफ व्हाईट रंग का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जहां तक सम्भव हो सके इसे काला या ग्रे न रखें। इसी तरह रसोई घर की छत एवं दीवार का रंग पीला, नारंगी, गुलाबी या हल्का लाल रंग का रखना लाभप्रद होता है।



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