शकुन-अपशकुन क्या है?

शकुन-अपशकुन क्या है?  

सुनीता दुबे
व्यूस : 91574 | जून 2014

शकुन-अपशकुन की अवधारणा हमारे भारतवर्ष में प्राचीन समय से ही रही है। आज के वैज्ञानिक युग में आदमी चांद, मंगल और शुक्र ग्रह पर नई दुनिया बसाने की सोच रहा है, ऐसे में शकुनों तथा अपशकुनों पर विश्वास करना कुछ उचित नहीं लगता, फिर भी समाज का शायद ही कोई ऐसा वर्ग हो जो इन पर विश्वास न करता हो। विद्यार्थी, कलाकार, राजनेता, अभिनेता, व्यापारी यहां तक कि वैज्ञानिक भी इन पर विश्वास करते हैं।

कहने का अर्थ यह कि कुछ ऐसी शक्तियां होती हैं जो हमें घटने वाली घटना का पूर्व संकेत देने की कोशिश करती हैं। परंतु हम समझ नहीं पाते। कुछ व्यक्ति इन्हीं शकुन-अपशकुनों से अंदाजा लगाते हैं कि उनका कार्य पूर्ण होगा या नहीं।

ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए है कि मानव जीवन में इन शकुन-अपशकुनों का स्थान प्राचीन काल से ही रहा है। ये शकुन या अपशकुन रोजमर्रा के जीवन में देखने को मिल जाते हैं जैसे नींबू, मिर्ची, काजल का टीका आदि। ये जीवन में इस कदर रचे-बसे हैं कि इनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।

शकुन क्या है?

शकुन का अर्थ है किसी भी कार्य के पूर्ण होने के शुभ लक्षण, जो हमारे मन में आत्मविश्वास पैदा करते हैं कि हमारा काम पूर्ण होगा।

अपशकुन क्या है?

अपशकुन इसके विपरीत होता है। किसी कार्य के पूर्ण होने में संदेह हो तो कुछ लक्षणों को देखते ही व्यक्ति मन में अवधारणा बना लेता है कि उसका कार्य पूर्ण नहीं होगा। कुछ ऐसे लक्षणों को जो कार्य की अपूर्णता को दर्शाते हैं, हम अपशकुन मान लेते हैं।

व्यक्ति के जीवन में अच्छी और बुरी घटनाएं दोनों ही होती रहती हैं। इन्हीं घटनाओं में उसका जीवन चक्र घूमता है। इसी जीवन चक्र में अच्छा-बुरा, शुभ-अशुभ तथा शकुन-अपशकुन का चक्र भी घूमता है, क्योंकि प्रकृति ने हर चीज को जोड़ा है, उसका जोड़ा बनाया है। जैसे नर-मादा, फूल-कांटा, दुःख-सुख, आशा-निराशा, विश्वास-अविश्वास, शुभ-अशुभ। व्यक्ति के जीवन में अच्छा समय जरूर आता है। ऐसे समय यदि वह मिट्टी को छुए तो सोना बन जाए अर्थात वह जिस काम में हाथ डालता है वह सफल होता है। और उसके जीवन में ऐसा भी समय आता है जब वह सोने को छुए तो मिट्टी हो जाए, जब उसका कोई काम नहीं बनता। यह वक्त का पहिया हमारे जीवन चक्र के साथ ही चलता रहता है। इसी अच्छे या बुरे समय को हम शुभ या अशुभ समय कहते हैं।

साल का नया दिन

एक धारणा है कि यदि साल के पहले दिन जेब, घर की अलमारी, या दुकान का गल्ला खाली हो तो पूरे साल गरीबी तथा तंगी रहती है। इसलिए पहले दिन जेबों तथा अलमारी में कुछ न कुछ रखना चाहिए।

सौभाग्य चिह्न

दुनिया में बहुत से चिह्नों को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। कुछ प्रतीक महिलाओं के लिए अति सौभाग्यशाली होते हैं, जिनमें कुछ का वर्णन यहां प्रस्तुत है।

  • मांग सिंदूर से भरी हुई महिला का मिलना शुभ माना जाता है।
  • यदि कोई गर्भवती महिला बैठकर कोई फल खा रही हो और फल छूटकर उसकी गोद में गिर जाए तो यह शुभ शकुन होता है। उसकी गोद से उठा कर कोई ऐसी स्त्री जिसके संतान न होती हो, उस फल को खा ले तो शीघ्र ही वह भी संतानवती हा जाती हैं।
  • उंगलियों में छल्ला, अंगूठी, पैरों में बिछुआ धारण करना अच्छा शकुन माना जाता है।
  • सुबह का चांद देखना अथवा मछली के दर्शन करना शुभ शकुन होता है।
  • घर की चैखट पर मंगल चिह्न स्वास्तिक, ऊँ या अन्य शुभ चिह्न लगाना घर में सुख-शांति का सूचक होता है।
  • घर में आई दुल्हन सुहाग के जोड़े में इतना हंसे कि उसकी आंख से आंसू छलक आये तो यह शुभ शकुन माना जाता है। घर का ऐसा कोई व्यक्ति जो कष्ट में हो या दुखी हो, उस दुल्हन की आंख से निकले आंसू को अपनी उंगली पर लेकर चाट ले तो उसके दुःख दूर हो जाएंगे।
  • यात्रा के समय यदि कोई सुहागन गोद में बच्चा लिए अचानक सामन े आ जाए तो शुभ शकुन माना जाता है।
  • टचवुड का शकुन

    टचवुड का अर्थ है लकड़ी को छूना या छूकर अपनी बात कहना, ऐसा करना नज़र दोष से बचाता है। इसीलिए चंदन, रुद्राक्ष या तुलसी की माला अति पवित्र है।

  • यदि काली बिल्ली रास्ता काट जाए तो अपशकुन होता है। व्यक्ति का काम नहीं बनता, उसे कुछ कदम पीछे हटकर आगे बढ़ना चाहिए।
  • किसी कार्य पर जाते समय बिल्ली बाईं ओर दिखे तो शुभ शकुन होता है।
  • यदि दीपावली के दिन बिल्ली घर में आए तो यह शुभ संकेत है। इससे घर में धन का आगमन होता है।
  • यदि सोते समय अचानक बिल्ली शरीर पर गिर पड़े तो अपशकुन होता है।
  • बिल्ली का रोना, लड़ना व छींकना भी अपशकुन है।
  • बिल्ली पालना अशुभ है, क्योंकि बिल्ली वीराना पसंद करती है। दंतकथाओं के अनुसार बिल्ली दुआ करती है कि सब अंधे हो जाएं और मैं दूध पी जाऊं।
  • बिल्ली यदि घर में बच्चे दे तो शुभ होता है।
  • झाड़ू का शकुन

    झाड़ू को घर की लक्ष्मी माना जाता है, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है।

    गृह प्रवेश से पहले घर में नया झाड़ू ले जाना शुभ होता है। नये घर में पुराना झाड़ू ले जाना अशुभ होता है।

  • उल्टा झाड़ू रखना अपशकुन माना जाता है।
  • दीपावली पर नया झाड़ू खरीदना शुभ संकेत माना जाता है।
  • अंधेरा होने के बाद घर में झाड़ू लगाना अशुभ होता है। इससे घर में दरिद्रता आती है।
  • झाड़ू पर पैर रखना अपशकुन माना जाता है। इसका अर्थ घर की लक्ष्मी को ठोकर मारना है।
  • यदि कोई छोटा बच्चा अचानक झाड़़ू लगाने लगे तो अनचाहे मेहमान घर में आते हैं।
  • सी के बाहर जाते ही तुरंत झाड़ू लगाना अशुभ होता है।

आटे का शकुन

यदि कोई गृहिणी आटा गंूधने की तैयारी कर रही हो और उस वक्त घर पर कोई भिखारी आ जाए तो उस गृहिणी को उसमें से एक मुट्ठी आटा उस भिखारी को देना चाहिए। माना जाता है कि दान किया हुआ एक मुट्ठी आटा व्यक्ति पर आए संकट को दूर करता है।

दूध का शकुन

सुबह उठकर दूध देखना शुभ है। किंतु दूध बिखर जाना अशुभ होता है।

बच्चों का दूध पीते ही घर से बाहर जाना अपशकुन माना जाता है।



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