कालसर्प योग

कालसर्प योग  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 6282 | दिसम्बर 2007

ज्यातिष शास्त्र में अनेक प्रकार के योगों का वर्णन है जो ग्रहों की विभिन्न स्थितियों से बनते हैं और जातक के जीवन को अपने अनुरूप प्रभावित करते हैं। ऐसा ही एक योग है जिसका नाम है काल सर्प योग। पिछले लगभग 15 वर्षों से यह योग विशेष चर्चा में है और इसके दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय भी निरंतर किए जा रहे हैं। इसी योग से संबंधित कुछ तथ्य प्रष्नोत्तर के रूप में यहां प्रस्तुत है।

प्रश्न: काल सर्प योग क्या है और यह कैसे बनता है?

उत्तर: अन्य योगों की तरह काल सर्प योग भी एक योग है जो राहु से केतु के मध्य अन्य सभी ग्रहों के आ जाने से बनता है। ग्रहों की स्थिति यदि राहु के निकट हो, तो उसे उदित और यदि केतु के निकट हो, तो अनुदित काल सर्प योग कहा जाता है। यदि राहु व केतु के मध्य से कोई ग्रह बाहर हो तो काल सर्प योग नहीं रहता।

प्रश्न: काल सर्प योग कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: काल सर्प योग कई प्रकार के होते हैं लेकिन बारह मुख्य हैं। बारह काल सर्प योग कुंडली के बारह भावों से ही संबंधित हैं। प्रथम भाव से बनने वाले काल सर्प योग को अनंत काल सर्प योग कहा जाता है जो प्रथम भाव अर्थात लग्न से सप्तम भाव तक राहु व केतु या केतु राहु के मध्य सभी ग्रहों के आ जाने से बनता है। दूसरे भाव से अष्टम तक बनने वाले कालसर्प योग को कुलिक, तृतीय भाव से नवम भाव तक बनने वाले को वासुकी, चतुर्थ से दशम तक बनने वाले को शंखपाल, पंचम से एकादश तक पद्म काल, षष्ठ से द्वादश तक महापद्म, सप्तम से प्रथम तक तक्षक, अष्टम से द्वितीय तक कर्कोटक, नवम से तृतीय, तक शंखचूड,़ दशम से चतुर्थ तक घातक, एकादश से पंचम तक विषधर, और द्व ादश से षष्ठ तक शेषनाग काल सर्प योग बनता है। इन बारह प्रकार के काल सर्प योगों के अतिरिक्त 12 राशियों से भी यदि संबंधों को देखें तो 144 प्रकार के काल सर्प योग होते हैं।

प्रश्न: ऊपर वर्णित बारह प्रकार के काल सर्प योगों के क्या फल होते हैं?

उत्तर: यदि जातक की कुंडली में अनंतकाल सर्प योग है तो उसका वैवाहिक जीवन संकट ग्रस्त रहता है जिससे उसका व्यक्तित्व भी प्रभावित होता है। कुलिक काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को धन का अभाव रहता है। और उसका पारिवारिक सुख भी प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त उसे मानसिक कष्ट का सामना भी करना पड़ता है। शंखपाल काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को मातृसुख में कमी और जमीन जायदाद का अभाव रहता है। पद्म काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को संतान सुख नहीं मिलता है। उसे षिक्षा में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। महापद्म काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को रोग और शत्रुओं का भय बना रहता है। तक्षक काल सर्प योग से ग्रस्त जातक का वैवाहिक जीवन दुःखमय रहता है। कर्कोटक काल सर्प योग से ग्रस्त जातक के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है। उसे भूत प्रेत बाधा का भी सामना करना पड़ता है। शंखचूड़ काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को भाग्योदय में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। धर्म हानि भी होती है। घातक काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को व्यवसाय में अनेक रुकावटों का सामना करना पड़ता है। विषधर काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को मेहनत का फल पूर्णतया नहीं मिलता। कई प्रकार से धन की हानि और संतान सुख की कमी होती है। शेषनाग काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को अपने जन्म स्थान व देश से दूर रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त उसे शत्रु से परेशानी, अनावश्यक हानि, नेत्र संबंधी रोग आदि का सामना भी करना पड़ता है।

प्रश्न: क्या काल सर्प योग हमेशा अनिष्ट फल ही देता है?

उत्तर: काल सर्प योग ‘योग’ है दोष नहीं। यदि काल सर्प योग काल सर्प दोष हो जाए तो हानिकारक होता है। काल सर्प योग वाले जातक हमेशा अपनी मंजिल पा लेते हैं भले ही कितनी ही रुकावटों का सामना करना पड़े। यूं देखा जाए तो किस जातक के जीवन में संघर्ष नहीं होता। मंजिल को पाने के लिए तो संघर्ष करना ही पड़ता है। बहुत ऊंचे पदों पर कार्यरत जातकों की कुंडलियों में भी काल सर्प योग देखने को मिलते हैं। ऐसे जातक जो बहुत ही निर्धन घरानों में जन्मे लेकिन अपनी लगन और मेहनत से बाधाओं का सामना करते हुए उन्होंने अपनी मंजिल पाई, जीवन में नाम कमाया। ऐसे जातकों की कुंडली में काल सर्प योग देखा गया है। तात्पर्य यह कि काल सर्प योग वाले अधिकतर जातक संघर्षों का सामना करते हुए अपनी मंजिल पा लेते हंै। इससे यही सिद्ध होता है कि काल सर्प योग लाभकारी भी है जो जातक में जुनून व हिम्मत बनाए रखता है जिसके कारण जातक सफलता पाता है।

प्रश्न: काल सर्प योग से ग्रस्त जातक को कितने समय तक कष्ट में रहना पड़ता है ?

उत्तर: कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुरूप जातक को फल मिलता है। दशा, अंतर्दशा और गोचर के अनुसार उसे शुभ-अशुभ फल की प्राप्ति होती है। काल सर्प योग की कोई अवधि या समय सीमा नहीं होती कि किसी खास वर्ष या वर्षों में ही वह अपना शुभाशुभ फल दे। जीवन भर उस का प्रभाव जातक पर जीवन पर्यंत रहता है। दशांतर्दशा के अनुसार कभी शुभ कभी अशुभ फल प्राप्त होते रहते हैं।

प्रश्न: कहा जाता है कि काल सर्प योग का वर्णन ज्योतिष के किसी भी प्राचीन ग्रंथ में नहीं है और यह आधुनिक स्वार्थी ज्योतिषियों की खोज है?

उत्तर: ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के योगों का वर्णन है जो किसी एक ही काल में नहीं लिखे और समझे गए समय-समय पर ज्योतिषियों के अनुसंधानों से योग सामने आए जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में स्थान प्राप्त हुआ। इसी तरह पिछले कुछ वर्षों से ज्योतिष में रुचि रखने वाले विद्वानों ने इस योग को समझा और जाना कि इसके क्या लाभ हैं और क्या हानियां हैं। यह आवश्यक नहीं कि जो योग प्राचीन ग्रंथों में लिखे हैं वही योग हैं। समय-समय पर योग बनते रहे हैं और बनते रहेंगे। ज्योतिष के ज्ञान को और उजागर करने वाले अपने अनुसंधान करते रहेंगे। इसमें किसी का कोई स्वार्थ नहीं है, कोई भी खोज स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि ज्ञान के लिए की जाती है और ज्ञान अज्ञानता के अंधेरे को दूर करता है। प्राचीन ग्रंथों में काल सर्प योग का वर्णन हो या न हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आज इसका प्रभाव सर्वविदित है।

प्रश्न: काल सर्प योग कितने वर्षों में बनता है?

उत्तर: जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, काल सर्प योग राहु से केतु के मध्य अन्य सभी ग्रहों के आ जाने से बनता है। जब सभी ग्रहों के साथ गुरु और शनि भी एक ओर आ जाएं क्योंकि गुरु व शनि धीमी गति के ग्रह हैं और इनका राहु केतु के एक तरफ आ जाना काल सर्प योग बनने का प्रमुख कारण होता है। सूर्य, बुध और शुक्र तो प्रायः एक साथ ही रहते हैं। चंद्र शीघ्रगामी है। सूर्य एक वर्ष में सभी राशियों में भ्रमण कर लेता है। इसी की गति के कारण काल सर्प योग कभी भी छः माह से अधिक समय तक नहीं रहता। इन छः महीनों में चंद्रमा की गति के अनुसार माह में दो सप्ताह काल सर्प योग रहता है और दो सप्ताह नहीं रहता क्योंकि चंद्र एक माह में बारह राशियों का भ्रमण कर लेता है। काल सर्प योग कभी कभी कुछ वर्षों के अंतराल में ही बनता है- 10 वर्षों में 2 या 3 बार। उसमें भी कभी उदित और कभी अनुदित रूप से बनता है।

प्रश्न: जिस जातक की कुं. डली काल सर्प योग रहित होती है क्या वह सदा सुखी रहता है ?

उत्तर: ऐसा नहीं है। सुख दुःख तो हर इंसान के जीवन में रहते हैं। ऐसा जरूरी नहीं कि काल सर्प योग वालों का जीवन ही कष्टमय होता हो। काल सर्प रहित जातकों को भी कष्ट होते हैं क्योंकि फल अन्य ग्रहों पर भी निर्भर करता है। काल सर्प योग वाला जातक का जीवन भी सुखमय होता है, यदि अन्य ग्रहों की स्थिति शुभ हो।

प्रश्न: क्या काल सर्प योग आंशिक भी होता है?

उत्तर: कोई भी सभी योग या तो होता है या नहीं होता। उसी तरह काल सर्प योग भी होता या नहीं होता। आंशिक काल सर्प योग भ्रमात्मक ही है।

प्रश्न: काल सर्प योग कब शुभ होता है और कब अशुभ है?

उत्तर: काल सर्प योग में जब राहु या केतु किसी शुभ फलदायक ग्रह से युक्त हो या राहु जिस राशि में हो उसका स्वामी शुभ फलदायक हो तो जातक को कालसर्प योग होते हुए भी बहुत लाभ होता है। विशेषकर जब शुभ फलदायक ग्रहों की दशाएं आती हैं तब शुभ फल प्राप्त होता है। त्रिषडाय भावों में स्थित राहु भी शुभ फलदायक होता है। अष्टम स्थित राहु व केतु कष्टकारी और अशुभ फलदायी होते हैं।

प्रश्न: कालसर्प योग के प्रहार से बचने के लिए क्या उपाय करने चाहिए?

उत्तर: काल सर्प योग के दुष्प्रभाव को दूर करने के अनेक उपाय हैं। यदि उपाय विधिवत किया जाए तो जातक को उसका लाभ हो सकता है। सामान्यतः भाग्य को कोई नहीं बदल सकता लेकिन उपायों से कष्ट को कुछ कम अवश्य किया जा सकता है। कुछ उपाय यहां प्रस्तुत है। 

1. रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का एक माला जप प्रतिदिन करें। 

2. महाशिवरात्रि, नाग पंचमी, ग्रहण आदि के दिन शिव मंदिर में चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करें। 

3. सर्प पकड़े मोर या गरुड़ का चित्र अपने घर में पूजा स्थान में लगाएं और नव नाग स्तोत्र का जप करें। 

4. काल सर्प योग यंत्र की पूजा और दर्शन करें। 

5. बटुक भैरव मंत्र का सवा लाख जप करें। 

6. ¬ नमः शिवाय का जप करें। 

7. काल सर्प की अष्ट धातु निर्मित अंगूठी धारण करें। 

8. शिव के प्रतीक एक मुखी रुद्राक्ष सहित रुद्राक्ष की माला धारण करें। 

9. पक्षियों को अनाज डालंे या अनाज पानी में बहाएं। 

10. चींि टया ंे का े आटा, शक्कर या बसे न भूनकर डालें। 

11. घर में मोर पंख रखें। 

12. नित्य नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जप करें। 

13. कौओं और काले कुत्तों को रोटी डालें। 

14. बुरे कर्म, मद्यपान, मांसाहार आदि का त्याग करें। 

15. बुधवार को काले उड़द कपड़े में बांधकर भिखारी को दें।

प्रश्न: काल सर्प योग का उपाय कब करना चाहिए?

उत्तर: दोष शांति के लिए उपाय महाशिवरात्री, नागपंचमी, श्रावण मास के सोमवार या सोमवार को आने वाली अमावस्या के दिन करना चाहिए। कार्तिक या चैत्र मास में भी सर्प बली का उपाय करवाया जा सकता है।

प्रश्न: काल सर्प दोष की शांति किन-2 स्थानों पर विधिवत की जाती है ?

उत्तर: काल सर्प दोष की शांति निम्न स्थानों पर करवानी चाहिए: 

1. त्र्यंबकेश्वर - नासिक के पास 

2. त्रियुगी नारायाण - केदारनाथ 

3. काली हस्ती शिव मंदिर - तिरुपति 

4. संगम - इलाहाबाद

इन स्थानों पर पूजा अर्चना कराकर नाग नागिन के जोड़े की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कराकर अर्पित करें।

प्रश्न: उपर वर्णित उपायों के अतिरिक्त काल सर्प दोष से पीड़ित जातक और क्या करें?

उत्तर: इन उपायों के अतिरिक्त जातक संबंधित देवी देवताओं की पूजा अर्चना या उनके मंत्र का जप करें।

प्रश्न: ये देवी देवता कौन-कौन से हैं ?

उत्तर: सर्वप्रथम देवता तो भगवान शिव हैं क्योंकि सर्प उन्हीं के गले का हार है। उनके बाद विष्णु जी की पूजा करें क्योंकि उनका शयनासन सर्प पर ही है। फिर हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा व संकट मोचन का पाठ करें। फिर भगवान कृष्ण के ¬ नमो वासुदेवाय मंत्र का जप करें और तब भगवान राम की पूजा अर्चना कर सुंदरकांड का पाठ करें।

प्रश्न: क्या ये सब उपाय करने से कालसर्प योग के दोष और पीड़ा से जातक को सदा के लिए मुक्ति मिल जाएगी?

उत्तर: याद रखें, भाग्य को कोई नहीं बदल सकता। उपायों से योग के कष्ट को कम किया जा सकता है। 

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