भूतों की वैश्विक मान्यता

भूतों की वैश्विक मान्यता  

हरिश्चंद्र प्रसाद आर्य
व्यूस : 4744 | अकतूबर 2015

भूत परायोनि के जीव हैं। इनकी कई जातियां होती हैं। भूत, प्रेत, चुड़ैल, पिशाच, शाकिनी, डाकिनी, राक्षस, चक्ष, गंधर्व, ब्रह्म राक्षस आदि। यद्यपि ये अदृश्य और वायुरूप होते हैं पर इनकी शक्ति मानव स े र्कइ ग ुणा अधिक होती है। इनकी गति की सीमा नहीं है। कभी-कभी ये छायारूप में दीख जाते हैं। ये रात्रि बली हैं अर्थात रात्रि में इनकी शक्ति प्रबल रहती है। सामान्यतः ये श्मशान या उसके आस-पास वास करते हैं। विरले ही भूतादिक योनि के जीव मनुष्य की सहायता करते हैं। ये मनुष्य के लिए हानिकारक ही सिद्ध होते हैं। कारण ये स्वभाव से तामसी एवं क्रूर होते हैं। भ ूता े ं की मान्यता क े बार े म े ं बड ़ा विवाद छिड़ा रहता है कि भारत और एशिया महादेश के कुछेक दूसरे देशों में ही भूतादि सत्ता की मान्यता है या यों कहें कि पूरब के लोग ही इसमें विश्वास करते हैं। परंतु पश्चिम के देशों में ऐसा नहीं है। यह एक भ्रांति के सिवा और कुछ नहीं है। क्या पूरब के लोग और क्या पश्चिम के देशों के लोग, सबके बीच भूतों की मान्यता है।

पश्चिम के लोगों ने भी इसे छायारूप में देखा है। अंतर है तो बस इतना कि हमलोग कुछ भयभीत से दीखते हैं परंतु पश्चिम के लोग इसका फोटो तक खींचने का प्रयास करते हैं और इतने भयभीत नहीं होते हैं। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति की जब मा ैत हा े जाती ह ै ता े सामान्यतः उसका अगला जन्म होता है और तब तक उसका बार-बार जन्म होता है जब तक अन्ततोगत्वा वह मोक्ष को प्राप्त नहीं हो जाता है। परंतु कुछेक जीवात्मा मनुष्य शरीर छोड़ने के बाद एक इतर योनि भ ूतादिक मे ं चला जाता है। जिन लोगों की अकालमृत्यु होती है उनके साथ ऐसा होता है। जिस किसी व्यक्ति को भ ूतादि ने पकड़ लिया है वह असामान्य आचरण करने लगता है, उसकी शक्ति कई गुणा बढ़ जाती है। अगर वह क्रोधित हो गया तो अकेले कई लोगों पर भारी पड़ता है। इसे ओपरा लगना भी कहते हैं। कभी भी किसी के देह पर अनजानी शक्ति का प्रभाव हो जाने पर उसे ओपरा लगना कहते हैं। ऐसे रोगी का ईलाज किसी डाॅक्टर के पास नहीं होता है।

डाॅक्टर इसे मात्र हिस्टीरिया कह देता है जबकि रोगी को असहनीय कष्ट और पीड़ा होती है। ऐसे रोगी को कोई गुणी ओझा ही ठीक कर सकता है। फिर व्यक्ति शीघ्र भला चंगा होकर पुनः सामान्य मानसिकता में जीने लगता है। प्रभात खबर में 20/9/2009 को कब्र पर दिखा ‘‘जिम माॅरीसन का भूत’’ शीर्ष क स े एक खबर छपी। लाॅस एंजिल्स की घटना है। राॅक लीजेंड जिम माॅरीसन की कब्र पर पेरिस में एक इतिहासकार बे्रट मेसनर गया। वहा ं उसन े ख ुद की फा ेटा े खी ंची और बाद में फोटो देखने पर पाया कि उसके पीछे राॅक गायक का भूत दिख रहा था। यह घटना सन् 1997 की है और इस फोटो को इंटरनेट पर भी डाला गया जिसे विशेषज्ञों ने प्रामाणिक माना है। मेसनर का कहना है कि माॅरीसन की कब्र पर जाकर उसने गलती कर दी क्योंकि जबसे वह वहां गया है उसके बाद उसके साथ कुछ-न-कुछ अजीब सा हा े रहा है। इसी प्रकार 22/09/2003 को एक दूसरी खबर हिन्दुस्तान में ‘‘कैमरे में कैद लंदन के भूतिया महल का भूत’’ शीर्षक से एक खबर छपी।

लंदन स्थित हेनरी अष्टम के महल में ऐसा एक नजारा सामन े आया जिसस े हैम्पटन कोर्ट पैलेस की प्रवक्ता विक्की वुड भी परेशान हो गयीं। सबसे पहले महल के सुरक्षा गार्ड ने क्लोज सर्किट कैमरे के जरिये टेलीविजन पर एक आकृति का े द ेखा। वह महल का अग्निशमन द्वार खोल रहा था। यह आकृति एक धुंधले रास्ते से होती हुई आयी और उसका हाथ दरवाजे के ह ै ंडिल पर था। उसक े आस-पास की तस्वीर काफी धुंधली थी लेकिन उसका चेहरा अपेक्षाकृत अधिक सफेद था। महल का एक सुरक्षाकर्मी ‘जेम्स फाउकेस’ ने बताया कि उसका चेहरा मानव चेहरे से बिल्कुल अलग था और पिशाच की तरह लग रहा था। यह महल लंदन से 90 मील दूर टेम्स नदी के किनारे स्थित है। एक अन्य खबर एक अखबार म े ं ‘‘जवानों को फिट रखते हैं भारतीय सेना के भूत’’ शीर्षक से छपा जो इस प्रकार है: जवानों को फिट रखते हैं भारतीय सेना के ‘भूत’ भारतीय सेना में ‘भूतों का जलवा है। जवान हो या अफसर, सब इनकी गिरफ्त में हैं।

खास बात यह है कि ये जवान इनसे प्रेरणा लेकर अपनी ड्यूटी को और बेहतर तरीके से करते हैं। गढ़वाल रेजीमंेट के ऐतिहासिक आॅफिसर्स मेस के डाइनिंग हाॅल में खास अवसरों पर ऐसे ही ‘भूत’ कैप्टन एक्स के लिए कुर्सी-मेज लगाकर भोजन कराने की परंपरा है। यह हाॅल खाली गढ़वाल में ही नहीं देश के कई हिस्सों में है। गढ़वाल रेजीमेंट की ओर से आयोजित पुनर्मिलन समारोह में देश के कोने-कोने से आए सेना में कार्यरत एवं रिटायर हो चुके अफसरों और जवानों से बातचीत में भूतों के बारे में कौतूहल भरी यह जानकारियां मिलीं। आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ क्योंकि इनसे जवान आज भी प्रेरणा ले रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश स्थित जसवंतगढ़ की ही बात करें। चैथी गढ़वाल राइफल्स के जवान नूरानांग में 1962 की चीन की लड़ाई में तैनात थे। यहां बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों को तीन दिन तक बेहद बहादुरी से अकेले रोकने और बाद में शहीद हो जाने वाले राइफल मैन जसवंत सिंह के बारे में चर्चा है कि वह आज भी देश की रक्षा के लिए सक्रिय हंै।

लापरवाह जवान को अदृश्य चांटा आज भी लगता है तो वह चैकन्ना हो जाता है। मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित इस जांबाज का शहीद स्मारक नूरानांग में ही बना है। सेना में मरणोपरांत प्रोन्नति का शायद यह अकेला उदाहरण होगा, जसंवत आज आॅनररी मेजर जनरल की उपाधि पा च ुक े ह ै ं। इस स्मारक पर जसव ंत की सेवा में जूता पाॅलिश करने वाले से लेकर खाने-पीने, सोने तक के इंतजाम आज भी किए जा रहे हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि भूतादिक की मान्यता वैश्विक स्तर पर है और किसी भौगोलिक सीमा से बंधा नहीं है। हमारा ज्योतिष जगत भी भूतादि के अस्तित्व को स्वीकार करता है। ज्योतिष शास्त्र एकाधिक दशान्तर्दशा में जातक को भूतादि की पीड़ा से पीड़ित होने की बात करता है। हमारा वास्तु शास्त्र भी भूत, प्रेत, पिशाच आदि के अस्तित्व को स्वीकार करता है। यथा- प ूर्वा भाद ्रपद, उत्तराभाद ्रपद, ज्य ेष्ठा, अनुराधा, स्वाति, भरणी इन 6 नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र पर शनि हो और उस दिन शनिवार भी हो तो ऐसे समय आरंभ किया हुआ गृह राक्षसों, भूतों और पिशाचों का निवास स्थान बन जाता है।



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