भूतों संबंधी कुछ अविस्मरणीय अनुभव

भूतों संबंधी कुछ अविस्मरणीय अनुभव  

कल्पना तिवारी
व्यूस : 3145 | सितम्बर 2012

भारत में और भारत के बाहर भी ऐसे अनेक स्थान हैं जहां भूतों और प्रेतों के अस्तित्व से जुड़ी अनेक रहस्यमयी घटनाएं और विचित्र अनुभव वहां जाने वाले लोगों को हुए और कुछ स्थानों पर तो स्थानीय प्रशासन ने भी ऐसी जगह को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर रखा है आइये, जाने ऐसे स्थानों के विचित्र और दिलचस्प अनुभवों के बारे में विश्व में अनेक ऐसे स्थान हैं जहां पर निरंतर होने वाली रहस्यमयी घटनाएं भूत-प्रेतों के अस्तित्व के बारे में जिज्ञासा को और अधिक बढ़ाती हंै। अनेक लोगों ने दावा किया है कि जब वे इन स्थानों पर थे तब उन्हें विचित्र रहस्यात्मक अनुभव हुए तथा कुछ अदृश्य शक्तियेां का अनुभव हुआ।

यहां तक कि इनमें से कुछ स्थानों को तो स्थानीय प्रशासन ने भी निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया हुआ है। व्हाइट हाउस, वाशिंगटन अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे। अमेरिका के राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस में अप्रैल 1865 में इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके पश्चात् अब्राहम लिंकन का भूत अक्सर व्हाइट हाउस में देखा जाता है। सर्वप्रथम राष्ट्रपति ग्रेस कुलीज की पत्नी केल्विन कुलिज ने बताया कि उन्हें आभास हुआ कि राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन व्हाइट हाउस के ओवल दफ्तर की खिड़की के पास खड़े हुए दिखाई दिये। वे राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या पर बना टेलीविजन प्रोग्राम देख रही थी तभी उन्हें भी एहसास हुआ राष्ट्रपति लिंकन वहां उनके पास बैठे हुए हैं। यह कहा जाता है कि लिंकन का भूत राष्ट्रपति रूजवेल्ट के कार्यकाल में सर्वाधिक देखा गया। एक बार राष्ट्रपति रूजवेल्ट की पत्नि अध्ययन कक्ष में बैठकर पढ़ रहीं थी उन्हें वहां पर अब्राहम लिंकन की उपस्थिति का आभास हुआ।

यह अध्ययन-कक्ष राष्ट्रपति लिंकन का शयनकक्ष था। नीदरलैंड की महारानी व्हिलमिना एक बार जब अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस में रूकी हुई थी तब देर रात उनका किसी ने दरवाजा खटखटाया। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो राष्ट्रपति लिंकन को वहां खड़े पाया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान अनेक बार हुए अमेरिकी दौरो में व्हाइट हाउस में रूके थे। एक बार जब वे नहा कर बाथरूम से बाहर आए तो उन्होंने कमरे में फायर प्लेस के पास राष्ट्रपति लिंकन को बैठे देखा। भूतहा कार नं. 42 जिसने जापान में कार रेस में भाग लिया- मई 1963 में जापान में द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पहली बार कार रेस का आयोजन किया गया। ‘असानों मोसाना’ जापान के प्रसिद्ध कार रेसर थे। कहा जाता है कि उन्होंने जिस भी कार रेस में भाग लिया, वह प्रतियोगिता हमेशा उन्होंने ही जीती थी।

इस रेस में भी ‘असानो मोसाना’ ने भाग लिया था। इनकी कार का नंबर 42 था। जापान में 42 नंबर शुभ नहीं माना जाता है। वहां इसे मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। असानो मोसाना ने इसे अंधविश्वास कहते हुये अपनी कार का नंबर 42 ही रखा तथा उस कार के साथ रेस में भाग लिया। उस कार रेस में उनकी कार बुरी तरह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई तथा उनकी इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके पश्चात जापान आटो फेडरेशन ने कार रेस में 42 नंबर की कार पर रोक लगा दी थी। इसके एक वर्ष पश्चात जापान में पुनः कार रेस का आयोजन हुआ। यह कार रेस पिछली कार रेस की तुलना में बहुत बड़े स्तर पर आयोजित की गई थी तथा इस कार-रेस के समय लगभग डेढ़ लाख दर्शक उपस्थित थे। इस कार रेस में कार नं. 42 को कुछ समय के लिये रेस में भाग लेकर गायब होते हुये देखा गया। लोगों का मानना है कि ये असानो मोसाना का भूत ही था जिसने कार नंबर 42 के माध्यम से इस रेस में भाग लिया।

नियाग्रा फाल की चीखती गुफा यह गुफा नियाग्रा फाल को टोरन्टो एवं न्यूयार्क से जोड़ने वाली रेलवे लाईन के नीचे स्थित है। यहां पर माचिस, लाईटर या किसी भी प्रकार की आग जलाने की मनाही है। ऐसा कहा जाता है कि जिसने भी यहां पर ऐसा किया उसकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि इस गुफा के दक्षिणी प्रवेश द्वार के पास स्थित फार्म हाउस में एक बार आग लग गई थी तथा उसमें एक युवा स्त्री जलकर भस्म हो गई थी। उस फार्म हाउस में आग क्यों और कैसे लगी थी, यह अब तक एक रहस्य बना हुआ है। जलती हुई अवस्था में गुफा के दक्षिणी द्वार से प्रविष्ट होकर मदद के लिये चिल्लाते हुए उस स्त्री ने इस गुफा में ही दम तोड़ दिया था। परंतु मदद न मिलने के कारण उसकी वहां पर मृत्यु हो गई थी।

इसके पश्चात जिसने भी गुफा के दक्षिणी द्वार के पास माचिस या आग जलाने का प्रयास किया उसकी मृत्यु हो गई। इस कारण वहां पर माचिस या आग जलाना निषिद्ध है। एडिनबर्ग का किला (स्काॅटलैंड): एडिनबर्ग शहर यूरोप के भुतहा शहर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां का किला भी भूतहा किले के नाम से जाना जाता है। यह किला लगभग 900 वर्ष पहले 12वीं शताब्दी में बना था। इसके निर्माण के पश्चात इसे मुख्यतः सैनिक छावनी के रूप में ही प्रयोग किया जाता रहा है। इस दौरान इस किले पर अनेक बार आक्रमण भी हुये तथा अनेक सैनिकों की निर्ममता से हत्यायें भी हुईं। अब यह किला एडिनबर्ग का प्रमुख पर्यटक स्थल है तथा यहां घूमने आने वाले पर्यटक अक्सर इस किले में घूमने के दौरान रहस्यमयी अनुभूतियां होने का दावा करते हैं। 2001 में यह किला पैरानार्मल सर्वेक्षण का केंद्र बना। इस वर्ष 9 शोधकों के नेतृत्व में लगभग 200 स्वयंसेवकों के दल के साथ जिन्हें इस किले के इतिहास के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था किले के विभिन्न भागों का सर्वेक्षण किया गया। इन स्वयंसेवकों को किले में घूमने को कहा गया।

उन्हें यह नहीं बताया गया कि इस किले के कुछ भाग भुतहा हैं। परंतु आश्चर्यजनक रूप से 200 स्वयंसेवकों में से 50 प्रतिशत ने बताया कि किले के भुतहा क्षेत्र से गुजरते हुए विचित्र अनुभूतियां हुई। उन्होंने बताया कि वहां उन्हें कुछ धुंधली आकृतियां दिखाई दी, उस दौरान उन्हें शरीर में अजीब प्रकार की जलन का अनुभव भी हुआ। कुछ को ऐसा लगा कि कोई उनका कपड़ा पकड़ कर खींच रहा है। कुछ को वहां के तापमान में अत्यधिक गिरावट महसूस हुई तथा कुछ को अत्यधिक घुटन का एहसास हुआ। हीथ्रो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लंदन हीथ्रो हवाई अड्डे पर डिक टर्पिन जिसे हाईवेमैन भी कहा जाता है का भूत अक्सर देखा जाता है। टर्पिन ने हाइवे पर बहुत सी हत्याऐं, बलात्कार एवं लूटपाट की थी। इस कारण उसे 1739 में फांसी की सजा दे दी गई थी। इसके पश्चात डिक टर्पिन का भूत हीथ्रो हवाई अड्डे के मुख्य टर्मिनल पर अक्सर देखा जाता है। इसी हवाई अड्डे पर 1948 में एक हवाई जहाज रनवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें जहाज में सवार सभी यात्री मारे गए थे।

जहाज के क्षतिग्रस्त होने के बाद जब रेस्क्यू वर्कर्स जहाज के मलबे को हटा रहे थे तो अचानक एक व्यक्ति आकर अपने सूटकेस के बारे में पूछने लगा तथा थोड़ी देर के पश्चात गायब हो गया। कुछ देर पश्चात रेस्क्यू वर्कर्स को उस व्यक्ति की लाश जहाज के मलबे में मिली। उसके पश्चात वह व्यक्ति सर्वे पर अक्सर देखा जाता रहा है। 1970 में एक दिन राडार पर एक मानव आकृति निरंतर दिखाई दे रही थी परंतु रनवे पर बहुत खोजने के बाद भी कोई नहीं मिला था। भानगढ़, राजस्थान भानगढ़ जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक खंडहर जैसा शहर है। इस शहर में कोई भी नहीं रहता है तथा यह शहर पूर्णतः खंडहर में परिवर्तित हो चुका है। यह कहा जाता है कि यहां पर जो भी रात को रूकता है वह जीवित वापस नहीं आता है। यहां तक कि प्रशासन ने भी यहां पर रूकने का निषेध किया हुआ है।

यह क्षेत्र भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में है। इस हिसाब से इस क्षेत्र में पुरातत्व विभाग का कार्यालय होना चाहिए। परंतु पुरातत्व विभाग का कार्यालय भी इस क्षेत्र में नहीं है वरन् यहां से एक किलोमीटर दूर स्थित है। यह माना जाता है कि किसी तांत्रिक के श्राप के कारण यह इलाका यहां के लोगों द्वारा रातोंरात खाली कर दिया गया था। उसके पश्चात से यह स्थान आजतक उजाड़ अवस्था में ही है तथा पुरातत्व विभाग ने यहां पर एक बोर्ड लगाया हुआ है जिस पर लिखा है कि सूर्यास्त के पश्चात यहां जाना मना है। चीन की दीवार चीन की ग्रेट दीवार विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। इस दीवार का निर्माण सैकड़ों वर्ष में पूरा हुआ था। इस निर्माण के दौरान लाखों मजदूरों एवं सैनिकों की मृत्यु अपने घरों से बहुत दूर इसी दीवार के आस-पास हुई दुर्घटनाओं में हो गई थी।

इस दीवार पर घूमते समय अनेक पर्यटक विचित्र अनुभूतियों के होने का वर्णन करते है। जैसा कि धुंधली आकृतियां दिखना, अचानक किसी अदृश्य जकड़न का एहसास होना, यहां तक कि कुछ पर्यटक तो यहां तक भी कहते हैं कि किसी अदृश्य व्यक्ति ने उन्हें थप्पड़ भी मारा है। दि डेस्टिनेशन ट्रूथ टीम नामक संस्था ने चीन की ग्रेट दीवार से संबंधित रहस्यमयी घटनाओं के बारे में सर्वेक्षण किये। बीजींग के उत्तर की ओर स्थित दीवार के हिस्से को ‘वाइल्ड वाल’ कहा जाता है तथा यह भाग भुतहा इलाके के नाम से प्रसिद्ध हैं। अपने सर्वेक्षण के दौरान इस संस्था के सदस्यों ने रात के समय वर्षों से उजाड़ पड़े हुए सैनिक बैरकों से कैम्पफायर के धुअें का अनुभव किया जबकि वहां पर कोई नहीं था। वहां पर तेज रोशनी के दो गोले भी देखे गए।

कुछ पदचापें भी सुनाई दीं जबकि उनका दावा था कि वहां पर उनके अतिरिक्त उस समय कोई नही था। इस टीम के एक सदस्य ‘जोश गेट्स को यह अनुभव हुआ कि किसी ने उन्हें पीछे से बुरी तरह जकड़ा हुआ है तथा उनकी पीठ पर लदे हुए बैग का बटन खोलकर उसके सामान को कोई बुरी तरह उथल-पुथल करके देख रहा है तथा उनके बैग का पूर्ण सर्वेक्षण करने के पश्चात उसको बंद कर दिया गया है। बरमुडा त्रिकोन: यह क्षेत्र डेविल्स ट्रायंगल के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी भाग में है।

वहां से गुजरने वाले सभी जहाज रहस्यमय ढंग से गायब हो जाते हैं यहां तक कि इस क्षेत्र के ऊपर से गुजरने वाले हवाई जहाज भी रहस्यमय ढंग से गायब हो जाते हैं। इन रहस्यों पर से आज तक कोई पर्दा नहीं उठा पाया है तथा कुछ लोग इसे भुतहा शक्तियों का प्रभाव भी मानते हैं। इस प्रकार विश्व में अनेक ऐसे स्थान हैं जहां पर रहस्यमयी शक्तियां होने का आभास होता है। इनके कारण भूत प्रेतों के अस्तित्व को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। यहां तक कि विज्ञान भी इन रहस्यमयी घटनाओं के ठोस कारणों को बताने में अभी पूर्णतः समर्थ नहीं है। यद्यपि मनोवैज्ञानिक इस प्रकार के आभासों एवं घटनाओं को मनोवैज्ञानिक विकार का नाम देते है परंतु भारतीय वैदिक साहित्य में इस प्रकार की घटनाओं एवं आभासों को प्रेत-बाधा कहा गया है।

हमारे दैनिक जीवन में हम अनेक बार देखते हैं कि अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त चिकित्सा विज्ञान कुछ शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों का निदान तक नहीं कर पाता है तथा इनका इलाज ज्योतिषीय उपायों या सिद्ध तांत्रिकों की मदद से हो जाता है। यह सब एक रहस्यमय स्थिति है जिसके बारे में और अधिक खोज की आवश्यकता है।



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