शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां नींबू न मिले। सभी का यह प्रिय होता है, पानी में निचोड़ कर शिकंजी बनाकर पीना किसे पसंद नहीं है। पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में नींबू का प्रयोग अक्सर किया जाता है। नींबू फलों की श्रेणी में खट्टा फल है लेकिन बहुत गुणकारी भी है इसलिए इसका प्रयोग भी अनेक प्रकार से किया जाता है। विटामिन ‘सी’ से भरपूर नींबू का आकार गोल होता है, इसका व्यास तीन से चार सेंटीमीटर तक होता है, इसका पेड़ दस से पंद्रह फुट ऊंचा होता है, पŸो गहरे हरे और गोलाई लिए होते हैं, फूल-सफेद, फल कच्ची दशा में हरे और पकने पर पीले होते हैं। नींबू की दस से पंद्रह तक परजातियां हैं जो आकार, रंग और बनावट में फल दूसरे से भिन्न होते हैं। नींबू की अधिकांश किस्में खट्टी होती हैं
लेकिन कुछ नींबू मीठी किस्म के भी होते हैं। आमतौर से कागजी नींबू ही अधिकतर प्रयोग में लाए जाते हैं लेकिन पके नींबू अधिक फायदेमंद होते हैं। नींबू का खट्टापन पाचक रसों को उŸोजित करता है जिससे पाचन तंत्र सुचारु रूप से कार्य करता है। आमतौर से नींबू का शरबत और अचार बनाया जाता है। अक्सर खाने के साथ सलाद के रूप में भी इसका प्रयोग होता है। लेकिन इसमें और औषधीय गुण भी बहुत हंै। यह त्रिदोष में अत्यधिक लाभकारी है। आयुर्वेद में अक्सर ईलाज के दौरान खट्टी चीजों का सेवन मना होता है लेकिन नींबू का सेवन वर्जित नहीं है।
मधुर, विपाक, अम्ल रस युक्त शरीर के अंदर के जहर को निकाल देता है। यकृत की श्ुाद्धि करता है। खाली पेट में लेने से पेट के कीड़ों को मारता है। भारतवर्ष में नींबू की मूल उत्पŸिा मानी जाती है। लेकिन आज विश्व भर के लगभग सभी देशों में इसकी पैदावार होती है और सभी देशों में नींबू को भोजन के साथ सलाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। नींबू में पोषक तत्व नींबू में सिट्रिक एसिड, शर्करा, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, पोटाशियम और विटामिन ‘सी’ होते हैं। इसके अतिरिक्त लोहा, प्रोटीन, वसा, पानी, खनिज, रेशे, कार्बोहाइड्रेटस, विटामिन ‘बी’ भी होता है।
औषधीय गुण आयुर्वेद में नींबू के रसों के औषधीय प्रयोग को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसका मुख्य कार्य शरीर के विषैले पदार्थों को नष्ट करना है। वेदों में भी पवित्र फल के रूप में इसका उल्लेख आता है, प्राचीन वैद्याचार्यों ने भी नींबू के बहुत से गुणों का वर्णन किया है। इसके छिलकों में भी औषधीय गुण होते हैं। नींबू का तेल भी औषधियों में प्रयोग होता है। विभिन्न रोगों में नींबू से उपचार कब्ज एक नींबू का रस एक गिलास पानी व एक चम्मच शहद में मिलाकर पीने से अपच दूर होता है व कब्ज से छुटकारा मिलता है।
मसूड़ों की सूजन नींबू के रस में शहद मिलाकर मसूड़ों पर रगड़ने से दांतों से निकलने वाला खून बंद हो जाता है व मसूड़े मजबूत होते हैं, नींबू का रस, नमक, सरसों के तेल को मिलाकर मंजन की भांति प्रयोग करने से दांत व मसूड़े मजबूत होते हैं व मसूड़ों की सूजन से राहत मिलती है। रक्त विकार नींबू का शरबत बनाकर बोतल में भरकर रखें। प्रतिदिन एक गिलास पानी में एक से दो चम्मच शरबत मिलाकर पीने से शारीरिक विकार के अतिरिक्त गर्मी, अपच, उल्टी, रक्त विकार, मन्दाग्नि आदि रोग तुरंत शांत हो जाते हैं। ज्वर नींबू के रस को गर्म पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ज्वर कम हो जाता है।
चार नींबू के रस को 500 ग्राम पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाए। इसमें चार ग्राम सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। दो-तीन दिन में हर प्रकार का बुखार शांत हो जायेगा। खूनी बवासीर नींबू के रस में जैतून का तेल मिलाकर गुदा में लगाने से बवासीर के मस्से धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। चर्म रोग नींबू का रस, गुलाब जल और ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की त्वचा में निखार आता है और त्वचा की शुष्कता भी दूर होती है। चेहरे की शांति व सुंदरता बढ़ती है। नींबू के सेवन से व नींबू के रस की कुछ बूंदें पानी में निचोड़कर नहाने से त्वचा निरोगी होती है।
नींबू के रस में नारियल का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से त्वचा की शुष्कता व खुजली दूर होती है। रक्त चाप नियमित रूप से नींबू पानी का सेवन हृदय की कमजोरी को दूर करता है, रक्त-वाहिनियों में लोच पैदा करता है, रक्त-संचार को दुरुस्त करता है। मलेरिया नींबू रस में काली मिर्च पाउडर मिलाकर हल्का गर्म कर चाटने से मलेरिया ज्वर में राहत मिलती है। नींबू की शिकंजी बनाकर चुटकी भर काली मिर्च पाउडर मिलाकर चार दिन तक सेवन से मलेरिया बुखार से राहत मिलती है। जुकाम व फ्लू गर्म पानी में नींबू मिलाकर पीने से जुकाम, फ्लू में आराम मिलता है। चाहें तो शहद भी मिला सकते हंै, इससे सूखी खांसी में भी लाभ होता है।
नेत्र विकार नींबू का रस व गुलाब जल 1ः4 के अनुपात में मिलाकर आंखों में डालने से मोतिया बिन्द में लाभ होता है। शहद में नींबू का रस, अदरक का रस, सफेद प्याज का रस मिलाकर एक-एक बूंद आंखों में डालने से गोतियाबिंद व अन्य नेत्र विकार में लाभ होता है। मोटापा प्रातः काल खाली पेट, नींबू का रस एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा कम होने लगता है। साथ ही प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन कम करें और हल्का भोजन करें।
नींबू के अन्य उपयोग नींबू के सलाद के रूप में, नींबू की शिंकजी, नींबू के शर्बत का उपयोग अधिक किया जाता है। नींबू का अचार के रूप में देश भर में उपयोग होता है। नींबू के सूखे छिलके का पाउडर केक व पेस्ट्री में प्रयोग होता है। दाग-धब्बे छुड़ाने में भी नींबू का उपयोग होता है, ततैया के डंक मारने पर होने वाली पीड़ा प्रभावित अंग पर नींबू का रस मलने से कम हो जाती है।
सावधानियां: किसी भी चीज का उपयोग अधिक मात्रा में हानिकारक हो सकता है। इसलिए नींबू अधिक मात्रा मंे चूसना व अन्य उपयोग हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए रोग में नींबू के प्रयोग को करने से पहले किसी आयुर्वेदिक वैद्य या हकीम से परामर्श अवश्य लें।