लक्ष्मी चंचला क्यों?

लक्ष्मी चंचला क्यों?  

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व्यूस : 7503 | नवेम्बर 2010

लक्ष्मी चंचला है यह एक ध्रुव सत्य है। धन की देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी होतु हुए भी चंचल है। भगवान विष्णु जो कि गंभीर व धैर्यवान हैं, जिनका स्वरूप शाश्वत व चिर स्थाई है वहीं उनकी पत्नी लक्ष्मी चंचला हंै वे चिर स्थाई नहीं हैं। वे कहीं भी अधिक देर तक नहीं ठहरती, यह सत्य है।

एक बार यही प्रश्न नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी से किया कि ‘‘लक्ष्मी चंचला क्यों’’ तो उŸार में ब्रह्मा जी ने कहा ‘‘यदि लक्ष्मी किसी के यहां स्थाई हो जाएगी तो वह व्यक्ति धरती पर अपने अभिमान में चूर होकर तरह-तरह के कुकर्म करेगा, प्राणियों को सताएगा।’ ’युगों से बहते धन के प्रवाह को कोई नहीं रोक सका। धन व ऐश्वर्य के मद में प्राणी यह भूल जाता है कि उसके पूर्व जन्म के सत्कर्मों का फल है जो उसे संपन्नता के रूप में प्राप्त हुआ है और वह धन के मद में चूर होकर गलत कार्यों में लग जाता है।

कुछ समय बाद लक्ष्मी उसके पास से चलायमान हो जाती है। इसलिए लक्ष्मी जी को चंचला कहा जाता है। ‘‘क्यों प्रिय है लक्ष्मी को कमल’’ सौभाग्य एवं धन की देवी लक्ष्मी को पुष्पों में सर्वाधिक प्रिय कमल का पुष्प है। यह बात तो उनके किसी भी चित्र को देखने से स्पष्ट हो जाती है। कमल को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और कमल पर विराजमान देवी लक्ष्मी भी सौभाग्यदायिनी है। अतः उनका संबंध कमल से होना अनिवार्य प्रतीत होता है।

लक्ष्मी जी को कमल से उत्पन्न माना जाता है इसलिए उन्हें पùजा भी कहते हैं। यह एक सात्विक पुष्प है। कीचड़ में उत्पन्न होते हुए भी यह शुद्ध होता है। जल में रहते हुए भी पानी की एक बूंद तक इसकी पŸिायों पर नहीं ठहरती। कमल से यह संकेत लिया जाता है कि मनुष्य संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी इसमें डूबे नहीं, बल्कि इससे निर्लिप्त होकर ऐसे कार्य करें जो उसे यश प्रदान करते हुए कमल की भांति ऊंचा उठाए रखे। शास्त्रों में लक्ष्मी जी के चार वाहन वर्णित हैं- गरुड़, उल्लू, हाथी और कमल। उल्लू लक्ष्मी का तामसिक वाहन है, गरुड़ सात्विक तथा हाथी और कमल राजसी वाहन हैं।

इसलिए कमल को ऐश्वर्य से जोड़ा जाता है व लक्ष्मी जी भी धन संपदा तथा ऐश्वर्य की देवी अतः समृद्धि के पर्याय रूप में कमल उन्हें अति प्रिय है।

‘‘लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम सूत्र’’

Û नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को व अंतिम रोटी कुŸो को दें तो आपके भाग्य का द्वार खुलने से कोई नहीं रोक सकता।

Û कभी भी किसी को दान दें तो उसे दहलीज से अंदर न आने दें। दान घर की दहलीज के अंदर से न करें।

Û नियमित रूप से प्रत्येक शुक्रवार को श्रीसूक्त या लक्ष्मी सूक्त का पाठ किया जाए तो वहां मां लक्ष्मी का स्थाई रूप से वास होता है।

Û प्रातः उठकर सर्वप्रथम गृहलक्ष्मी यदि मुख्य द्वार पर एक लोटा जल डालें तो मां लक्ष्मी के आने का मार्ग प्रशस्त होता है।

Û आर्थिक संपन्नता के लिए नियमित रूप से पीपल के वृक्ष में जल अवश्य दें।

Û घर में जितने भी दरवाजे हों, उनमें समय-समय पर तेल अवश्य डालते रहें। उनमें से किसी प्रकार की कोई आवाज नहीं आनी चाहिए।

Û आर्थिक वृद्धि के लिए सदैव शनिवार के दिन गेंहूं पिसवाएं तथा गेंहूं में एक मुट्ठी काले चने अवश्य मिला दें।

Û घर में पूजा करते समय जो घी का दीपक जलाया जाता है उसमें रुई की बŸाी के स्थान पर मौली का प्रयोग करें क्योंकि मां लक्ष्मी को लाल रंग अधिक प्रिय है।

Û यदि बुधवार के दिन आपके सामने कोई हिजड़ा आ जाए तो उसे अपने सामथ्र्य से कुछ पैसे अवश्य दें चाहें वह स्वयं न मांगे।

Û प्रातःकाल के समय किसी को भी पैसा उधार न दें अन्यथा पैसे वापिस मिलने की संभावना नहीं होती है और न ही संध्या में पूजा काल के समय पैसे उधार दें।

Û लक्ष्मी जी को स्थाई रूप से रोकने के लिए दीपावली की रात्रि में 21 हकीक अपनी तिजोरी से या जहां धन रखते हैं वहां से उसारकर अपने घर के मध्य में गाड़ दें। कुछ ही समय में घर की आर्थिक स्थिति में विशेष परिवर्तन होगा।

Û आप यदि कहीं जा रहें हों और मार्ग में आपकेा कोई मोर नाचता दिखाई दे तो आप तुरंत उस स्थान की मिट्टी उठाकर अपने पास रख लें व घर आकर उस मिट्टी को धूप-दीप दिखाकर लाल रेशमी वस्त्र में रखकर अपनी तिजोरी में रख दें।



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