गूगल बाय कौटिल्य

गूगल बाय कौटिल्य  

व्यूस : 4786 | दिसम्बर 2013
राजनीति, अर्थशास्त्र और विश्व अर्थव्यवस्था का विस्तृत ज्ञान रखने और इनके बारे में सहजता से सवालों के जवाब देने वाला पंच वर्षीय बालक कौटिल्य वास्तव में अपने नाम को चरितार्थ कर रहा है। पांच वर्ष आठ महीने के बच्चे कौटिल्य से दुनिया के किसी महाद्वीप, महासागर अथवा देश व उनकी राजधानी के बारे में पूछा जाए रापर चलने को बेताब है और वह अपनी शक्ल सूरत भी उन्हीं की तरह रखना चाहता है और सिर के मध्य भाग में चोटी रखने लगा है। हाल ही में कौटिल्य को हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बाल प्रतिभा सम्मान से पुरस्कृत किया और उसे दस लाख रूपये का चेक व प्रशस्ति पत्र भी सौंपा। मुख्यमंत्री जी ने इस विलक्षण प्रतिभा के धनी बच्चे की उच्चतर शिक्षा का भी पूरा जिम्मा लिया है। इधर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से भी कौटिल्य को बुलावा आया है और अब वह के.बी.सी में भाग लेने की तैयारी में जुट गया है। बुद्धिजीवी वर्ग के अनुसार कौटिल्य का आईक्यू. स्तर लगभग 150 के आसपास होगा। कौटिल्य के जीवन से वास्तव में आजकल के माता-पिता को सीख लेनी चाहिए कि बच्चा एक कच्चे घड़े की तरह होता है। जैसा हम ढालना चाहते हैं वैसा ही ढल जाता है। हम अपनी व्यस्तता के कारण उनके लिए समय नहीं निकाल पाते और न ही उनके प्रश्नों के उत्तर देने के अहमियत को समझते हैं या फिर उनको डांट देते हैं तो इसीलिए बच्चे भी मां बाप से बात करने में कतराने लगते हैं और अपने मन में आने वाले सवालों को अपने तक ही सीमित रख लेते हैं। उनकी जिज्ञासा तभी बढ़ती है जब उन्हें अपने प्रश्नों का जवाब मिले। यही कारण है कि कौटिल्य का दिमाग इतना तेज चलता है क्योंकि उसके दिमाग को पूरी खुराक मिल जाती है और साथ ही भीगे हुए चने व बादाम भी उसके दिमाग व शरीर का पोषण करते हैं। आइये देखें क्या कहते हैं कौटिल्य की कुंडली के सितारे क्योंकि अब कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय भी इस बच्चे की इतनी जल्दी सीख कर याद करने की क्षमता पर रिसर्च करने जा रही है। कौटिल्य की कुंडली के अनुसार बुद्धि स्थान का स्वामी शुक्र दशम स्थान में अपनी ही मूल त्रिकोण राशि तुला में स्थित होकर मालव्य योग बना रहे हैं तथा नवांश में बुध के नवांश में स्थित हैं। चंद्र कुंडली से विचार करें तो भी पंचम भाव का स्वामी शुक्र है तथा वह अपनी राशि में पंचम भाव (बुद्धि भाव) में स्थित है अर्थात पंचमेश ग्रह की अत्यंत शुभ स्थिति के कारण कौटिल्य की बुद्धि इतनी अधिक तीव्र है कि वह जिस बात को एक बार समझ लेता है उसे याद कर लेता है। पंचम से पंचम स्थान के स्वामी बुध का बारहवें भाव में विद्या स्थान के स्वामी मंगल से परस्पर दृष्टि संबंध भी बन रहा है जिससे कौटिल्य को विदेशों के बारे में इतनी जानकारी है और आगे भी यह संबंध विदेश से अच्छी शिक्षा प्राप्त करवाएगा। बुध और बृहस्पति की एक साथ युति होने से तथा बृहस्पति ग्रह बुध के नवांश में होने से इनमें ज्ञान और तो वह तुरंत पलक झपकते ही सब कुछ सही-सही बता देता है। हाल ही में टेलीविजन पर प्रसारित उसके प्रोग्राम को देखकर अधिकतर लोगों ने अपने दांतों तले उंगली दबा ली और इस प्यारे से बच्चे के लिए बहुत आशीर्वाद और दुआएं भी जबरन निकल जाती है। हरियाणा के करनाल जिले में कोंहड में रहने वाला कौटिल्य अद्भुत दिमाग का धनी है। वह अभी प्रथम कक्षा में पढ़ता है पर उसका दिमाग बहुत तेजी से चलता है और उसमें सब कुछ जानने की उत्कंठा के साथ, सब समझकर याद करने की क्षमता भी है। बचपन से ही वह काफी उत्सुक स्वभाव का है और बहुत कल्पनाशील है। अपने पिता व दादाजी से सब तरह के प्रश्न पूछता है। अधिकतर माता-पिता अपनी व्यवस्तता एवं अज्ञानता के चलते उन प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाते पर कौटिल्य के पिता और दादाजी जो शुरू से ही उसके सभी प्रश्नों के उत्तर देते रहे हैं और उनके अनुसार यदि उनको किसी प्रश्न का उत्तर मालूम नहीं होता तो भी इंटरनेट से ढूंढ़ कर वे उसे उत्तर देते हैं और तब तक उत्तर देते रहते हैं जब तक कि उसकी जिज्ञासा शांत नहीं हो जाती। इसी के फलस्वरूप कौटिल्य को सारे एटलस, सौरमंडल, देश, विदेश आभा बंसल, फ्यूचर पाॅइंट की राजधानी व राजनीति की बहुत जानकारी है। कौटिल्य के दादाजी एक स्कूल चलाते हैं और खुद भी उसमें पढ़ाते हैं और उसका एक दोस्त की तरह साथ देते हैं और उसके साथ बच्चा बनकर खेलते भी हैं। पहली कक्षा में पढ़ने वाले कौटिल्य को मीडिया ने ‘मेमोरी प्रिंस और ‘गूगल बाॅय’ के अच्छे नाम दिये हैं और वास्तव में इन नामों के अनुरूप कौटिल्य को किताबें पढ़ना अच्छा गूगल बाॅय कौटिल्य लगता है और विश्व के 213 देशों की भौगोलिक सीमाएं, क्षेत्रफल व अन्य तमाम जानकारियां जुबानी याद हैं। देश के राजनीतिक घटनाक्रर्मों पर भी वह तुरंत अपनी राय दे देता है। सौरमंडल से संबंधित सभी ग्रह व उपग्रह के नाम उसे याद हैं। प्राचीन काल में कौटिल्य नाम से मशहूर विष्णुगुप्त ने प्रशासनिक नीतियों पर आधारित ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक लिखी थी और अब आधुनिक युग का यह कौटिल्य भी ज्ञान के मामले में उनके नक्शे कदम बुद्धि आदि गुणों की बाहुल्यता विद्यमान है। कौटिल्य में गजब की कल्पना शक्ति है क्योंकि बुध चंद्रमा के नवमांश में है तथा चंद्रमा से दृष्ट भी है। इसी कल्पना शक्ति के चलते वह तरह-तरह के प्रश्न करता है और कठिन से कठिन विषय को सरलता से ग्रहण कर लेता है। शायद गजकेसरी योग के भी विद्यमान होने से भविष्य में बड़ा आविष्कारकर्ता व लेखन कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। कौटिल्य की कुंडली में अष्टमेश, द्वादशेश व षष्ठेश की बारहवें भाव में एक साथ युति है अर्थात् अशुभ भावों के स्वामियों के अशुभ भाव में एक साथ होने से एक प्रबल विपरीत राजयोग बन रहा है। इस तरह का विपरीत राज योग बहुत कम लोगों की कुंडली में देखने को मिलता है। इसी योग के कारण कौटिल्य को अपनी बुद्धि और ज्ञान के बल पर इतनी छोटी उम्र में ही सरकार के द्वारा इतना बड़ा सम्मान प्राप्त हुआ है और मीडिया ने भी उसे सर आंखों पर बिठाया है। विपरीत राज योग बनाने वाले ग्रहों में बुध और बृहस्पति बुद्धि और विद्या के प्रतिनिधि ग्रह हैं तथा सूर्य ग्रह राजवैभव, यश, प्रतिष्ठा का प्रतिनिधि ग्रह होने से कौटिल्य को अपनी विद्या और बुद्धि से इतना धन, यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति हुई। कौटिल्य की कुंडली में लग्नेश ग्रह शनि नवमांश में वर्गोत्तम नवमांश में स्थित है जिसके कारण शनि ग्रह को शुभत्व प्रदान हो रहा है। शनि की पंचम भाव तथा पंचमेश शुक्र पर मित्र दृष्टि है जिसके फलस्वरूप कौटिल्य गंभीर बुद्धि का बच्चा है। वह हर बात को गंभीरता से सुनता है और उनको अपने मस्तिष्क में समाए रखने में भी सफल होता है। जैसा कि कहा जाता है कि कुंडली में कितने ही योग हों फल तभी मिलता है जब उचित दशा व गोचर चल रहा हो। कौटिल्य को भी इतनी छोटी आयु में इतना मान सम्मान इसीलिए मिल गया क्योंकि उसकी दशा, अंतर व प्रत्यंतर दशा भी सही चल रही है। कौटिल्य की चंद्र कुंडली को देखंे तो वह लग्न कुंडली से अधिक प्रभावशाली है जिसके कारण उसे अपने ग्रह योगों की शीघ्र पूर्ण अनुकूलता प्राप्त हो रही है। इसका प्रमाण उसकी वर्तमान ग्रह दशा, अंतर्दशा व प्रत्यंतर दशा से प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध हो रहा है। वर्तमान में उसकी राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा तथा उसमें बृहस्पति की प्रत्यंतर दशा चल रही है। राहु ग्रह चंद्र कुंडली से त्रिकोण भाव में मित्र शनि की राशि में स्थित है तथा शनि चंद्र कुंडली में बहुत बलवान है। बुध ग्रह मिथुन राशि का स्वामी होकर केंद्र में स्थित है तथा बृहस्पति भी बुध के साथ अपनी स्वराशि में केंद्र में स्थित है।’ लग्न कुंडली के अनुसार बुध तथा गुरु से विपरीत राज योग बन रहा है और राहु धन स्थान में बैठकर आकस्मिक धन लाभ देने का योग बना रहे हैं। इस कारण से कौटिल्य को इन दशाओं में धन, यश, मान सम्मान की प्राप्ति हुई। चंद्र मंगल की युति भी लक्ष्मी योग बना रही है। हाल ही में कौटिल्य का अपने गांव में भी स्वागत किया गया और उसे गांव के सरपंच विनोद राठी ने भी अपनी तरफ से 11 हजार रुपये देकर सम्मानित किया। भविष्य में भी कौटिल्य निश्चित रूप से अपने जीवन में महत्वपूर्ण कार्य करे यही हमारी प्रभु से प्रार्थना है।



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