क्या करें की दिल का दौरा न पड़े

क्या करें की दिल का दौरा न पड़े  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 9414 | मई 2007

हमारे देश में और खासकर दिल्ली म ंे दिल की बीमारी तेजी से फैल रही है। दिल के दौरे का कारण एक बड़ी सीमा तक हमारी जीवनशैली है जिसे हम बचपन से ही अपना लेते हैं। उत्तर भारत के शहरों में यह बीमारी लगभग 14 प्रतिशत वयस्कों में पाई जाती है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 6 प्रतिशत वयस्क इसके शिकार हैं।

सैन फ्रैंसिस्को विश्वविद्यालय के डाॅ. डडले ह्वाइट ने कभी कहा था, “अगर किसी व्यक्ति को उसकी उम्र के 80वें वर्ष के पहले दिल की बीमारी होती है तो उसकी अपनी गलती के कारण होती है और यदि 80 वर्ष के बाद होती है तो यह ईश्वर की इच्छा होती है।”

वास्तव में दिल की इस बीमारी की वजह भी हम ही हैं और हम ही इलाज भी। हमारी जीवनशैली का प्रकृति के नियमों के अनुरूप होना जरूरी है, तभी हम इससे खतरनाक मर्ज से अपना बचाव कर सकते हैं। एक स्वस्थ हृदय हमारे ज्ञान, विचार और पसंद-नापसंद की अभिव्यक्ति है। इस तरह, एक स्वस्थ हृदय कोई भाग्य की बात नहीं, बल्कि इच्छा की बात है।

नारियां भाग्यशाली हैं कि उनमें 40 वर्ष की उम्र के पहले यह बीमारी कम पाई जाती है। हमारे देश में हर साल 25 लाख लोग इस बीमारी के कारण मौत के शिकार होते हैं। इनमें 16 लाख लोगों की मौत दिल का दौरा पड़ने के घंटे भर के अंदर, जब तक उन्हें चिकित्सा सहायता मिले, हो जाती है। दिल सीने में छाती की हड्डी के पीछे स्थित मुðी के आकार का एक अवयव है।

यह एक मिनट में 60 से 80 बार और दिन में लगभग एक लाख बार धड़कता है और एक मिनट में 5 लीटर रक्त मस्तिष्क, गुर्दों, फेफड़ों तथा अन्य ऊतकों समेत शरीर के विभिन्न हिस्सों को पहुंचाता है। जोखिम की बातें दिल के दौरे के कारक प्रमुख जोखिमों को दो रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है - परिवत्र्य और अपरिवत्र्य।

धूम्रपान, कोलेस्ट्राॅल का उच्च स्तर, अनियंत्रित नकारात्मक अवसाद, मोटापा, बीच का मोटापा (तोंद का होना), शारीरिक श्रम की कमी, दोषपूर्ण भोजन, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, अनियंत्रित मधुमेह, रक्त में होमोसिस्टीन का बढ़ा होना आदि परिवत्र्य रूप हैं। दूसरी तरफ, बढ़ती उम्र, नारियों में रजोनिवृत्ति के बाद की अवस्था और परिवार के सदस्यों में आनुवंशिक रूप से चली आ रही दिल की बीमारी आदि अपरिवत्र्य कारण हैं।

तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन समान रूप से नुकसानदेह होता है और तंबाकू से बनी सारी चीजें समय से पहले दिल के दौरे और अकाल मृत्यु की कारक होती हैं। निकोटीन, कार्बनमोनोक्साइड तथा अन्य कई रसायनों के कारण धूम्रपान धमनी को सिकोड़ देता है जिससे दिल की मांसपेशी में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इससे हृद-धमनी में कड़ापन आ जाता है और कोलेस्ट्राॅल आॅक्सीकृत हो जाता है।

रक्त में लसलसाहट भी बढ़ जाती है, जिससे उसमें थक्के बनने लगते हैं। धूम्रपान करने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोगों में दिल की बीमारी पाई जाती है। इसलिए धूम्रपान की आदत का त्याग कर हम दिल के दौरे के जोखिम को रोक सकते हैं। कोलेस्ट्राॅल का बढ़ा स्तर, गंदा कोलेस्ट्राॅल आदि के कारण दिल की बीमारी समय से पहले हो जाती है। इसलिए यदि दिल की बीमारी से बचाव चाहते हों तो अपने अंदर कोलेस्ट्राॅल की मात्रा संतुलित रखें।

प्रतिस्पर्धा, वैर, डाह, क्रोध, उन्माद तथा अन्य नकारात्मक संवेगों के कारण दिल की बीमारी का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इसके विपरीत, मन का सुकून और प्रेम, करुणा, सौहार्द, शांति, परोपकारिता और उदारता आदि दिल की बीमारी को रोकने में मदद कर सकते हैं। योग एवं ध्यान भी इस बीमारी को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं।

दिल और दिमाग का संबंध: दिल और दिमाग प्रत्यक्षतः और परोक्ष दोनों रूपों में एक दूसरे से जुड़े तंत्र होते हैं। वहां परोक्षतः इनका जुड़ाव संवेग, ईष्र्या, भय, डाह, उन्माद, क्रोध, वैर, नकारात्मक प्रतिस्पर्धा आदि के कारण होता है। मन में पनपने वाले हर विचार का- वह चाहे कष्ट से संबंधित हो या आनंद से, आशा या भय से, या फिर प्रेम या घृणा से- प्रभाव दिल पर पड़ता है। भविष्य को लेकर निराश कुछ प्रौढ़ लोगों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि आशावादी लोगों की तुलना में उनकी हृद-धमनियों में 20 प्रतिशत अधिक संकुचन था।

तलाक, पति या पत्नी की मृत्यु, अकेलापन, काम की कमी या सेवा-निवृŸा, कुंठा आदि समय से पहले दिल के दौरे के प्रमुख कारण हैं। बड़ी तोंद भी समय से पहले दिल की बीमारी का कारण होती है। पुरुषों में कमर का घेरा (कमरबंद) 40 इंच से और स्त्रियों में 36 इंच से कम होना चाहिए। कहा जाता है कि कमर का घेरा बड़ा हो तो उम्र कम होती है। विकृत मोटापे से दिल के दौरे, तनाव, मधुमेह, कैंसर आदि कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं।

वजन यदि संतुलित हो, तो विकृत मोटापे का भय नहीं रहता और वजन को संतुलित बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम, योग, परहेज और ध्यान तथा तन-मन का संतुलन आदि की जरूरत होती है। शारीरिक अकर्मण्यता: व्यायाम की कमी भी दिल की बीमारी का एक कारण है। ब्रिटेन में किए गए एक शोध के अनुसार डाक लिपिकों की तुलना में डाक बाबुओं में और बस ड्राइवरों की तुलना में कंडक्टरों में दिल की बीमारी अधिक पाई गई।

नियमित व्यायामों और खास तौर पर टहलने, जाॅगिंग, साइकिल चलाने, तैरने, नाचने और स्कीइंग जैसे उछलने कूदने वाले व्यायामों, से दिल की पेशीय क्षमता में वृद्धि होती है। वहीं ये व्यायाम उच्च रक्तचाप को कम करते हैं, बाह्य अवरोध को दूर करते हैं और नई सहवर्ती वाहिकाएं (प्राकृतिक बाइपास) उत्पन्न करते हैं और इस तरह बाइपास चिकित्सा को बाइपास करने में मदद करते हैं।

व्यायाम, खास तौर पर रोज बीस मिनट की चहलकदमी (टहलना) दिल के दौरे से बचाता है। किसी सुंदर हरे-भरे मैदान में फुरती से टहलना 40 वर्ष की आयु के बाद किया जाने वाला सबसे अच्छा सबसे अच्छा व्यायाम है। आहार: अधिक वसा ओर कोलोस्ट्राॅल आहार से रक्त में कोलेस्ट्राॅल बढ़ सकता है। इसलिए जहां तक संभव हो, मांस, मछली आदि से परहेज करना चाहिए और सब्जियों, फल, अन्न, दालें आदि अधिक से अधिक खाने चाहिए।

खजूर अथवा नारियल के तेल के स्थान पर जैतून और कैनोले के तेल का सेवन करना चाहिए। अनियंत्रित मधुमेह से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। अतः इससे पीड़ित लोगों को इस पर नियंत्रण रखना चाहिए। उच्च रक्तचाप से दिल की मांसपेशियों पर बोझ बढ़ता है, जिसका दिल की धमनियों में होने वाले संचार पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

इससे मस्तिष्क, आंखों और गुर्दों को भी खतरा रहता है। वहीं अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के फलस्वरूप दिल की मांसपेशियों का मोटापा बढ़ता है। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से पीड़ित 80 प्रतिशत लोगों को दिल की बीमारी निश्चित रूप से होती है। अतः उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने का हर संभव उपाय करना चाहिए।

स्वस्थ हृदय के कुछ सूत्र रोज खाली पेट दो गिलास पानी पीएं। रोज 30 मिनट तक व्यायाम करें। तंबाकू न चबाएं, धूम्रपान न करें। सुबह शाम 20 मिनट ध्यान करें। पांच मिनट की ही सही, रोज मालिश करें। यह क्रिया स्वयं करें। सही वातावरण में, सही स्थान पर, सही समय पर, सही ढंग से, सही खुराक में, सही भोजन करें।

खाना तभी खाएं जब भूख लगे। ताजा पका हुआ खाना, शांत वातावरण में, धीरे-धीरे खाएं। तामसी या राजसी भोजन से परहेज करें, हमेशा सात्विक शाकाहारी खाना खाएं। हर बार खाने में फलों और रसों का समावेश होना चाहिए। सब्जियों, फलों, सलाद, बादामों जैसी प्रकृति प्रदŸा वस्तुओं का सेवन करें।

तली या मीठी चीजों जैसा रद्दी खाना न खाएं। ध्यान रखें कि तोंद बड़ी न हो। कोलेस्ट्राॅल के स्तर को संतुलित रखें। पर्याप्त आराम करें- 6 से 8 घंटे रोज। कार्य के प्रति ईमानदार, सत्यनिष्ठ और समर्पित रहें। स्व-आश्रित होकर काम करें, वस्तु आश्रित होकर नहीं।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.