चरित्र विन्यास
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व्यूस : 7002 | अकतूबर 2013
A - Z तक प्रत्येक अक्षर के संख्यात्मक मान 1 से 9 तक निर्धारित किए गए हैं। इस प्रकार प्रत्येक नाम में एक निश्चित संख्या में 1, 2, 3 इत्यादि दुबारा अथवा कई बार आते हैं। संतुलित व्यक्तित्व के लिए यह आवश्यक है कि कोई भी अंक औसत बार ही दोहराया जाय। यदि कोई अंक औसत से अधिक बार आ जाता है तो व्यक्तित्व में उस अंक की विशेषता कुछ अधिक ही हो जाती है। यदि अत्यधिक बार आया हुआ अंक कोई विशिष्ट अंक भी है तो उसका व्यक्तित्व पर एक अलग प्रभाव होगा। यदि कोई अंक औसत से कम बार प्रकट होता है तो व्यक्तित्व में उस अंक के नकारात्मक गुणों का समावेश हो जाता है। यदि वही अंक किसी विशिष्ट अंक के रूप में भी प्रकट होता है तो वह व्यक्तित्व को अधिक संतुलित बना देता है, अन्यथा व्यक्तित्व में कुछ कमजोरियाँ बनी रहती हैं। यदि कोई अंक नाम में नहीं होता है तो यह एक कार्मिक ऋण के रूप में उपस्थित रहता है जिसे विशिष्ट अंक के द्वारा संतुलित किया भी जा सकता है अथवा नहीं भी। दो व्यक्तियों के भाग्यांक एवं योग्यता अंक समान रहने पर भी उनके व्यवहार बिल्कुल अलग हो सकते हैं। ऐसा उनके नाम में आने वाले अंक की प्रबलता के कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि किसी व्यक्ति का भाग्यांक 7 है और उसके नाम में अंक 4 अथवा 5 की बारंबारता अधिक है तो ऐसा व्यक्ति विज्ञान के व्यावहारिक पहलुओं के प्रति अधिक अभिरूचि प्रदर्शित करेगा जैसे कि प्रयोगशाला स्थापित करना, यन्त्रों की देखभाल, तथ्यों एवं आँकड़ों का संकलन, शोधकत्र्ताओं की नियुक्ति इत्यादि। किन्तु कोई दूसरा व्यक्ति है जिसका भाग्यांक भी 7 ही है किन्तु उसके नाम में 3 अथवा 7 अथवा 9 की बारंबारता अधिक है तो ऐसे व्यक्ति की दिलचस्पी खोज अथवा आविष्कार में होगी न कि प्रयोगशाला की देखभाल इत्यादि में। किसी भी नाम में किसी अंक की औसत से अधिक अथवा कम बारंबारता दो चरम बिन्दुओं को प्रदर्शित करता है जो जीवन में असामान्य व्यवहार के लिए उत्तरदायी होता है। यही कारण है कि एक ही भाग्यांक होने पर भी कोई व्यक्ति अपराधी होता है अथवा तलाक के लिए मुकदमा लड़ता है तो दूसरी ओर कोई व्यक्ति मानवता की निःस्वार्थ तथा निष्कलंक सेवा करता है। किसी भी अंक की बारंबारता किसी नाम में निम्न प्रकार से होनी चाहिएः 1 - 2 - 3 - 4 - 5 - 6 - 7 - 8 - 9 3 1 1 1 3 1 0 1 3 Or Or Or 2 4 1 अतः, एक संतुलित व्यक्तित्व के लिए नाम में 1 तीन बार आना चाहिए। तीन से अधिक बार यदि 1 आ जाय तो व्यक्ति दृढ़ मानसिकता वाला होता है। इसी प्रकार तीन से कम बार यदि 1 आता है तो व्यक्ति की ईच्छाशक्ति, पहल अथवा अगुआई करने की क्षमता तथा दृढ़ता कमजोर होती है। नाम में 2, 3 तथा 4 एक बार आना चाहिए। संतुलित व्यवहार के लिए 5 तीन या चार बार आना चाहिए। 6 का एक से अधिक बार आना विशिष्ट लक्षण दर्शाता है। नाम में कई बार 7 अनुपस्थित रह सकता है क्योंकि विश्लेषण करने की क्षमता तथा उच्च कोटि की निपुणता एक सामान्य गुण नहीं है। अतः नाम में एक बार भी 7 आना व्यक्ति को काफी निपुण बनाता है। नाम से 8 भी अनुपस्थित हो सकता है किन्तु 8 की एक बार भी उपस्थिति व्यक्ति को संगठनात्मक क्षमता तथा कठिन परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता प्रदान करता है। एक से अधिक बार 8 की उपस्थिति एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। 9 सामान्यतः तीन बार आते हैं जिससे व्यक्ति दयालु, सहृदय तथा क्षमाशील होता है। तीन से कम 9 व्यक्ति में इन गुणों की कमी दर्शाता है। तीन से अधिक 9 बलिदान की सीमा तक उदारता दर्शाता है। किन्तु अंक कुंडली की समीक्षा करते वक्त सतर्कता बरतनी आवश्यक है। यदि किसी व्यक्ति के नाम में कोई अंक नहीं है तो उसे ऐसे ही भला-बुरा कहना सही नहीं है। यह अंक किसी अन्य स्थान पर विद्यमान रह सकता है। अधिकतर लोगों के पास औसत जीवन जीने के संसाधन मौजूद होते हैं। फिर भी सम्पूर्ण अंक कुंडली में कई कमियाँ मौजूद होती हैं जो समय-समय पर असामान्य घटनाओं का कारण बनती हैं। कभी-कभी इन 9 अंक में से कोई एक अंक अति महत्वपूर्ण तथा प्रबल बन जाता है। ऐसी स्थिति मं यह विशिष्ट अंक की भाँति कार्य करता है तथा उस दिशा में अतिरिक्त ऊर्जा को निर्देशित करता है। व्यक्ति का संपूर्ण चरित्र उसी रंग में रंगा पाया जा सकता है।



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