मां के नौ स्वरूप

मां के नौ स्वरूप  

व्यूस : 5002 | अकतूबर 2013
शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की कन्या शैलपुत्री प्रथम दुर्गा कहलाती हैं। यह पूर्वजन्म में प्रजापति दक्ष की बेटी तथा शिव की अर्धांगिनी थीं। सब देवताओं ने इनकी स्तुति करते हुए कहा कि देवी आप सर्वशक्ति, आदि शक्ति हैं। आप ही की शक्ति के द्वारा हम देवता भी बलशाली हैं। अतः हम आपका बारंबार जय घोष करते हैं। ब्रह्मचारिणी: यह दुर्गा का दूसरा स्वरूप है। ब्रह्म यानी तप की चारिणी या आचरण करने वाली देवी ‘तपश्चारिणी’ भी कहलाती हैं। इसी जन्म में इनका नाम ‘उमा’ भी विख्यात हुआ। दुर्गा का यह रूप कौमार्य शक्ति का भी प्रतीक है। चंद्रघंटा: सुनहरी रंगत वाली यह तीसरी दुर्गा अपने मस्तक में विराजमान घंटे के आकार का अर्धचंद्र लिये हुए हैं। इनके घंटे (शब्द) की घनघोर गर्जना से दैत्य एवं असुरों का संहार हुआ। सप्तशती के दूसरे अध्याय में वर्णित है ‘घंटास्वनविमोहितान्’, अर्थात् असुरों को देवी ने नाद से मूर्छित कर के यमलोक पहुंचाया। कूष्मांडा: चतुर्थ दुर्गा कूष्मांडा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली शक्ति हैं। देवी कूष्मांडा सूर्य मंडल के भीतर निवास करती हैं। इनका तेज अवर्णनीय तथा अलौकिक है। स्कंदमाता: पर्वतराज हिमालय की कन्या शैलपुत्री ने ब्रह्मचारिणी के रूप में तप के पश्चात शिव को वरण किया। इनसे इन्हें ‘स्कंद’ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। स्कंद की माता होने से ये ‘स्कंदमाता’ के रूप में प्रसिद्ध हुईं। कात्यायनी: दुर्गा का छठा स्वरूप कात्यायनी देवी ब्रज भूमि की अधिष्ठात्री देवी हैं, क्योंकि वृंदावन की गोप बालाओं ने कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के किनारे विराजमान देवी कात्यायनी की पूजा की थी। कालरात्रि: स्याह काले रंग के भयावह रूप में चित्रित दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि है। इस देवी के बाल सदैव बिखरे रहते हैं। वह कंठ में बिजली जैसी माला धारण किये हुए हैं। इस देवी के नेत्र भी बिजली की भांति चमकते हैं। इनकी ब्रह्मांड सदृश तीन गोल आंखें हैं। नाक से सांस छोड़ने पर अग्नि की भयंकर लपटें निकलती हैं। इनका यह रूप भक्तों के शत्रुओं के दमन के लिए है। सबके विनाश काल की भी रात्रि (विनाशिका) होने से इनका नाम ‘कालरात्रि’ हुआ। महागौरी: दुर्गा के आठवें स्वरूप वाली महागौरी शांत प्रकृत्ति की देवी हैं। हिमालय में कड़ी तपस्या के दौरान इनके अंगों पर मिट्टी की परतें जम गयी थीं, जिन्हें शिव ने गंगा जल से साफ किया, तो देवी के अंग गौर वर्ण में खिल उठे। तभी से इनका नाम ‘महागौरी’ प्रसिद्ध हुआ। सिद्धिदात्री: सिद्धियों को प्रदान करने की वजह से ही नौवीं दुर्गा ‘सिद्धिदात्री’ के नाम से विख्यात हुईं। शिव ने इनकी पूजा-अर्चना कर के सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी के आशीर्वाद से उनका आधा अंग देवी का हुआ था और इसी से वह ‘अर्धनारीश्वर’ के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। यह देवी कमल पर विराजमान हैं। इससे पूर्णतः स्पष्ट हो जाता है कि मां दुर्गा के उक्त नौ रूप लोक कल्याण तथा सृष्टि सुरक्षा के अवतार हैं



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.