वैभव लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ऐसे मनाएं दीपावली

वैभव लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ऐसे मनाएं दीपावली  

व्यूस : 5760 | नवेम्बर 2008
वैभव लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए ऐसे मनाएं दीपावली प्रिया अरोड़ा धर्म ग्रंथों में दीपावली का त्यौहार पांच दिन का माना गया है। इसलिए धनतेरस से लक्ष्मी के आवाहन की तथा रोग, दोष, क्लेश आदि से छुटकारा पाने हेतु पूजा उपासना की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यदि आप परिवारिक कलह, दरिद्रता और बाधाओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, स्वास्थ्य, शांति और लक्ष्मी की आमद चाहते हैं, तो पांच दिनों तक कथानुसार कर्म करें, मनोवांछित फल प्राप्त होंगे। धनतेरस: यह यमराज का दिन भी कहलाता है। इस दिन यम को प्रसन्न करने से परिवार में वर्ष भर शांति व सुख कायम रहता है। यह दिन स्वास्थ्य के देवता धन्वन्तरि का जन्मदिन भी है, जो निरोग रहने का वरदान देते हैं। यम का वास जल के किनारे होता है और धनवन्तरि समुद्र मंथन के समय जल से प्रकट हुए थे। अतः इस दिन जलपूजन और जल में दीपदान करना चाहिए। यदि घर में अशांति हो, सास-बहू में, पिता-पुत्र में, अथवा पति-पत्नी के मध्य किसी भी प्रकार का कलह हो, संतान प्राप्ति में बाधा हो, संतान गलत मार्ग पर हो, बच्चों के विवाह में अड़चन आ रही हो, स्वयं कुयोग से परेशान हों, परिवार के अन्य सदस्यों को असाध्य रोग हो, व्यापार-व्यवसाय में बरकत नहीं हो रही हो, नौकरी में परेशानी हो, पदोन्नति में रुकावटें आ रही हों, स्वयं पितृ दोष अथवा ग्रहांे की पीड़ा से ग्रस्त हों अथवा राहु व शनि ग्रह से परेशान हों, तो धनतेरस के दिन यम देवता की निष्ठापूर्वक पूजा करें। जिन्हें कोई परेशानी नही है उन्हें भी जल का पूजन व दीप दान करना चाहिए। इससे प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। धनतेरेरस को क्या करें?ं? परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए धनतेरस से एक दिन पूर्व रात्रि में घर का मुखिया दक्षिण दिशा में सिरहाना रखकर और उसके नीचे नारियल रखकर सोए। प्रातः उठकर नारियल को बाहर के कमरे में सुरक्षित रख दे। शाम को छह से सात बजे के मध्य नारियल और तेल से भरा दीपक लेकर नदी या तालाब के किनारे पहुंचे। घाट पर खड़े होकर जल की पूजा करे, उन्हें पुष्प चढ़ाए और यम देवता को प्रणाम करके पहले जल में नारियल छोड़े और बाद में दीपक जलाकर पानी में बहा दे। इस पूजा से सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। रूप चैदस- यह दिन मन का मैल साफ करने अर्थात् जाने-अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित करने का दिन है। अपनों व परायों से माफी मांगने का यह सर्वश्रेष्ठ दिन है। मन स्वच्छ होगा तभी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। मन की स्वच्छता के लिए आज के दिन जनकल्याण के कार्य करें। गरीबों को भोजन कराएं, उन्हें कंबल या वस्त्र दान करें। भंडारा करें। वर्षभर के दान से बड़ा है रूप चैदस का दान। ऐसे अवसरों को न जाने दें और यथासंभव दान दें। याद रखें आज का दान गरीबों के लिए है इसलिए किसी पंडित या पाखंडी को दान न करें। विद्यार्थियों को पुस्तकें दिलाएं, उन्हें वस्त्र भेंट करें। जरूरतमंदों की सेवा करें, मनोवांछित फल जरूर मिलेगा। दीपोत्सव: दीपावली को अमावस्या होती है। यदि आप अपने मित्रों को प्रसन्न रखना चाहते हैं, लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो यह विधि अपनाना चाहिए। देवताओं, पितरों और लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए प्रातः स्नान करके परिवार की प्रमुख महिला सदस्य चावल का खीर बनाए और उसमें घी व मेवा डाले। खीर के ग्यारह भाग करके पहला भाग गाय को, दूसरा कन्या को, तीसरा बालक को, चैथा चिड़ियों को, पांचवां कौए को और छठा कुत्ते को परोसे। सातवां भाग मंदिर में और आठवां छत पर रखे। नवां भाग तुलसी थाल पर रखे, दसवां बिल्ली को दे और ग्यारहवां पीपल को अर्पित करे। धर्म ग्रंथों में इन सभी में श्रीलक्ष्मी का वास लिखा गया है। कहा गया है कि उक्त विधि से उपासना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और वर्ष भर उपासक के घर में वास करती हैं। ध्यान रखें खीर परिवार के लिए नहीं है, क्योंकि यह दानस्वरूप है। दीपावली के दिन प्रातः ही गुड़ की भेली खरीद कर लाएं। उसे पूजा स्थल पर रखें। रोली से भेली पर 21 स्वस्तिक बनाएं और एक नारियल को भेली पर रखकर मन से उन स्वास्तिकों की पूजा करें। गुड़ में श्री गणेश व श्री लक्ष्मी का वास होता है, क्योंकि यह गन्ने से बनता है। लक्ष्मी पूजूजूजन में ंे ं क्या करें?ंे?ं? माता लक्ष्मी की चांदी की मूर्ति खरीद कर लाएं। मूर्ति के अभाव में ऐसा चांदी का सिक्का खरीदें जिस पर माता लक्ष्मी बैठी अवस्था में हों और उनके दोनों ओर हाथी हों। शुभ समय और शुभ मुहूर्त में सर्वप्रथम श्रीलक्ष्मी की उस मूर्ति को गन्ने के रस और पंचामृत से स्नान कराकर आसन पर बिठाएं। ध्यान रहे कि लक्ष्मी का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो। माता लक्ष्मी की श्रद्धा और भक्ति से पूजा-अर्चना करें। उन्हें सफेद पुष्प अवश्य चढ़ाएं। पूजा ऊन के आसन पर बैठ कर करें। लाल चंदन को घी में भिगोकर श्रीलक्ष्मी को धूप दिखाएं। माता को चावल की खीर और हलवे का भोग अवश्य लगाएं। उन्हें मीठा पान भी भेंट करें। पूजा के समय घर मुखिया श्वेत या क्रीम रंग के वस्त्र पहने। महिलाएं गोटे की साड़ी पहनें, पता - डी-14, द्वितीय तल कालकाजी, नयी दिल्ली-19 मो. 9350883033 सोलह शृंगार करें और पूजन में बैठें। इस अवसर पर महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्रम् का पाठ अवश्य करें। गोवर्धन पूजा: गोवर्धन पूजा से परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है और शनि की पीड़ा से छुटकारा मिलता है। शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति गोबर से बने गोवर्धन जी के बाएं भाग में तेल का दीपक जलाए, उन्हें नमस्कार करे और शनि की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करे। शनि ग्रह की शांति का यह अचूक उपाय है। ध्यान रहे, तेल में चुटकी भर हल्दी अवश्य डालंे। अथ महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्रम् नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।। नमस्ते गरुडारूढ़े कोलासुरभयंकरि। सर्वपाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।। सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि सर्वदुः खहरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।। सिद्धिबुद्धिप्रदे देवी महालक्ष्मी भुक्ति-भुक्तिप्रदायिनि। मन्त्रपूते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।। आद्यन्तरहिते देवी आद्यशक्तिमहेश्वरी। योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।। स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे। महापापहरे देवी महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।। पùासनस्थिते देवी परब्रह्मस्वरूपिणी। परमेशि जगन्मार्तमहालक्ष्मी नमोऽस्तुते।। श्वेताम्बरधरे देवी नानालंकारभूषिते। जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।।



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