यू.पी. के नाथ योगी आदित्यनाथ

यू.पी. के नाथ योगी आदित्यनाथ  

उमाधर बहुगुणा
व्यूस : 4184 | मई 2017

भारतीय जनता पार्टी के तेज तर्रार सांसद एवं गोरखपुर के लोकप्रिय नेता योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश की कमान संभालने का उत्तरदायित्य मिला है। यूपी से लेकर पूरे देश की जनता की निगाहें योगी जी की कार्यशैली पर लगी हुई है कि योगी जी उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य जहां अपराध एवं भ्रष्टाचार का बोलबाला है तथा जहां का समाज अगड़ी-पिछड़ी एवं निम्न जातियों की संज्ञा द्वारा विभूषित भेद-भाव पर आधारित है, वहां किस प्रकार अपनी प्रशासनिक यू.पी. के योगी आदित्यनाथ व्यवस्था एवं दक्षता से समरसता, सौहार्द एवं भाईचारे का माहौल स्थापित कर सामाजिक न्याय का मार्ग प्रशस्त कर पाते हैं।

इनकी कार्यशैली एवं बचपन से लेकर योगी बनने एवं मुख्यमंत्री पद संभालने तक के सफर को हम उनके जन्मकुंडली के आधार पर अध्ययन करते हैं कि कौन से ग्रह योगी जी को इस शिखर तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध हुए तथा आगे का इनका सफर कैसा रहेगा। माननीय श्री अजय मोहन बिष्ट जी (अब योगी आदित्यनाथ महन्त जी) पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाॅक के पन्चूर ग्राम में श्री आनंद सिंह बिष्ट जी और माताजी श्रीमती सावित्री देवी के घर में जन्मे। पिता एक वन कर्मचारी के रूप में विभिन्न स्थानों में सेवारत रहे।

अतः श्री अजय बिष्ट भी कई स्थानों में पिता के साथ अध्ययनरत रहे जिसमें कक्षा 9-10 हाई स्कूल गजा, टिहरी गढ़वाल और इंटरमीडिएट भरत मंदिर ऋषिकेश से पास किया, बी. एस. सी. कोटद्वार से किया। बहुत ही शांत, शर्मीले, इरादे के पक्के श्री अजय मोहन बिष्ट जी के उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने से पौड़ी, कोटद्वार, गजा, टिहरी गढ़वाल, ऋषिकेश सहित पूरे उत्तराखंड में होली-दिवाली एक साथ मनने लगी, मिठाईयां बंटने लगीं। इनके सभी बाल सखा गदगद हैं।


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इनके पिता सरकारी नौकरी के कारण कई जगह रहे इसलिए योगी जी भिन्न-भिन्न स्थानों में रहे, लेकिन राजनीति इन्होंने कोटद्वार छात्र संघ चुनाव हार कर सीखी। इस छोटी सी हार ने इनकी जिंदगी में बड़ी जीत के सभी रास्ते खोल दिए। हालांकि इस बीच ऐसा वाकया भी हुआ जिसने इनके मन में और ज्यादा उदासी भर दी। गैरेज रोड पर इनके छोटे से किराए के कमरे में चोरों ने एक दिन हाथ साफ कर दिया।

तब 1992 में ये महन्त अवैद्यनाथ जी के पास गोरखपुर चले गये और तब से लगायत सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते गए और पीछे मुड़कर नहीं देखा। गोरक्षनाथ पीठ के महंत श्री अजय मोहन बिष्ट जी अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी हैं। योगी जी के शासनकाल में उत्तर प्रदेश के भविष्य का ज्योतिषीय विश्लेषण माननीय आदित्यनाथ जी का जन्म सिंह लग्न, मीन राशि और कन्या नवांश में हुआ था।

लग्नेश सूर्य राज्य में कुटुम्बेश लाभेश बुध के साथ बुधादित्य योग तथा षष्ठेश सप्तमेश शनि के साथ दशम में एक और योग बना रहा है। इसी योग के कारण ये अपना घर-बार, जन्म स्थान को छोड़कर गोरक्षनाथ पीठ के महंत बने तथा वहां के लगभग 500 करोड़ धन संपत्ति के संरक्षक हंै। इनमें बड़े-बड़े निर्णय लेने की क्षमता है। इनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं है। ये एक स्पष्टवादी संत हैं। द्वितीयेश लाभेश बुध सूर्य के साथ नयी भूमि भवन का सृजन करता है।

पराक्रमेश राज्येश शुभलाभ में भाग्येश सुखेश मंगल के साथ दो पराशरीय राजयोग का सृजन कर रहा है जो बहुत प्रबल बन गया है। इसी राजयोग के कारण गोरक्षनाथ पीठ के महंत बने। गोरखपुर से पांच बार सांसद और फिर उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने, यह बहुत बड़ी बात है। पंचमेश अष्टमेश बृहस्पति और राज्येश पराक्रमेश शुक्र भी एक और पराशरीय राजयोग का सृजन कर रहा है, जिसके कारण पहले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में सबको सन्न कर देने वाली जीत फिर हफ्ते भर बाद माननीय आदित्यनाथ जी का उत्तरप्रदेश जैसे विशाल प्रदेश का मुख्यमंत्री के रूप में चयन हद से भी ज्यादा चैंकाने वाला फैसला था।


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श्री नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक के समान सबको सकते में डालता एक तीसरा अहम आत्मविभोर करता फैसला था। षष्ठम में राहु बहुत ही अच्छा है, षष्ठमेश और सप्तमेश शनि सूर्य के साथ अच्छा नहीं माना जाता। उस पर षष्ठम के राहु के कारण ही बेवजह ही योगीजी कई आपराधिक मामलों में ‘‘वांछित’’ हो गए। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्राॅनिक मीडिया झूठ के सहारे अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भी इनका प्रयोग करता रहता है। वे राजनीति की छद्म धर्मनिरपेक्षता के शिकार हुए हैं।

राज्येश पराक्रमेश शुक्र-मंगल की लाभ भाव में युति बहुत ही अच्छी है। ये उत्तर प्रदेश के अब तक के सबसे अच्छे मुख्यमंत्री साबित होंगे। व्यय का केतु राजयोग कारक बन गया है। चंद्रमा के अष्टम में होने से विपरीत राजयोग बन गया है। यह व्यक्ति को नई सफलता देता है। व्यक्ति की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही रहती है।

अष्टम में चंद्रमा की स्थिति बृहस्पति के केंद्रीय प्रभाव में होने के कारण अच्छी है। गजकेशरी योग बन रहा है। यह व्यक्ति को नित नये-नये मुकाम देता है, व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र में नयी नयी सफलता, लोकप्रियता प्राप्त करता है। योगी जी का समय कैसा रहेगा? 22 मार्च 2017 से 8 जुलाई 2017 तक प्रशासनिक दृष्टि से कई नये कदम उठाए जाएंगे, जनता बहुत प्रसन्न होगी, कुछ लोग तथाकथित सेकुलरवादियों को इनकी तारीफ हजम नहीं होगी। 8-7-2017 से 28-1-2018 तक समय बहुत ही संवेदनशील है।

योगी जी को हर कदम गहन मंथन के बाद उठाना चाहिए। कुछ लोग उनके कार्यों को रोकने या प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। न्यायालय से भी दबाव बनाएंगे। 28-1-2018 से 28-3-2018 तक कोई बड़ी उपलब्धि, नाम, सम्मान, यश, प्रतिष्ठा मिलने का समय है। 28-3-2018 से 8-7-2018 का समय हर प्रकार से खास है। इनकी कोई योजना, कोई वक्तव्य, कोई कार्य देश-विदेश में खलबली मचाएगा।

इन्हें विरोध अपमान भी सहना पड़ सकता है। इस समय विशेष सावधानी की आवश्यकता है। स्वास्थ्य के प्रति भी सतर्क रहें। 8-7-2018 से 8-9-2018 तक का समय इस कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक होगा। इनकी चारांे तरफ जय जयकार होगी, सभी विरोधी परास्त होंगे। वे फिर भविष्य में विरोध नहीं कर पाएंगे।


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18-9-2018 से 18/3/2019 तक विरोधी परास्त होंगे। इसके बाद आगे विरोध नहीं कर पाएंगे। इन्हें कई उपलब्धि मिलेगी, यश प्रतिष्ठा बढ़ती रहेगी। 18-3-2019 से 28-8-2019 तक हर प्रकार से सावधान रहने की आवश्यकता है। अंदर-बाहर, पक्ष-विपक्ष योगी जी की प्रतिष्ठा से घबराकर कोई षड्यंत्र कर सकते हैं। साथ ही स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें, हर प्रकार से सावधान रहें। 28-8-2019 से 28-2-2020 तक कोई अपयश भी मिल सकता है।

विरोधी प्रतिष्ठा खराब कर सकते हैं। गरीबों, किसान, बालिकाओं, महिलाओं का अपार समर्थन मिलेगा। लोग इनके कार्यों का गुणगान करेंगे। ये मध्यम वर्ग के मसीहा बनकर उभरेंगे। 8-2-2020 से 28-7-2020 तक का समय किसी आर्थिक स्थिति से जूझने का समय है। कोई लाभ या नया कार्य सुलझाने का भी समय है। सरकार को साथियों का भी सहयोग नहीं मिलेगा।

8-11-2020 से 8-11-2021 तक का समय योगी जी का खास समय साबित होगा जब इनकी प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता, प्रशासनिक क्षमता की चर्चा पूरे विश्व में फैलेगी। योगी जी भारतीय राजनीति में लोकप्रियता के सभी मानदंड ध्वस्त कर देंगे। 8-11-2021 से 8-7-2023 तक का समय राजनीति की दृष्टि से बड़ा ही विचित्र होगा, इनके विरोधी अंदर बाहर से इनकी प्रतिष्ठा को हर संभव प्रभावित करने की कोशिश करेंगे ताकि फरवरी /मार्च 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव में योगी जी को सत्ता से बाहर किया जाय लेकिन ये बाहर न होकर इससे भी बड़ा पद केंद्रीय राजनीति में पाएंगे।



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