जीवन और कर्मक्षेत्र के सहयोगी का चयन

जीवन और कर्मक्षेत्र के सहयोगी का चयन  

के. के. निगम
व्यूस : 4214 | जुलाई 2011

जीवन और कर्म क्षेत्र के सहयोगी का चयन भारतीय ज्योतिष शास्त्र में जिस प्रकार ग्रहों में आपस में मित्रता, शत्रुता तथा समता होती है, उसी प्रकार अंकशास्त्र में भी अंकों में मित्रता, शत्रुता, समता होती है, इसे ही अंकशास्त्री सेफेरियल ने अंकों में आपस में तरंगित चमत्कारी, आकर्षण, प्रतिकर्षण तथा तटस्थ संबंधों से इंगित किया है। जीवन साथी एवं व्यापारिक साझीदार के चुनाव में इन तरंगित, चमत्कारी, आकर्षण, प्रतिकर्षण तथा तटस्थ अंकों से गणना कर चुनाव करते हैं। तरंगित चमत्कार, आकर्षण, प्रतिकर्षण तथा तटस्थ अंकों की सारणी निम्नवत् है- उपरोक्त सारणी की विवेचना - जो अंक दूसरे का तरंगित चमत्कारी अंक होता है

उसके साथ विवाह, साझेदारी करना सफलता का सूचक होता है। आकर्षण अंक एक-दूसरे को सहयोग करने वाले तथा अनुकूल होते हैं। एक-दूसरे के प्रतिकर्षण अंक विरोधी स्वभाव के होते हैं तथ इनमें दिखावटीपन, कूटनीति तथा धोखा देने की प्रवृत्ति रहती है। तटस्थ अंक एक-दूसरे का न अच्छा करते हैं, न ही बुरा। जीवन साथी के चुनाव में यह विधि गुण-मेलापक के रूप में कार्य करती है।

इसकी उपयोगिता का महत्व उस स्थान पर सर्वोपरि है जहां कुंडली उपलब्ध न हो। इस विधि से जीवन साथी एवं व्यापारिक साझेदार के रूप में व्यक्ति के चुनाव में सटीकता आ जाती है। जीवन साथी अथवा व्यापारिक साझीदार के चुनाव हेतु सर्वप्रथम जातक का मूलांक, भाग्यांक व नामांक ज्ञात किया जाता है, उसके बाद जिससे संबंध किया जाना है,

उसका मूलांक, भाग्यांक व नामांक निकालकर दी गई सारणी के आधार पर अनुसार मिलान करके चुनाव करना चाहिए। जिससे स्वरूप स्पष्ट तथा लगभग सुनिश्चित होता है तथा संबंध की दीर्घकालिकता अथवा अल्पकालिकता का निर्धारण भी किया जाता है।


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