जब हथेली में शनि बैठा हो

जब हथेली में शनि बैठा हो  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 7435 | नवेम्बर 2006

जब हथेली में शनि बैठा हो भारती आनंद ढींगरा शनि ग्रह हाथ में बीच वाली उंगली के नीचे होता है। शनि अध्यात्म, धन, दांतों के रोग, संगीत, कला, प्रकृति, प्रेम, ज्योतिष, गुप्त विद्या, गुण दोष निकालने की कला, नौकरी, सात्विक विचार आदि से संबंध रखता है।

अगर यह हथेली में उठा हुआ हो, उंगलियों की गांठें तीखी हों, उंगलियां लंबी व, सीधी हों, हाथ का रंग गुलाबी हो, तो यह ग्रह हाथ में उत्तम माना जाता है। ऐसे लक्षण प्रायः कम हाथों में देखने को मिलते हैं। ऐसा होने पर शनि व्यक्ति का परम मित्र बन जाता है। शनि की दोषपूर्ण स्थिति का अवलोकन करने के लिए यह देखना आवश्यक है कि वह हथेली में है या नहीं। हथेली में जहां शनि स्थित हो वहां यदि रेखाएं अधिक हों,

शनि की उंगली टेढ़ी हो, कटी-फटी हो, भाग्य-रेखा मोटी हो, जीवन-रेखा सीधी या दोषपूर्ण हो, हथेली पतली हो, हाथ का आकार बहुत दोषपूर्ण हो, हथेली में मोटी रेखाओं का जाल हो, या इनमें से कोई भी दो या तीन लक्षण उपस्थित हों, तो शनि की दशा मानी जाती है। हृदय-रेखा से शाखाएं मस्तिष्क-रेखा पर गिरती हों, तो शनि की दशा जीवन म े ंज्यादा दिनों तक बनी रहती है। शनि उत्तम हो, शनि की उंगली लंबी हो, तो व्यक्ति की अध्यात्म में रुचि होती है। ऐसे लोग अपने ही मूड के होते हैं।

शनि के साथ-साथ बृहस्पति ग्रह भी अच्छा हो, तो व्यक्ति स्वाभिमानी होता है। ऐसे लोगों में शासन करने की योग्यता तथा अपनी बात को कुशलतापूर्वक कहने की क्षमता होती है। वे या तो अध्यापक या उद्योगपति होते हैं या किसी बड़े विभाग में कार्यरत होते हैं। शुक्र प्रधान हो और शनि की उंगली सीधी व लंबी हो, तो व्यक्ति का भाग्य उच्च होता है और यदि हाथ सुंदर हों, तो वह किसी कला के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाता है। शनि व सूर्य के उत्तम होने से पैसे के साथ-साथ यश अवश्य मिलता है। भाग्य रेखाएं अधिक हों, तो व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है, ऐसे लोग चमड़े या खाने-पीने की सामग्री के कारोबार में कुशल होते हैं। शनि पर्वत पर तिल होने से मनुष्य धनवान होता है, किंतु उसे बिजली व आग से खतरा होता है।

शनि पर्वत के साथ मंगल उत्तम हो, तो व्यक्ति को साहसिक कार्यों, बिजली का कामों या खोज करने में सफलता मिलती है। शनि की उंगली के बीच का पोर बड़ा हो, शनि ग्रह उठा हुआ हो, हृदय रेखा के नीचे त्रिकोण हो, तो व्यक्ति ज्योतिषी या भविष्यवक्ता होने के साथ-साथ अध्यात्म में रुचि रखने वाला होता है। शनि ग्रह उत्तम हो, मणिबंध से रेखाएं ऊपर की तरफ जाती हों, हाथ सुंदर हो तो यात्राएं बहुत होती हैं। शनि शांति के कुछ उपाय: घोड़े की नाल की अंगूठी बनाकर शनिवार को शनि मंत्र पढ़कर मध्यमा में पहनें ।

मंत्र: ¬ प्रांः प्रींः प्रौंः सः शनैश्चराय नमः।

सूखे नारियल और बादाम जल में प्रवाहित करें (इससे काम में मन लगता है।) शराब व मीट का त्याग करें।

यदि किसी का सुख न मिले तो:

(क) 50 ग्राम सुरमा वीराने में दबाएं।

(ख) काले कुत्तों को रोटी डालें।

(ग) वट वृक्ष को मीठा दूध डालें व भीगी हुई मिट्टी का तिलक करें।

अगर शनि व्यापार में रुकावट डाले तो:

(क) काले घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा में धारण करें।

(ख) शनि मंत्र का जप करें।

(ग) 12 बादाम घर में दबाएं।

(घ) शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करें।

(ड) शिवलिंग पर नित्य दूध चढ़ाएं।

शनि मित्रों से हानि, चोरी, स्त्री जन्य रोग व नौकरी में रुकावट डाले तो:

(क) बावड़ी में तांबे का पैसा डालें।

(ख) नाव की कील की अंगूठी पहनें।

(ग) हनुमान चालीसा का पाठ करें।

(घ) धर्मस्थल पर नंगे पैर जाएं।

शनि दाम्पत्य जीवन, स्वास्थ्य या राजनीति में रुकावटें डाले तो:

(क) हनुमान जी को घी और सिंदूर चढ़ाएं।

(ख) शनिवार को घोड़े की नाल का छल्ला मंत्र सहित मध्यमा में धारण करें।

(ग) काले कुत्तों को तेल में चुपड़ा रोटी खिलाएं।

(घ) शराब, मांस, अंडे आदि का सेवन करें।

मुकदमेबाजी, लोगों की शत्रुता, शेयर में गिरावट से धन की हानि हो तो:

(क) शराब जल में प्रवाहित करें।

(ख) मजदूरों की सेवा करें।

(ग) शनि मंत्र का जप करें।

(घ) गरीब को काला कंबल दान करें।

इसके अतिरिक्त शनि ग्रह के दोष को शांत करने के लिए नीलम भी धारण किया जाता है।

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