हस्तेरखा विज्ञान एक विवेचन

हस्तेरखा विज्ञान एक विवेचन  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 10120 | आगस्त 2007

प्रश्न: भविष्य कथन पद्धतियों में हस्त रेखा पद्धति कितनी सटीक है?

उत्तर: हस्त रेखा पद्धति अन्य पद्ध तियों की तरह पूर्ण है जिससे हर प्रकार का भविष्य कथन किया जा सकता है। यह सामुद्रिक शास्त्र का एक भाग है।

प्रश्न: यह सामुद्रिक शास्त्र क्या है?

उत्तर: सामुद्रिक शास्त्र वह शास्त्र है, जो शरीर के अंगों के लक्षणों के आधार पर भविष्य कथन करता है। इस शास्त्र को सर्वप्रथम महर्षि सामुद्र ने तैयार किया था, इसलिए इसे सामुद्रिक शास्त्र कहते हैं।

प्रश्न: हस्त रेखा पद्धति क्या विज्ञान है?

उत्तर: हथेली की रेखाएं मानव मस्तिष्क में उठने वाली विद्युत तरंगों की नलियां हैं और उस पर उभरे हुए स्थान पर्वत कहलाते हैं। ये पर्वत चुंबकीय केंद्र हैं जिनका संबंध मस्तिष्क के उन केंद्रों से है जो हमारी भावनाओं और संवेदनाओं पर नियंत्रण रखते हैं। मस्तिष्क की क्रियाशीलता का नक्शा रेखाओं के रूप में हथेली पर बनता है। इस नक्शे को समझने या पढ़ने की विद्या को हस्तरेखा विज्ञान कहते हैं। इस तरह से हस्त रेखा पद्धति विज्ञान ही है।

प्रश्न: हस्त से भविष्य कथन करते समय रेखाओं के अतिरिक्त और किस का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: रेखाओं के अतिरिक्त हस्त का आकार, हथेली के पर्वों, उंगलियों, अंगूठे नाखूनों आदि सभी पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इन्हीं के आधार पर रेखाएं फल देती हैं।

प्रश्न: हस्त रेखा का ज्योतिष से क्या संबंध है?

उत्तर: ज्योतिष से हस्त रेखा का संबंध बहुत गहरा है क्योंकि दोनों एक ही कार्य करते हैं अर्थात दोनों भविष्य कथन की पद्धतियां हैं और दोनों का आधार नव ग्रह हैं। ज्योतिष में जन्म कुंडली बना कर नव ग्रहों की स्थितियों के अनुसार फल कथन किया जाता है जबकि हस्त पद्धति में हाथ पर नव ग्रहों के पर्व और उन पर अंकित रेखाओं और चिह्नों के आधार पर फल कथन किया जाता है।

प्रश्न: हस्त रेखाओं से क्या दिन-प्रतिदिन की भविष्यवाणी की जा सकती है?

उत्तर: हां, हस्त रेखाओं से दिन-प्रतिदिन की भविष्यवाणी की जा सकती है यदि हाथ देखने वाला हस्त रेखा विज्ञान को पूरी तरह से जानता हो। अन्यथा दिन-प्रतिदिन की भविष्यवाणी करना सभी के बस की बात नहीं है।

प्रश्न: हस्त से भविष्य कथन कैसे करें? अर्थात हस्त का अध्ययन करने के क्या नियम हैं?

उत्तर: हस्त का अध्ययन करने के लिए सर्वप्रथम जातक के हाथ का आकार देखना चाहिए। फिर हाथ का रंग देखना चाहिए। हाथ नर्म है या सख्त यह भी देखना चाहिए। साथ ही उंगलियों और नाखूनों को भी देखना चाहिए। फिर रेखाओं को और पर्वों के उभार को देखना चाहिए।

प्रश्न: हाथ में पर्वतों का क्या महत्व है?

उत्तर: हाथ में पर्वतों से जातक के नवग्रहों की शुभाशुभता का पता चलता है। जो पर्वत उठा हुआ और गद्देदार होगा उस पर्वत से संबंधित ग्रह फलदायक होगा और जातक के स्वभाव में उसका प्रभाव स्पष्ट नजर आएगा। जैसे बृहस्पति ग्रह का पर्व यदि उत्तम होगा, तो जातक विद्या, बुद्धि और संयम से कार्य करने वाला होगा। उसकी बातचीत में सभ्यता झलकती है।

प्रश्न: तीन रेखाएं हर जातक के हाथ में होती हैं- जीवन, मस्तिष्क और हृदय रेखा। ऐसा क्यों?

उत्तर: हर जातक के हाथ में चाहे वह अमीर हो या गरीब, ये तीन रेखाएं अवश्य होती हंै क्योंकि जीवन चाहे छोटा हो या बड़ा, इन तीनों का उसमें महत्व अवश्य होता है। प्रत्येक जातक मस्तिष्क से विचार करता है हृदय की धड़कन उसे जीवित रखती है और हर जातक कुछ न कुछ तो जीता ही है। यही कारण है कि भिखारी के हाथ से राजा तक के हाथ में ये तीन रेखाएं अवश्य होती हैं।

प्रश्न: कई बार ऐसा देखने में आता है कि जातक के हाथ में जीवन रेखा नहीं है जबकि उसकी आयु लंबी होती है।

उत्तर: ऐसा देखने में बहुत कम आता है कि जातक के हाथ में जीवन रेखा न हो। लेकिन यदि लाखों में ऐसा कोई हाथ देखने को मिलता है तो उस हाथ में अन्य रेखाएं जैसे हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा बहुत ही स्पष्ट हागें ी आरै जीवन रख्े ाा क े स्थान पर मंगल रेखा का होना जो शुक्र पर्वत का अति उत्तम होना अवश्य होगा क्योंकि जीवन रेखा शुक्र पर्वत को घेरे रखती है। ऐसी स्थिति में जीवन रेखा यदि नहीं हो, तो जातक को पूर्ण आयु प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त कई ऐसे लक्षण भी हो सकते हैं जो जातक को जीवन प्रदान कर रहे हों।

प्रश्न: हाथ में यदि बहुत सी रेखाएं हों अर्थात रेखाओं का जाल बिछा हो, तो हाथ को कैसा माना जाएगा?

उत्तर: हाथ में यदि बहुत सी रेखाएं हों अैर एक दूसरे को काट रही हों और देखने पर यदि यह भी मालूम न पड़े कि कौन सी रेखा कहां है, तो उस हाथ को उत्तम नहीं मानते। ऐसे व्यक्ति को बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

प्रश्न: एक आदर्श हाथ की रेखाएं और लक्षण कैसे होते हैं?

उत्तर: एक आदर्श हाथ की रेखाएं स्पष्ट, सरल और लाल रंग की होती हैं, पर्वत स्थान उठे हुए होते हैं। और हथेली गुलाबी रंग लिए होती है। रेखाएं न अधिक न कम होती हैं और हाथ का आकार स्पष्ट होता है अर्थात हाथ वर्गाकार या आयताकार होता है। यदि सभी लक्षण शुभ हों तो हाथ आदर्श माना जाता है।

प्रश्न: क्या हस्त रेखाओं से व्यवसाय जाना जा सकता है?

उत्तर: अवश्य ! हस्त रेखाओं और हस्त लक्ष्णों के आधार पर जातक के व्यवसाय को जाना जा सकता है। व्यवसाय की सफलता और असफलता का संबंध भाग्य से होता है लेकिन व्यवसाय वह अपनी रुचि के अनुसार करता है। जातक के हाथ में जो पर्व स्थान अति उत्तम होगा, जातक का स्वभाव उसी के अनुरूप होगा और वह अपने स्वभाव के अनुसार ही कार्य करना चाहेगा। यदि मंगल पर्व विकसित हो, जो जातक पुलिस, फौज अथवा खेलों से संबंधित कार्य करेगा। इसके साथ-साथ भाग्य रेखा का विश्लेषण करना भी अति आवश्यक है। यदि भाग्य रेखा स्पष्ट हो और कोई रेखा उसे काट न रही हो और मंगल पर्व पर भी रेखा स्पष्ट हो कर ऊपर सूर्य पर्व की ओर बढ़ रही हो, तो जातक को संबंधित व्यवसाय में सफलता प्राप्त होगी।

प्रश्न: व्यवसाय में असफलता के हाथ में क्या लक्षण होते हैं?

उत्तर: हाथ में पर्वत का विकास पूर्ण न होना या विकसित पर्व पर क्राॅस का चिह्न आ जाना और भाग्य रेखा का क्षति ग्रस्त होना ये सारे लक्षण व्यवसाय में असफलता प्रदान करते हंै। जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा काफी दूरी तक आपस में मिली रहें, तो व्यवसाय में सफलता देरी से प्राप्त होती है।

प्रश्न: क्या हस्त रेखा विवाह की सफलता-असफलता भी बता सकती है?

उत्तर: हस्त रेखा से विवाह के विषय पर भी गहन अध्ययन किया जा सकता है। विवाह किस आयु में होगा या विवाह सफल होगा या असफल यह विवाह रेखा के विश्लेषण से जाना जा सकता है। विवाह रेखा कनिष्ठिका और हृदय रेखा के बीच होती है। यदि कनिष्ठिका और हृदय रेखा के मध्य भाग को चार समान भागों में बांट दें, तो हृदय से प्रथम भाग में 18-25, दूसरे भाग में 25-35 और तीसरे में 35-50 वर्ष की आयु में विवाह होने की संभावना रहती है। विवाह रेखा सीधी व स्पष्ट होगी, तो वैवाहिक जीवन सुखमय होगा। विवाह रेखा हृदय रेखा की ओर झुकी होगी, तो पति या पत्नी के स्वास्थ्य संबंधी चिंता देती है। यदि यह हृदय रेखा को छू रही हो, तो जातक के जीवन साथी का देहांत होता है। यदि इस रेखा को कोई रेखा काट रही हो, तो यह लक्षण तलाक का सूचक है। इस रेखा पर द्वीप का चिह्न वियोग देता है। एक से अधिक विवाह रेखाएं एकाधिक विवाह या अवैध संबंधों को दर्शाता है। यदि एक से अधिक रेखाएं आपस में समांतर पर हों और एक सी हों, तो यह लक्षण आपस में प्रेम का सूचक होता है।

प्रश्न: कभी कभी ऐसा भी देखा जाता है कि विवाह रेखा स्पष्ट और शुद्ध होती है लेकिन जातक अविवाहित ही रह जाता है। ऐसा क्यों?

उत्तर: विवाह रेखा स्पष्ट और शुद्ध हो, तो देर से ही सही, विवाह अवश्य होता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि हाथ देखने वाला विवाह रेखा को दूषित करने वाली सूक्ष्म रेखाओं को नहीं देख पाता जिससे विवाह संबंधी कथन गलत हो जाता है।

प्रश्न: कभी-कभी ऐसा देखने में आता है कि विवाह रेखा हाथ में होती ही नहीं फिर भी विवाह हुआ और सफल भी रहा, ऐसा क्यों?

उत्तर: यदि विवाह हुआ है और सफल है, तो विवाह रेखा अवश्य होगी। कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी कारण से विवाह रेखा उभर कर सामने नहीं आती और देखने वाला समझ लेता है कि रेखा है ही नहीं। लेकिन रेखा होती अवश्य है। इससे फलकथन गलत हो जाता है।

प्रश्न: संतान पक्ष को हस्त रेखाओं से कैसे जानें?

उत्तर: अंगूठे की जड़ पर शुक्र पर्वत पर खड़ी रेखाएं संतान रेखाएं कहलाती हैं। ये रेखाएं यदि स्पष्ट और लंबी हों, तो स्वस्थ और दीर्घायु संतान का संकेत देती हैं। इसके विपरीत टूटी-फूटी रेखाएं अस्वस्थ संतान की सूचक होती हैं।

प्रश्न: संतान रहित जातकों के हाथ में क्या ये रेखाएं नहीं होतीं?

उत्तर: ऐसा नही है कि संतान रहित जातकों के हाथ में यह रेखा न हो। शुक्र पर्वत पर रेखाएं अक्सर देखने को मिलती हैं। शायद ही कोई जातक हो जिसके शुक्र पर्वत पर रेखाएं न हांे। संतान न होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे नपुंसकता, कमजोर शुक्र पर्वत, चंद्र पर्वत पर टूटी-फूटी रेखाएं हों आदि। शुक्र पर्वत पर संतान रेखा होते हुए भी संतान नहीं होती और कभी-कभी अवैध संबंधों के कारण जातक को भी मालूम नहीं होता कि संतान कहां होगी। ऐसे में हो सकता है पत्नी को बांझपन हो।

प्रश्न: क्या रेखाएं बढ़ती आयु के अनुसार बदलती रहती हैं?

उत्तर: हाथ में जन्म से जो रेखाएं होती हैं प्रायः वही जीवन भर रहती हैं। क्योंकि मुख्य रेखाओं का संबंध जीवन भर रहता है लेकिन बढ़ती आयु के साथ समय-समय पर कुछ ऐसी रेखाएं उभर कर आती हैं जो कुछ दिन, सप्ताह, मास या साल भर ही रहती हैं और फिर लुप्त हो जाती हैं। ऐसी रेखाएं समय-समय पर होने वाली शुभाशुभ घटनाओं की सूचक होती हैं। ऐसे ही पर्वत के उभार कभी अधिक ऊंचे और कभी नीचे हो जाते हैं। इससे जातक पर पड़ने वाले ग्रह के प्रभाव की जानकारी मिलती है। जैसे गोचर में ग्रह भ्रमण करते रहते हैं वैसे ही हाथ पर अन्य रेखाओं का बनना और मिट जाना चलता रहता है। मुख्य रेखाएं जो हमेशा दिखाई देती हैं। संपूर्ण जीवन का औसत स्तर बतलाती हैं जबकि बनने मिटने वाली रेखाएं शुभाशुभ घटनाओं के समय को दर्शाती हंै।

प्रश्न: रेखाओं से बनने वाले चिह्न कितने प्रकार के होते हैं? और ये कैसे शुभाशुभ फल देते हैं?

उत्तर: हथले ी म ंे रख्े ााआ ंे क े अतिरिक्त बनने वाले चिह्नों का भविष्य कथन में विशेष महत्व है। ये चिह्न मुख्यतः आठ प्रकार के माने जाते हैं - त्रिभुज, क्राॅस, बिंदु, वृत्त, द्वीप, वर्ग, जाल और नक्षत्र 

त्रिभुज: त्रिभुज का चिह्न स्वास्थ्य रेखा, चंद्र रेखा, चंद्र स्थान, मस्तिष्क रेखा या शुक्र पर्वत पर हो, तो शुभ फलदायी होता है। भाग्य रेखा पर त्रिभुज का चिह्न भाग्यहीन बनाता है। 

क्राॅस: क्रांॅस का चिह्न गुरु पर्वत पर ही शुभ होता है, शेष सभी स्थानों पर अशुभ फल देता है।

बिंदु या तिल: सूर्य पर्वत, चंद्र पर्वत, मध्यमा, मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा और हृदय रेखा पर काला तिल या बिंदु अशुभ माना गया है। किंतु मुट्ठी बंद करने पर जो तिल मुट्ठी में छुप जाए शुभ होता है।

वृत्त: वृत्त जीवन रेखा, विवाह रेखा, भाग्य रेखा और चंद्र पर्वत पर अशुभ किंतु शनि पर्वत, बुध पर्वत तथा गुरु पर्वत पर शुभ फलदायी होता है।

द्वीप: द्वीप हथेली में जिस स्थान पर होता है उस स्थान से संबंधित शुभ फलों को खा जाता है।

वर्ग: वर्ग हथले ी म ंे किसी भी स्थान पर हो शुभ फल देता है अर्थात उस स्थान के शुभ फल प्रदान करता है।

जाल: जाल हथेली में किसी भी स्थान पर हो अशुभ फल देने वाला होता है।

नक्षत्र या तारा: नक्षत्र या तारा गुरु पर्वत, तर्जनी, सूर्य रेखा या पर्वत, शनि पर्वत और अंगूठे पर हो, तो शुभ किंतु मंगल रेखा पर अशुभ फल देता है। मंगल रेखा पर स्थित नक्षत्र या तारा अकाल मृत्यु या हत्या का प्रतीक है।

प्रश्न: क्या हाथ की रेखाओं की सहायता से जन्मकुंडली बनाई जा सकती है?

उत्तर: हाथ की रेखाओं से जन्मकुं. डली बनाई तो जा सकती है लेकिन वह सही होगी या नहीं यह नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस का अभी तक कोई प्रमाण प्राप्त नहीं है।

प्रश्न: क्या हस्त रेखाओं से संतान की संख्या बताई जा सकती है?

उत्तर: संतान की सही-सही संख्या बताना आसान नहीं है क्योंकि युग वैज्ञानिक है। फिर भी प्रयास किया जा सकता है।

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