अंक ज्योतिष के विविध आयाम

अंक ज्योतिष के विविध आयाम  

व्यूस : 8846 | नवेम्बर 2012
अंक ज्योतिष के विविध आयाम डाॅ. मनोज कुमार, प्रधान संपादक इस लेख में लेखक ने अंक ज्योतिष की पाइथागोरियन पद्धति से अरविंद केजरीवाल की अंक कुंडली का विश्लेषण किया है। यह पद्धति अपने आप में श्रेष्ठ है तथा इस पद्धति से पूर्ण अंक कुंडली बनाकर भूत, वर्तमान तथा भविष्य के बारे में सही आकलन किया जा सकता है तथा बिल्कुल सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। ज्योतिष की अन्य विधाओं की भांति, अंक ज्योतिष भी काफी प्राचीन एवं लोकप्रिय विधा है। अंक ज्योतिष भी अपने अंदर भूत, वर्तमान एवं भविष्य के रहस्य अपनी गर्त में छिपाए हुए है। सभ्यता के प्रारंभिक चरण से ही यह सभी क्षेत्रों में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है और अंक ज्योतिर्विद, अपने ज्ञान से भूत, वर्तमान एवं भविष्य का आकलन करके हमेशा लोगों को मार्गदर्शन देते रहे हैं। हमेशा से ही अंक ज्योतिष से जुड़े पुरोधाओं का मानना रहा है कि अंकों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है तथा किसी खास समूह के अंक जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत हमारे जीवन को सकारात्मक अथवा नकारात्मक रूप से प्रभावित करते की गरिमा की काफी क्षति हो रही है तथा लोग धीरे-धीरे इसपर से विश्वास खोते जा रहे हैं। अतः पाठकों से मेरा निवेदन है कि यदि वे किसी रूप में ज्योतिषीय मार्गदर्शन चाहते हैं तो चाहे ज्योतिष की जिस किसी भी विधा से जुड़ा विद्वान हो, उसकी सक्षमता तथा गहराई अवश्य जांच लें। यह अवश्य देखें कि व्यक्ति कितना योग्य है, उसने कितनी और क्या पढ़ाई की है तथा कहां से की है। खासकर इस क्षेत्र में उसकी गहराई एवं अनुभव को परखना कतई न भूलें। चलिए इस संबंध में और ज्यादा नहीं कहूंगा क्योंकि विषयान्तर हो जाएगा। हम यहां बात कर रहे हैं अंक ज्योतिष की। आजकल ऐसा देखने में आ रहा है कि ज्यादातर लोग अंक ज्योतिष का थोड़ा-बहुत इस लेख में लेखक ने अंक ज्योतिष की पाइथागोरियन पद्धति से अरविंद केजरीवाल की अंक कुंडली का विश्लेषण किया है। यह पद्धति अपने आप में श्रेष्ठ है तथा इस पद्धति से पूर्ण अंक कुंडली बनाकर भूत, वर्तमान तथा भविष्य के बारे में सही आकलन किया जा सकता है तथा बिल्कुल सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। रहते हैं। किंतु हमेशा, आवश्यकता इस बात की है कि चाहे पद्धति कोई भी हो परंतु उसका सम्यक ज्ञान आवश्यक है। वर्तमान समय मंे इसका अभाव देखने को मिल रहा है। आज ज्योतिषी कहलाने वाले हर गली-चैराहे पर कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं। ज्योतिष काफी विशद् एवं गहरा विज्ञान है तथा इसके ज्ञान के लिए वर्षों की कड़ी तपस्या आवश्यक है। परंतु दुर्भाग्य की बात यही है कि हमारा देश भारत जो इन प्राचीन विद्याओं का जनक है, यहां ही कम ज्ञानी किंतु आर्थिक रूप से समृद्ध, थोड़ा बहुत ज्योतिष का अध्ययन करके, पैसा खर्च करके टीवी. चैनल्स पर आना शुरू हो जाते हैं तथा लोगों को दिग्भ्रमित करके उपाय के नाम पर मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। ऐसे आचरण से ज्योतिष सतही अध्ययन करके खुद को अंक ज्योतिषी कहना प्रांरभ कर देते हैं तथा येन केन प्रकारेण अपनी धूर्तता से लोगों को ठगना प्रारंभ कर देते हैं, यद्यपि कि अंक ज्योतिष अपने-आपमें गहरा विज्ञान है। सिर्फ दो-चार अंकों की गणना करना सीख जाने और उनके गुण-दोष समझ जाने से ही कोई अंक ज्योतिषी नहीं हो सकता, इस बात का ख्याल रखना आवश्यक है। लेकिन ज्यादातर लोग जो स्वयं को अंक ज्योतिषी कहते हैं, सच्चाई में वे अंक ज्योतिष का क, ख भी नहीं जानते और अपने कुत्सित एवं क्षुद्र बुद्धि एवं मानसिकता से लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। ये प्राचीन विद्या हमारी धरोहर हैं तथा इसकी सुरक्षा, संरक्षा एवं प्रतिष्ठा हमारा दायित्व है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान में अंक ज्योतिष कई रूपों में प्रचलित है तथा उनकी गणना, आकलन एवं विश्लेषण के भी तरीके अलग हैं किंतु सभी पद्धतियां अपने-आप में श्रेष्ठ हैं तथा किसी भी पद्धति के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। अंक ज्योतिष के इन प्रचलित विविध आयामों में भारतीय वैदिक अंक ज्योतिष, पाइथागोरस, सेफेरियल, कीरो आदि विद्वानों द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत तथा चायनीज अंक ज्योतिष सर्वमान्य हैं। मैंने इन सभी प्रकार की प्रचलित पद्धतियों का गहन एवं विशद् अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ‘पाइथागोरियन पद्धति’ सर्वोपयोगी एवं सर्वोत्कृष्ट है। मेरी इस बात से कुछ विद्वान असहमत हो सकते हैं और यह तर्क दे सकते हैं कि अंक ज्योतिष का प्रादुर्भाव तो भारत में ही हुआ है, इसलिए वैदिक अंक ज्योतिष सर्वश्रेष्ठ है। ऐसा वे इसलिए कहेंगे क्योंकि उन्होंने ‘पाइथागोरियन पद्धति’ का अध्ययन तथा अंक कुंडली देखकर आप एक नजर में कुंडली की अच्छाई-बुराई, व्यक्ति के गुण-दोष एवं कुंडली में पाए जाने वाले विशिष्ट बिंदुओं का सही आकलन कर सकते हैं। पाइथागोरियन पद्धति में सिर्फ जन्म तिथि का कोई महत्व नहीं है किंतु वैदिक, कीरो एवं सेफेरियल द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों में जन्म तिथि को ही सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। पाइथागोरियन पद्धति के प्रमुख अंकों, उनकी गणना करने की विधि तथा कुंडली बनाने की विधि का संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत कर रहा हूं हालांकि आप इससे पूरा सीख नहीं पाएंगे। फ्यूचर समाचार के आगे के अंकों में इस पद्धति के ऊपर शृंखला की शुरूआत की जाएगी जिसके निरंतर अध्ययन एवं पठन से आप इस पद्धति को सीखने एवं अंक कुंडली का विवेचन करने में सक्षम हो पाएंगे। इस पद्धति के दो सर्वप्रमुख अंक होते हैं- योग्यता अंक एवं भाग्यांक। योग्यता अंक की गणना जन्म के महीने, तिथि एवं वर्ष को जोड़कर तथा उसे एकल अंक में परिवर्तित कर पुनः उनका समन्वित योग निकालकर तथा पुनः एकल अंक में परिवर्तित कर किया जाता है। भाग्यांक की गणना नाम के अक्षरों का आंकिक मूल्य निकालकर किया जाता है। उदाहरण के तौर पर यहां मैं अन्ना आंदोलन के प्रमुख सदस्य रहे अरविन्द केजरीवाल की अंक कुंडली प्रस्तुत कर रहा हूं। पहले संपूर्ण अंक कुंडली का निर्माण करके, कुछ प्रमुख अंकों की गणना की विधि समझाई जाएगी, तदुपरांत उनका विश्लेषण किया जाएगा। यहां अरविंद केजरीवाल की अंक कुंडली प्रस्तुत कर रहा हूं जिससे हम उनके अरविन्द केजरीवाल का योग्यता अंक 19/1 तथा भाग्यांक 13/4 है। ये दोनों ही अंक कार्मिक अंक हैं जो जीवन में निरंतर उतार-चढ़ाव तथा संघर्ष को दर्शाते हैं। साथ ही साथ कार्मिक अंक मानवतावादी कार्यों की तरफ व्यक्ति को प्रवृत्त करते हैं तथा ऐसे लोग हमेशा भौतिक संसार में संघर्ष करते नजर आते हैं। नहीं किया है। मैं भी वैदिक पद्धति की उपयोगिता को नकार नहीं रहा हूं। पूर्ण अंक ज्योतिषी बनने के लिए और स्वयं को अंक ज्योतिषी कहलाने के लिए यह आवश्यक है कि हमें सभी पद्धतियों की गहरी जानकारी होनी चाहिए ताकि जब हमें कोई दुविधा हो तो दूसरी पद्धतियों का सहयोग लेकर लोगों को संतुष्ट कर सकें तथा उनकी समस्या का समाधान कर सकें। यहां प्रस्तुत लेख में पाइथागोरियन पद्धति की प्रारंभिक एवं सामान्य जानकारी पेश कर रहा हूं जिससे आप इसके महत्व, उपयोगिता एवं इसकी सार्थकता का आकलन कर सकें। पाइथागोरियन पद्धति में अंक कुंडली बनाने का विशिष्ट तरीका है जीवन की कुछ बीती घटनाओं का आकलन करेंगे। नोट: पाठक गण मेरे अंकों के नामकरण से दिग्भ्रमित न हों, नामकरण अलग-अलग हो सकते हैं। मेरी विधि थोड़ी भिन्न परिलक्षित हो सकती है। अरविन्द केजरीवाल का योग्यता अंक 19/1 तथा भाग्यांक 13/4 है। ये दोनों ही अंक कार्मिक अंक हैं जो जीवन में निरंतर उतार-चढ़ाव तथा संघर्ष को दर्शाते हैं। साथ ही साथ कार्मिक अंक मानवतावादी कार्यों की तरफ व्यक्ति को प्रवृत्त करते हैं तथा ऐसे लोग हमेशा भौतिक संसार में संघर्ष करते नजर आते हैं। अरविंद केजरीवाल के बारे में हम सभी जानते हैं कि इन्होंने आई. आईटी. से शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत भारतीय राजस्व सेवा में उच्च पद को ठुकराकर मानवता की सेवा के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाया। इनकी अंक कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है कार्मिक अंक 13/4 की पुनरावृत्ति। इनकी अंक कुंडली में भाग्यांक 13/4, कलश 13/4 (44 वर्ष की आयु तक) तथा विशेष आवृत्ति का अंक 4 है। इन अंकों ने इन्हें कानून एवं व्यवस्था की स्थापना तथा भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करने के लिए दृढ़तापूर्वक कठिन श्रम, धैर्य एवं हठ से संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। इनके हृदय अंक 7 तथा जन्मांक (मूलांक 7) ने समाज में शुचिता, शुद्धता, संपूर्णता एवं श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए उद्वेलित किया जिससे कि किसी के साथ भी समाज में भेदभाव तथा अन्याय न हो सके। साथ ही अंक 9 की विशिष्ट आवृत्ति तथा व्यक्तित्व अंक 6 ने इन्हें कलात्मक एवं रचनात्मक योग्यता प्रदान की जिससे ये अपने मानवतावादी एवं लोकहितवादी कार्यों को विशिष्टता एवं श्रेष्ठता-पूर्वक पूरा कर सकें। इसके लिए इनकी सहायता की परिघटना अंक 5 की बार-बार पुनरावृत्ति ने तथा सहायक अंकों नामांक 5 तथा आदत अंक 5 तथा भौतिक धरातल पर परिलक्षित अंक 5 ने, जिन्होंने इन्हें रचनात्मक स्वतंत्रता प्रदान की जिसके कारण ये समय-समय पर उत्तेजनापूर्ण, साहसिक एवं जोखिम भरे निर्णय ले पाने में सक्षम हो सके। अभी हाल में ही मधुमेह होते हुए भी आमरण अनशन शुरू करना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इनकी अंक कुंडली का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है भौतिक धरातल पर भौतिक अंक 5 का प्रकट होना, जिसने इन्हें अत्यधिक ऊर्जा, साहस एवं दृढ़ निर्णय क्षमता प्रदान की, साथ ही साथ मानसिक धरातल पर प्रकट भावनात्मक अंक 3 तथा भावनात्मक धरातल पर प्रकट भावनात्मक अंक 2 ने इन्हें समाज के निम्न वर्ग के लोगों की व्यथा एवं वेदना का अहसास कराया। अतः स्पष्ट है कि इन सभी अंकों के गुणों को जीवंत करते हुए इन्होंने अपनी गरिमामयी पद एवं पहचान का त्याग कर दिया तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए तथा समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए निःस्वार्थ भाव के साथ अन्ना के साथ जन-आंदोलन में कूद पड़े। आइए अब हम इनके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं का विश्लेषण अंक ज्योतिष के माध्यम से इनकी अंक कुंडली के द्वारा करें। यहां इनकी अंक कुंडली 1991 से 2006 तक की अवधि के लिए बनाया गया है क्योंकि इस लेख की परिधि में इससे अधिक समाहित नहीं हो सकता। 1. इन्होंने टाटा स्टील की अपनी नौकरी से 1992 में इस्तीफा दिया जहां वे आई. आई. टी. से अपनी शिक्षा 1989 में पूर्ण करने के उपरांत कार्यरत थे। 1992 में ये कलश 13/4 एवं परिघटना अंक 14/5 के प्रभाव में थे। ये दोनों कार्मिक अंक हैं। खासकर जब कभी भी परिघटना अंक के रूप में 5 परिलक्षित होता है, यह परिवर्तन का सूचक है। निश्चित ही यह जीवन में कुछ खास परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करता है। 2. 1995 में ये भारतीय राजस्व सेवा में चुने गए। इस समय इनका परिघटना अंक 1 था जो कि अक्षर छ एवं ॅ से निर्मित था। अक्षर छ एवं ॅ दोनों का मूल्य 5 है अतः यहां भी अंक 5 कार्यशील था जो किसी परिवर्तन का द्योतक था। साथ ही परिघटना अंक 1 किसी नये कार्य या सेवा या नौकरी के सूत्रपात का संकेत करता है। 3. 2006 में इन्होंने भारतीय राजस्व सेवा से त्याग पत्र दे दिया तथा पूर्ण रूप से स्वयं को सामाजिक गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया। इसी वर्ष इन्हें रेमन मैग्सेसे एवार्ड से सम्मानित किया गया। 2006 में पुनः इनका परिघटना अंक 14/5 तथा कलश 13/4 प्रभावी थे जो जीवनवृत्ति एवं व्यवसाय में परिवर्तन एवं उतार-चढ़ाव का संकेत कर रहे हैं। इसी वर्ष इन्हें प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे एवार्ड ‘सूचना के अधिकार’ के लिए संघर्ष करने हेतु मिला। पाठकगण सोच रहे होंगे कि 2006 के उपरांत मैं रूक क्यों गया? मैंने इससे आगे की अवधि का भी अध्ययन किया है किंतु इस लेख की परिधि में इसे समाहित करना संभव नहीं था। कभी बाद में इसके बारे में विस्तार से पुनः चर्चा करूंगा। किंतु इतना यहां बता देना श्रेयस्कर होगा कि 2014 के उपरांत इनका काफी अच्छा समय शुरू हो रहा है तथा इसके उपरांत निरंतर इनके प्रयास सार्थक होते रहेंगे और क्रमशः ये धूमकेतु की भांति उदित होते रहेंगे। अंकों की गणना पाइथागोरियन पद्धति के अनुसार अक्षरों का आंकिक मूल्य पाठकों की जानकारी के लिए यहां तालिका में प्रस्तुत किया गया है। 1. भाग्यांक: नाम के हर अक्षर के नीचे आंकिक मूल्य लिखें। नाम के हर भाग का अलग-अलग योग निकालकर एकल अंक में परिवर्तित करें तथा पुनः पूरे का योग निकालकर एकल अंक में परिवर्तित करें। 2. हृदय अंक: नाम के हर टवूमस के ऊपर उसका आंकिक मूल्य लिखें तथा उसका योग निकालें। 3. व्यक्तित्व अंक: भाग्यांक में से हृदय अंक घटायें। यदि भाग्यांक हृदय अंक से कम है तो भाग्यांक में 9 जोड़ने के उपरांत घटायें। उदाहरण: 10ध्1 15ध्6 1 9 5 9 1 । त् ट प् छ क् ज्ञ म् श्र त् प् ॅ । स् रू ;4़9द्ध .7 1 9 4 9 5 4 2 5 1 9 9 5 1 3 32ध्5 35ध्8 त्र 7 भ्मंतज छनउइमत त्र 6 च्मतेवदंसपजल छनउइमत त्र 13ध्4 क्मेजपदल छनउइमत 4. योग्यता अंक: पहले जन्म का महीना लिखें, फिर तिथि तब वर्ष। सबकी अलग-अलग गणना करके एकल अंक में परिवर्तित करें तथा पुनः सबको जोड़कर एकल अंक में परिवर्तित करें। = 19/1 योग्यता अंक 6 7 24/6 श्रनदम 16, 1968 5. कलश एवं चुनौती अंक: कलश की गणना करने के लिए पहले जन्म के महीने एवं तिथि का योग करके एकल अंक में परिवर्तित करते हैं। पुनः जन्म तिथि एवं जन्म वर्ष को जोड़कर तथा एकल अंक में परिवर्तित करके लिखते हैं। तीसरा कलश निकालने के लिए प्रथम दो कलशों का योग करके एकल अंक में परिवर्तित करते हैं। चैथा कलश निकालने के लिए जन्म के महीने तथा वर्ष का योग करते हैं। उदाहरण: चुनौती अंकों की गणना नीचे की ओर इन्हीं अंकों को आपस में घटाकर किया जाता है। उदाहरण: 6. धरातल: भौतिक धरातल ;च्द्ध की गणना नाम में उपस्थित 4 एवं 5 की आवृत्ति को जोड़कर, मानसिक धरातल ;डद्ध की गणना 1 एवं 8 की आवृत्ति, भावनात्मक धरातल ;म्द्ध की गणना 2, 3 एवं 6 की आवृत्ति तथा अंतज्र्ञानात्मक धरातल ;प्द्ध की गणना 7 एवं 9 की आवृत्ति को जोड़कर किया जाता है। अन्य अंक सिर्फ सहायक भूमिका निभाते हैं अतः उनका उल्लेख यहां गणना के लिए नहीं किया जा रहा है। हालांकि ये सहायक अंक हैं तथा सिर्फ संशोधक की भूमिका निभाते हैं किंतु फिर भी ये उल्लेखनीय हैं। बाद के विशेषांकों में क्रमवार सभी अंकों की गणना, उनके गुण एवं उनकी विशेषताओं का उल्लेख एवं विश्लेषण किया जाएगा।



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