विविध रोग भंजक रुद्राक्ष

विविध रोग भंजक रुद्राक्ष  

व्यूस : 5560 | अप्रैल 2012
विविध रोग भंजक रुद्राक्ष डाॅ. भगवान सहाय श्रीवास्तव सामान्य रूप से रुद्राक्ष सर्दी और कफ से होने वाले सभी रोंगों में उपयोगी है। यह उच्च रक्तचाप, स्नायु दौर्बल्य, उदर-विकार, भूत-प्रेत बाधा तथा चर्म रोग आदि में लाभदायक है। इसके अनेक चमत्कारिक प्रयोग यहां प्रस्तुत हैं। यदि दसमुखी रुद्राक्ष को दूध के साथ घिसकर खांसी के रोगी को दिन में तीन बार चटाएं, तो खांसी जड़ से नष्ट हो जाती है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष को दूध में उबालकर बीस दिन तक पीने से मन और मस्तिष्क के सभी रोग दूर होते हैं। यदि स्मरण शक्ति क्षीण हो, तो रुद्राक्ष परम हितकारी है। गले में केवल एक या तीन रुद्राक्ष धारण करने से गले में टांसिल्स नहीं बढ़ते, दंत-पीड़ा नहीं होती तथा स्वर का भारीपन समाप्त हो जाता है। उच्च या निम्न रक्तचाप के रोगियों के लिए तो यह वरदान स्वरूप है। यह रक्त चाप को नियंत्रित रखता है। रोगी के शरीर की अनावश्यक गर्मी को अपने में खींचकर बाहर फेंकता है जिससे मन को असीम शांति मिलती है तथा रक्तचाप नियंत्रित रहता है। प्रदर, मूच्र्छा, हिस्टीरिया आदि स्त्री रोगों में छः मुखी रुद्राक्ष धारण करने से इन रोगों से छुटकारा मिलता है। रुद्राक्ष के दाने को पानी में घिसकर विषाक्त फोड़ों पर लेप करने से फोड़ें ठीक हो जाते हैं। रुद्राक्ष को ब्राह्मी तथा आंवला के साथ घिसकर पीने से पुराने अनिद्रा रोग में लाभ पहुंचता है। पिŸा के रोग से बचने के लिए रुद्राक्ष को पत्थर पर घिसकर गाय के दूध में मिलाकर पीने से लाभ होता है। गिल्टी पर रुद्राक्ष बांधने से तीन सप्ताह मंे गिल्टी खत्म हो जाती हैं। मानसिक तनाव दूर करने के लिए रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। फोड़े-फुंसियों पर रुद्राक्ष का लेप करने से जलन शांत होती है तथा फोड़े-फुंसियों का निकलना बंद हो जाता है। दमा व श्वांस, खांसी में रुद्राक्ष घिसकर शहद के साथ चाटने से भी लाभ होता है। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रुद्राक्ष व स्वर्णकण को घिसकर चाटना चाहिए। श्वांस नली में बाधा उत्पन्न होती है तो रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। मधुमेह के रोगियों को रुद्राक्ष घिसकर तुलसी व जामुन के पŸाों के साथ खाने के उपरांत सेवन करना चाहिए। कैंसर पीड़ित रोगियों को यदि रुद्राक्ष की माला पहनाई जाय तो उनकी आयु बढ़ने की संभावना रहती है। रुद्राक्ष के दानों को रात में बर्तन में जल भरकर उसमें डाल दें। सुबह दाने को निकालकर खाली पेट उस जल को पीने से ‘हृदय रोग’ तथा ‘कब्ज-गैस’ आदि में लाभ होता है। गर्मियों में रुद्राक्ष किसी भी रूप में अपने पास रखने से लू नहीं लगती। आंखों से कम दिखाई देता हो तो रात्रि में पानी भरकर रुद्राक्ष गलाना चाहिए। भोर में उस पानी को छानकर आंखें धोनी चाहिए। इसे आंखों की चमक बढ़ती है तथा धुंधलापन दूर होता है। बांझ स्त्री-पुरुषों को दूध में घोलकर रुद्राक्ष पीने से संतान उत्पन्न हो सकती है। सेक्स की कमजोरियों को दूर करने के लिए रुद्राक्ष को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए। भयग्रस्त पालतू गाय, भैंस आदि को यदि रुद्राक्ष की माला पहनाकर दूध दुहंे तो वे भरपूर मात्रा में दूध देने लगेंगी। रुद्राक्ष की चुम्बकीय शक्ति शरीर के कई रोगों को दूर भगाती है। प्यार के दौर में लड़का-लड़की भी रुद्राक्ष की माला धारण करें तो उनके दिलों की दूरियां कम करके प्यार में दरार नहीं पड़ने देता।



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