पुनर्जन्म पर आधारित सम्मोहन चिकित्सा पद्वति

पुनर्जन्म पर आधारित सम्मोहन चिकित्सा पद्वति  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 7971 | सितम्बर 2007

पुनर्जन्म पर आधारित सम्मोहन चिकित्सा पद्धति सम्मोहन से चिकित्सा करने की बात भले ही नई लगे लेकिन इस उपचार पद्धति से पूर्व जन्म में ले जाकर पुरानी बातें भुलाकर व्यक्ति को सामान्य करने में आश्चर्यजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस आलेख में इसी की रोचक जानकारी दी जा रही है...

क्या आप कभी ऐसे स्थान पर गए हैं जहां आप जीवन में प्रथम बार गए हों और आपको लगा हो कि पहले भी आप यहां आ चुके हैं? क्या आपको कभी ऐसा भय अनुभव हुआ जिसका कोई कारण ही न हो? ऐसा अनुभव आपके पूर्वजन्म से संबंधित हो सकता है। हजारों वर्षों से विश्वभर में पुनर्जन्म में विश्वास किया जाता रहा है।

एशिया, अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और यूरोप में यह विश्वास किया जाता रहा है कि मृत्यु अंत नहीं है। भौतिक शरीर के अंत के बाद भी मानव जीवन का एक अंश जीवित रहता है जिसे बहुत से नाम दिए गए हैं जैसे मानस, चेतना, आत्मा, मनु स्वयं, अस्तित्व और चेतनता। सर्वविदित तथ्य है कि गीता में आत्मा को अजर व अमर कहा गया है।

बाइबल में भी कई जगह आत्माओं के पुनर्जन्म का उल्लेख किया गया है। मैथ्यू 11ः13-15 में जीसस अपने शिष्यों को जाॅन द बैपटिस्ट के पूर्वजन्म के विषय में बताते हैं कि यह इलियास है। तुर्की में प्राचीन काल से मान्यता है कि मृतक एक दुनिया से निकल कर दूसरी दुनिया में जाता है, इसलिए उसे फूलों से भरे हुए ताबूत में रखकर दफनाया जाता है।

प्राचीन मिस्र के लोग मृतक शरीर के साथ जादू में प्रयोग में आने वाले कुछ यंत्र भी दफनाते थे इस विश्वास के साथ कि ये उसे अपनी इच्छानुसार दोबारा जन्म लेने में सहायता करेंगे। छठी शताब्दी के एक यूनानी लेखक ने अपनी कहानी ‘द केस आॅफ रीबर्थ’ में लिखा है कि हम सभी में कुछ बुराइयां और कुछ अच्छाइयां होती हैं।

जैसे -जैसे हम बार-बार पुनर्जन्म लेते हैं हमारे स्वभाव की बुराइयां समाप्त होती जाती हैं और हम सज्जन एवं आध्यात्मिक होते जाते हैं। महान दार्शनिक सुकरात भी पुनर्जन्म में दृढ़ विश्वास रखते थे। उनके शिष्य प्लेटो ने अपनी पुस्तक ‘‘लाॅज’’ में पृष्ठ संख्या 155 पर लिखा है कि ‘‘यदि आप बुरे विचार रखते हैं तो आप बुरी आत्माओं के रूप में पुनर्जन्म लेंगे और यदि आप अच्छे बनना चाहते हैं तो आप अच्छे जन्म में जाएंगे।’’ प्लेटो के विचारों का पाश्चात्य दर्शनशास्त्र पर गहन प्रभाव रहा है।

‘सम्मोहन चिकित्सा पद्धति’ पुनर्जन्म पर आधारित एक पद्धति है जो पाश्चात्य देशों में अधिक प्रचलित है। इस पद्धति में चिकित्सक सम्मोहन द्वारा व्यक्ति को पूर्वजन्म की स्मृतियों में ले जाते हैं जिससे असाध्य रोगों का इलाज संभव हो जाता है। पश्चिमी देशों में ‘मृत्यु के बाद जीवन’ विषय पर अनेक शोधकार्य किए गए हैं। इन्हीं शोधकार्यों के फलस्वरूप इस पद्धति का उद्भव हुआ।

रिचर्ड वेब्स्टर न्यूजीलैंड के एक सम्मोहन चिकित्सक हैं जो सम्मोहन चिकित्सा एवं पूर्वजन्म की स्मृतियों में जाने से संबंधित देश विदेश में अनेक कार्यशालाएं आयोजित कर चुके हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है- जेनेट एक अठारह वर्षीया युवती है जो पढ़ने के साथ-साथ एक पार्ट टाइम नौकरी भी करना चाहती है।

उसकी समस्या है कि अजनबियों को देखकर उसके सीने में तेज दर्द का अहसास होता है और वह किसी से सामान्य रूप से बात नहीं कर पाती। सम्मोहन चिकित्सा से उसे पूर्वजन्म याद आता है जिसमें वह एक गरीब परिवार की छोटी बच्ची है। रात के समय तीन अजनबी घोड़ों पर उनके घर आते हैं और खाने को कुछ मांगते हैं।

गरीबी के कारण उसके पिता उन्हें केवल पानी पिलाने में समर्थ हंै, भोजन उनके पास नहीं है। एक अजनबी उनकी तीन बकरियों में से एक को मारकर पकाने का आदेश देता है। उसके पिता इन्कार करते हैं। वह अजनबी उनके सीने में गोली मार देता है और वे छटपटाते हुए मर जाते हैं। सम्मोहन प्रक्रिया से गुजर कर लौटने के बाद जेनेट की मानसिक स्थिति में परिवर्तन हुआ।

उसे अपने असहज स्वभाव का कारण ज्ञात हुआ और धीरे-धीरे वह बिलकुल सामान्य हो गई। एक अन्य दृष्टांत में लिखा गया है कि मुछुआरा जाति का एक लड़का पानी में जाने से बहुत डरता था जबकि उसके भाई बहन तैराकी में निपुण थे।

सम्मोहन चिकित्सक के सहयोग से पूर्वजन्म की स्मृतियों में उसने जाना कि वह एक कुशल तैराक रहा था परंतु समुद्री तूफान में डूब जाने से उसकी मृत्यु हो गई। यह सत्य जानने के बाद उसका अनजाना भय धीरे-धीरे समाप्त हो गया। एक दृष्टांत भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर के प्रमोद का है।

प्रमोद का जन्म सहारनपुर के एक शिक्षक के घर हुआ। कुछ बड़ा होने पर उसने बताया कि उसका घर मुरादाबाद में है। वहां उसके पिता की मोहन ब्रदर्स के नाम से बेकरी है। मुरादाबाद ले जाने पर उसने अपना घर व संबंधियों को पहचान लिया। ज्ञात हुआ कि पूर्वजन्म में उसका नाम परमानंद था। रात के समय दही खाने से फूड पाॅइजन होने से उसकी मृत्यु हुई।

प्रमोद के रूप में पुनर्जन्म होने पर वह दही बिल्कुल नहीं खाता था। तात्पर्य यह है कि पूर्वजन्म का प्रभाव वर्तमान जन्म पर अवश्य ही पड़ता है। सम्मोहन चिकित्सा की अनेक विधियां जैसे अपने पिछले जन्मों की तरफ लौटने के स्वप्न लेना, मेडिटेशन अर्थात ध्यान लगाकर अपने पिछले जन्म के विषय में सोचना, घड़ी की टिक-टिक के साथ अपने जीवन की घटनाओं में पीछे जाते हुए पूर्वजन्म तक पहुंचने का प्रयत्न करना, अपने जीवन की पिछली घटनाओं को लिखना तथा शांत चित्त से सोचते हुए अपने पूर्वजन्म तक पहुंचना व क्रिस्टल बाॅल या पानी से भरे गोलाकार बर्तन में देखकर सोचते हुए अपने जीवन की पिछली घटनाओं तथा पूर्वजन्म को याद करना।

ये सभी विधियां सम्मोहन चिकित्सक अपनाते हैं। इनमें से सबसे अधिक प्रचलित पद्धति है क्रिस्टल बाॅल की सहायता से सम्मोहन। इस पद्धति के निम्नलिखित चरण हंै-

प्रथम चरण: एक क्रिस्टल बाॅल लें उसे अपने सामने मेज पर रखंे और सुविधाजनक स्थिति में बैठ जाएं। आपकी आंखें इस बाॅल से तीन फुट दूर हों।

द्वितीय चरण: गहरे श्वास लें और बाॅल को देखें। धीरे-धीरे यह धुंधला हो जाएगा। इसे निरंतर देखें और अपने पिछले जीवन के बारे में सोचें। उल्टे क्रम से अपने जीवन की पिछली घटनाओं को याद करें जैसे नौकरी, शादी, छात्र जीवन, बचपन आदि।

तृतीय चरण: अपने पिछले जन्म के विषय में सोचें। आपकी क्रिस्टल बाॅल पर धुंधले चित्र दिखाई देंगे और नीला कोहरा दिखाई देगा। अगर आप भाग्यशाली हैं तो बहुत जल्दी ही आपको पिछले जन्म की घटनाएं याद आएंगी। आप अपने पूर्वजन्म को जानने के उद्देश्य के बारे में भी सोचें।

चतुर्थ चरण: ईश्वर को धन्यवाद देते हुए अपने वर्तमान में लौट आएं। निरंतर अभ्यास से यह पद्ध ति सफल हो जाती है परंतु ये सभी विधियां कुशल चिकित्सक के निरीक्षण में अपनानी चाहिए।

पुनर्जन्म की स्मृतियां लाभप्रद हो सकती हैं और हमारे वर्तमान जीवन का उद्देश्य स्पष्ट कर सकती हैं। हमारी छिपी हुई प्रतिभा को भी सामने ला सकती हैं और हमें एक अधिक संतुष्ट और सफल जीवन दे सकती हैं। बहुत से मनोरोग एवं असाध्य रोग पुनर्जन्म पर आधारित चिकित्सा पद्धति से ठीक हो जाते हैं। पुनर्जन्म का कोई ठोस वैज्ञानिक सिद्धांत नहीं है अथवा यह भी कहा जा सकता है कि यह विषय विज्ञान की पहुंच से परे है।

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