क्या भारत में दो टाईम जोन की आवश्यकता है?

क्या भारत में दो टाईम जोन की आवश्यकता है?  

आभा बंसल
व्यूस : 1045 | आगस्त 2017

टाईम जोन (Time Zone) या मानक समय को हम क्षेत्रीय समय के नाम से भी जानते हैं। 13 अक्तूबर 1884 मेंग्रीनविच मीन टाईम तय किया गया था और तब से दुनिया भर के घड़ियों का समय इसी टाईम जोन से तय किया जाताहै। टाईम जोन के जनक के रूप में सर सैंडफोर्ड फ्लेमिंग जिनका जन्म ब्रिटेन में हुआ था, को जाना जाता है। 1884 में जब टाईम जोन बनाया गया उसके बाद दुनिया भर के समय को एक सही दिषा मिली। भारत में यह टाईम जोन 1906में लागू किया गया। आईए जानते हैं क्या है टाईम जोन -

क्या है टाईम जोन?

पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है जिसके कारण दिन और रात होते हैं। इसी कारण एक ही समय में किसी स्थान में दोपहर का समय होता है तो किसी स्थान में शाम का और किसी में रात का भी हो सकता है। यदि पूरी दुनिया के लिए एक ही समय तंत्र लागू कर दिया जाये तो किसी के यहां दो बजे रात होगी और दूसरे स्थान पर दो बजे सुबह हो रही होगी। इसी समस्या को हल करने के लिए समय कटिबंधों के आधार पर क्षेत्रीय समय को बनाया गया जिसे टाईम जोन कहते हैं।

समय का अंतर क्यों और कैसे?

प्रत्येक देश का अपना अलग स्थानीय समय होता है जो उस देश से होकर गुजरने वाली देशांतर रेखा पर निर्भर करता है। अधिकतर देशों ने अपने यहां केवल एक ही औसत समय का प्रावधान रखा है जो उस देश का मानक समय कहलाता है। केवल कुछ ही फैलाव वाले बड़े देशांे में जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कनाडा, आॅस्ट्रेलिया वइंडोनेशिया में एक से अधिक टाईम जोन हैं। चीन जो कि भारत से भी अधिक फैलाव वाला देश है और जिसमें पांच टाईम जोन आते हैं, उसने पूरे देश के लिए केवल एक ही टाईम जोन तय किया हुआ है। घड़ियाँ यहां देश की राजधानी बीजिंग के अनुसार चलती है। इसका मकसद राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करना है।

अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा

विश्व भर के देशों में तिथियों का निर्धारण करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा ;प्दजमतदंजपवदंस क्ंजम स्पदमद्ध का उपयोग किया जाता है। वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा प्रशांत महासागर के बीचों-बीच 180 डिग्री देशांतर पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गयी एक काल्पनिक रेखा है।

यह रेखा सीधी न होकर टेढ़ी-मेढ़ी रखी गई है जिससे कि एक देश रेखा के एक ही तरफ रहे। जब कोई जलयान इस रेखा के पश्चिम दिशा में यात्रा करता है तो तिथि में एक दिन जोड़ दिया जाता है और इसके विपरीत यदि वह पूरब की ओर यात्रा करता है तो एकदिन घटा दिया जाता है।

यह तिथि रेखा न्यूजीलैंड, फिजी, समोआ, टोंगा, पूर्वी साइबेरिया के कुछ हिस्सों से होकर गुजरती है। फिजी और समोआ द्वीप समूहों में कुछ 100 किलोमीटर की दूरी होने पर ही तिथि में बदलाव हो जाता है। ऐसे में फिजी के एक हिस्से में रविवार रहता है तो समोआ में शनिवार रहता है। एक अन्य उदाहरण के रूप मेंहम देख सकते हैं कि रूस के पूर्वी साइबेरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का के कुछ स्थानों पर केवल 50 किलोमीटर की दूरी के अंतर में तिथि में बदलाव आ जाता है।


यह भी पढ़ें: ज़िंदगी को ज़हर बना देता है विष योग! जानिए, कुंडली के 12 भावों में इसका प्रभाव व उपाय


भारत में टाईम जोन

भारत में समय रेखा इलाहाबाद के निकट नैनी नामक स्थान से गुजरती है तथा यही भारत का राष्ट्रीय मानक समय माना जाता है। भारत का मानक समय ग्रीनविच रेखा से 82°30श् दाहिनी ओर है जिसका अर्थ है भारत का मानक समय ग्रीनविच के मानक समय से साढ़े 5 घंटे आगे है यानि जब ग्रीनविच रेखा के पास रात के 12 बजेंगे तब भारत में सुबह के साढ़े 5 बजेंगे। भारत एक विस्तृत भू-भाग वाला देश है जिसका पूर्व में विस्तार बांग्लादेश की सीमा से लेकर पश्चिम में अरब सागर तक है। लेकिन विशाल भौगोलिक क्षेत्र के बावजूद हमारे यहां एक ही टाईम जोन है। वर्तमान में भारत में टाईम जोन का मामला विवाद का रूप ले रहा है विशेष रूप से भारत के उत्तर-पूर्व के राज्यों से दो टाईम जोन की मांग आ रही है। अंडमान निकोबार के लोग भी कुछ इसी तरह क्या भारत में दो टाईम जोन की आवश्यकता है? की मांग कर रहे हैं।

kya-bharat-me-do-time-zone-ki-aviyasakta-hai

इसका कारण इन हिस्सों में सुबह और शाम का देश के बाकी हिस्सों की तुलना में जल्दी होना है। इसी विषय को ध्यान में रखते हुए असम स्थित गौहाटी उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गयी कि उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए एक अलग टाईम जोन तय किया जाय। जनहित याचिका के अनुसार एक टाईम जोन होने की वजह से लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

इसके कारण स्कूलों और कार्यालयों के खुलने का समय देरी सेहोने के कारण समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है। सर्दी के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है। एक अध्ययन के अनुसार इस प्रक्रिया में जितनी बिजली का उपयोग किया जाता है उससे रात के समय नागरिकों को दी जाने वाली ऊर्जा आपूर्ति में 18प्रतिशत की बचत की जा सकती है।

दो टाईम जोन होने के दुष्प्रभाव

भारत को दो टाईम जोन में विभाजित करना क्षेत्रीय विभाजीकरण का कारण बन सकता है। इसके हो जाने पर भारत में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिल सकता है। टाईम जोन में बदलाव से रेल यातायात में मानवीय भूल बढ़ जाने की संभावनाएं रहेंगी जिसके कारण रेल दुर्घटनाएं अधिक हो सकती हैं, यही स्थिति वायुयानों के लिए भी रहेगी। पूर्वोत्तर राज्यों की दो टाईम जोन की मांग सिर्फ व्यावहारिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से ही संबंधित नहीं है।

इसका सीधा-सीधा प्रभाव भविष्य में राजनैतिक समुदायों और क्षेत्रीय विभाजन पर पड़ सकता है। आज ये राज्य एक अलग टाईम जोन की मांग कर रहे हैं, कल ये आत्म निर्णय के लिए स्वयं को एक अलग राष्ट्र के रूप में घोषित करने की मांग भी कर सकते हैं जिसका सीधा लाभ हमारे पड़ोसी विरोधी देश उठा सकते हंै। यही कारण है कि उच्च न्यायालय ने भी 6 मार्च 2017 को दो टाईम जोन की याचिका को खारिज कर दिया।

उपरोक्त विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों मतों को समझने के बाद यह कहा जा सकता है कि विशेषज्ञों का एक बड़ा भाग भारत कोदो टाईम जोन में बांटने के विपक्ष में है जबकि दूसरा ऊर्जा में बचत संबंधी लाभों को ध्यान में रखते हुए टाईम जोन को विभाजित करने की वकालत कर रहा है। हमारा यह मत है कि इस समस्या का समाधान दो टाईम जोन न बनाकर इन पूर्वोत्तर क्षेत्रों के स्कूलों और कार्यालयों के समय को 1 घंटा पूर्व कर देना चाहिए जैसे यदि यहां अभी 10 बजे कार्यालय शुरू होने का समय है तो उसे बदलकर 9 बजे या और पहले कर देना चाहिए। पूरे देश की हानि को देखते हुए केवल एक क्षेत्र मात्र के लाभ को छोड़ देना चाहिए। इस विषय पर पूर्वी क्षेत्रों को चीन से भी कुछ सबक लेना चाहिए।


जानिए आपकी कुंडली पर ग्रहों के गोचर की स्तिथि और उनका प्रभाव, अभी फ्यूचर पॉइंट के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यो से परामर्श करें।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.