कस्पल पद्धति

कस्पल पद्धति  

आर.एस. चानी
व्यूस : 4959 | नवेम्बर 2015

किसी जातक विशेष के व्यवसाय इत्यादि के बारे में जानने के लिये सर्वप्रथम लग्न के सब-सब लाॅर्ड को पढं़े। अगर इसका संबंध/योग/लिंकेज 6ठे भाव से, 7वें भाव से, 10वें भाव से बन रहा है तो जातक विशेष को 6ठे, 7वें और 10वें भाव के फल मिलना निश्चित है। ऐसे ही आप 10वें भाव के सब-सब लाॅर्ड की स्टडी करें और देखें कि क्या 10वें भाव का सब-सब लाॅर्ड 2रे, 6ठे, 7वें भाव से लिंकेज बना रहा है? अगर 10वें भाव के संबंध 2रे, 6ठे या 7वें भाव से बनते हैं तो आप यह कह सकते हैं कि वह जातक अपनी जिंदगी में कुछ काम / व्यवसाय / नौकरी अवश्य करेगा अगर दशा काल के ग्रह तथा गोचर उसे सपोर्ट करेंगे तो। आगे विचार करते हैं कि एक विशिष्ट जातक अपनी जिंदगी में नौकरी करेगा अथवा स्वयं का कारोबार या फिर यह जातक दोनों ही काम करने में सक्षम होगा? इसको जानने का कस्पल कुंडली में बहुत ही आसान तरीका है। अगर जातक के लग्न का सब-सब लाॅर्ड 6ठे और 10वें भाव से और साथ में 10वें भाव का सब-सब लाॅर्ड 6ठे और दूसरे भाव से संबंध बनाता है तथा 6ठे भाव का सब-सब लाॅर्ड भी 10वें भाव से लिंकेज बनाये तो यह योग यह इंगित करता है कि उक्त जातक के नौकरी करने के संकेत अधिक हैं। ऐसे ही अगर लग्न और 10वें भाव के सब-सब लाॅर्ड की लिंकेज 7वें भाव से और 7वें भाव के सब सब लाॅर्ड की लिंकेज 10वें भाव से बने तो वह व्यक्ति स्वयं का व्यवसाय करने में ज्यादा सक्षम होगा।

ऐसे ही अगर लग्न और 10वें भाव के सब-सब लाॅर्ड अगर 6ठे और 7वें भाव (दोनों) से संबंध बनायें तो समझिये उस जातक में नौकरी और स्वयं का कारोबार करने दोनों की क्षमता है वह दोनों काम करने में सक्षम है। वह जातक नौकरी कब करेगा और अपना व्यवसाय कब करेगा यह दशा काल के ग्रह सुनिश्चित करेंगे। अगर दशा काल के ग्रह 6ठे और 10वें भाव से प्रबल योग बनायेंगे तो वह जातक उस दशा विशेष में नौकरी करेगा और अगर दशा काल के ग्रह 10वें और सातवें भाव से ज्यादा प्रबल योग बनायेंगे तो वह जातक उस दशा विशेष में स्वयं का व्यवसाय करेगा और अगर दशा काल के ग्रह 6ठे, 7वें और 10वें भावों से लिंकेज बनायेंगे तो वह जातक एक साथ नौकरी तथा स्वयं का कारोबार करने में सक्षम होगा बशर्ते गोचर भी फेवर करे। ज्योतिष का एक स्वर्णिम नियम है कि कोई भी सांकेतिक घटना उन ग्रहों के संयुक्त काल में घटित/फलित होगी जो ग्रह उस विशिष्ट घटना/ वृत्तांत/इवेंट के परिपूर्ण कारक ग्रह होंगे बशर्ते ग्रहों का गोचर भी इवेंट देने को सपोर्ट करें।


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ऊपर दिये गये निर्देशों का पालन करते हुए इस माह की प्रश्न कुंडली का विश्लेषण करें। प्रिय पाठकों फ्यूचर समाचार के इस अंक में हम जिस प्रश्न कुंडली का विश्लेषण करने जा रहे हैं वह किसी जातक के व्यवसाय के बारे में है। यह प्रश्नकर्ता जातक पढ़ा लिखा व्यक्ति है और बेरोजगार है और उसकी यह जानने की प्रबल इच्छा है कि उसे नौकरी कब मिलेगी या अपना व्यवसाय कब आरंभ करेगा? जीवन-यापन करने के लिए अर्थ त्रिकोण 2, 6, 10 भावों का कुंडली में जागृत होना बहुत अनिवार्य है। जब तक किसी जातक की कुंडली में (2, 6, 10) भाव जागृत नही होंगे वह जातक काम नहीं कर पायेगा। इसलिये कुंडली में लग्न मूल भाव, 10वां व्यवसाय का भाव और 6ठे भाव का संबंध 2रे और 10वें भाव से बनना जरूरी है। आईये दी गई प्रश्न कुंडली का विश्लेषण करें। यह प्रश्न किसी जातक ने तिथि 18/9/2006 को सायं 19: 07: 20 बजे लगाया कि उक्त जातक को नौकरी कब मिलेगी और समयानुसार बनाई गई कुंडली विश्लेषण के लिए प्रस्तुत है।

1. सबसे प्रथम प्रश्न कुंडली से हम लग्न को फिक्स करते हैं। चूंकि प्रश्नकर्ता ने स्वयं के बारे में प्रश्न किया है इसलिये इस कुंडली में लग्न को ही प्रश्नकर्ता का लग्न मानेंगे।

2. लग्न फिक्स करने के पश्चात हम कुंडली की सत्यता को परखेंगे। सत्यता परखने का मतलब यह है कि प्रश्नकर्ता के मन मस्तिष्क में जो प्रश्न आ रहा था या प्रश्नकर्ता जिस प्रश्न का हल जानना चाहता था क्या इस प्रश्न का संबंध इस कुंडली में प्रासंगिक भावों के साथ है या नहीं। इसे परखने के लिये चंद्र या इसके नक्षत्र स्वामी ग्रह का प्रासंगिक भावों में या कस्पल पोजिशन्स में प्रकट होना अनिवार्य है। अगर चंद्र या इसका स्टार लाॅर्ड ग्रह प्रासंगिक भावों में प्रकट नहीं होता तो इसका स्पष्ट मतलब है कि कुंडली में प्रश्न की सत्यता नहीं झलकती। चूंकि यह प्रश्न नौकरी के विषय में है तो चंद्र या इसके नक्षत्र स्वामी ग्रह बुध छठे भाव में प्रकट हो रहा है इसलिये हम कह सकते हैं कि कुंडली में सत्यता स्थापित होती है।

3. कुंडली में सत्यता स्थापित होने के पश्चात अब हम लग्न, 10वें, 6ठे और 11वें भाव के सब-सब लाॅर्ड की स्टडी प्रोमिस/संकेत/सामथ्र्य पढ़ने के लिए करेंगे। अगर इन चारों भावों के (1, 6, 10, 11) सब-सब लाॅर्ड 2, 6, 10 से संबंध/लिंकेज स्थापित करेंगे तो ही हम कह पायेंगे कि उक्त जातक को नौकरी मिलने की आशा है।

आइये देखें इन चारों भावों के सब-सब लाॅर्ड क्या संकेत करते हैं। लग्न का सब-सब लाॅर्ड शनि है। शनि स्वयं स्थानीय बल (पोजिशनल स्टेटस) के साथ पंचम भाव में बैठा है। परंतु शनि बुध के नक्षत्र में, राहु के उप नक्षत्र में और मंगल के उप-उप नक्षत्र में है इसको हम ऐसे लिखेंगे ;ैंजह्नडमत .त्ंीनध्श्रनचडंतद्धशनिह्नब ुध-राह ु/ग ुरु-म ंगल ;ैंज पे पद उमत ैजंतए त्ंीन ैनइ ंदक पद डंत ेनइ ेनइद्ध नक्षत्र स्वामी ग्रह बुध छठे भाव में बैठा है इसलिये शनि छठे भाव का फल देने में सक्षम हो जाता है। शनि राहु के उपनक्षत्र में है और राहु स्वयं दूसरी, छठी और ग्यारहवीं कस्पल पोजिशन में सब सब लाॅर्ड के रूप में प्रकट हो रहा है और राहु को गुरु का फल भी देना है। गुरु 10वीं कस्पल पोजिशन मंे राशि स्वामी के रूप में प्रकट हो रहा है। इसलिये लग्न का सब-सब शनि प्रासंगिक भावों का सिग्नीफिकेटर बन जाता है। इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि छठे भाव की इन्वोल्वमेंट होकर 2रे, 6ठे, 10वें और 11वें भाव से (कमिटमेंट) प्रतिबद्धता हो रही है या लग्न भाव का संबंध रिलेटेड / प्रासंगिक भावों से बन रहा है। अब हम मूल भाव (छठे) का अध्ययन करेंगे। इस कुंडली में छठे भाव का सब-सब लाॅर्ड राहु है। राहु का स्थानीय बल (पोजिशनल स्टेटस) है और वह 2रे, 6ठे, 10वें, और 11वें भावों के फल देने में सक्षम है। क्योंकि राहु स्वयं 2रे, 6ठे, और 11वें भाव का सब-सब लाॅर्ड है, राहु गुरु के नक्षत्र में है और राहु के ही सब और सब-सब में है, गुरु 10वें भाव का राशि स्वामी है।


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इसलिये हम कह सकते हैं कि 2, 6, 10 और 11वें भाव की इन्वोल्वमेंट होकर इन्हीं (2, 6, 10, 11) भावों से कमिटमेंट हो रही है इसलिये राहु ग्रह बहुत प्रबल कारक ग्रह बन जाता है। इन उक्त भावों का फल देने में। छठे भाव के सब-सब लाॅर्ड का अध्ययन करने के पश्चात अब हम 10वें भाव के सब-सब लाॅर्ड की स्टडी करेंगे और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि 10वां भाव जो व्यवसाय का भाव है वह क्या योग/लिंकेज बनाता है। 10वां सब सब लाॅर्ड मंगल है और मंगल का स्थानीय बल (पोजिशनल स्टेटस) है। इसलिये मंगल स्वयं ही सक्षम हो जाता है उन भावों का फल देने में जहां मंगल बैठा हो या जिन कस्पल पोजीशन्स में मंगल स्वयं प्रकट हो रहा हो। इस कुंडली में मंगल छठे भाव में बैठा है और 2रे भाव में राशि स्वामी, 5वें भाव में सब-सब, 9वें भाव में राशि स्वामी और 10वें भाव में सब-सब लाॅर्ड के रूप में प्रकट हो रहा है। 2रा और 10वां भाव इस प्रश्न से संबंध रखते हैं अथवा 2रे और 10वें भाव की इन्वोल्वमेंट हो गई है अथवा मंगल दूसरे और दसवें भाव के फल देने में सक्षम है। मंगल, राहु के उपनक्षत्र में और बुध के उप उपनक्षत्र में है मतलब राहु के साथ कमिटमेंट/प्रतिबद्धता हो रही है और ऊपर हम देख चुके हैं कि इस कुंडली में राहु प्रबल कारक ग्रह बनता है 2, 6, 10 और 11वें भाव के फल देने में। मंगल बुध के सब-सब में है क्योंकि बुध को यहां फाइनल कनफर्मेशन करनी है और बुध तो छठे भाव का कारक ग्रह है। अब हम 11वें भाव, जो कि परिणाम की इच्छापूर्ति का भाव है इसका अध्ययन करेंगे।

11वां भाव भी अगर 2, 6, 10 वें भाव का परिपूर्ण कारक बनेगा तो ही इस जातक को व्यवसाय मिलेगा अथवा नहीं। 11 वां भाव हमें यह भी बताता है कि यह इवेंट/घटना/वृत्तांत जल्द होगा या फिर देर से। आइये 11वें भाव के उप उप नक्षत्र का अध्ययन करें। 11वें भाव का सब सब लाॅर्ड भी राहु ही है और ऊपर हम पढ़ चुके हैं कि राहु इस प्रश्न कुंडली में सभी प्रासंगिक भावों का परिपूर्ण कारक बनता है। लग्न, छठे, 10वें और 11वें भाव की स्टडी करने के उपरांत हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उक्त जातक/ प्रश्नकर्ता को नौकरी मिलने के संकेत प्रबल हैं। अब हमें इस नतीजे पर पहुंचना है कि जातक को नौकरी कब मिलेगी? उसे नौकरी शीघ्र मिलेगी अथवा विलंब से। लग्न, छठा, 10वां, 11वां भाव तो यह बतलाता है कि जातक को व्यवसाय मिलने के संकेत बिना विलंब के हैं क्योंकि ये चारों भाव नेगेटिव लिंकेज/ योग कम बना रहे हंै और प्रासंगिक भावों के साथ प्रबल योग बन रहा है। अब 11वें भाव को देखें वह क्या संकेत दे रहा है। 11वें भाव पर मकर राशि उदय हो रही है और मकर चर राशि है। हम पहले भी बता चुके हैं कि अगर 11वें भाव में चर राशि उदय हो तो इवंेट जल्द होने के संकेत मिलते हैं।

अगर स्थिर राशि उदय हो रही हो तो इवंेट विलंब से तथा द्विस्वभाव राशि उदय हो रही हो तो इवेंट न बहुत जल्द न बहुत विलंब से होता है। यह एक नियम है परिणाम के जल्द अथवा विलंब से घटित होने का अन्यथा कुछ और भी नियम है जो यह संकेत देते हैं कि घटना जल्द घटेगी अथवा विलंब से। अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इस इवेंट के होने के संकेत जल्द मिलते हैं या देर से। अब इस जातक को नौकरी कब मिलेगी या यह जातक नौकरी कब ज्वाइन करेगा इस बारे में जानने के लिये हमंे दशा, भुक्ति अंतरा, सूक्ष्म और प्राण दशा फिक्स करने के अलावा इन दशा काल के ग्रहों का तथा गुरु, सूर्य और चंद्र का गोचर भी पढ़ना पड़ेगा। हमें उन ग्रहों को छांटना है जो ग्रह इस कुंडली में प्रासंगिक भावों के परिपूर्ण कारक हैं आईये इसे समझने का प्रयास करें। दशा काल कैसे फिक्स करें जब यह प्रश्न किया गया उस समय इस प्रश्न कुंडली में जातक की बुध की दशा, केतु की भुक्ति और राहु की अंतर्दशा चल रही थी और राहु का अंतरा 14/9/2006 से 7/11/2006 तक चलेगा। ऊपर हमने देखा कि दशा काल के ग्रह बुध केतु और राहु तीनों ही ग्रहों का योग/लिंकेज नेगेटिव भावों से नहीं बनती और इस इवंेट/वृत्तांत को जल्द घटित होना है अथवा अब हमें इस कुंडली में सूक्ष्म और प्राण दशा ग्रहों को चुनना है जो प्रासंगिक भावों के कारक ग्रह बनें तथा गोचर भी फेवर करे।


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आइये दशा काल के ग्रह तथा गोचर में इन ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करें। राहु का अंतरा इस जातक को व्यवसाय/नौकरी देने में सक्षम है। राहु का सूक्ष्म हम फिक्स कर सकते थे परंतु राहु अंतरा में राहु का सूक्ष्म 22/09/2006 तक चलना था जबकि यह प्रश्न 18/9/2006 को लगा था और इस इवेंट/घटना के अति शीघ्र होने के संकेत नहीं थे इसलिये राहु के अंतरा में उस ग्रह की सूक्ष्म दशा फिक्स करनी है जो 2, 6, 10 भावों की परिपूर्ण कारक दशा बने तथा गोचर भी साथ में फेवर करे। राहु सूक्ष्म के बाद हमने गुरु, शनि और बुध को देखा तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ये तीनों ग्रह छठे भाव के साथ पंचम भाव से भी योग बना रहे हैं तथा हमें उस ग्रह की सूक्ष्म और प्राण दशा फिक्स करनी है जो कम से कम निगेटव भावों से लिंकेज बनाये क्योंकि नेगेटिव लिंकेज किसी भी कार्य के संपन्न होने में बाधा उत्पन्न करते हैं। राहु अंतरा में गुरु, शनि और बुध के बाद हमने यह पाया कि कुंडली में केतु और शुक्र दोनों ही काफी प्रबल/स्ट्रांग है जातक को व्यवसाय/नौकरी देने में। केतु का सूक्ष्म 19/10/2006 सुबह 04ः42 बजे तक है और केतु सक्षम है नौकरी देने में परंतु तब तक सूर्य का गोचर मंगल के नक्षत्र में है और सूर्य का गोचर मंगल के नक्षत्र में इस इवंेट को ज्यादा सपोर्ट नहीं करता। मंगल से अधिक इस कुंडली में राहु प्रबल है तो हम तब तक इंतजार करेंगे जब तक सूर्य राहु के नक्षत्र में गोचर करना प्रारंभ नहीं करता। सूर्य एक नक्षत्र में तकरीबन तेरह दिन रहता है।

हम यह प्रयास करेंगे कि इन तेरह दिनों में जब तक सूर्य राहु के नक्षत्र में रहेगा इन तेरह दिनों में किसी ऐसे ग्रह को चुनंे सूक्ष्म और प्राण दशा के लिये जो (2, 6, 10) भावों का परिपूर्ण कारक ग्रह बने। सूर्य 24/10/2006 को सुबह 09ः36 बजे राहु के नक्षत्र में आया और ऊपर हमने देखा कि केतु प्रबल कारक बनता है परंतु इसे हम फिक्स नहीं कर पाये क्योंकि जब तक केतु का सूक्ष्म था यानि 19/10/2006 तब सूर्य मंगल के नक्षत्र में गोचर कर रहा था। इसलिये केतु के बाद शुक्र भी प्रासंगिक भावों (2, 6, 10) का प्रबल परिपूर्ण कारक ग्रह बनता है। इसलिये हम शुक्र का सूक्ष्म (सूक्ष्मदशा) फिक्स कर सकते हैं क्योंकि शुक्र का सूक्ष्म 28/10/2006 तक रहने वाला था और इसी दौरान सूर्य भी राहु के नक्षत्र में गोचर कर रहा था। अब बारी प्राण दशा फिक्स करने की है जो प्राण दशा ग्रह 2, 6, 10 व 3, 9 और 11 का परिपूर्ण कारक ग्रह बने तथा चंद्र का गोचर भी उस ग्रह की राशि और नक्षत्र में गोचर करें जो इस इवंेट/घटना को सपोर्ट करें। यह जातक 27/10/2006 को बुध-केतु-राहु-शुक्र-बुध की दशा में नौकरी ज्वाइन करता है जब गुरु गोचरवश शुक्र की राशि और गुरु के नक्षत्र में, सूर्य शुक्र की राशि और राहु के नक्षत्र में और चंद्र गुरु की राशि और केतु के नक्षत्र में गोचर कर रहे थे। बुध की प्राण दशा फिक्स इसलिये की क्योंकि ज्वाइनिंग के समय 3रे और 9वें भाव के साथ संबंध भी होना अनिवार्य हैं क्योंकि नौकरी ज्वाइन करने के लिये ज्वाइनिंग रिपोर्ट देनी पड़ती है और आप एक एग्रीमेंट साईन करते हैं।



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