जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं

जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 5743 | अकतूबर 2015

यदि पूर्व युगों का अवलोकन करें तो त्रेता व् द्वापर युग में कुंडली मिलान का जिक्र नहीं देखने में आया सिर्फ शुभ मुहूर्त का विवाह के लिए उल्लेख मिलता है। दया लज्जा क्षमा श्रद्धा प्रज्ञा त्याग कृतज्ञता। गुण यस्य भवन्त्येते ग्रःस्थो मुख्य ऐव सः।। पराशर, दक्ष, मनु, व्यास, शङ्ख और बृहस्पति आदि ऋषियों और आचार्यों के मत से इन सात गुणांे वाले विवाहित जोड़े या गृहस्थ सब तरह से लायक और प्रशंसित होते हैं।

कुलं च शीलं च सनाथतां च, विद्यां च वपुर्वयश्च। स्पष्ट है कि ऋषियों ने कुल, खानदान, नस्ल और शील स्वभाव को सबसे ऊपर माना है। और संक्षेप में जाना हो तो कालिदास के अनुसार कुल परम्परा, शरीर, स्वास्थ्य और धन, इन तीनों को देखना मूल बात है। कुण्डली मिलान वास्तव में मुहूर्त ज्योतिष का भाग है परन्तु इस विषय पर किसी भी शास्त्र सम्मत पुस्तक जैसे कि पाराशर होराशास्त्र, सारावली, जातक पारिजात, फलदीपिका आदि में उल्लेख नहीं है।

१६ वीं शताब्दी के आसपास जब हिन्दू सभ्यता में पर्दा प्रथा नहीं थी, परन्तु मुस्लिम के आने के बाद से हिन्दुओं में भी इसका स्थान बनने लगा। माता-पिता की पसंद से विवाह होने लगे जबकि पहले स्वयंवर का प्रचलन था। धर्म, वर्ण, जाति, गोत्र आदि विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे। दो परिवारों को सीधे तौर पर विवाह संबंध बनाने में परेशानियां आने लगी। उस समय के ऋषि मुनियों द्वारा मिलान के लिए सरल नियम बनाए गये जिसे अष्टकूट या दशकूट गुण मिलान कहा गया।

इसके द्वारा एक आम व्यक्ति भी चन्द्र और नक्षत्र को देख जानकारी प्राप्त कर सकता था। १८ वीं १९ वीं शताब्दी तक जब यातायात व संचार के साधन कम थे, लोग पास-पास रहते थे उस समय अपने अनुकूल वर-वधू का मिलना कठिन न था। परन्तु वर्तमान समय में परिस्थितियाँ बदल गई हैं। अंतर्जातीय विवाह भी प्रचलन में हैं। स्त्रियाँ पहले घरों में रहती थीं, उनकी शिक्षा महत्वपूर्ण नहीं थी। परन्तु आज शिक्षा व करियर की महत्ता विवाह से कम नहीं है


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


अब विवाह का मिलान मात्र वर्ण, जाति, धर्म, गोत्र पर आधारित न होकर अनजान व्यक्ति से इन्टरनेट के माध्यम से बिचैलिए के जरिये होने लगे हैं। इसलिए विवाह की सफलता में गुण मिलान की उपयोगिता बढ़ गई है। आजकल गुण मिलान, अष्टकूट मिलान के महत्त्व को नकारना गलत है। ये बातंे भावी दम्पति के विवाहित जीवन के बारे में कई बड़े पते की बात बताती हैं।

विवाह सुख के सन्दर्भ में आइये सारी बातों को सिलसिलेवार समझते हैं: कुंडली मिलान सारणी से केवल गुण मिलान का सतही कार्य नहीं अपितु गंभीर और व्यापक विश्लेषण की दरकार रखता है। मिलान अनुकूल होने पर भी इन पांच बातों का खास विचार जरूर कर लेना चाहिए। §

१. दारिद्रयम - आर्थिक स्तर,

२. मरणं - दुर्घटना योग,

३. व्याधि रोग - स्वास्थ्य,

४. पौन्श्चल्यम - पराये के प्रति आकर्षण, चरित्र,

५. अन्पतत्यता - संतान होने में बाधा।

§ मेलापक दो प्रकार से होता है।

१. नक्षत्र मेलापक या अष्टकूट मिलान

२. ग्रह मेलापक। नक्षत्र मेलापक ही अष्टकूट मिलान का आधार है। अष्टकूट मिलान के द्वारा दो व्यक्तियों का मिलान किया जाता है। मन के मेल का नाम विवाह होने से चंद्रमा के नक्षत्र मिलान का विचार मुख्य है। इसलिए अष्टकूट मिलान चंद्रमा से करना सर्वाधिक उपयुक्त है। ग्रह मेलापक में दोनों कुंडलियों में ग्रहों का मिलान किया जाता है।

मुहूर्त चिंतामणिनुसार- वर्णों वश्यं तथा तारा योनिश्च ग्रहमैत्र्क्म, गण मैत्रं भकूट च नाडी चैते गुणधिकारू अष्टकूट के कुल ३६ गुणों में से ग्रह मैत्री के ५, गण के ६, भकूट के ७ और नाड़ी के ८ गुण मिलकर ही २६ गुण हो जाते हैं। भकूट और ग्रह मैत्री में से कोई एक सही होने पर मध्यम मिलान समझना चाहिए। भकूट और नाड़ी अनुकूल हो तो १७-१८ गुण ही काफी ठीक रहते हैं।

दोनों की अनुकूलता वह पारस पत्थर है जो अन्य सब कूटों की कमजोरी को छुपा सकती है। § वर्ण का १ गुण है। यह मिलान आपसी जुड़ाव और अच्छी संतान की सम्भावना बढ़ाता है। § वश्य के २ गुण हैं। इसकी अनुकूलता से अच्छा तालमेल और परिवार सुख रहता है। § तारा के ३ गुण हैं। इससे धन, संतान और सुख की संभावनाएं प्रबल होती हैं। § योनि के ४ गुण हैं। आपसी आकर्षण, निजी सम्बन्ध और उम्र के साथ बढ़ता लगाव इससे पता चलता है।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


नाविचार: गर्ग ऋषि ने आठों कूटों में इसे शिरोमणि कहा है। यह सब पर एक तरह से लागू होती है। नाड़ी किसी भी तरह के जाति, वंश, नस्ल और सामाजिक स्तर के कोई भी विचार से परे है। यह आदि, मध्य और अन्त्य तीन प्रकार की होती हैं। वर कन्या की एक नाड़ी होने पर विवाह (सुख) भंग होना, तन मन का बिछोह, असंतोष, अलगाव, शोक, संतान का ना होना या विलम्ब से होना इसका मूल परिणाम है।

कुछ लोग एक श्लोक (नाड़ी दोषस्तु विपराणां) को पकड़ कर भ्रम फैलाते रहते हैं। यह बात हमारी समझ से परे है कि जो चीज ब्राह्मणों के लिए जहर है वह अन्य वर्गों वर्णों के लिए कैसे उचित हो सकती है। आचार्यों ने ऐसे विवाह को असत, अस्थिर, झूठ, शून्य, असम्पन्न, गैर टिकाऊ ही कहा है। ये तीन नाड़ियां वात, पित्त, कफ या इडा, पिंगला, सुषुम्ना के ही स्वरूप हैं। जैसे शरीर से वात, पित्त, कफ दोषों की जानकारी नाड़ी स्पंदन से होती है ठीक उसी प्रकार दो अपरिचित व्यक्तियांे के मन की जानकारी नाड़ी से होती है।

जिस प्रकार वात प्रधान व्यक्ति की वात नाड़ी चलने पर वात प्रधान गुण वाले पदार्थ व् वातावरण का सेवन हानिकारक है। उसी प्रकार वर-वधू में समान नाड़ी मेलापक में वर्जित है। सारे मेलापक में चद्रमा की राशि व नक्षत्र को महत्त्व दिया गया है। इन दोनों में ऐसे क्या हैं जिसे ऋषि मुनियों ने हजारों साल पहले देख लिया और जिसकी व्यावहारिकता आज भी कसौटी पर खरी उतरती है।

चंद्रमा व्यक्ति का स्वभाव, चरित्र, जीवन चक्र (दशाएं), शरीर का पोषण, निष्कासन संचारित करने वाला, हार्मोन्स, एंजाइम पूरे शरीर में भेजने वाला, रक्त चंद्रमा द्वारा ही नियंत्रित है। जो मेलापक में चंद्रमा व नक्षत्र बताते हैं वही आज ब्लड टेस्ट द्वारा हम जानते हैं। वर कन्या की एक नाड़ी है। माना कि कफ नाड़ी प्रभावी है तो बच्चे को अस्थमा होने की पूरी सम्भावना है। ज्ीमसेमउपं ठमजं का वाहक है।

स्त्री पुरुष दोनों उसके वाहक हैं तो बच्चे की ठमजं बींपद कममिबज होती है। खून सही नहीं बनता। ईरान में विवाह के समय वर कन्या के तमंबजपअम दवद तमंबजपअम जमेज किए जाते हैं। एक गोत्र में विवाह करने से बीतवउवेवउम प्रभावित होते हैं। गुण मिलान में अधिक अंक हो तो भी चन्द्र नक्षत्र समान होने पर हमदमजपब ज्यादा प्रभावी होंगे। अहंकार वैवाहिक समबन्ध विच्छेद करने का मुख्य कारण है।

चंद्रमा से व्यक्ति के स्वभाव के बारे में काफी जानकारी प्राप्त हो जाती है। सीमाएं: जहाँ अष्टकूट में इतनी खूबियां है वहीं कुछ सीमाएं भी हैं। इसमें चंद्रमा को लिया गया है पर -

- चंद्रमा पर दृष्टि सम्बन्ध, बलवान निर्बल, शुभ अशुभ ग्रहों का प्रभाव आदि नहीं लिए गए।

- सप्तमेश जोकि विवाह का मुख्य बिंदु है उसे नजर अंदाज किया गया है।

- गुरु और शुक्र विवाह के मुख्य कारक ग्रह हैं उनके बारे में भी कुछ नहीं कहा गया। विद्वतजन इस ओर ध्यान देकर और शोध करें तो ज्योतिष जगत एवं जनमानस का भला होगा।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.