वैसे तो धन वृद्धि के लिए अनेक उपाय, मंत्र इत्यादि होते हैं परंतु श्री सूक्त में भगवती लक्ष्मी मां की विशेषतम् कृपा है जिसके पाठ से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ‘‘श्री’’ की प्राप्ति होती है तथा मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के सहित घर में निवास करती हैं। दीपावली पर श्रीसूक्त साधना: भारतीय पर्वों में दीपावली सबसे महŸवपूर्ण व बड़ा पर्व है। समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी का प्राकट्य इसी दिन हुआ था।
त्रेता युग में भगवान श्रीराम चैदह वर्ष के वनवास के पश्चात् इसी दिन अयोध्या लौटे थे। दीपावली का पर्व धन त्रयोदशी (धन तेरस) से ही प्रारंभ हो जाता है अतः इसी दिन से श्रीसूक्त की साधना आरंभ करें। सर्वप्रथम प्रातःकाल स्नानादि से निवृŸा होकर श्रीयंत्र, जो कि स्फटिक से निर्मित हो, लें। संभव न हो तो चंादी या ताम्रपत्र पर बना हुआ भी ले सकते हैं।
श्री यंत्र का गाय के कच्चे दूध एवं गंगाजल से अभिषेक करें तथा अपने पूजा स्थल पर स्वच्छ लाल वस्त्र पर स्थापित करें तथा लाल-पुष्प चढ़ाएं, फिर धूप, दीपक आदि समर्पित करें तथा ‘‘हरिः ऊँ’’ का दीर्घउच्चारण करके श्रीसूक्त का पाठ करें एवं धन-तेरस से भैया दूज तक नित्य प्रातः-सायं दोनों समय नियमित पाठ करें।
दीपावली वाले दिन भी लक्ष्मी, गणेश के साथ श्री यंत्र को पूजन में रखें तथा श्री सूक्त का पाठ करके नैवेद्य आदि अर्पित करें। दीपावली पर्व के उपरांत भी श्रीसूक्त का पाठ सदैव करते रहें। यदि एकाग्रता, निष्ठा, कुशलता व पूर्ण समर्पण भाव से श्रीसूक्त का पाठ करेंगे तो निश्चित ही माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा तथा सच्ची समृद्धि प्राप्त होगी।