सूर्य की किरणों से उपचार

सूर्य की किरणों से उपचार  

अशोक भाटिया
व्यूस : 4607 | जून 2006

ज्योतिष में सूर्य महत्वपूर्ण ग्रह है। सूर्य राजा और आत्मकारक ग्रह है और अग्नि का प्रतीक माना जाता है। शरीर से आत्मा निकलने (गर्मी) के बाद मृत्यु हो जाती है। सूर्य किरणों द्वारा रोगों का इलाज प्राचीन समय से होता आ रहा है। आयुर्वेदिक दृष्टि से सूर्य की किरणों की मदद से पौधों का विकास होता है। पौधों से भोजन व रोग निवारक जड़ी बूटी प्राप्त होती है।

सूर्य किरणों से प्रत्यक्ष उपचार भी बहुत प्रभावी उपचार होता है। सूर्य से निकलने वाला श्वेत प्रकाश सात रंगों के मिलने से बना है। प्रिज्म में इसका श्वेत प्रकाश सात रंगों में विभक्त हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि अरबों वर्ष पहले सूर्य में विस्फोट हुआ और सूर्य के टुकड़े विखरने से दूसरे ग्रह बने। सूर्य से अलग होने के बावजूद वे उसके चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। मुख्य सात ग्रह हैं जिनका संबंध सात रंगों से होता है अतः रंगों की दृष्टि से सभी ग्रहों की सूर्य से उत्पत्ति की पुष्टि होती है। इसलिए सूर्य किरण उपचार विधि से ग्रह जनित बीमारियां ठीक होती हैं। कहा जाता है कि जिस घर में सूर्य की किरणें नहीं जातीं उस घर में डाॅक्टर जाते हैं। पशु, पक्षी, जानवर आदि सूर्य प्रकाश के संपर्क में अधिक रहते हैं, अतः कम बीमार होते हैं।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


इसके विपरीत जब से मानव घरांे में निवास करने लगा, रोगों ने आक्रमण करना प्रारंभ कर दिया। शुगर, कैंसर हृदय रोग आदि का कारण सूर्य की धूप का शरीर पर नहीं पड़ना है। ठंडी चीजों, ए. सी, कूलर आदि के प्रयोग, रात्रि जागरण, शारीरिक मेहनत में कमी आदि के कारण बड़ी-बड़ी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। यदि उक्त कारकों पर ध्यान न दिया जाए तो रोगों के कारण का पता नहीं चल सकता और हम उनका निवारण नहीं कर सकते। अतः जरूरी है कि सूर्य और सूर्य किरणों के महत्व को समझें, उपयोग करें और स्वस्थ जीवन बिताएं। उपचार की तैयारी

- जल तैयार करना: आवश्यकतानुसार जिस रंग का पानी तैयार करना है, उस रंग की कांच की बोतल में शुद्ध जल भरें और आठ घंटे के लिए सूर्य के प्रकाश में रखें।

- लगाने वाली दवा तैयार करना: तेल या ग्लिसरीन आवश्यक रंग वाली बोतल में भरें और 30 दिनों तक प्रतिदिन आठ-आठ घंटे तक सूर्य के प्रकाश में रखें।

- खाने वाली दवा तैयार करना: शक्कर, बतासे, मिसरी या होम्योपैथिक इलाज में उपयोग में आने वाली गोली आवश्यक रंग की बोतल या पन्नी (पोलीथिन) में 30 दिन तक आठ-आठ घंटे प्रतिदिन धूप में रखें।

- पीड़ित अंग का उपचार: मरीज के जिस अंग में कष्ट हो उस पर से कपड़े हटाकर आवश्यक रंग का कांच या पन्नी लगाएं (बाकी शरीर को ढक सकते हैं) और प्रतिदिन 20 से 60 मिनट तक सूर्य प्रकाश पड़ने दें। रोगों का उपचार

- सर्दी-जुकाम: लाल या नारंगी रंग की बोतल से तैयार पानी दिन में 4 से 6 बार लें। लाल या नारंगी रंग की बोतल का तैयार तेल नाक, गले और सीने पर लगाएं। सिर दर्द

- यदि गर्मी के दिनों का सिरदर्द या गर्मी के कारण सिर दर्द हो, चक्कर आता हो तो नीले रंग की बोतल का पानी लें और नीले रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं।

- सर्दी के कारण सिर दर्द हो तो लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी और तेल सिर में लगाएं।

- यदि तनाव या चिंता के कारण सिर दर्द हो तो हरे रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं। आंखों की समस्याएं

- यदि आंखों में दर्द हो, आंसू आते हों या शीत की वजह से खुजली की समस्या हो तो लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें, उसी पानी से आंखें धोएं और लाल रंग के कांच का चश्मा लगाएं।

- यदि गर्मी के कारण आंखों में जलन व दर्द हो, तो नीले रंग की बोतल का पानी लें, इसी पानी से आंखें धोएं और नीले रंग के कांच का चश्मा लगाएं।


Consult our expert astrologers online to learn more about the festival and their rituals


गर्दन में दर्द, अकड़न: गर्दन में दर्द, अकड़न, पीठ में दर्द, हाथ में दर्द या सुन्नपन हो तो दर्द वाले भाग पर कांच का लाल रंग का टुकड़ा रखें या लाल रंग की पन्नी लपेटें और इस पर 20 से 60 मिनट तक सूर्य का प्रकाश पड़ने दें। लाल रंग की बोतल का जल और लाल रंग की बोतल का तेल पीड़ित भाग पर लगाएं और लाल रंग की कालर वाली कमीज उपयोग करें। कमर में दर्द: कमर में दर्द, उठने बैठने में दिक्कत, अकड़न, या पैर में दर्द हो, तो दर्द वाले भाग पर लाल या नारंगी रंग की पन्नी बांधकर धूप में लेटें, लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें और तेल की मालिश करें। घुटना दर्द: घुटने के चारांे तरफ लाल पन्नी लपेटें और धूप में बैठंे।

लाल रंग की बोतल का पानी लंे और लाल या नारंगी रंग की बोतल का तेल लगाएं। मोच: किसी भी जोड़ में मोच आने पर नीले रंग की पन्नी से उपचार करें और नीले रंग की बोतल का तेल लगाएं। गैस: गैस की परेशानी होने पर भूख न लगना, पेट में भारीपन, पेट में जलन, चिड़चिड़ापन, तनाव, आलस्य आदि लक्षण आते हंै। ऐसे में हरे रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल के तेल की सिर और पेट पर मालिश करें। हरे रंग की सब्जी और भाजी का अधिक उपयोग करें।

कब्ज: कब्ज या पेट के अन्य रोगों, आलस्य आदि से मुक्ति के लिए सुबह शाम लाल या नारंगी रंग की और दोपहर को हरे रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं। भूख की कमी: लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें और हरे रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं। मुंह में छाले: नीले रंग की बोतल का पानी लें, इसी पानी से कुल्ला करें, और इसी रंग की बोतल में तैयार ग्लिसरीन को मुंह और जीभ में लगाएं। निम्न रक्तचाप: लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लंे और लाल रंग की बोतल के तेल की मालिश करें। अचानक रक्तचाप कम होने पर कड़क काॅफी लें।

उच्च रक्त चाप: उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने के लिए अपनी तासीर के अनुसार लाल, नीले या हरे रंग की बोतल का पानी लें। हृदय की समस्या: हृदय की समस्या होने पर लाल या नारंगी रंग की बोतल का पानी लें, और उसी रंग के तेल की मालिश सीने और पीठ पर करें। मासिक समस्या: यदि मासिक स्राव कम आता हो या दो तीन महीने के अंतराल पर आता हो तो लाल रंग की बोतल का पानी लें, निम्न उदर पर बल्ब या पन्नी के द्वारा लाल प्रकाश से उपचार करें, और लाल या नारंगी रंग के तेल को निम्न उदर पर लगाएं। पू.

- यदि मासिक स्राव अधिक आता हो या महीने में दो बार आता हो तो नीले रंग की बोतल का पानी लें, नीले रंग की पन्नी निम्न उदर पर बांधें व बल्ब का प्रकाश (सूर्य का विकल्प) डालें नीले रंग की बोतल का तेल निम्न उदर पर लगाएं। पौरुष शक्ति में कमी: लाल रंग की बोतल का पानी लें, लाल रंग का तेल निम्न उदर और गुप्तांग पर लगाएं और सिर में हरे या नीले रंग के तेल की मालिश करें। उदासी और भय: नारंगी रंग की बोतल का पानी लें और सिर में नारंगी रंग की बोतल का तेल लगाएं। चिड़चिड़ापन, गुस्सा, नींद न आनाः नीले रंग की बोतल का पानी लें और उसी रंग की बोतल का तेल सिर में लगाएं। घमौरियां: गर्मी के दिनों में यह समस्या बहुत आती है। इससे मुक्ति के लिए नीले रंग की बोतल का पानी लें और नीले रंग को पीड़ित भाग पर लगाएं।

लू से बचाव: गर्मियों में नीले या आसमानी रंग का पानी अधिक उपयोग करें। सूर्य किरणों द्वारा नवग्रह संतुलन कुंडली स्थित ग्रहों के अशुभ प्रभाव को सूर्य किरणों के उपचार से दूर किया जा सकता है। प्रत्येक ग्रह का एक रंग होता है जैसे सूर्य का लाल, चंद्र का सफेद, मंगल का नारंगी, बुध का हरा, गुरु का पीला, शुक्र का हल्का सफेद (आसमानी) और शनि का नीला। सर्वप्रथम देखें कि शरीर के किस अंग में कष्ट है। उस अंग से संबंधित भाव, भाव स्वामी और कारक यदि कमजोर है तो स्वामी ग्रह के रंग के अनुसार उस रंग का पानी लें, पीड़ित अंग की उसी रंग के तेल से मालिश और पानी से उपचार करें। जैसे यदि मेष लग्न हो, शनि और राहु से लग्न और लग्नेश पीड़ित हों और लग्नेश कमजोर हो तो सर्दी या शीत की समस्या आ सकती है। ऐसे में नारंगी रंग की बोतल का पानी लेने और उसी रंग के तेल की मालिश से रोग दूर हो सकता है।

- स्वस्थ बने रहने के लिए लग्नेश के रंग की बोतल के पानी और तेल का उपयोग अधिक करें। इसके अतिरिक्त पंचमेश और नवमेश के रंग का उपयोग भी कर सकते हैं।

- हृदय की समस्या आने पर लाल या नारंगी व चतुर्थेश के रंगों की चीजों का उपयोग करें। इसी प्रकार अन्य रोगों के उपचार में भी सूर्य किरणों का उपयोग कर सकते हैं। सूर्य किरण उपचार से वास्तु दोष दूर करना मकान के वास्तु दोष भी सूर्य किरण के उपयोग से दूर किए जा सकते हैं। उदाहरण: यदि किसी मकान के उत्तरी भाग में बिजली का मीटर, रसोई या टेलीविजन हो तो जिन चीजों का कारक बुध होता है उनसे नुकसान की संभावना रहती है क्योंकि उत्तर बुध की दिशा है। ऐसे में धन का नुकसान हो सकता है और परिवार के युवा सदस्य बीमार हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त व्यापार में नुकसान और मानसिक तनाव की संभावना भी रहती है। इस दोष से मुक्ति के लिए उत्तरी कमरे की बाहरी खिड़की में हरे रंग के कांच की पट्टी लगाएं जिससे हरा रंग कमरे में रहे। (हरे बल्ब के प्रकाश का उपयोग भी कर सकते हैं)।

सूर्य किरण उपचार से लाभ

- यह प्राकृतिक उपचार है। अतः दुष्प्रभाव रहित और प्रभावी है।

- यह उपचार सस्ता, सरल, सहज और सर्व सुलभ है।

- कभी-कभी कुछ विपरीत प्रभाव भी हो सकता है। ऐसे में विधि बदलकर उपचार करें, लाभ होगा।

- यह उपचार किसी भी अन्य उपचार के साथ किया जा सकता है। विशेष:

- यदि घर में सूर्य प्रकाश की व्यवस्था न हो तो 200 वाट के बल्ब के प्रकाश में तेल, पानी, दवाई आदि से उपचार कर सकते हैं।

- जल कितना लें जवान व बुजुर्ग 20 से 50 मि.ली. दिन में 3 से 5 बार। दो से दस वर्ष के बीच 2 मि.ली. से 10 मि.ली.। एक सप्ताह से दो वर्ष तक के बच्चे ) मी. ली. से 2 मि. ली.

- लगाने की दवाई, तेल, ग्लिसरीन आदि पहले से ही घर में तैयार रखना चाहिए क्योंकि इनके बनने में अधिक समय लगता है। बनाने के बाद चार-पांच दिन के अंतराल से धूप में रखते रहें।


Navratri Puja Online by Future Point will bring you good health, wealth, and peace into your life




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.