भारत के प्रधानमंत्रियों के राज योग

भारत के प्रधानमंत्रियों के राज योग  

तिलक राज
व्यूस : 7058 | अकतूबर 2009

15 अगस्त 1947 को भारत जब आजाद हुआ तो उस घटना को भारत का पुनर्जन्म मानते हुए जो कुंडली बनाई गई, वह इस प्रकार है: किसी देश विशेष में होने वाली घटनाओं का विवेचन करने के लिए मेदिनीय ज्योतिष का सहारा लिया जाता है। मेदिनीय ज्योतिष में कुंडली के विभिन्न भावों से किन-किन विषयों का विचार किया जाता है, वह इस प्रकार है: प्रस्तुत लेख में हम प्रधानमंत्रियों का विचार करेंगे। प्रधानमंत्रियों का विचार एकादश भाव से किया जाता है।


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भारत की कुंडली में एकादश भाव का स्वामी देव गुरु बृहस्पति है। यही कारण है कि सभी प्रधानमंत्रियों की लग्न कुंडली या चंद्र कुंडली में गुरु त्रिकोणेश होकर शुभकारी है। आजादी से लेकर अब तक के 14 प्रधानमंत्रियों की कुंडलियों का विवेचन करने पर हम इस नियम को सत्य पाते हैं।

- गुरु लग्न कुंडली से त्रिकोणेश पाया गया -14 में से 12

- गुरु चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश पाया गया -14 में से 8

- गुरु लग्न या चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश पाया गया -14 में से 14

जवाहर लाल नेहरू जन्म विवरण: 14.11.1889, 23.06, इलाहाबाद प्रधानमंत्री कार्यकाल: 15.8.1947 से 27.5.1964 तक स्वर्गवास: 27.5.1964 (कार्यकाल के दौरान) जवाहर लाल नेहरू जी की कुंडली में गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली दोनों से त्रिकोणेश है। लग्नेश चंद्र लग्न में राजयोग बनाता है। (केंद्र का स्वामी त्रिकोण में या त्रिकोण का स्वामी केंद्र में लाभेश सुख भाव में सुखों की वृद्धि कर रहा है। गुरु षष्ठेश होकर छठे में हर्ष योग बना रहा है।

गुलजारी लाल नंदा जन्म विवरण: 4.7.1898, 00.30, स्यालकोट कार्यकाल: 27.5.1964 से 9.6.1964 तक व 11.1.1966 से 24.1.1966 तक स्वर्गवास: 15.1.1998 गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली दोनों में त्रिकोणेश है। लग्नेश मंगल लग्न में राजयोग बनाता है।  (केंद्र का स्वामी त्रिकोण में या त्रिकोण का स्वामी केंद्र में) द्वादशेश गुरु छठे में विपरीत राजयोग बनाता है। दो बार कार्यकारी प्रधानमंत्री बने। लाभेश शनि के वक्री होने के कारण ज्यादा दिन टिक नहीं पाए।

लाल बहादुर शास्त्री जन्म विवरण: 2.10.1904, 12.00, मुगल सराय कार्यकाल: 9.6.1964 से 11.1.1966 तक स्वर्गवास: 11.1.1966 (कार्यकाल के दौरान) गुरु लग्न कुंडली में त्रिकोणेश है। गुरु लग्नेश होकर पंचम में राजयोग बना रहा है।  पंचमेश मंगल नवम में राजयोग बना रहा है। लाभेश लाभ स्थान में लाभ की वृद्धि कर रहा है।

इंदिरा गांधी जन्म विवरण: 19.11.1917, 23.11, इलाहाबाद कार्यकाल: 24.1.1966 से 24.3.1977 तक व 14.1.1980 से 31.10.1984 तक स्वर्गवास: 31.10.1984 (कार्यकाल के दौरान) गुरु लग्न कुंडली से त्रिकोणेश है। शनि केंद्र का स्वामी होकर त्रिकोण में राजयोग बना रहा है। भाग्येश गुरु लाभ स्थान में भाग्य का लाभ दे रहा है। परंतु गुरु के वक्री होने के फलस्वरूप 1977 से 1980 तक पद से वंचित रहना पड़ा।

मोरारजी देसाई जन्म विवरण: 29.2.1896. 14.00, गुजरात कार्यकाल: 24.3.1977 से 28.7.1979 तक स्वर्गवास: 10.4.1995 गुरु चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। शनि भाग्येश होकर पंचम में राजयोग बना रहा है। षष्ठेश अष्टम में उच्च का होकर विपरीत राजयोग बना रहा है। द्वादशेश अष्टम में भी विपरीत राजयोग बना रहा है। लाभेश मंगल उच्च का है, लेकिन इसके अष्टम में होने के कारण ज्यादा दिन तक पद पर टिक नहीं पाए।

चैधरी चरण सिंह जन्म विवरण: 23.12.1902. 07.00, मेरठ कार्यकाल: 28.7.1979 से 14.1.1980 तक स्वर्गवास: 29.5.1987 गुरु लग्न कुंडली से त्रिकोणेश है। सूर्य भाग्येश होकर लग्न में राजयोग बना रहा है। मंगल पंचमेश होकर दशम में राजयोग बना रहा है। लाभेश लग्न में लाभ की वृद्धि कर रहा है। परंतु लाभेश शुक्र के अस्त होने के फलस्वरूप पद पर ज्यादा दिन टिक नहीं पाए।

राजीव गांधी जन्म विवरण: 20.08.1944. 08.50, मुंबई कार्यकाल: 31.10.1984 से 1.12.1989 तक स्वर्गवास: 21.5.1991 गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। पंचमेश गुरु लग्न में राजयोग बना रहा है।  लग्नेश सूर्य लग्न में राजयोग बना रहा है। लाभेश बुध लग्न में लाभ की वृद्धि कर रहा है।

श्री वी पी सिंह जन्म विवरण: 25.6.1931. 07.00, इलाहाबाद कार्यकाल: 2.12.1989 से 10.11.1990 तक स्वर्गवास: 27.11.2008 गुरु लग्न से त्रिकोणेश है। भाग्येश गुरु लग्न में उच्च का राजयोग बना रहा है। लाभेश लाभ स्थान में लाभ की वृद्धि कर रहा है। अष्टमेश शनि षष्ठ में विपरीत राजयोग बना है। द्वादशेश बुध द्वादश में विमल योग बना रहा है।

श्री चंद्रशेखर जन्म विवरण: 17.4.1927. 06.00, बलिया कार्यकाल: 10.11.1990 से 21.6.1991 तक स्वर्गवास: 8.7.2007 गुरु जन्म कुंडली से त्रिकोणेश है। पंचमेश सूर्य उच्च का होकर लग्न में राजयोग बना रहा है। षष्ठेश बुध द्वादश में विपरीत राजयोग बना रहा है। गुरु लग्न कुंडली से त्रिकोणेश होकर लाभ भाव में बैठा है। लाभेश के अष्टम में होने के कारण ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

श्री पी. वी. नरसिंह राव जन्म विवरण: 28.6.1921. 11.30, करीमनगर कार्यकाल: 21.6.1991 से 15.5.1996 तक स्वर्गवास: 23.12.2004 गुरु चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। बुध (वक्री) लग्नेश होकर दशम में बैठा है।  त्रिकोण का स्वामी होकर केंद्र में राजयोग बनाता है लेकिन केंद्राधिपति दोष से दूषित भी हो जाता है। शनि षष्ठेश होकर द्वादश में विपरीत राजयोग बनाता है।

अटल बिहारी वाजपेयी जन्म विवरण: 25.12.1924, 05.45, ग्वालियर कार्यकाल: 15.5.1996 से 1.6.1996 तक, 19.3.1998 से 22.5.2004 तक गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। लग्नेश मंगल पंचम में राजयोग बना रहा है। भाग्येश चंद्र लग्न में राजयोग बना रहा है। बुध लाभेश होकर धन भाव में बैठा है। लाभेश बुध के वक्री होने के फलस्वरूप पहली बार कुछ दिनों के लिए ही पद पर रह पाए। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर कार्यकाल पूरा किया।

श्री एच. डी. देवेगोड़ा जन्म विवरण: 18.5.1933, 10.09, हसन कार्यकाल: 1.6.1996 से 21.4.1997 तक गुरु लग्न कुंडली से त्रिकोणेश है। इनकी चंद्र कुंडली लग्न कुंडली से बलवान है। लाभेश शुक्र लाभ स्थान में लाभ की वृद्धि कर रहा है परंतु इसके अस्त होने के कारण ज्यादा दिन टिक नहीं पाए। चंद्र कुंडली में भाग्येश शुक्र सुख स्थान में राजयोग बना रहा है, परंतु अस्त है। लाभेश लाभ स्थान को देख रहा है जिससे लाभ की वृद्धि हो रही है। द्वादशेश शनि द्वादश में विमल योग बना रहा है।


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श्री आइ. के. गुजराल (इन्द्र कुमार गुजराल) जन्म विवरण: 4.12.1919, 10.00, झेलम कार्यकाल: 21.4.1997 से 19.3.1998 तक गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। पंचमेश मंगल केंद्र में राज योग बना रहा है। लाभेश लाभ स्थान में लाभ की वृद्धि कर रहा है। परंतु इसके शनि से दृष्ट होने के कारण ज्यादा दिन टिक नहीं पाए।

श्री मनमोहन सिंह जन्म विवरण: 26.9.1932, 14.00 गेह (पाकिस्तान) कार्यकाल: 22.5.2004 से आज तक गुरु लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली से त्रिकोणेश है। लग्नेश गुरु भाग्य स्थान में राजयोग बना रहा है। भाग्येश सूर्य दशम भाव में राजयोग बना रहा है। अष्टमेश अष्टम में सरल योग बना रहा है। षष्ठेश अष्टम में विपरीत राजयोग बना रहा है। द्वादशेश अष्टम में विपरीत राजयोग बना रहा है। निष्कर्ष इस प्रकार हमने देखा कि विभिन्न राजयोगों व विपरीत राजयोगों के साथ-साथ गुरु के त्रिकोणेश होने से उक्त विशिष्ट व्यक्तियों को प्रधानमंत्री का पद मिला।



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