संतान का दुख

संतान का दुख  

आभा बंसल
व्यूस : 5506 | अकतूबर 2010

बच्चे सुखी गृहस्थ जीवन की मजबूत नींव की तरह होते हैं। विवाह के पश्चात् पति-पत्नी का रिश्ता बच्चे के जन्म के बाद और घनिष्ठ हो जाता है। अपनी संतान की चाह सभी को होती है। पहले जमाने में माता-पिता पुत्र की अभिलाषा अधिक रखते थे पर आज के युग में पुत्र और पुत्री हर तरह से समान कार्य कर सकने में सक्षम हैं, माता-पिता बस एक स्वस्थ संतान की कामना करते हैं।

हर व्यक्ति यही चाहता है कि चाहे पुत्र हो या पुत्री वह स्वस्थ, सुंदर व बुद्धिमान हो क्योंकि यह संतान यदि विकलांग हो या फिर मानसिक रूप से कमजोर हो तो माता-पिता अपने दिल के टुकड़े के दुःख को सहन नहीं कर पाते और वे उसके स्वास्थ्य के लिए सब कुछ लुटाने को तैयार रहते हैं।

उनकी जिंदगी उसके दुःख-दर्द को दूर करने व उसके लिए खुशी जुटाने के प्रयास में सिमट के रह जाती है... गीतिका बचपन से बहुत चुलबुली, नटखट और बातूनी है उसे बच्चों के साथ खेलना, घूमना व बतियाना बहुत पसंद था। कालेज की पढ़ाई खत्म होते ही उसके माता-पिता ने उसका विवाह धीरेन से कर दिया। अत्यंत आकर्षक धीरेन एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत था।

गीतिका और धीरेन विवाह के बाद बहुत खुश थे। एक दो वर्ष तो घूमने फिरने में निकल गये। गीतिका के सास ससुर व उसकी मम्मी अब अपने नाती का इंतजार करने लगे थे। गीतिका और धीरेन ने भी अपने दायित्व को समझते हुए अपने परिवार को पूरा करने का फैसला किया और गीतिका शीघ्र ही गर्भवती हो गई। धीरेन ने शहर की सबसे अच्छी डाॅक्टर से उसका इलाज कराया और नौ महीने बाद उनके यहां एक अत्यंत प्यारी सी गुड़िया ऐना ने जन्म लिया। पूरे घर में खुशी की लहर दौड़ गई।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


ऐना को देख कर उसके दादा, दादी व नाना-नानी बार-बार उसकी नजर उतारते और उसे गोद में खिलाते। धीरे-धीरे ऐना बड़ी होने लगी। ऐना लगभग सात आठ महीने की हो गई थी पर गीतिका को उसकी एक बात खटकती थी कि वह बुलाने पर जवाब नहीं देती थी। न ही उसने कभी करवट लेने की कोशिश की। उसके बराबर के बच्चे तो घुटनों के बल भी चलने लगते थे।

वह ऐना के साथ सारा दिन लगी रहती उसकी अच्छी तरह से मालिश करती। उसके खाने का पूरा ख्याल रखती ताकि उसको किसी तरह की कमी न रहे। उसका डाॅक्टर बराबर यही कहता था कि कुछ दिन में यह सब करेगी लेकिन ऐना में कोई फर्क नहीं आया। अब तो उसकी मम्मी व रिश्तेदारों ने भी कहना शुरू कर दिया कि अरे यह तो अभी तक नहीं बैठती, फलाने का बच्चा तो चलने भी लगा। एक दिन ऐना ने रोना शुरू किया तो रूकने का नाम ही नहीं लिया वह करीब दो घ्ंाटे तक रोती रही।

उसे उसके डाॅक्टर के पास तुरंत ले गये पर डाक्टर को कुछ समझ में नहीं आया उसने दिल्ली के सबसे वरिष्ठ डाॅक्टर के पास भेज दिया। जब उन्होनें ऐना को दिखाया तो उन्होंने बहुत जांच की और ऐना की रिपोर्ट को यू. एस. भी भेजा। धीरे-धीरे समय बीतता रहा पर ऐना की समस्या ज्यों की त्यों ही बनी रही। पूरी जांच होने के बाद डाॅक्टर ने बताया कि उसकी रीढ़ की हड्डी में कुछ समस्या है जिसके कारण वह बैठ नहीं पा रही है।

उसको इलाज के लिए फीजियोथैरेपिस्ट के पास ले जाने की सलाह दी गई। गीतिका उसे कितने ही फीजियोथैरेपिस्ट के पास लेकर गई और घर में भी उसको सिखाने और एटेंड करने के लिए रोज एक नर्स रखी। धीरे-धीरे ऐना ने खिसकना और थोड़ा प्रतिक्रिया देना सीख लिया लेकिन खड़े होकर चलना उसके लिए संभव नहीं था।

गीतिका व धीरेन के लिए यह बहुत बड़ा सदमा था। आज सब कुछ होते हुए भी उन्हें लगता था कि जैसे कुछ भी नहीं है। उन्होंने लोगों के सवालों से बचने के लिए कहीं आना-जाना भी कम कर दिया। आज ऐना लगभग पांच वर्ष की हो गई है लंबाई में अपने पापा पर गई है। अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा ही लंबी है। वह स्पष्ट रूप से बोल नहीं सकती न ही खुद खा सकती है। सब कुछ लिक्विड फाॅर्म में ही पिलाना पड़ता है पर भावनाओं को वह खूब समझती है।

गुस्सा दिखाना, प्यार दिखाना, नखरे दिखाना उसे खूब आता है। गीतिका उसकी हर बात इशारों में भी समझ लेती है। धीरेन की तो वह जान है। शाम को धीरेन को आफिस से आने में जरा सी देर हो जाए तो ऐना रो रोकर आसमान सिर पर उठा लेती है और धीरेन के आते ही उसका चेहरा खिल जाता है। धीरेन और गीतिका ऐना को एक गुड़िया की तरह रखते हैं और जी जान से उसकी सेवा कर रहे हैं।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


कितनी बार उसकी मम्मी व सास ने दूसरे बच्चे की बात की पर गीतिका नहीं चाहती कि ऐना को जरा सा भी नजरअंदाज करे। उसे लगता है कि शायद दूसरे बच्चे के आने की तैयारी से ही कहीं ऐना की तीमारदारी में कोई कमी कर देगी तो अपने को कभी माफ नहीं करेगी।

पहले तो गीतिका के मन में और बच्चों को खेलते हुए, दौड़ते हुए देखकर एक टीस सी होती थी और वह यही सोचती थी कि भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया पर अब ऐना उनकी एक खूबसूरत चाहत व आदत बन गई है और उसे वह अपने से भी ज्यादा प्यार करती है। उसे भगवान से भी कोई शिकायत नहीं। वह यही प्रार्थना करती है कि भगवान उसे इतनी शक्ति दे और वह उसकी इतनी सेवा करे कि बस अपने को संभालने लायक हो जाए।

गीतिका, धीरेन और ऐना तीनों अपने परिवार में बेहद खुश हैं और यही दुआ करते हैं कि ईश्वर भी उनकी ऐना पर मेहरबान हो जाए। गीतिका को पूरा विश्वास है कि ऐना पर भगवान की कृपा अवश्य होगी और वह देर से ही सही पर जल्द ही आत्मनिर्भर हो जाएगी। आइये करें ऐना, गीतीका और धीरेन की कुंडलियों का अवलोकन ऐना की कुंडली में जन्म के समय बुध की महादशा चल रही थी।

बुध पंचम भाव, कन्या राशि अर्थात् मूल त्रिकोण व उच्च राशि में केतू, सूर्य और अष्टमेश गुरु के साथ स्थित है तथा राहु, चंद्र और शनि से पूर्ण दृष्टि में है। बुध अपनी उच्च राशि में होते हुए पूर्ण अस्त अवस्था में है। काल पुरूष की कुंडली में कन्या राशि छठे भाव को दर्शाती है जिसका स्वामी बुध ऐना की कुंडली में अत्यंत कमजोर है।

कन्या राशि और बुध, कमर और रीढ़ की हड्डी से संबंध रखते हैं। कन्या राशि और अस्त बुध पर बहुत से ग्रहों का प्रभाव होने से रीढ़ की हड्डी बेहद संवेदनशील हो गई है। इसके अलावा लग्नेश शुक्र भी रोग स्थान में मंगल से दृष्ट होकर बैठे हैं। अर्थात् बुध और शुक्र दोनों पर पाप ग्रहों की पूर्ण दृष्टि से ऐना बचपन से रीढ़ की हड्डी के रोग से पीड़ित है।

चलित कुंडली में अकारक ग्रह गुरु एवं केतु शुक्र के साथ रोग स्थान में बैठे हैं। वर्ष 2010 और 2011 में शनि और गुरु का कन्या राशि व बुध पर गोचरीय प्रभाव रीढ़ की हड्डी के इलाज में कुछ आशा की किरण उत्पन्न कर सकता है। यहां पर बुध द्वितीयेश होकर वाणी व विद्या का कारक भी है। लेकिन पूर्ण अस्त और पाप ग्रहों के प्रभाव के कारण ऐना की वाणी भी स्पष्ट नहीं है। मन का कारक चंद्रमा राहु के साथ ग्रहण दोष में पीड़ित है।

मंगल और शनि की परस्पर दृष्टि से अत्यधिक व्यय भी हो रहा है। इस कुंडली में षडबल में बुध, सूर्य, गुरु व शनि सभी ग्रह कमजोर स्थिति में हैं। कोई भी ग्रह मनोवांछित लाभ देने में असमर्थ दिखाई दे रहा है। ऐना की कुंडली के अनुसार बुध की दशा नवंबर 2012 को खत्म हो रही है। इसके बाद केतु की दशा में शुक्र की अंतर्दशा में कुछ सुधार संभव लगता है। 2018 के बाद शुक्र की दशा में ऐना के स्वास्थ्य में सुधार की संभावना दिखाती है। 


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


हम गीतिका की कुंडली पर नजर डालते हैं गीतिका की कुंडली में कई राजयोग हैं जैसे लग्नेश और भाग्येश का परिवर्तन योग, पंचमेश व लग्नेश की भाग्य स्थान में युति। पंचम भाव (संतान) पर लग्नेश गुरु की पूर्ण दृष्टि है। चंद्र लग्न से पंचमेश शुक्र सप्तमेश चंद्र के साथ लग्न में बैठे हैं जो शुभ नहीं है क्योंकि लग्न कुंडली का अष्टमेश चंद्रमा षष्ठेश व एकादशेश शुक्र के साथ धन स्थान में पाप कर्तरी दोष से पीड़ित है और गुरु, मंगल राहु भी चंद्र कुंडली से अष्टम में व कालसर्प दोष से पीड़ित है।

जातिका की जन्मपत्री में पंचमेश व पंचम के कारक गुरु दोनों ही इस कालसर्प योग से ग्रसित हो रहे हैं। धीरेन की जन्मपत्री में पंचमेश पापकर्तरी में है। पंचम के कारक की स्थिति भी शुभ नहीं है। यहां पंचम भाव से नवम भाव का स्वामी शनि अर्थात संतान का भाग्येश लग्न कुंडली के अष्टम भाव में बाल्य अवस्था में 00 में स्थित है अर्थात् धीरेन की कुंडली से भी संतान सुख में बाधा है। धीरेन व गीतिका इन दोनों की जन्मपत्रियों में कालसर्प योग कारक राहु संतान भाव पर दृष्टि डाल रहा है तथा पंचम से पंचम में स्थित है।

गीतिका और धीरेन ने भगवान के पूजा-पाठ में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। वे अपनी संतान के स्वस्थ जीवन के लिए निरंतर भगवान की आराधना में लगे रहते हैं। कालसर्प योग की शंति हेतु भगवान शिव की उपासना करने से भी शुभफल की प्राप्ती अवश्य होगी और गुरुवार का व्रत व दान भी शुभ होगा। पाठकों से अनुरोध हैं कि वे अपने विचार इस कुंडली के विषय में हमें प्रेषित करें और उनके सुझाव भी सादर आमंत्रित हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.