कस्पल पद्धति

कस्पल पद्धति  

आर.एस. चानी
व्यूस : 6930 | फ़रवरी 2016

लेख में प्रस्तुत कुंडली एक जातक की है जिसका जन्म 27.9.1974 को रात 23.05 बजे कोलकाता में हुआ। यह लेख लिखने तक इस जातक की आयु 41 वर्ष की हो चुकी है तथा अभी तक इस जातक का विवाह होना संभव नहीं हो पाया। कस्पल कुंडली के माध्यम से हम यहां यह सुनिश्चित कर पायेंगे कि इतनी आयु होने के बाद भी जातक का विवाह क्यों नहीं हुआ तथा भविष्य में भी क्या कोई आशा है इस जातक का विवाह होने की। जैसे कि हमने पहले लेख में लिखा है कि जो इवेंट ईश्वर ने किसी जातक को दिये हैं वही फल/इवेंट उस जातक को मिलने हैं तथा जो इवेंट किसी जातक के भाग्य में अगर नहीं लिखा गया तो वह इवेंट उस जातक के तमाम जीवन में घटने वाला नहीं है। दशाएं आयेंगी और चली जायेंगी वह विशिष्ट फल उस जातक को कभी नहीं मिलने वाला। आईये अब विवाह हेतु कस्पल ज्योतिष के नियमों पर ध्यान दें। कस्पल कुंडली में किसी जातक के विवाह को कैसे देखा जाय, यह बहुत ही सरल है।

विवाह होने की कंडीशन:

1. अगर लग्न का सब-सब लाॅर्ड 5वें, 7वें या ग्यारहवें भाव के साथ स्टार लेवल (इन्वोल्वमेंट लेवल) पर लिंकेज स्थापित करे या 11वें भाव को इन्वोल्व (सम्बद्ध) कर 7वें भाव से कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) और अंतिम पुष्टिकरण (फाईनल कनफरमेशन) करे तो विवाह होने का योग स्थापित हो जाता है।

2. 7वें भाव का सब-सब लाॅर्ड भी स्टार लेवल पर 5वें, 7वें या 11वंे भाव के साथ संबंध स्थापित करे (ऊपर लिखित योग पोजीशनल स्टेटस लेवल पर भी स्थापित हो सकते हैं अगर लग्न और 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड का उस विशिष्ट कुंडली में पोजीशनल स्टेटस हो।)


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कुंडली में विवाह का अस्वीकार होना

1. लग्न का सब-सब लाॅर्ड 4थे, 6ठे, 10वें, 12वें कस्प/भाव के साथ स्टार लेवल यानि कि इन्वोल्वमेंट लेवल पर लिंकेज स्थापित करे और 5वें या 7वें और 11वें कस्प के साथ न तो स्टार लेवल पर और न ही पोजिशनल स्टेटस लेवल पर लिंकेज स्थापित हो।

2. साथ में 7वें भाव का सब-सब लाॅर्ड स्टार लेवल पर 4थे, 6ठे, 10वें, 12वें कस्पों/भावों के साथ लिंकेज स्थापित करे तथा 5वें या 7वें या 11 11वंे भावों के साथ स्टैलर स्टेटस और न ही पोजिशनल स्टेटस लेवल पर लिंकेज स्थापित करे तो हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जातक की कुंडली में विवाह होने का प्रोमिस नहीं है।

विवाह का प्रोमिस तो है परंतु देर से है

1. लग्न का सब-सब लाॅर्ड तो 5वें या 7वें या 11वें कस्प/भाव के साथ स्टार लेवल यानि कि इन्वोल्वमेंट लेवल पर लिंकेज स्थापित करता है परंतु सब लेवल यानि कि कमिटमेंट लेवल और अंतिम पुष्टिकरण (फाईनल कन्फर्मेशन) लेवल पर 2रे 4थे, 10वें और 12वें कस्प के साथ योग स्थापित करें।

2. 7वंे भाव (मूल) का सब-सब लाॅर्ड अगर 2, 4, 6, 10, 12वें भावों के साथ में 5वें या 7वें या 11वें भावों के साथ भी स्टार लेवल पर लिंकेज स्थापित करें।

3. 7वें भाव का सब-सब लार्ड अगर 5वें या 7वें या 11वें भावों के साथ स्टार लेवल पर लिंकेज स्थापित करें और सब लेवल और सब-सब लेवल (अंतिम-पुष्टिकरण यानि कि फाईनल कन्फर्मेशन लेवल) पर 2रे, 4थे, 6ठे, 10वें या 12वें भाव से लिंकेज बनाये तो विवाह विलंब से होने की संभावना प्रबल हो जाती है।

4. विवाह जल्द होने की संभावना इस प्रकार से है: अगर 7वें भाव का सब-सब लाॅर्ड, 3रे, 5वें, 7वें, 11वंे भाव से स्टार लेवल पर लिंकेज स्थापित कर ले तो विवाह जल्द होने की संभावना प्रबल हो जाती है।

5. आम तौर पर जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा अगर लग्न और 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड का रिलेशन/लिंकेज 4थे, 6ठे और 12वें भाव से न हो।

6. जातक का वैवाहिक जीवन दुःखमय रहने की संभावना प्रबल रहती है अगर लग्न और 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड एक साथ निगेटिव भावों के साथ भी लिंकेज स्थापित करंे।

7. लग्न और 7वें भावों के सब-सब लाॅर्ड का संबंध 3रे, 5वें 7वें और 11वें भावों के साथ बनने से विवाहित जीवन अक्सर सुखमय रहता है।

8. विवाह के विषय में अक्सर यह सवाल उठता है कि जातक का विवाह संपन्न करवाने में कौन सहायक होगा या किसके सहयोग से जातक का विवाह संपन्न होने की संभावना है।


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कस्पल कुंडली में इसे देखने/पढ़ने का बहुत ही सरल तरीका है। आप एक से लेकर 12वें भावों के सब-सब लाॅर्ड को पढ़ें और देखें यां सुनिश्चित करें कि कौन से भाव का सब-सब लाॅर्ड 7वें भाव को इन्वोल्व (स्टार लेवल पर) कर रहा है और 5वंे यां 7वंे या 11वंे भाव से कमिटमेंट और फाईनल कन्फर्मेशन करता है। उदाहरण के तौर पर अगर 4थे भाव का सब-सब लाॅर्ड 7वें भाव की इन्वोल्वमेंट और 5वें या 7वें या 11वें भाव से कमिटमेंट और फाइनल कन्फर्मेशन करता है तो, इस केस में जातक की माता जी उसका विवाह करवाने में सहायक बनेंगी। इसी प्रकार अगर 3रे भाव का सब-सब लाॅर्ड 7वें भाव से इन्वोल्वमेंट और 5वें या 7वें या 11वें भाव से कमिटमेंट और फाईनल कन्फर्मेशन करेगा तो इस जातक का विवाह, विज्ञापन, इंटरनेट या छोटे भाई के द्वारा सहयोग से संपन्न होगा। ऊपर हमने कस्पल कुंडली को कैसे पढ़ा जाय, बड़े विस्तार से समझाने का प्रयत्न किया तथा कस्पल कुंडली से विवाह के योग/लिंकेज किस प्रकार स्थापित होती है बहुत आसान से तरीके से समझाया है और आशा करते हैं कि पाठकगण इसे अब समझ पाने में समर्थ होंगे। हम यहां एक जातक की कुंडली उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत कर रहे हैं जिसकी आयु तकरीबन 41 वर्ष के करीब हो चुकी है तथा अभी तक इस जातक का विवाह नहीं हुआ है।

आईये कस्पल चार्ट के माध्यम से यह जानने का प्रयास करें कि अब तक इस जातक की शादी क्यों नहीं हो पाई है। सबसे प्रथम हम इस जातक के लग्न का अध्ययन करेंगे। लग्न का अध्ययन करने के लिये हम लग्न के सब-सब लाॅर्ड को पढ़ेंगे। लग्न का सब-सब लाॅर्ड शनि है। शनिह्नगुरु-बुध-शुक्र, लग्न का सब-सब लाॅर्ड शनि गुरु के नक्षत्र में है, बुध के सब (उप) में और शुक्र के सब सब में है। लग्न के सब-सब लाॅर्ड शनि का नक्षत्र स्वामी गुरु 5वीं कस्पल पोजीशन और 5वें भाव में प्रकट नहीं हो रहा, परंतु गुरु 7वीं और 11वीं कस्पल पोजीशन में क्रमशः राशि स्वामी और सब लाॅर्ड के रूप में प्रकट 7वें और 11वें भावों से संबंध स्थापित (इन्वोल्वमेंट) कर रहे हैं। शनि का इस कुंडली में पोजीशनल स्टेटस भी है तथा शनि स्वयं भी फल देने में सक्षम हो जाता है। परंतु शनि न तो 5वीं, न ही 7वीं और न ही 11वीं कस्पल पोजीशन में प्रकट हो रहा है। सिर्फ विवाह के लिए प्रासंगिक भाव लिये हैं। शनि लग्न के सब-सब लाॅर्ड ने गुरु के माध्यम से 7वें और 11वें कस्प को इन्वोल्व कर लिया है। मतलब 7वें और 11वें भाव के फल मिलते हैं। परंतु ये हां होंगे या न, पोजिटिव होंगे या निगेटिव, इस जातक को विवाह देने में सक्षम होंगे या नहीं, यह बतलायेगा शनि।

लग्न के सब-सब लाॅर्ड का सब लाॅर्ड बुध जिसे कमिटमेंट करनी है तथा हमें अब यह देखना है कि बुध क्या प्रासंगिक भाव/ कस्पल पोजीशन (5 या 7 या 11) में प्रकट हो रहा है? या बुध 2री, 4थी, 6ठी, 10वीं या 12वीं कस्पल पोजीशन में प्रकट हो इन्वोल्डं हुए 7वें और 11वें भाव की सिगनिफिकेशन को खत्म तो नहीं कर देता। बुध तो कहीं भी 5वें, 7वें या 11वें भाव/कस्पांे में प्रकट नहीं हो रहा बल्कि 4थे कस्प में प्रकट होकर सपोर्ट नहीं कर रहा। अब लग्न के सब-सब लाॅर्ड शनि का सब-सब लाॅर्ड शुक्र का अध्ययन करना है तथा सुनिश्चित करना है कि शुक्र कौन-कौन सी कस्पल पोजीशन में प्रकट हो रहा है क्योंकि शुक्र को ही अंतिम पुष्टि करना है। शुक्र तो 5वें, 7वें और 11वें कस्पों में प्रकट होने के अलावा शुक्र 6ठे और 12वें, 2रे कस्पों में भी प्रकट हो इस जातक के लग्न को विवाह देने के पक्ष मंे नहीं है क्योंकि कमिटमेंट लेवल पर भी बुध ने किसी भी प्रासंगिक कस्प (5, 7, 11) में प्रकट न होकर क्षमता को खत्म कर दिया तथा हम यहां यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि लग्न का सब-सब लाॅर्ड जातक के विवाह होने के लिये प्रबल तौर पर सिगनिफिकेटर नहीं बनता। अब हम मूल भाव 7वें का अध्ययन भी उसी प्रकार से करेंगे जिस प्रकार से हमने लग्न के सब-सब लाॅर्ड का अध्ययन किया था।


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7वें भाव का सब-सब लाॅर्ड राहु है। राहु, बुध के नक्षत्र, शुक्र के सब और शुक्र के ही सब-सब में है। राहुह्नबुध-शुक्र-शुक्र 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड राहु का नक्षत्र स्वामी बुध विवाह के लिए किसी भी प्रासंगिक भाव (5, 7, 11) में प्रकट न होकर इन भावों की इन्वोल्वमंेट नहीं कर रहा तथा राहु का स्वयं का भी पोजीशनल स्टेटस नहीं है, इसलिये बेशक राहु 5वीं और 7वीं कस्पल पोजीशन में मौजूद है फिर भी वह 5वें और 7वें भाव का फल प्रदान करने में सक्षम नहीं है। अब हम राहु द्वारा प्रतिनिधित्व किये गये ग्रह मंगल और बुध का अध्ययन करेंगे क्योंकि कस्पल ज्योतिष में राहु और केतु जिस राशि और जिस नक्षत्र में होते हैं राहु और केतु उन राशि स्वामी और उन नक्षत्र स्वामियांे का फल भी देते हैं इसलिये हम यहां 7वें सब-सब लाॅर्ड के रूप में राहु के साथ मंगल और बुध का भी अध्ययन उसी प्रकार से करेंगे जिस प्रकार से हमने 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड के रूप में किया है। 7वें भाव का सब-सब मंगल (क्योंकि राहु मंगल का प्रतिनिधित्व करता है) है। मंगलह्नचंद्र-शनि-बुध। मंगल, चंद्र के नक्षत्र में, शनि के सब (उप) में और बुध के सब-सब (उप-उप) में हैं। मंगल का नक्षत्र स्वामी चंद कहीं भी 5वें, 7वें, या 11वें कस्प में प्रकट नहीं हो रहा इसलिये स्टार लेवल पर किसी भी प्रासंगिक भावों की इन्वोल्वमेंट नहीं हुई है।

मंगल का स्वयं का पोजीशनल स्टेटस है तथा मंगल 5वें और 11वें कस्प में प्रकट हो इन दोनों भावों की इन्वोल्वमेंट कर रहा है। पोजीशनल स्टेटस लेवल पर मंगल, शनि के सब में है, शनि कहीं भी 5वें, 7वें या 11वें भावों के साथ कमिटमेंट नहीं कर रहा है बल्कि शनि तो 2रे, 4थे, 6ठे, 10 वें और 12वें (सभी नकारात्मक भाव है विवाह के संदर्भ में) कस्पांे में प्रकट हो विवाह न देने के योग/लिंकेज स्थापित कर रहे हैं। अब हम बुध का अध्ययन करेंगे जो कि मंगल 7वें भाव के सब-सब का सब-सब लाॅर्ड है। बुध भी किसी प्रासंगिक भाव (5, 7, 11) में प्रकट न हो 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड मंगल को विवाह न देने में समर्थ बना देता है। तात्पर्य 7वां भाव विवाह न देने का प्रबल फल प्रदान कर रहा है। अब हम राहु जो कि 7वें भाव का सब-सब लाॅर्ड है उसके द्वारा प्रतिनिधित्व किये गये दूसरे ग्रह बुध का अध्ययन करेंगे। बुधह्नमंगल-चंद्र-शनि। बुध, मंगल के नक्षत्र, चंद्र के सब और शनि के सब-सब में है। बुध का स्वयं का पोजीशनल स्टेटस नहीं है इसलिए बुध अपना फल देने में सक्षम नहीं है। बुध मंगल के नक्षत्र में है तात्पर्य इन्वोल्वमेंट मंगल को करनी है। मंगल 5वें और 11वें कस्पों में प्रकट हो इन दोनों भावों से इन्वोल्वमेंट कर रहे हैं।

अब कमिटमेंट करनी है चंद्र को परंतु चंद्र तो कहीं भी प्रासंगिक पोजीशन (5, 7, 11) में प्रकट नहीं है। शनि भी सभी निगेटिव पोजीशन्स 2री, 4थी, 6ठी, 10 वीं और 12 वीं में प्रकट हो 7वें भाव के सब-सब लाॅर्ड को विवाह देने का सिग्निफिकेटर नहीं बनाता। अब हम लगे हाथ 11वें भाव के सब-सब लाॅर्ड शुक्र का भी अध्ययन कर लेते हैं। शुक्र ह्न सूर्य-राहु-केतु, शुक्र, सूर्य के नक्षत्र में हैं, राहु के सब तथा केतु के सब-सब में है। शुक्र का पोजीशनल स्टेटस है। शुक्र 5वें, 7वें और 11वंे तीनों कस्पल पोजीशन में प्रकट हो रहा है। शुक्र, सूर्य के नक्षत्र में है परंतु सूर्य न तो 5वें न ही 7वें और न ही 11वंे कस्प में मौजूद है। शुक्र राहु के सब में है तो शुक्र मंगल और बुध के भी सब (उप) में है क्योंकि राहु मंगल और बुध दोनों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। मंगल 6ठे भाव/कस्प के साथ 5वें और 10वें कस्प में भी प्रकट हो कमिटमेंट कर रहा है।


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अब फाईनल कन्फर्मेशन केतु को करनी है। केतु को शुक्र और चंद्र के फल भी प्रदान करने हैं क्योंकि केतु इस कुंडली में शुक्र और राहु चंद्र का प्रतिनिधित्व करता है और जैसा कि हम ऊपर पढ़ ही चुके हैं कि चंद्र तो किसी भी प्रासंगिक भावांे में प्रकट नहीं हो रहा जबकि शुक्र जहां 5, 7, 11 वें कस्पों में प्रकट हो रहे हैं वहीं शुक्र 2रे, 4थे, 6ठे और 12वें कस्प में भी प्रकट हो जातक को विवाह न देने में प्रबल तौर पर लिंकेज स्थापित कर रहा है। पाठकों अभी हमने ऊपर लग्न, 7वंे और 11वें भावों के सब-सब लाॅर्ड का अध्ययन विस्तार से किया तथा सुनिश्चित कर पाये कि इस जातक का विवाह होना संभव नहीं है क्योंकि इस जातक को ईश्वर ने विवाह न होने का संकेत दिया है। दशायें आयेंगी और चली जायेंगी तथा भविष्य में भी इसके विवाह होने की कोई आशा नहीं है क्योंकि कस्पल ज्योतिष का यह स्वर्णिम नियम है कि सिर्फ प्रोमिस्ड इवेंट ही उन ग्रहों के दशा काल में फलित होते हैं जो ग्रह कुंडली में वह विशिष्ट इवेंट देने में सक्षम हो या उन भावों के सिग्निफिकेटर बनें बशर्ते गोचर भी फेवर करे।



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