कैसे मनाई बिदेसवा में होली

कैसे मनाई बिदेसवा में होली  

व्यूस : 5797 | मार्च 2012
कैसे मनाईं बिदेसवा में होली मानसश्री डाॅ. हनुमान प्रसाद उत्तम होली त्योहार न केवल हमारे देश में बल्कि समस्त संसार में किसी न किसी रूप में, अलग-अलग नामांे से मनाया जाता है। होली की ही भांति इससे मिलता-जुलता पर्व श्रीलंका, तिब्बत, अमेरिका, यूनान, अफ्रीका, पोलैंड, मिस्र, इटली, स्वीडन, जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया, म्यामार (बर्मा), जापान, इंग्लैंड, जावा, सुमात्रा, मलाया, चीन, ईरान, फ्रांस आदि संसार के 90 से ज्यादा मुल्कों में हर्ष, उमंग, आनंद, समता, विश्वबंधुत्व, उत्सव के रूप में धूमघाम से मनाया जाता है। आशय यह है कि यही एक उत्सव ऐसा है जब जन समुदाय होली की आग में अपनी दुश्मनी को जलाकर बेहद उमंग और खुशी से मनाते हैं। चीन चीन में होली का नाम है ‘फो श्वेई च्ये’ या पानी छपाका पर्व। इसे वहां नव वर्षोंत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व की उमंग तीन दिनों तक चलती है तथा लोग एक दूसरे को रंगों एवं जल से सराबोर करते हैं। जितना ज्यादा जल जिस व्यक्ति पर पड़ता है वह उतने ही आशीर्वाद का अधिकारी होता है। अमेरिका अमेरिका में होली को ‘होबो’ के नाम से प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर की रात्रि को मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग उमंग से नाचते-गाते हैं। बच्चों की टोलियां खेलने-कूदने, नाचने-गाने तथा मसखरी करने के लिए स्थान-स्थान पर एकत्र होती हैं। अनेक तरह के स्वांग रचे जाते हैं और हुडदंग मचाया जाता है। सबसे ज्यादा हुडदंग करने वाले को पारितोषिक दिया जाता है। रोम प्राचीन रोम में ‘साटर ने लिया’ के नाम से एक त्यौहार मनाया जाता था। यह पर्व अप्रैल माह में पूरे एक सप्ताह तक मनाया जाता था। इस मौके पर दासियों को काफी छूट मिल जाती थी। वे आपस में हंसी-मजाक करती ही थीं, अपने स्वामियों से भी हंसी में संकोच नहीं करती थीं। अपने में से ही वे किसी को नकली स्वामी के रूप में चयन करतीं तथा उससे मूर्खतापूर्ण आज्ञाएं जारी करवातीं। आज भी रोम में ‘रेडिका’ के नाम से यह त्योहार मई में मनाया जाता है। इसमंे किसी ऊंचे स्थान पर काफी लकड़ियां इकट्ठी कर ली जाती हैं और उन्हें जलाया जाता है। इसके बाद लोग झूम-झूम कर नाचते गाते हैं और खुशियां मानते हैं। इस अवसर पर आतिशबाजी के खेल भी खेले जाते हें। म्यामांर भारत की तरह उसके पड़ोसी देश म्यांमार में भी एक दूसरे पर जल फेंकने का उत्सव होली की भांति बड़े उमंग तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव अक्सर अप्रैल माह में पड़ता है और इसे ‘तिजान’ कहते हैं। बर्मी भाषा में तिजान पर्व बीत रहे वर्ष के अंतिम महीने के आखिरी चार दिनों में मनाया जाता है। इस मौके पर लोग एक दूसरे को जल से खूब सराबोर करते हैं। यह जल अक्सर स्त्रियां पुरूषों तथा पुरूष स्त्रियों पर फेंकते हैं। जल एकदम साफ होता है। इसमें कोई रंग नहीं मिलाया जाता। इसकी वजह यह है कि जल फंेकने से विगत साल की गंदगी धुल जाये और नव वर्ष स्वच्छ रूप ले। हां, यह जरूर है कि मिट्टी के पात्र में जिसे ‘अता’ कहते हैं, एक खास फूल तथा पत्तियां भी डाली जाती है। इस फूल का नाम पादूक है। यह पीले रंग का चमकदार फूल बहुत हल्की महकवाला होता है। यह इन्हीं दिनों वर्षा की हल्की बौछार के पश्चात खिलता है। बर्मी लोगों में यह लोकोक्ति है कि इस मौके पर धरा पर यक्ष उतरते हैं। उनके स्वागत-सत्कार के लिए इसी जल का प्रयोग करना चाहिए। म्यांमार के जलोत्सव के साथ पिछले साल किए गए कार्यों के संदर्भ में मंथन तथा बुरे कामों का प्रायश्चित करने की रस्म भी संलग्न है। इसी से अक्सर लोग पूजा-पाठ करते-कराते हैं। इस मौके पर पिंजरों में बंद पक्षियों को बाहर निकालकर आकाश में छोड़ने की भी रस्म है। अफ्रीका अफ्रीका में मार्च-अप्रैल के मध्य मनाया जाने वाला त्यौहार ‘ओमेन बोगा’ भारतीय होली का मिलता-जुलता रूप है। इस दिन यहां के लोग बोंगा नामक अत्याचारी राजा का पुतला जलाते हैं तथा एक दूसरे पर रंग डालते हैं। मिस्र यहां के आदिवासी क्षेत्रों में मार्च के तीसरे सप्ताह में अंगारों की होली खेली जाती है। इस दिन आदिवासी घने जंगल में एक जगह पर अग्नि जलाकर उसमें पूर्वजों के बाल तथा कपड़े जलाते हैं। अधजले होली के अंगारे एक दूसरे पर फेंके जाते हैं। उनकी मान्यता है कि ऐसा करने से होलिका राक्षसी का अंत होता है। फ्रांस फ्रांस में होली को ‘बेवकूफों का पर्व’ कहा जाता है। इस दिन जो भी व्यक्ति इसके हुड़दंग से बचने का प्रयास करता है उसका मुंह काला किया जाता है तथा सिर पर सींग लगाकर उसका मजाक उड़ाया जाता है। घास-फूस से निर्मित मूर्तियों को शहर में घुमाया जाता है तत्पश्चात् उनको जला दिया जाता है। लड़के शोर मचाते हुए मूर्तियों के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। यूनान यूनान में भारत से मिलती-जुलती होली मनाई जाती है। होलिका दहन वाले दिन यूनान में भी छोटी होली तथा इसके अगले दिन बड़ी होली धुलेंडी का समारोह होता है। इस त्योहार पर यहां के लोग एक दूसरे को पानी से सराबोर करते हैं, रंग उछालते हैं, नाचते-गाते हैं और खूब हो-हल्ला मचाते हैं।



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