दीपावली की शुभकामनाएं

दीपावली की शुभकामनाएं  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 3270 | नवेम्बर 2015

दीपावली पूजन स्थिर लग्न में ही करना चाहिए, ताकि लक्ष्मी जी घर में स्थिरता से वास करें। दीपावली के दिन स्थिर लग्न संध्या काल में वृष एवं सिंह लग्न होते हैं। दिल्ली में वृष लग्न 17:44-19:39 तक रहेगा एवं सिंह लग्न मध्य रात्रि उपरांत 24:18-26:35 तक रहेगा। वृष लग्न गृहस्थ के लिए एवं सिंह लग्न तांत्रिकों के लिए उत्तम है। व्यापारियों के लिए दिन में कुंभ लग्न में 13:16-14:44 तक अपने प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी पूजन उत्तम रहेगा। पूजन के लिए लक्ष्मी-गणेश जी के चित्र या मूर्ति लेने चाहिए। स्फटिक, रजत या स्वर्ण की मूर्तियों की विशेष महिमा है। साथ ही कोई श्री यंत्र आदि भी स्थापित करना लक्ष्मी वास के लिए उत्तम माना गया है। इन सबका पूजन कर श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त आदि का पाठ धन की कमी को दूर कर, स्थिर लक्ष्मी का वास देता है।

दीपावली का पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन दीपावली मनाने का महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन सबसे अधिक काली अंधकारपूर्ण रात्रि होती है, ऐसी स्थिति में आसुरी शक्तियों का प्रभाव काफी अधिक बढ़ जाता है। आसुरी शक्तियों को रोशनी या प्रकाश सबसे अधिक अप्रिय व कष्टकारी होता है। अतः आसुरी शक्तियों को दूर रखने हेतु घर-आंगन को अधिक से अधिक प्रकाशित रखने का प्रयास किया जाता है। कई तांत्रिक इस रात सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना तथा तांत्रिक क्रियाएं भी करते हैं तथा बड़ी-बड़ी सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।

यह पर्व हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाता है, इसलिए हम दीपावली में अधिक से अधिक प्रकाश करते हैं, ताकि हमारे जीवन में ज्ञान रूपी ज्योति जल सके। इस दिन लक्ष्मी जी के लिए की गई पूजा-अर्चना का महत्व अनेक गुणा अधिक हो जाता है। भगवती महालक्ष्मी चल, अचल संपूर्ण संपत्तियों एवं अष्ट सिद्धि नव निधियों की अधिष्ठात्री साक्षात् नारायणी हैं। अग्रपूज्य देव श्री गणेश ऋद्धि- सिद्धि, बुद्धि, शुभ, लाभ के स्वामी एवं सकल अमंगलों, विघ्नों के विनाशक हैं, अर्थात दीपावली के शुभ मुहूर्त में श्री लक्ष्मी एवं गणेश जी का संयुक्त पूजन करने से घर में सभी प्रकार के सुख, ऐश्वर्य एवं आनंद का आगमन होता है।

दीपावली के शुभ मुहूर्त पर किए जाने वाले उपाय

प्रचुर मात्रा में धनागमन हेतु

दीपावली से पूर्व धन त्रयोदशी के दिन लाल वस्त्र पर धातु से बने कुबेर एवं लक्ष्मी यंत्र को प्रतिष्ठित करके उनकी लाल पुष्प, अष्टगंध, अनार, कमलगट्टे, कमल के फूल, सिंदूर आदि से पूजा करें। फिर कमलगट्टे की माला पर निम्नांकित कुबेर के मंत्र का 108 बार जप करके माला को गले में धारण कर लें तदुपरांत 1 माला जाप प्रतिदिन करें।

ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्याधिपतये। धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।।

 

धन संग्रह हेतु

दीपावली के दिन प्रातः काल स्नानादि करके मां भगवती के श्रीसूक्त का पाठ करें। लक्ष्मी जी की प्रतिमा को लाल अनार का भोग लगाएं और आरती करें। घर की उत्तर दिशा की ओर से प्रस्थान करके बेल का छोटा पेड़ घर में लाएं और उसे लक्ष्मी सूक्त पढ़ते हुए घर की उत्तर दिशा में किसी गमले में लगाएं। दीपावली की रात स्वर्णिम श्री यंत्र स्थापित करें और निम्न मंत्र का प्रतिदिन 1 माला जप करें -

ऊँ श्रीं ही श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ही श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।

 

कर्ज मुक्ति हेतु

दक्षिणावर्ती गणेश जी की उपासना करें तथा ऋणमोचनमंगल स्तोत्र का पाठ करें। दक्षिणावर्ती गणेश जी की मूर्ति के साथ गणपति यंत्र को भी स्थापित करें। इस यंत्र के दायीं ओर कुबेर यंत्र को स्थापित करना चाहिए। यह पाठ ऋणमुक्ति होने तक नित्य प्रति करते रहें।

व्यापार में धन वृद्धि हेतु

दीपावली की रात को श्रीसूक्त व लक्ष्मीसूक्त के स्फटिक श्रीयंत्र के समक्ष सोलह पाठ करें तत्पश्चात् नित्य प्रति श्रीसूक्त व लक्ष्मीसूक्त का 1 पाठ व निम्नलिखित किसी एक मंत्र का जप कमलगट्टे, स्फटिक या लाल चंदन की माला पर करने से व्यापार में निश्चित रूप से वृद्धि होती है। प्रतिदिन एक माला जप लक्ष्मी दोष को सर्वदा के लिए दूर करने में सक्षम है।


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ऊँ श्रीं ही श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।

 

दुःख, दारिद््रय व विपत्ति नाश हेतु

दीपावली की रात दुर्गासप्तशती के पाठ का आरंभ करें व तत्पश्चात् नित्य प्रति दुर्गा कवच या दुर्गा चालीसा का नित्य प्रति पाठ करने से दुःख-दारिद््रय का नाश होता है तथा आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

स्वास्थ्य लाभ हेतु

दीपावली की रात निम्नांकित मंत्र का जप करना आरंभ करें तथा 43 दिनों तक नित्य प्रति नियमित रूप से 3 माला जप करते रहने से निश्चित रूप से रोगों का नाश होता है तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है -

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि।।

 

विद्या लाभ व वाक्सिद्धि हेतु

जब विद्या प्राप्ति के उपाय प्रभावी न हो रहे हों तो दीपावली के शुभ अवसर पर विशेष रूप से मध्यरात्रि में निम्नांकित मंत्र का ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए एक माला जप करने से मंत्र सिद्धि होती है। तत्पश्चात् विद्या प्राप्ति के अपने उद्देश्य की सिद्धि के लिए नित्य प्रति 1 माला जप करें।

ऊँ ऐं ही श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।।

 

संतान प्राप्ति हेतु

दीपावली की रात निम्नांकित मंत्र का 1, 3, 5, 7 या 9 माला की संख्या में जप करना आरंभ करें तथा तत्पश्चात् मनोकामना पूर्ति होने तक नित्य प्रति जपते रहें। ऐसा करने से निश्चित रूप से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।।

 

संतान के शीघ्र विवाह हेतु

संतान के विवाह में अनावश्यक विलंब हो रहा हो तो शीघ्र विवाह हेतु दीपावली के दिन मध्याह्न काल से निम्नांकित मंत्र द्वारा भगवती मातंगी की आराधना करना आरंभ करें तथा मनोकामनापूर्ति होने तक नित्य प्रति 1 माला जप करें -

ऊँ ही एंे श्रीं नमो भगवती उच्चिष्ठ चांडालि श्रीमातंगीश्वरी सर्वजनवशंकरी स्वाहा।

 

शत्रु नाश व मुकदमे में विजय हेतु

यदि कोई शत्रु आपको अकारण ही परेशान कर रहा हो अथवा कोर्ट कचहरी में कोई मुकदमा आदि चल रहा हो तो शत्रु नाश व मुकदमे में विजय प्राप्ति हेतु दीपावली की रात्रि से आरंभ करके बगलामुखी के निम्नांकित मंत्र का 3 माला जप 43 दिनों तक नित्य प्रति करें -

ऊँ ही बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय, बुद्धि विनाशय ही ऊँ स्वाहा।

 

भूत प्रेत/ऊपरी बाधा निवारण हेतु

यदि आपके ऊपर किसी ने टोना-टोटका कर दिया है अथवा आपका काम या व्यापार बांध दिया है तो दीपावली की रात काली मां की आराधना करें तथा निम्नांकित मंत्र का 1 माला जप करने के पश्चात् अपने ऊपर से सात बार नारियल वारकर उसे बहते जल में प्रवाहित करने से भूत बाधा दूर होती है।

ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ही ही हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ही ही हूं हूं स्वाहा।

 

उपरोक्त मंत्र का दीपावली की रात में जप आरंभ करने के पश्चात् 43 दिनों तक नित्य प्रति एक माला जप करने से पूर्ण बाधा निवारण हो जाता है।

जप या मनोकामना पूर्ण होने पर जप संख्या के दशांश का हवन अवश्य करें।


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