क्या कहते हैं इस वर्ष के ग्रह?

क्या कहते हैं इस वर्ष के ग्रह?  

नारायण शर्मा
व्यूस : 4510 | जनवरी 2010

ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह वर्ष आम तौर पर शुभ रहेगा। साहित्य, कला, उद्योग आदि के क्षेत्रों की स्थिति अच्छी रहेगी। पुरातात्विक महत्व के वस्तुओं के संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की शाख बढ़ेगी। विज्ञान के क्षेत्र में भारत उत्तरोत्तर प्रगति करेगा। किंतु, वहीं कुछ अशुभ योगों के कारण कुछ अशुभ घटनाओं की संभावना भी है। यहां इस वर्ष घटने वाली शुभाशुभ घटनाओं का फलित सूत्र के आधार पर ज्योतिषीय विश्लेषण प्रस्तुत है।

‘‘।। शोमंनवस्तरं धात्री प्रजानां रोग शोकदा। तथापि सुखिनो लोका वहुसस्यार्ध वृष्टयः।।‘‘ अर्थात् इस वर्ष जनता को रोग, पीड़ा, शोक, संताप आदि का सामना करना पड़ेगा। लेकिन भावनाओं पर नियंत्रण से सुखदायक योग भी बनेंगे। वृष्टि बाधा के कारण स्थिति पीड़ाजनक बनेगी, परंतु अंततः परिणाम अनुकूल निकलेंगे। जन भावना को महत्व मिलेगा। कुछ देशों में आंदोलन छिड़ने की संभावना है। आकाशीय ग्रह परिषद के विभिन्न विभागों के अनुसार फलादेश इस प्रकार है।

Û राजा मंगल: भौमे नृपे वह्निभयं जनक्षयं चैराकुलं पार्थिव विग्रहं च। दुःख प्रजा व्याधि वियोग पीड़ा स्वस्यं पयो वारिवाह।। वर्ष का राजा मंगल है। इसके फलस्वरूप देश में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के साथ-साथ चोरी की घटनाएं बढ़ेंगी, जिससे जनमानस तथा सत्ता के गलियारों में भय का वातावारण उत्पन्न होगा। यह योग अनावृष्टि का सूचक भी है। कहीं-कहीं आग लगने से जन-धन की भारी हानि की संभावना भी है।

Û मंत्री बुध: शशि सुते शुभ मंत्री सभागते स्वपति नारमते मदन क्रियाम्। वक्षु (बहु) धन बहुवादिसमन्वितं यवम सूर चगान्न मध्र्यताम।। वर्ष का मंत्री बुध एक सौम्य ग्रह है। बुध की इस स्थिति के फलस्वरूप अच्छी वर्षा का योग बनता है। पैदावार भी अछी होगी। प्रजा में सुख शांति का वातावरण बनेगा। किराने के व्यापारियों के कारोबार में वांछित तरक्की होगी। जौ, चने आदि विभिन्न अनाजों दलहन के भाव में तेजी का योग बनेगा। वहीं किसानों में अनबन ज्यादा होगी, किंतु समझौता भी होता रहेगा।


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Û सस्येश शुक्र: शुक्रोयदाधान्य पतिर्धरायांमेघो जनं वर्षति शोभन प्रियम्। गोधूम शालीक्षुधनं प्रियंगु वक्षेषु पुष्पाणि सुख प्रदानि।। शुक्र के सस्येश होने के कारण इस वर्ष वर्षा अच्छी होगी। चावल, ईख, गेहूं, चना, धान आदि की पैदावार अच्छी होगी। वृक्षों में फल-फूल अधिक लगेंगे। व्यापार एवं कृषि उद्योग तरक्की होगी। किंतु वहीं अति वृष्टि की संभावना भी है जिसके फलस्वरूप जन-धन की हानि हो सकती है।

Û धान्येश गुरु: गुरुधान्य पतौयाते यवगोधूमशासय। पंचयंते सर्व देशेषु यज्वानो ब्राह्मणादयः।। धान्येश गुरु ग्रह के प्रभाव से इस वर्ष गेेहूं, धान आदि की पैदावार बहुत अच्छी होगी। जन जीवन सुखमय रहेगा।

Û मेघेश भौम: अवनिजो जलद्स्यपतौ भूविश्रुतिं विचार विहीन धरामरा। क्वचिद्पि प्रचुरं जसमूल्य कं क्वाचिदपि प्रशनं बहुतापदम।।

Û मंगल के मेघेश होने के कारण कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि की संभावना है। पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि होगी।

Û रसेश रवि: रसपतौश्रवि धराणैतदा विचार रसभाग रताल्प वयोधराः। वसन तेल घृत प्रियमानवाः सुखेनश्संनम मुनक्ति महीपति।। सूर्य के रसेश होने के कारण इस वर्ष वांछित वर्षा की संभावना कम है। रसकर पदार्थों का उत्पादन कम होगा तथा रस वाली वस्तुएं महंगी होंगी। सरकार और जनता के बीच सामंजस्य का अभाव रहेगा। वस्त्र, तेल, दूध आदि का उत्पादन कम होगा।

Û नीरसेश शुक्र: कर्मरागरगंधा नां हेम भौक्तिक वाससाम्। अर्ध वृष्टिः प्रजायेत नीरसेशो भृगुर्यदिः।। इस वर्ष शुक्र को नीरसेश है। फलतः भाग मिलने से सोना, कपड़ा, कपूर, अगर-तगर गंध आदि के बाजारों में मंदी रहेगी। आभूषणों के बाजार में भी मंदी की संभावना है। शुक्र की यह स्थिति स्त्री वर्ग के लिए शुभ है।

Û फलेश सूर्य: दु्रमवती वर पुष्पवती धरा प्रभुदिताफल भोग विशेषता। बहुजलं जलदो भुवि भुचंति कवचिद्पि प्रमितं फलयो रविः।। रवि के फलेश होने के कारण इस वर्ष वर्षा अच्छी होने की संभावना है। वृक्षों पर फल फूल अधिक लगेंगे। जन जीवन सुखमय रहेगा।

Û धनेश गुरु: सुमनसां च गुरुर्द्रविणाधियो वणिजवृŸिापराः सुखमाजनाः। फलितपुष्पित भूमि रुहाः सदा विविधे दृव्य युता भुवि मानवाः।।

Û वर्ष का धनेश गुरु है। इसलिए अच्छी वर्षा की संभावना प्रबल है। पृथ्वी पर पाप का बोझ कम होगा। व्यापार में तरक्की होगी, जिससे व्यापारीगण खुशहाल रहेंगे। फल फूल की पैदावार अच्छी होगी। देश भर में धन-समृद्धि की वृद्धि हेागी।

Û दुर्गेश चंद्र: गणपतिर्मृगसाधन कौ यदा नृप सुराज्य विलासिपौरजाः। बाहुधनेक्षुजगोरसभोगिनो नरवरा नरवर्णित विग्रहाः। चंद्र इस वर्ष का रक्षा मंत्री (दुर्गेश) है।

फलस्वरूप सत्ताधारियों में आपसी सद्भाव में वृद्धि होगी। जनजीवन में सुख-शांति का वातावरण बनेगा। ईख की पैदावार अच्छी होगी। गोपालन करने वालों को धन लाभ होगा। वर्षनाम-श्रावण फल मनोस्हाद प्रकुर्वतिजनाः सौख्य समायुताः। श्रावणे वृष्टि रत्यु ग्रागोमहिस्यादिकं सुखम्।। जनता में सौख्य भाव में परिवर्तन होगा। वर्षा अच्छी होगी। ग्रामीण जनजीवन सुखमय होगा। किंतु कहीं कहीं अधिक वृष्टि से स्थिति प्रतिकूल भी होगी। चतुर्थ मेघनाम पुष्कर फल पुष्कर फल का विश्लेषण अल्प वृष्टि का संकेत देता है।

नदियों के सूखने की संभावना भी है। रोहिणी समुद्र तट फल आकाश में बादल दिखाई देगा, लेकिन वर्षा कम होगी। पश्चिमी राजस्थान में योग शुभ बनेगा। किंतु रोहिणी पर्वत तट के लिए मेघ माला अशुभ योग की संभावना है। कुंभकार गृह में युक्ति योग बनेगा। परिश्रम करने वाले कर्मठ लोगों का जीवन सुखमय रहेगा। दैवज्ञ दृष्टि में संसार चक्र संवत राजा विक्रमादित्य: वर्षेश- लग्नेश, आकाशीय परिषद तथा अन्य सूत्रों के आधार पर मेदिनीय ज्योतिष की गणना से दैवज्ञ दृष्टि में संसार चक्र संवत के राजा विक्रमादित्य हैं।

Û उद्योग, विज्ञान, शिक्षा, रोजगार, सड़क परिवहन, परमाणु शोध कार्य में आदि का विकास होगा।


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Û किसी किसी प्रदेश में मध्यावधि चुनाव तथा अशुभ घटनाओं का योग बनेगा। Û आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जनता विद्रोह या क्रांति कर सकती है।

Û लोक मंडलों तथा निकायों में अशोभनीय घटनाओं की संभावना है।

Û दलगत राजनीति से राजनीति का वातावरण दूषित होगा।

Û निजी उद्योगों की तरक्की तथा स्वरोजगार प्रणाली का विकास होगा।

Û राजकीय प्रतिष्ठानों पर निजी निवेशों का प्रभाव बढ़ेगा।

Û तकनीकी शिक्षा की वृद्धि होगी किंतु तकनीकी कर्मी कोणी से उदासीन नजर आएगा।

Û कन्या का शनि परिचमोŸार देशों में युद्ध का वातावरण उत्पन्न करेगा।

Û श्री लंका, नेपाल एवं मारीशस में प्राकृतिक आपदा के कारण जन-धन की हानि की संभावना है।

Û कार्यपालिका अपनी विधान नियमावली का उल्लंघन कर सकती है।

Û ठगी, चोरी, डकैती, पाॅकिट मारी आदि की घटनाओं में वृद्धि होगी।

Û विशिष्ट नेताओं का बड़ा उजागर होने से जनता का विश्वास न्यून होगा।

Û बिजली एवं जल का अभाव रहेगा।

Û ब्रिटेन, जापान, रूस, ईरान, चीन तथा मुस्लिम राष्ट्र परस्पर विवाद से बचे या सतर्क रहें।

Û नारी समुदाय की गरिमा तो बढ़ेगी, मगर नारियां स्वयं सीमाओं का उल्लंघन करेंगी।

Û प्रशासकों पर राजनेता अपना वर्चस्व बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

Û केंद्र एवं राज्य सरकारों में विपक्ष का वर्चस्व रहेगा। केंद्रीय तथा प्रांतीय मंत्रिमंडलों में परिवर्तन चलते रहेंगे।

Û रेल, वायु तथा जल दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

Û मानसून की अनियमितता के कारण कहीं कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि होगी जिससे कृषि प्रभावित होगी और जनजीवन दुखमय होगा। उक्त लग्नों के आधार पर मेदिनीय ज्योतिष सूत्र एवं शकुन योग तथा ग्रह गति के विश्लेषण से ज्ञात होता है

कि वर्षफल में अच्छे योग बनेंगे। राजा एवं मंत्री का भाव योग से शत्रु हार मानेंगे। विश्व में मंगल के प्रभाव से युद्ध का वातावरण बनेगा। किंतु सौम्य ग्रहों के छह और क्रूर ग्रहों के चार पदों के योग के फलस्वरूप स्थिति सकारात्मक होगी। लोगों में ईश्वर के प्रति श्रद्धा तथा धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। गणनानुसार योग में ग्रहों का फल काव्य रूप में- लग्न वर्ष प्रवेश का पहले भाव में राहु का स्थान ।

सप्तम केतु मिथुन का करे नारी वर्ग का उत्थान।। नीच मंगल आठवां कर्क का शीतल नारी माय। उच्च ईष्ट धन भाव में उद्योग व्यापार बढ़ाय।। चतुर्थ भाव में अष्टमेश युक्ति चंद्रादित्य का योग। बुधादित्य योग भी शिक्षा दीक्षा शुक्रादित्य का योग। भूमि पर भार बढ़े, तपे सूर्य प्रतिदिन आकाश। शनि दशम भाव करे व्यापार कृषि का विनाश।। गुरु तृतीय शनि क्षेत्र में करता दृष्टि सूर्य राशि। सावधानी से चलें करें सर्वजन हासि।। वर्षलग्न के योगानुसार फल द्विस्वभाव लग्न, लग्नेश गुरु कुंभ में तथा चतुर्थ भाव में गुरु की राशि में सूर्य, चंद्र, शुक्र और बुध की युति अशुभ सूचक है।

यह योग वर्षपर्यंत प्रभावी रहेगा। हत्या की घटनाएं बढ़ेंगी। छत्र भंग की संभावना भी है। लोग अपने मां-बाप का अपमान करेंगे। पश्चिमी देशों पर शनि की दृष्टि तथा दक्षिणी देशों पर कुदृष्टि के फलस्वरूप स्थिति प्रतिकूल होगी। लग्न में राहु यदा लग्ने सधे धनु राशौ तंदा रोगोपद्रव भवंति। केतु यदा सप्तम मिथुने नारी मर्यादा खण्डन करोति।। इस योग के कारण रोग व्याधियां ज्यादा बढ़ेंगी। नारी जाति का प्रभुत्व बढ़ेगा लेकिन वे अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन करेंगी।

मंगल नीच अष्टभाव अग्नि काण्डोति यत्र-तत्र जायते। दृष्टि उच्च स्थाने मकरे उद्योग व्यापार भूमि उपजायते।। दशम कन्या गते शनि रवि सुतम् दृष्टि पिता गुरो क्षेत्रे। योगा समसंतकादि प्रभाव केंद्रीय सत्ता मण्डल परिवर्तन ते। गुरौ कुंुभे तृतीय यथा दृष्टि सूर्य राशि सिंह परि। एते नव ग्रहा स्थिति शुभशुभ योग कौशिक नारायण हरि।। ग्रहों का कुप्रभाव भारत पर ही नहीं, संपूर्ण विश्व पर पड़ेगा। इससे मुक्ति हेतु राष्ट्र स्तर पर यज्ञादि शुभ कार्य करने चाहिए। वर्षभर लग्न चर शुक्रादित्य और बुधादित्य योगों के फलस्वरूप इस वर्ष शिक्षा का विकास अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होगा।

नवीन तकनीक तथा शैक्षिक उन्नयन की कार्यशालाओं का आयेाजन विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा होता रहेगा। शुक्र ग्रह की इस स्थिति के कारण नवीन वैज्ञानिक प्रयोग होंगे। विज्ञान के क्षेत्र में भारत अग्रणी रहेगा। किंतु चतुर्थस्थ मंगल तथा द्वादशस्थ चंद्र के कारण विश्व में प्राकृतिक आपदाएं आएंगी। शनि रोगोत्पत्ति कारक होगा। विशिष्ट जन हृदयाघात के शिकार होंगे। नवस्थ राहु तथा तृतीयस्थ केतु खनिज संपदा के विकास के शोध में सहायक होगा। किंतु दक्षिणी पूर्वी देशों में जनता में आक्रोश बढ़ेगा।


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समाज में स्त्री उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ेंगी। लोग पारिवारिक क्लेश से ग्रस्त रहेंगे। जल, बिजली और तेल की कमी की संभावना भी है। मंगल, शनि और शुक्र के कारण वाहन उद्योग में नीवन तकनीक का आविष्कार होगा। नारी वर्ग प्रत्येक क्षेत्र में कदम रखेगा। भारत में दक्षिणी प्रांतों में भी नारी शक्ति का प्रभुत्व बढ़ेगा। नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान, अफ्रीका, अमेरिका और इग्लैंड में नारी जाति का सम्मान बढ़ेगा। सामान्य जन चिंता एवं बेरोजगारी से पीडित होंगे। आद्र्रा प्रवेश लग्न सिंह लग्न युत मंगल का लग्न में होना आग लगने से जन-धन की हानि का संकेत देता है।

यत्र-तत्र तेज आंधी आने और आग लगने से धन-जन की हानि की संभावना है। आसमान में बादल छाए रहेंगे, किंतु वर्षा नगण्य होगी। बूंदा-बांदी होगी या बादल के फटने की घटनाएं होंगी। भारत के मौसम में कुछ परिवर्तन जैसा वातावरण बनेगा। कृषक एवं व्यापारी चिंतित रहेंगे। गुरु के अष्टम में प्रवेश के फलस्वरूप वर्षा समय पर नहीं होगी जिससे कृषि का भारी नुकसान होगा। लाभ भाव की चतुर्थ ग्रह युति से राज विग्रह या मंत्रिमंडल में परिवर्तन संभावना है। खाद्यान्न महंगे किंतु मशीनें सस्ती होंगी।

अंतर्राष्ट्रीय भविष्य कथन राजा भौम तथा मंत्री बुध के प्रभाववश इस वर्ष अमेरिका, अफ्रीका तथा आस्टेªलिया का अन्य देशों के प्रति व्यवहार कटु होगा। नीति निर्धारण में ये देश भूलकर सकते हैं। अणु-परमाणु अनुसंधान के क्षेत्र में नई तकनीकी का आविष्कार होगा। आर्थिक दृष्टि से इन देशों के कमजोर होने की संभावना है। चतुर्थ ग्रह युति के कारण आपातकालीन स्थिति बनेगी। बेरोजगारी में वृद्धि होगी। प्राकृतिक आपदाएं आएंगी जिससे जनजीवन प्रभावित होगा। वायुयान अपहरण की घटनाएं घटेंगी। इन्हीं देशों के कारण विश्व में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होगी।

इस वर्ष सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र तथा बृहस्पति के प्रभाववश एवं शनि की दृष्टि के कारण लंदन, रूस, बर्मा, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, हिंदचीन तथा बांग्ला देश में जनजीवन प्रभावित होगा। भूखमरी तथा अग्निकांडकी घटनाएं घटेंगी और व्यापार संबंधों में विवाद की स्थिति बनेगी। शासक वर्ग में फूट का वातावरण उत्पन्न होगा। कानून व्यवस्था के प्रति लोगों के विशास में कमी आएगी। महिला वर्ग का इन देशों में प्रभुत्व बढ़ेगा, वे हर क्षेत्र में अग्रणी रहेंगी। किंतु अपहरण तथा यौनाचार की घटनाएं भी बढ़ेंगी।

इस वर्ष जून से अगस्त तक का समय सतारूढ़ पार्टी के लिए संकटपूर्ण रहेगा। आंधी, तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण जन-धन की हानि की संभावना है। बच्चों में विभिन्न रोगों का प्रसार होगा, जिससे आम जन परेशान होंगे। पुरातात्विक एवं विभागों ऐतिहासिक महत्व के स्थानों की खोज में प्रगति होगी। वर्ष प्रवेश लग्न एवं वर्षेश लग्न की ग्रह गणना के अनुसार फ्रांस, इज्रायल, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, युगोस्लाविया, मारिशस, मलेशिया तथा कोरिया का भविष्य इस वर्ष उज्ज्वल प्रतीत होता है

धार्मिक कार्यों में लोगों की अभिरुचि बढ़ेगी। आंतरिक समस्याओं का समाधान होगा। नैतिक शिक्षा को अनिवार्य करने जैसा योग बनेगा। कहीं-कहीं शासन की ढिलाई के कारण क्रांति की संभावना है। हड़ताल, नारी उत्पीड़न, पारिवारिक कलह आदि की घटनाएं हो सकती हैं। शुक्रादित्य योग के कारण शरीर-व्यापार में वृद्धि की संसभावना है। सŸाा में परिवर्तन की संभावना भी है। जनता में रोष बढ़ेगा। भौम राजा और मंत्री बुध के कारण दशाधिकार पद्म योग का निर्माण हो रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आएगी जिससे विकास की गति तेज होगी। आतंकवाद का बोलबाला बढ़ेगा। कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। यह वर्ष जर्मनी, जापान, ईराक, इरान, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, बलूचिस्तान तथा कनाडा के लिए चमत्कारिक प्रतीत होता है। दशमेश व नवमेश के कारण व्यापार, तकनीकी आदि के क्षेत्रों में सुधार होगा। किंतु प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी प्रबल है, जिससे धन-जन की हानि होगी। किसी देश विशेष में सत्ता में विवाद के कारण विद्रोह फूट सकता है।

नारी जाति का प्रभुत्व बढ़ेगा। भूकंप, ज्वालामुखी के फटने आदि के फलस्वरूप धन-जन की हानि के साथ-साथ खनिज संपदा के नाश की संभावना भी है। शनि, मंगल, राहु और केतु के प्रभाववश पाॅकिटमारी, लूटखसोट, चोरी आदि की घटनाएं अधिक होंगी। अतिवृष्टि की संभावना भी है, जिससे जनजीवन प्रभावित होगा। कहीं कहीं सŸाा परिवर्तन भी हो सकता है।

धनु लग्न के योग तथा ग्रह परिषद के प्रभाववश भारत का शैक्षिक स्तर इस वर्ष श्रेष्ठ रहेगा। शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी देशों में भारत का नाम होगा। किंतु दक्षिणी एवं उŸारी भारत में स्थिति अशुभ रहेगी। न्यायालयों के प्रति जनता का विश्वास कम होगा। कन्या का शनि भारत के लिए परेशानियों का सूचक है। राजनेताओं की वाणी प्रभावहीन होगी। भारत को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ेगा। कर्मचारी वर्ग को भी परेशानियों सामना करना पड़ सकता है।

पुराने विवाद सुलझेंगे तथा लंबित मामलों के निबटारे के लिए सरकार विशेष कदम उठाएगी। वर्तमान मंत्रिमंडल में परिवर्तन की संभावना है। वहीं यू.पी.ए सरकार को विश्वासमत हासिल करना पड़ेगा। विवादित पार्टियों आपसी कटुता के कारण नेताओं की छवि धूमिल होगी। इस प्रतिकूल स्थिति में भी भारत अच्छा उत्पादक एवं निर्यातक बनेगा। किंतु वायु तथा जल दुर्घनाओं की संभावना प्रबल है।


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कृषक तथा मजदूर वर्गों के लिए यह वर्ष अच्छा रहेगा। 30 जून 2010 से 20 नवंबर 2010 तक कंद्र सरकार विशेष संकट में रहेगी। सूर्य और शनि का सप्तम योग: पंचवर्षीय योजनाओं तथा तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम जुड़ेंगे। किंतु, आतंकवाद, यौनाचार, अनाचार आदि की घटनाओं में वृद्धि होगी। देश में विभिन्न प्रांतों के भविष्यफल का विश्लेषण यहां प्रस्तुत है। राजस्थान की विधान सभा का कार्य काल नियमानुसार पूरा होगा। लेकिन बीच बीच में उथल-पुथल की संभाना है। मंत्रिमंडल में तीन बार परिवर्तन के योग हैं।

वहीं प्रांत में प्राकृतिक आपदा के कारण जनता को कष्ट का सामना करना पड़ेगा। सूर्य, शुक्र, बुध और चंद्र के योग के कारण आम लोग धोखाधड़ी कर अपना उल्लू सीधा करेंगे। समाज में नारी की स्थिति दयनीय होगी। शिक्षा के क्षेत्र में भी परिवर्तन का योग है। आग लगने तथा सांप्रदायिक दंगे की घटनाओं में वृद्धि होगी। कृषि, सिंचाई तथा व्यापारिक कार्यों में महंगाई बढ़ेगी। चोरी, ठगी, पाॅकिटमारी, यौनाचार, देह व्यापार आदि की घटनाओं में वृद्धि होगी।

इस वर्ष लग्नेश के प्रभाव से पंजाब, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उŸारांचल तथा बिहार में विकास की गति में तेजी आएगी। किंतु इन प्रांतों की सरकारें विवादग्रस्त रहेंगी। पुरुष राजनेताओं की तुलना में महिला राजनेताओं का प्रभुत्व बढ़ेगा। राजकीय कार्यों में घोटालों का पर्दाफाश हेतु गुप्तचरों का बोलबाला ज्यादा होगा। विधान सभाओं में विघटन जैसी घटनाएं घटेंगी। कृषि उत्पादन एवं विद्युत उत्पादन में ये प्रांत अग्रणी रहेंगे। मंत्रियों एवं नौकरशाहों में मतभेद से जनता पीड़ित होकर आंदोलन का सहारा लेगी। जगह-जगह दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं में वृद्धि होगी।

ग्रह गणना के अनुसार हरियाणा, असम, छŸाीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिमी, पंजाब तथा आंध्रप्रदेश में अशांति का माहौल रहेगा। सरकारंे भी चिंतित तथा नेक निर्णय लेने में विफल रहेंगी। हत्या की घटनाओं में वृद्धि होगी। आंदोलन की संभावना भी है। नीचस्थ मंगल के कारण इन प्रांतों में सŸाापक्ष का प्रभुत्व बढ़ेगा जबकि विपक्ष कमजोर होगा। चंद्र, बुध और शुक्र के सूर्य के साथ होने से चतुग्र्रह योग बन रहा है।

इस योग के फलस्वरूप इन प्रांतों का जनजीवन दुखमय रहेगा, जिससे अशांति फैलेगी। सरकारी मशीनरी पर राजनेता ज्यादा प्रभावी रहेंगे। कुंभ और मीन का गुरु लोगों को धार्मिक कार्यों की ओर प्रेरित करेगा। स्त्री वर्ग को रोजगार की प्राप्ति होगी। जगह जगह आग लगने की घटनाएं होंगी जिससे जनता में तबाही मचेगी। प्राकृतिक आपदाओं का योग भी है। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्णाटक, तमिलनाडु, मेघालय, सिक्किम तथा दिल्ली में इस वर्ष वर्षा का योग अच्छा रहेगा। प्राकृतिक वातावरण भी सुहावना रहेगा।

औद्योगिक विकास की गति बढ़ेगी। वैज्ञानिकांे द्वारा नए नए शोध होंगे। लेकिन राजनीतिक दलों में शत्रुता बढ़ेगी। आंधियों, सड़क दुर्घटनाओं, अपहरणों आदि की घटनाओं में वृद्धि की संभावना है। पशुओं में बीमारी फैलेगी। पशु महंगे होंगे। अरुणाचल, भूटान, गोआ, बंगाल एवं केंद्र शासित सभी प्रांतों में इस वर्ष राजनेताओं में घमासान चलता रहेगा। परिसीमन का मामला केंद्र तक पहुंचेगा। बाढ़ एवं मौसम में प्रतिकूल परिवर्तन के कारण कृषकों और मछुआरों को कष्ट का सामना करना पड़ेगा।

किंतु खनन विभाग तथा वन विभाग के विकास में तेजी आएगी। वर्ष में क्षत्र भंग योग भी बन रहा है। ‘‘एकादश्यां शनौ तस्मिन यंत्र भंगाधवा भूवि। नगर भंगश्च स्युद्वैरिचोरां धुपद्रवाः।।’’ इस वाक्यांश के अनुसार उक्त राज्यों की सरकारों के गिरने की संभावना भी है। मध्यावधि चुनाव भी हो सकते हैं और कहीं कहीं राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है। वहीं प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं, जिससे जन-धन की हानि होगी।



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